गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक टोरी नेता लॉर्ड रमिंदर सिंह ने कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री ‘असंवेदनशील’ और एक तरफा है। उन्होंने कहा कि बीबीसी ने हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच घृणा को पैदा करके पुराने घाव पर फिर से नमक छिड़क दिया है। ब्रिटिश सांसद ने कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का अपमान है। वह भी तब जब पीएम मोदी की गुजरात दंगे में कोई भूमिका नहीं थी। पीएम मोदी को साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट की जांच में दोषमुक्त करार दिया गया था।
भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति का असर ब्रिटेन तक
लार्ड रेंगर ने अपनी टिप्पणी के बारे में कहा, ‘मैंने बीबीसी के किसी भी पाकिस्तानी मूल के स्टाफ का उल्लेख किया है। दुर्भाग्य से भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति का असर ब्रिटेन पर भी पड़ता रहा है। जो सामाजिक संयोजन और विभिन्न नस्लों के लागों के बीच रिश्ते बनाने के लिहाज से न तो सुखद है और न ही मददगार।’ बता दें कि भारत ने पहले ही इस डॉक्यूमेंट्री को दुष्प्रचार करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस डॉक्यूमेंट्री को पक्षपातपूर्ण करार दिया है।
बागची ने कहा कि बीबीसी की फिल्म तथ्यों से इतर है और औपनिवेशिक सोच को बढ़ाने वाला है। कंजरवेटिव पार्टी के सांसद डोलर पोपट ने भी बीबीसी के डायरेक्टर जनरल को पत्र लिखकर कहा कि यह बहुत ही ज्यादा एकतरफा है। उन्होंने मांग की कि इस फिल्म को हटा लिया जाए। भारत के इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाए जाने का मामला अब कोर्ट में पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करेगी। इस बीच रूस ने भी पीएम मोदी की डॉक्यूमेंट्री पर खुलकर भारत के रुख का ही समर्थन किया है।