अमेरिका में क्रिकेट: ICC निलंबन, बोर्ड का संग्राम और एक खेल का भविष्य

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क्रिकेट, जो कि विश्व भर में अरबों लोगों के जुनून का खेल है, अमेरिका की धरती पर अजीबोगरीब परिस्थितियों से गुजर रहा है। जहां एक ओर देश में इस खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर इसका शीर्ष प्रशासनिक निकाय, यूएसए क्रिकेट (USAC), गंभीर संकटों से जूझ रहा है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा निलंबन और बोर्ड के भीतर चल रही उठापटक ने अमेरिकी क्रिकेट के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल गहरा दिए हैं। यह सिर्फ एक बोर्डरूम ड्रामा नहीं, बल्कि उन खिलाड़ियों के सपनों का सवाल है जो अमेरिका में क्रिकेट को अपना करियर बनाना चाहते हैं।

ICC का हथौड़ा और एक निदेशक की विदाई

पिछले हफ्ते ICC ने यूएसए क्रिकेट को निलंबित कर दिया, जिसने अमेरिकी क्रिकेट समुदाय में हड़कंप मचा दिया। यह निलंबन सिर्फ एक औपचारिक घोषणा नहीं थी, बल्कि वर्षों से चल रहे प्रशासनिक कुप्रबंधन और अंदरूनी कलह का नतीजा था। ICC ने गवर्निंग बॉडी को शासन सुधार लागू करने और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए तीन महीने का समय दिया था, लेकिन USAC का आंतरिक अव्यवस्था ICC के विश्वास को बहाल करने में विफल रही।

इस निलंबन के ठीक बाद, अमेरिकी क्रिकेट बिरादरी के एक बड़े हिस्से ने USAC के निदेशक अंज बलूसु को `बर्खास्त` करने का बिगुल फूंक दिया। दक्षिणी कैलिफोर्निया क्रिकेट एसोसिएशन, उत्तरी कैलिफोर्निया क्रिकेट एसोसिएशन, डलास क्रिकेट लीग, वाशिंगटन क्रिकेट लीग, ओरेगन क्रिकेट लीग और न्यू जर्सी सॉफ्टबॉल क्रिकेट लीग सहित नौ सदस्य लीगों में से छह ने बलूसु को हटाने के लिए एक याचिका पर हस्ताक्षर किए, जिसके तुरंत बाद एक रिकॉल वोट हुआ। यह कदम सीधे तौर पर USAC के अध्यक्ष वेणु पिसिके के गुट के प्रति बढ़ती असंतोष का संकेत था, जिसका बलूसु भी हिस्सा थे। यह गुट, कई लोगों के अनुसार, अमेरिकी क्रिकेट के पारिस्थितिकी तंत्र को गर्त में धकेलने के लिए जिम्मेदार है।

दिवालियापन की छाया: क्या यह एक रणनीतिक चाल है?

अंज बलूसु को हटाने का समय बेहद महत्वपूर्ण है। खबरों के मुताबिक, अध्यक्ष वेणु पिसिके ने दिवालियापन घोषित करने की योजना पहले ही शुरू कर दी है, जिसके लिए 30 सितंबर को एक विशेष बोर्ड बैठक बुलाई गई है। अमेरिकी कानून के तहत, यदि USAC जैसी गैर-लाभकारी संस्था चैप्टर 7 दिवालियापन के लिए फाइल करती है, तो इकाई को भंग कर दिया जाएगा और उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

हालांकि, यहाँ एक विडंबना है: सूत्रों के अनुसार, USAC के पास अभी भी लगभग 250,000 अमेरिकी डॉलर का कोष है। ऐसे में दिवालियापन का यह आह्वान जल्दबाजी में लिया गया निर्णय प्रतीत होता है, खासकर जब ICC ने अभी तक USAC की सदस्यता बहाल करने के लिए दिशानिर्देश भी नहीं बताए हैं। कुछ हितधारकों का मानना है कि यह कदम ICC को पिसिके की शर्तों पर बातचीत के लिए मजबूर करने की एक `मजबूत-हाथ` रणनीति हो सकती है। बलूसु के हटने से पिसिके के गुट का 5-4 का बहुमत भी खत्म हो गया है, जिससे बोर्ड 4-4 के गतिरोध पर आ गया है, जो दिवालियापन प्रस्ताव सहित महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों पर गतिरोध पैदा कर सकता है।

“यह एक अजीबोगरीब स्थिति है। एक तरफ पैसा मौजूद है, दूसरी तरफ दिवालियापन का प्रस्ताव। क्या यह वाकई वित्तीय संकट है, या यह सिर्फ सत्ता का एक और दांव है?”

खिलाड़ियों पर कहर: सपने और करियर अधर में

इस प्रशासनिक अराजकता का सबसे बुरा प्रभाव खिलाड़ियों पर पड़ रहा है। राष्ट्रीय क्रिकेटर, जो महीनों बाद पुरुषों के अंडर-19 विश्व कप और 2026 टी20 विश्व कप में भाग लेने वाले हैं, अनिश्चितता के भंवर में फंस गए हैं। कई शीर्ष अमेरिकी खिलाड़ी वर्तमान में प्रति वर्ष लगभग 60,000 अमेरिकी डॉलर के अनुबंध पर हैं, जिससे वे पूरी तरह से खेल पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। दिवालियापन से ये अनुबंध अचानक समाप्त हो सकते हैं, जिससे खिलाड़ियों को सबसे बुरे समय में वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।

इससे भी बदतर बात यह है कि इस अव्यवस्था ने मैदान पर तैयारियों को भी बाधित किया है। यूएसए ने 15 महीने पहले एक ऐतिहासिक टी20 विश्व कप की मेजबानी के बाद से किसी भी पूर्ण सदस्य टीम के खिलाफ एक भी टी20I नहीं खेला है। यह सिर्फ खेल की गुणवत्ता ही नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के आत्मविश्वास और तैयारियों को भी चोट पहुंचा रहा है।

आगे क्या? सामूहिक इस्तीफे की मांग

ICC द्वारा USAC को निलंबित किए जाने और क्लबों द्वारा पिसिके के गुट से जुड़े निदेशक को हटाए जाने के बाद, क्रिकेट बिरादरी में एक बढ़ती हुई भावना है कि मौजूदा बोर्ड को ICC और US ओलंपिक और पैरालंपिक समिति (USOPC) दोनों के मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए: सामूहिक रूप से इस्तीफा देना और स्वतंत्र शासन सुधारों के लिए मार्ग प्रशस्त करना। यह एकमात्र रास्ता प्रतीत होता है जिससे अमेरिकी क्रिकेट इस गहरे संकट से उबर सकता है और एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकता है।

अमेरिकी क्रिकेट एक चौराहे पर खड़ा है। एक तरफ खेल की असीम संभावनाएं हैं, दूसरी तरफ प्रशासनिक अक्षमता और अंदरूनी कलह का दलदल। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिकी क्रिकेट समुदाय इस चुनौती से उबरकर एक मजबूत और पारदर्शी ढांचा स्थापित कर पाता है, या फिर यह विवादों के भंवर में ही उलझा रहता है, खिलाड़ियों के सपनों को चूर-चूर करता हुआ। एक बात तो तय है, इस खेल के भविष्य के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।