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Anantnag Encounter: गृह प्रवेश के लिए घर आने वाले थे मेजर आशीष ढोंचक, लेकिन परिवार को मिलेगा तिरंगे में लिपटा हुआ पार्थिव शरीर

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मेजर आशीष ढोंचक हर उस सपने को पूरा करने में कामयाब रहे, जो औसतन हर मध्यवर्गीय भारतीय देखता है. उन्होंने हरियाणा के पानीपत में एक तीन मंजिला घर बनवाया था. परिवार जल्द ही किराए के अपार्टमेंट से निकलकर अपने नए घर में शिफ्ट होने वाला था. 23 अक्टूबर को गृहप्रवेश की पूजा रखी गई थी और इसी दिन मेजर आशीष ढोंचक का बर्थडे भी था. ऐसे में परिवार के लिए डबल खुशी का मौका था. लेकिन, अब मेजर आशीष ढोंचक को कभी भी नए घर में रहने का मौका नहीं मिलेगा. परिवार को घर पर उनका पार्थिव शरीर मिलेगा.

19 राष्ट्रीय राइफल्स के सम्मानित अधिकारी मेजर ढोंचक उन दो सेना अधिकारियों और एक पुलिस अधिकारी में शामिल थे, जो अनंतनाग में आतंकियों और सुरक्षाबलों के साथ हुए मुठभेड़ में शहीद हो गए.

पानीपत के सेक्टर 7 में मेजर ढोंचक के घर का निर्माण हाल ही में पूरा हुआ था. पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले  उन्हें प्रतिष्ठित सेना पदक से सम्मानित किया गया था. उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार को बताया था कि वह 13 अक्टूबर को घर आएंगे. 23 अक्टूबर को पदक मिलने की खुशी, जन्मदिन और गृहप्रवेश का जश्न मनाने के लिए एक शानदार पार्टी रखेंगे.

उत्साहित मेजर ढोंचक ने अपनी पत्नी, ढाई साल की बेटी, माता-पिता और अपनी तीनों बहनों से कहा था कि वे सभी 23 अक्टूबर के बाद नए घर में एक साथ रहेंगे. लेकिन अब उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार सुबह पानीपत पहुंचेगा. मेजर के पार्थिव शरीर को रिश्तेदारों, दोस्तों और परिचितों के अंतिम दर्शन के लिए घर में रखा जाएगा. शुक्रवार दोपहर में ही मेजर ढोंचक को आखिरी विदाई दी जाएगी. उनका अंतिम संस्कार पानीपत से लगभग 15 किमी दूर उनके पैतृक गांव में किया जाएगा.

इस बीच NDTV ने मेजर ढोंचक की पत्नी के भाई सुरेश से बात की. सुरेश ने बताया कि मेजर के पिता की तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी. वह छह दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. उनकी बहन ने उन्हें घर आने के लिए कहा था. हालांकि, मेजर आशीष आ नहीं पाए थे. उन्होंने परिवार से कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन में व्यस्त थे. उन्होंने अक्टूबर में छुट्टी लेकर घर आने की बात कही थी.

सुरेश ने कहा, “मैं अपनी बहन का सामना नहीं कर सकता. मुझमें उसका सामना करने की हिम्मत नहीं है. सेना मेडल मिलने के बाद मैंने आशीष से बात की और उन्होंने मुझसे कहा कि देश में अब कम दुश्मन हैं.” सुरेश आगे कहते हैं, “मेजर आशीष ने मंगलवार को अपनी बहन से भी बात की थी. नया घर तैयार है और वे शिफ्ट नहीं हुए थे, क्योंकि आशीष ने कहा था कि वह घर के लिए कुछ चीजें खुद खरीदना चाहते हैं. 23 अक्टूबर को उनके जन्मदिन पर गृहप्रवेश की योजना बनाई गई थी.”

उन्होंने कहा, “मेजर ने अपनी बहन से कहा कि उसे एक सर्च ऑपरेशन के लिए जाना है वह दो-चार घंटे के बाद फोन करेगा. लेकिन फोन नहीं आया. मेजर की यूनिट से किसी ने हमें बुधवार दोपहर को फोन किया. फोन पर बताया गया कि गोलीबारी में मेजर आशीष बुरी तरह घायल हो गए हैं. हमें लगा कि वह ठीक हो जाएंगे. रात में हमें मीडिया रिपोर्टों से पता चला कि वो शहीद हो गए हैं.”

सुरेश ने कहा, “इस कदर हमारे जवान बार-बार तिरंगे में लिपटकर आ रहे हैं. वह भारत के लिए शहीद हुए. पूरा देश हमारे सैनिकों के साथ खड़ा है.” 

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लालू के ‘परबल’ का ‘र’ किसके साथ, क्या है बिहार में ठाकुरों के समीकरण पर RJD-BJP की रार और रणनीति?

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Bihar Politics Over Rajput Community: संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पर राज्यसभा में राजद की ओर से मनोज झा ने चर्चा की थी। इस दौरान कोटे के अंदर कोटा की मांग करते हुए उन्होंने सभी लोगों से अपने अंदर के ठाकुर को मारने का आह्वान किया था। झा ने वंचितों के लिए भागीदारी सुनिश्चित कराने की सभी लोगों से अपील की थी। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में सदन में ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ‘ठाकुर का कुआं’ की कुछ लाइनें भी पढ़ीं थीं। अब उनके इस कविता पाठ पर बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक सियासी रार छिड़ा है।

लालू यादव की पार्टी राजद के अंदर ही मनोज झा के ठाकुरों पर दिए बयान का विरोध हो रहा है। पहले पूर्व सांसद आनंद मोहन के MLA बेटे चेतन आनंद ने बयान दिया। बाद में खुद आनंद मोहन तीखी जुबान के साथ कूद पड़े और कह डाला कि अगर वह सदन में होते तो झा की जुबान खींच लेते। उधर, बीजेपी भी राजद सांसद के बयान पर बिहार में खूब हंगामा कर रही है। बीजेपी नेताओं ने पटना में इनकम टैक्स गोलंबर पर धरना प्रदर्शन दिया और झा के माफी नहीं मांगने पर सड़क से लेकर गली-गली तक विरोध की बात कही।

क्या है लालू का ‘परबल’ और उसका ‘र’

दरअसल, ये सारी कवायदें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हो रही हैं। राजपूत समाज अगड़ी जाति के तहत आता है। झा यानी ब्राह्मण भी उसी अगड़ी जाति के समुदाय का हिस्सा है। इनके अलावा राजपूत और कायस्थ जातियां भी अगड़ी जातियों में गिनी जाती हैं, जिसे लालू प्रसाद ने 1990 के दौर में कभी ‘परबल’ कहा था और उसकी भुजिया बनाने को कहा था। लालू ने इसी तरह के नारों से समाज के पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को इनके खिलाफ लामबंद कर 15 वर्षों तक राज किया था। परबल का मतलब- प से पंडित, र से राजपूत, ब से बाभन (भूमिहार) और ल से लाला यानी कायस्थ है। 

इसे कथित तौर पर ‘भूरा बाल’ भी कहा गया था। हालांकि, बाद के कई साक्षात्कारों में लालू यादव ने इस बात का खंडन किया कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि ‘भूरा बाल’ साफ करो। यहां भी भूरा बाल से मतलब- भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला से है। लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के शासनकाल और बाद के वर्षों में भी अगड़े समाज की तीन जातियों (ब्राह्मण, भूमिहार और कायस्थों) का बहुत ही कम वोट लालू यादव की पार्टी को मिलता रहा है लेकिन राजपूत वोट बैंक में लालू यादव ने शुरुआत से ही सेंधमारी कर रखी है।

बिहार में राजपूत कितना अहम?

बिहार में राजपूतों की आबादी करीब 6 से 8 फीसदी है। 30 से 35 विधानसभा सीटों में इस जाति की मजबूत पकड़ है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 243 सीटों में से 64 सीटों पर अगड़ी जाति के उम्मीदवारों की जीत हुई है। इनमें से 28 अकेले राजपूत हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में 20 राजपूत उम्मीदवार विधायक बने थे। बीजेपी ने असेंबली चुनावों से पहले अभिनेता सुशांत सिंह का मुद्दा खूब उठाया था। इसका फायदा भी उसे मिला। बीजेपी के 21 राजपूत उम्मीदवारों में से 15 जीतने में कामयाब रहे, जबकि उसकी सहयोगी रही जेडीयू के सात में से दो राजपूत कैंडिडेट ही जीत सके थे। एनडीए गठबंधन में वीआईपी के टिकट पर भी दो राजपूतों ने जीत दर्ज की थी।

राजद का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा

तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कुल 18 राजपूतों को टिकट दिया था, जिसमें 8 ही जीतकर विधानसभा पहुंच सके। हालांकि, राजद के आठ राजपूत कैंडिडेट में से सात जीतने में कामयाब रहे और सबसे अधिर स्ट्राइक रेट दर्ज की। कांग्रेस ने 10 को टिकट दिया लेकिन जीते सिर्फ एक। इससे पहले यानी 2015 के चुनावों में बीजेपी के 9, आरजेडी के 2, जेडीयू के 6 और कांग्रेस से तीन राजपूत विधायक जीते थे। 

लोकसभा में भी राजपूतों का चला सिक्का

2019 के लोकसभा चुनावों में भी बिहार में राजपूत उम्मीदवारों का सिक्का चला। सबसे ज्यादा सात सीटों पर इसी बिरादरी के लोगों ने जीत दर्ज की। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इनमें से 39 सीटों पर बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन वाली एनडीए ने जीत दर्ज की थी। 39 में सबसे ज्यादा सात पर राजपूत, 5 पर यादव, 3-3 पर भूमिहार- कुशवाहा, वैश्य, दो पर ब्राह्मण, एक-एक पर कायस्थ और कुर्मी, एससी के 6 और अति पिछड़ा वर्ग के 7 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। एक मात्र मुस्लिम चेहरे ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी।

राजपूतों का झुकाव किस ओर? 

चुनावी समीकरणों और हार-जीत के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ भाजपा के साथ है, जबकि राजपूत वोट अभी भी एकमुश्त भाजपा की तरफ नहीं है। हालांकि 2019 और 2020 में उनकी लामबंदी का फायदा भाजपा को मिला है लेकिन राजपूत समाज लालू का भी कोर वोट बैंक रहा है। लालू रघुवंश प्रसाद सिंह, जगदानंद सिंह, प्रभुनाथ सिंह और उमाशंकर सिंह जैसे राजपूत नेताओं के सहारे इस वोट बैंक में सेंध लगाते रहे हैं। 2009 के संसदीय चुनाव में राजद के तीन राजपूत उम्मीदवार सांसद बने थे। इनमें वैशाली से रघुवंश सिंह, बक्सर से जगदानंद सिंह और महाराजगंज से उमा शंकर सिंह शामिल थे।

आगे की रणनीति क्या?

राजद इस समुदाय का वोट पाने के लिए इनके नेताओं को तरजीह देती रही है। इसी कड़ी में प्रदेश राजद के अध्यक्ष के रूप में जगदानंद सिंह की नियुक्ति है। इसके अलावा चुनावों से ऐन पहले आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को राजद में शामिल कराना और उनके बेटे को टिकट देना भी शामिल रहा है। हालांकि, हाल के दिनों में रघुवंश सिंह के विवाद के बाद राजद की स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर हुई है, जबकि बीजेपी की स्थिति पहले से और मजबूत हुई है।

बीजेपी ने जिस तरह से सुशांत सिंह के मुद्दे को राजपूत अस्मिता और युवा अभिमान से जोड़कर राजपूत वोट बैंक को लामबंद किया है, उसी तरह से नए विवाद के जरिए भी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राजपूतों पर डोरे डाल रही है और सीधे तौर पर राजद को ही खलनायक बता रही है, जिसके पास बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा रोजपूत वोट बैंक का शेयर है।



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महाभारत और सिया के राम के बाद आएगा चिरंजीवी हनुमान, पढ़ें खबर 

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चिरंजीवी हनुमान का स्टार प्लस में होगा आगाज

नई दिल्ली:

एपिक सागा ने दर्शकों को बांधे रखने का काम किया है. चाहे वह सीरियल सिया के राम हो या महाभारत की गाथा. फैंस को एक अलग एहसास के साथ आइकोनिक गाथा को ऑडियंस के सामने पेश किया गया है. वहीं अब इसी में एक और नाम जुड़ने वाला है, जो है चिरंजीवी हनुमान: राम भक्ति रुद्र शक्ति का. स्टार प्लस अपने दर्शकों को दिलचस्प और मजेदार कंटेंट देने के लिए जाना जाता है. इसमें अपने अत्यधिक आकर्षक शो के जरिए प्यार, ड्रामा, बदला और कई अन्य भावनाओं से लेकर सभी शामिल हैं. अनुपमा जैसी शानदार सीरीज, जो महिला सशक्तिकरण को दर्शाती है. वहीं ये रिश्ता क्या कहलाता है, तेरी मेरी डोरियां, इमली, ये है चाहतें, तितली, बातें कुछ अनकही सी, और कह दूं तुम्हें की कहानी, फैमिली ड्रामा और रोमांस पर फोकस करता है, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा है.

इसी सफर को जारी रखते हुए स्टार प्लस ने एक बार फिर इतिहास में एंट्री की है और अपने दर्शकों के लिए सबसे आइकोनिक गाथा, चिरंजीवी हनुमान: राम भक्ति रुद्र शक्ति लेकर आया है. इस ऐतिहासिक शो की असाधारणता और भव्यता का अनुभव जल्द ही दर्शकों को होगा.

इस एपिक कहानी में शक्तिशाली हनुमान की मदद से सीता को रावण के चंगुल से बचाने की राम की खोज को दर्शाया गया है, और यह शो भगवान हनुमान की यात्रा पर प्रकाश डालेगा. यह एक टाइमलेस ड्रामा है, जो दर्शकों को किरदारों की भव्यता और शो को एक एपिक और ताज़ा नजरिए से याद दिलाने में मदद करेगा. शो चिरंजीवी हनुमान: राम भक्ति रुद्र शक्ति निश्चित रूप से दर्शकों के दिलों में किरदारों की छाप छोड़ेगा, और हम इससे अधिक सहमत नहीं हो सकते हैं.

चिरंजीवी हनुमान: राम भक्ति रुद्र शक्ति स्टार प्लस पर प्रसारित होने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसकी झलक नए वीडियो में देखने को मिली है. 



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‘अभी तक कोई बदलाव नहीं…’, अक्षर पटेल के रिप्लेसमेंट को लेकर कोच राहुल द्रविड़ ने कही बड़ी बात

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Image Source : PTI
Rahul Dravid

भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में 66 रनों से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन शुरुआती दो मैच जीतने की वजह से टीम इंडिया ने सीरीज अपने नाम कर ली। इससे पहले रोहित शर्मा की कप्तानी में भारतीय टीम ने श्रीलंका को हराकर एशिया कप की ट्रॉफी जीती थी। टीम इंडिया के सभी प्लेयर्स फॉर्म में चल रहे हैं और बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन एशिया कप में स्टार ऑलराउंडर अक्षर पटेल चोटिल हो गए थे। इस पर कोच राहुल द्रविड़ ने बड़ी बात कही है। 

बुमराह ने दिखाया दम 

भारतीय कोच राहुल द्रविड़ को संतोष है कि चोट के बाद वापसी करने वाले जसप्रीत बुमराह, केएल राहुल और श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ियों को अगले सप्ताह शुरू हो रहे वनडे विश्व कप से पहले प्रैक्टिस करने का मौका मिल गया। कमर की तकलीफ के कारण लंबे समय तक बाहर रहे बुमराह ने मोहाली और राजकोट में दस-दस ओवर गेंदबाजी की। वह अपनी गेंदबाजी से प्रभावित करने में सफल रहे। लेकिन तीसरे वनडे मैच में महंगे साबित हुए। उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ सीरीज में वापसी की थी और इसके बाद एशिया कप में भी टीम इंडिया के लिए खेला था। 

कोच द्रविड़ ने कही ये बात 

चोट से वापसी करने वाले केएल राहुल और श्रेयस अय्यर भी शानदार लय में नजर आ रहे हैं। राहुल ने जहां एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ शतक लगाया था। वहीं, अय्यर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वनडे मैच में शतक जड़ा था। राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अर्धशतक लगाने के साथ उम्दा विकेटकीपिंग भी की। द्रविड़ ने तीसरे मैच के बाद कहा कि सभी के लिए मैच टाइम बहुत अहम था और यह अच्छी बात है कि उन्हें यह मिला। जसप्रीत ने दो मैचों में पूरे दस ओवर डाले। सिराज ने भी वापसी करके गेंदबाजी की। अश्विन को इस तरह गेंदबाजी करते देखना अच्छा लगा । केएल ने पूरे 50 ओवर विकेटकीपिंग की और अच्छी बल्लेबाजी भी की। हमें लगातार सुधार करते हुए विश्व कप में इस लय को कायम रखना है। 

अभी तक टीम में नहीं हुआ बदलाव 

विश्व कप टीम में आर अश्विन को शामिल किए जाने के सवाल पर कोच राहुल द्रविड़ ने कोई जवाब नहीं दिया। टीम में कोई बदलाव 28 सितंबर तक ही किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें आधिकारिक घोषणा का इंतजार करना होगा। एनसीए सेलेक्टर्स और अजित अगरकर के संपर्क में है तो मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। अगर कोई बदलाव है तो आपको इसकी आधिकारिक सूचना मिलेगी। अभी तक तो कोई बदलाव नहीं है। 

(Input: PTI)

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