इटली के खिलाड़ी यूरोपियन चैंपियनशिप जीतने के बाद जश्न मनाते हुए।
यूरोपियन बास्केटबॉल के युवा मंच पर इटली ने एक बार फिर अपना परचम लहराया है। 12 साल का लंबा इंतज़ार ख़त्म हुआ और इटली की अंडर-20 टीम ने यूरोपियन चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इस रोमांचक फाइनल मुकाबले में, कोच रॉसी के धुरंधरों ने लिथुआनिया को 83-66 के प्रभावशाली स्कोर से मात दी, जो उनकी एकजुटता और खेल भावना का प्रमाण है।
लक्ष्य तो सिर्फ़ `टॉप आठ` में जगह बनाना था, लेकिन इन युवा खिलाड़ियों ने न सिर्फ़ उस लक्ष्य को पार किया, बल्कि सीधे पोडियम के शीर्ष पर कब्ज़ा जमाया। शायद नियति को कुछ और ही मंज़ूर था, या शायद टीम ने `न कम आंकने` की सीख को कुछ ज़्यादा ही गंभीरता से ले लिया। कॉम्पैक्ट, डिफ़ेंस में मज़बूत, और देखने में शानदार—इटली की टीम ने पूरे टूर्नामेंट में यही प्रदर्शन किया। सिर्फ़ आठ खिलाड़ियों के सीमित रोटेशन के बावजूद, इन `अज़ुरिनी` ने दिखाया कि उनका हौसला और खेल किसी से कम नहीं।
फ़ेरारी और अस्सुई: स्वर्णिम जीत के सितारे
इस ऐतिहासिक जीत के पीछे कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्होंने अपना खेल ऐसे दिखाया जैसे वे वर्षों से इस पल का इंतज़ार कर रहे हों। टूर्नामेंट के `मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर` (MVP) चुने गए फ़ेरारी ने फाइनल में अकेले 26 अंक बनाए, जिसमें उनके 9/16 फील्ड गोल शानदार रहे। उनके हर शॉट में आत्मविश्वास झलकता था, मानो वे कह रहे हों, “यह जीत हमारी है!”
वहीं, अस्सुई ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। 17 अंक और 9 रिबाउंड्स के साथ उन्होंने कोर्ट पर अपना दबदबा दिखाया। लिथुआनियाई रक्षा के लिए ये दोनों युवा खिलाड़ी किसी चुनौती से कम नहीं थे, जिन्होंने अपनी आक्रामक खेल शैली से विपक्षी टीम को लगातार दबाव में रखा। टोरसानी ने भी 13 अंक के साथ महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे टीम की गहराई और भी साफ़ हुई।
मैच का रोमांच: इटली का शुरुआती दबदबा
फाइनल मैच की शुरुआत थोड़ी धीमी रही, दोनों टीमें डिफ़ेंस पर ज़्यादा ध्यान दे रही थीं। लेकिन जल्द ही, फ़ेरारी और अस्सुई ने इटली को पहली बढ़त दिला दी। पहले क्वार्टर के अंत तक इटली 23-17 से आगे था। लिथुआनिया के खराब शूटिंग प्रतिशत और इटली के शानदार डिफ़ेंस के चलते, कोच रॉसी के लड़कों ने दूसरे क्वार्टर की शुरुआत में ही 10 अंकों की बढ़त बना ली। हाफ टाइम तक आते-आते इटली 16 अंकों की बढ़त के साथ मैच पर पूरी तरह से हावी हो चुका था। लिथुआनिया के लिए यह स्थिति मुश्किल भरी थी, क्योंकि उनके 2-पॉइंटर्स का प्रतिशत 30% और 3-पॉइंटर्स का सिर्फ़ 18% था।
सोने का पल: इटली का दबदबा जारी
तीसरे क्वार्टर में लिथुआनिया ने कुछ वापसी की कोशिश की और स्कोर को -9 तक ले आए। बिलियाउस्कस और उनके साथियों ने फ्री-थ्रो से कुछ अंक बटोरे और एक समय सिर्फ़ 5 अंकों का अंतर रह गया था। इस दौरान इटली ने कुछ टर्नओवर किए, लेकिन टोरसानी और फ़ेरारी ने लिथुआनिया के आक्रमणों को बार-बार नाकाम किया। अस्सुई के एक महत्वपूर्ण तीन-पॉइंट प्ले ने क्वार्टर का अंत इटली के लिए 12 अंकों की बढ़त के साथ किया।
अंतिम क्वार्टर में भी लिथुआनिया ने वापसी की कोशिश की, लेकिन 5 मिनट शेष रहते हुए वारेसे के विंग की एक थ्री-पॉइंट ने इटली को फिर से 15 अंकों की बढ़त दिला दी। लिथुआनिया ने 6-0 की छोटी सी रन बनाकर उम्मीद जगाई, लेकिन असाधारण फ़ेरारी की लगातार दो थ्री-पॉइंटर्स ने लिथुआनियाई सपनों को तोड़ दिया और कोच रॉसी के लड़कों को स्वर्ण पदक दिला दिया। यह जीत सिर्फ़ एक मैच की नहीं, बल्कि संघर्ष, दृढ़ संकल्प और बेहतरीन खेल रणनीति की कहानी है।
इटली के प्रमुख स्कोरर: फ़ेरारी 26, अस्सुई 17, टोरसानी 13
लिथुआनिया के प्रमुख स्कोरर: बिलियाउस्कस 17, रौपेलिस 16, स्टोनकस 15
भविष्य के लिए एक शुभ संकेत?
यह जीत सिर्फ़ इटली की अंडर-20 बास्केटबॉल टीम के लिए नहीं, बल्कि पूरे इतालवी बास्केटबॉल के लिए एक शुभ संकेत है। सीनियर `इतालबास्केट` टीम भी 27 अगस्त से अपने यूरोपियन चैंपियनशिप के लिए कमर कस रही है। इस युवा जीत ने निश्चित रूप से उनके हौसले बढ़ा दिए होंगे। क्या यह युवा सफलता `बड़े भाइयों` के लिए भी स्वर्ण का मार्ग प्रशस्त करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, इटली के बास्केटबॉल प्रेमियों के पास जश्न मनाने का एक बड़ा कारण है, और इन युवा सितारों ने साबित कर दिया है कि उनका भविष्य उज्ज्वल है।