अनीश गिरी: विश्व शतरंज के ‘करीबी-शूरवीर’ का अनुभव और रणनीति से भरा सफर

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शतरंज की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो हमेशा शीर्ष के आसपास घूमते रहते हैं, उनकी प्रतिभा असंदिग्ध होती है, लेकिन बड़े खिताबों से वे अक्सर एक कदम दूर रह जाते हैं। अनीश गिरी इन्हीं में से एक हैं। एक दशक से भी अधिक समय से वह शीर्ष स्तर पर खेल रहे हैं, 2800+ एलो रेटिंग हासिल कर चुके हैं और कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में दो बार हिस्सा ले चुके हैं। उन्हें “करीबी-शूरवीर” कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। लेकिन गिरी हार मानने वालों में से नहीं हैं; उनका मानना है कि विश्व चैंपियन बनने का उनका सपना अभी भी जीवित है।

अटूट प्रेरणा: वह चिंगारी जो बुझी नहीं

गिरी का आत्मविश्वास उनकी अटूट प्रेरणा से आता है। जब मैग्नस कार्लसन जैसे दिग्गजों ने क्लासिकल शतरंज से अपनी प्रेरणा खोने की बात कही है, तो गिरी मुस्कुराते हुए कहते हैं, “मैग्नस ने सब कुछ जीत लिया है, मुझे वह समस्या नहीं है, इसलिए प्रेरणा अभी भी बहुत अधिक है।” चेन्नई ग्रैंड मास्टर्स 2025 के दौरान ईएसपीएन से बात करते हुए उन्होंने यह बात कही। यह सिर्फ एक खिताब जीतने की इच्छा नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा को साबित करने का जुनून है जो उन्हें आगे बढ़ाता है। उन्होंने अपने करियर को बिना विश्व चैंपियनशिप के एक और प्रयास के समाप्त करने को `अपने करियर के खिलाफ अपराध` बताया है।

युवा सितारों से मुकाबला: `अनुभवी योद्धा` की रणनीति

आज शतरंज के शीर्ष पर गुकेश डोम्माराजू, आर. प्रग्गनानंद, अर्जुन एरिगैसी, अलीरेज़ा फ़िरोज़ा, नोदिरबेक अब्दुसत्तोरोव और विन्सेंट कीमर जैसे युवा सितारों का बोलबाला है। इन “नई पीढ़ी” के खिलाड़ियों ने खेल में एक क्रांति ला दी है, जिससे शीर्ष स्तर पर खिलाड़ियों की औसत आयु कम हो गई है। लेकिन गिरी इस चुनौती को नया नहीं मानते। वह कहते हैं कि यह उनके लिए वैसा ही है जैसा 2010 के मध्य में कार्लसन, लेवोन अरोनियन और व्लादिमीर क्रैमनिक जैसे दिग्गजों के खिलाफ खेलना था। उनका मानना है कि विश्व चैंपियन बनने की उनकी संभावनाएँ तब से कम नहीं हुई हैं।

“मेरे टूर्नामेंट ठीक चल रहे हैं, और मैं अपने अन्य सहयोगियों, अपने दोस्तों के साथ भी खेलता हूँ, जो मजबूत खिलाड़ी हैं। मैं प्रशिक्षण मैच खेलता हूँ। और मैं बस देखता हूँ कि मैं अभी भी बहुत मजबूत हूँ।”

यह उनका अनुभव है जो उन्हें इस बात का एहसास कराता है।

अनुभव की शक्ति (और थोड़ा मज़ाक): `दादाजी` का ज्ञान

शतरंज पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से बदला है। कंप्यूटर के आगमन ने खेल को पूरी तरह से नया आयाम दे दिया है। गिरी मजाकिया लहजे में कहते हैं, “जब मैं इन युवा लड़कों को बताता हूँ कि दस साल पहले कैसा था, तो वे मुझे ऐसे देखते हैं जैसे मैं कोई दादाजी हूँ।” वह स्वीकार करते हैं कि जो बदलाव पहले दस साल में होते थे, अब एक साल में हो रहे हैं। लेकिन यही “दादाजी” वाला अनुभव गिरी की सबसे बड़ी ताकत है। युवा विरोधियों के साथ स्थितियों का विश्लेषण करते समय, वह समझते हैं कि उनकी शतरंज की समझ अब ऐसे स्तर पर है जहाँ वह उन सभी के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। वे कहते हैं, “जब मैं बहुत सारे खिलाड़ियों के साथ खेलता हूँ, तो मैं तुरंत गलतियाँ देखता हूँ। कभी-कभी वे लंबे विचार के बाद भी उन्हें करते हैं।” अनुभव केवल यादें नहीं, बल्कि एक गहरी अंतर्दृष्टि है जो उन्हें अपने विरोधियों से एक कदम आगे रखती है।

एक अभेद्य किला: अनीश गिरी की रक्षात्मक कला

गिरी का एक और महत्वपूर्ण हथियार उनकी अद्वितीय रक्षात्मक क्षमता है। क्लासिकल शतरंज में उन्हें हराना लगभग असंभव है। 2025 में, उन्होंने 34 क्लासिकल गेम खेले हैं, जिनमें से केवल एक हारा है और 24 ड्रॉ किए हैं। यह आँकड़ा उनकी रक्षात्मक दीवार की मजबूती को दर्शाता है। गिरी खुद कहते हैं, “क्योंकि मैं इतना अच्छा रक्षक हूँ, मैं खराब खेल रहा हूँ तब भी ड्रॉ कर सकता हूँ।” चेन्नई ग्रैंड मास्टर्स में भी, जहाँ उन्होंने शुरुआती सात राउंड में सात ड्रॉ किए, गिरी मानते हैं कि उन्हें दो गेम हारने चाहिए थे – विदित गुजराती और निहाल सरीन के खिलाफ – लेकिन उन्होंने अंततः रक्षात्मक संसाधन खोजे और ड्रॉ करने में सफल रहे। यह क्षमता उन्हें हर मैच में प्रतिस्पर्धी बनाए रखती है, चाहे स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।

Anish Giri playing chess
क्या अनीश गिरी अंततः विश्व चैंपियन का ताज हासिल कर पाएंगे, जो अब डी. गुकेश के पास है?

आगे का रास्ता: ग्रैंड स्विस, विश्व कप और गुकेश को चुनौती

गिरी का यह आत्मविश्वास शारजाह मास्टर्स 2025 जैसी जीत से और मजबूत होता है, जहाँ उन्होंने अब्दुसत्तोरोव को हराकर खिताब जीता था। उनका मानना है कि यदि उनका करियर आज समाप्त हो जाता, तो वे अपनी उपलब्धियों से खुश होते, लेकिन विश्व चैंपियनशिप के लिए एक और उचित प्रयास किए बिना इसे समाप्त करना अपने करियर के खिलाफ अपराध होगा। शायद, 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफिकेशन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही यह आकलन करने का समय आएगा कि वे शतरंज की दुनिया में कहाँ खड़े हैं।

“मैं समुद्र तट पर जाकर आराम करता। मेरे पास कुछ पैसे हैं जो मैं समुद्र तट पर और हर जगह खर्च कर सकता हूँ… जितना मैं रिटायर होना चाहूँगा, जब मैं खुद को खेलते या प्रशिक्षण मैच खेलते देखता हूँ, तो मैं अभी ऐसा नहीं कर सकता। मुझे लगता है कि मेरे पास वह सब कुछ है जो लगता है। अगर मुझे थोड़ी सी किस्मत का तड़का मिल जाए, अगर मैं यहाँ और वहाँ भाग्यशाली हो जाऊँ, तो मैं अभी भी उच्चतम लक्ष्य हासिल कर सकता हूँ।”

उनका अनुभव, वह रक्षात्मक कौशल, वह `हराना-मुश्किल-होने-का-अंदाज़` ही है जो गिरी को आगामी ग्रैंड स्विस और विश्व कप में एक खतरा बनाता है। थोड़ी सी किस्मत के साथ, अनीश गिरी खुद को उन कई खिलाड़ियों में से एक मानते हैं जो संभावित रूप से गुकेश को विश्व चैंपियन के पद से हटा सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह अनुभवी `करीबी-शूरवीर` अंततः अपने सपने को पूरा कर पाता है।