क्रिकेट की दुनिया में नियम और उनकी व्याख्या अक्सर चर्चा का विषय बन जाती है। हाल ही में भारत और इंग्लैंड के बीच एडगस्टन में खेले गए टेस्ट मैच में भी ऐसा ही एक पल आया, जिसने कई भौंहें चढ़ा दीं और कमेंटेटर्स के बीच बहस छेड़ दी। यह पल था भारतीय तेज गेंदबाज आकाश दीप द्वारा इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज जो रूट को आउट करना। विकेट गिरा, भारत जश्न में डूबा, लेकिन फिर कैमरे की फुटेज में कुछ ऐसा दिखा जिस पर विवाद शुरू हो गया: क्या यह `बैकफुट नो बॉल` थी?
क्या था पूरा मामला?
वाक्या एडगस्टन टेस्ट के चौथे दिन का है। भारत द्वारा दिए गए विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड मुश्किल में था। तभी युवा तेज गेंदबाज आकाश दीप गेंद डालने आए और एक शानदार इनस्विंगर पर जो रूट की गिल्लियां बिखेर दीं। यह एक बड़ा विकेट था, मैच का रुख मोड़ने वाला पल। लेकिन ठीक इसके बाद सामने आई फुटेज में दिखा कि गेंद फेंकते समय आकाश दीप का पिछला पैर (बैकफुट) लैंडिंग के बाद रिटर्न क्रीज के काफी बाहर चला गया था। बस फिर क्या था, कुछ कमेंटेटर्स और दर्शकों ने तुरंत सवाल उठाना शुरू कर दिया कि क्या यह गेंद नियमों के अनुसार वैध थी? क्या यह `नो बॉल` थी जिसे अंपायर ने मिस कर दिया?
इस पर ऑन-एयर कमेंटेटर्स की राय भी बंटी हुई थी। कुछ का मानना था कि यह साफ तौर पर नो बॉल है, जबकि रवि शास्त्री जैसे दिग्गजों को इसमें कोई अनियमितता नहीं दिखी। मामला गरमाता गया, क्योंकि अगर यह नो बॉल होती, तो जो रूट को नॉट आउट दिया जाता और कहानी कुछ और हो सकती थी।
नियमों के रखवाले एमसीसी का फैसला
जब क्रिकेट के नियमों पर कोई शंका हो, तो अंतिम शब्द मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) का होता है। एमसीसी ही क्रिकेट के नियमों (Laws of Cricket) का संरक्षक है। इस विवाद के उठने के बाद एमसीसी से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया, और एमसीसी ने अपनी स्थिति साफ कर दी है, जिसने इस बहस पर विराम लगा दिया है।
एमसीसी ने पुष्टि की है कि आकाश दीप द्वारा जो रूट को फेंकी गई गेंद पूरी तरह से वैध (लीगल) थी। उन्होंने `बैकफुट नो बॉल` से संबंधित नियम 21.5.1 की व्याख्या की। यह नियम कहता है कि `गेंदबाजी करते समय गेंदबाज के पिछले पैर का लैंडिंग पॉइंट उसकी बताई गई गेंदबाजी शैली से संबंधित रिटर्न क्रीज के भीतर होना चाहिए और उसे छूना नहीं चाहिए।`
`पहला संपर्क` क्यों है महत्वपूर्ण?
एमसीसी ने बताया कि इस नियम में `लैंडिंग पॉइंट` का मतलब है `पैर का जमीन से पहला संपर्क`। यह सबसे महत्वपूर्ण बारीक बिंदु है। एमसीसी के अनुसार, जैसे ही पैर का कोई भी हिस्सा पहली बार जमीन से टकराता है, वही उसका लैंडिंग पॉइंट माना जाता है। भले ही लैंडिंग के बाद पैर फिसल जाए या उसका कुछ हिस्सा क्रीज के बाहर चला जाए, अगर *पहला संपर्क* क्रीज के भीतर हुआ था, तो गेंद वैध मानी जाएगी।
आकाश दीप के मामले में फुटेज देखने पर साफ पता चलता है कि जब उनका पिछला पैर पहली बार पिच पर लैंड हुआ (यानी जमीन से पहला संपर्क), तो वह रिटर्न क्रीज के *भीतर* था। पैर का कुछ हिस्सा बाद में क्रीज के बाहर जरूर गया, जैसा कि अक्सर तेज गेंदबाजों के साथ होता है, लेकिन नियम के अनुसार, `पहले संपर्क` की स्थिति ही गिनी जाती है।
इसलिए, एमसीसी ने पुष्टि की है कि थर्ड अंपायर का इसे नो बॉल न देना बिल्कुल सही फैसला था, जो नियमों के सटीक पालन पर आधारित था।
निष्कर्ष: एक वैध विकेट और एक नियम की स्पष्टता
तो, एमसीसी के स्पष्टीकरण के बाद, यह साफ हो गया है कि जो रूट का विकेट पूरी तरह से वैध था और इस पर उठा विवाद नियमों की सही समझ की कमी के कारण था। क्रिकेट के नियमों में इस तरह की बारीकियाँ होती हैं, जिन्हें समझना जरूरी है, और एमसीसी ने एक बार फिर अपनी भूमिका निभाते हुए एक महत्वपूर्ण नियम की व्याख्या कर दी। जो रूट का वो विकेट भारत के लिए मैच में टर्निंग पॉइंट साबित हुआ और टीम इंडिया ने शानदार वापसी करते हुए वो टेस्ट मैच भारी अंतर से जीता। क्रिकेट में अक्सर एक गेंद पर बहस छिड़ जाती है, और यह साबित करता है कि हर गेंद कितनी मायने रखती है – खासकर जब वह नियमों के दायरे में रहते हुए फेंकी गई हो!