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9/11 की 21वीं बरसी… बदल चुका है अमेरिका का दुश्मन, अल-कायदा से भी बड़ा और खतरनाक, लगानी होगी चार गुनी ताकत!

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वॉशिंगटन : आज की तारीख, 11 सितंबर, अमेरिका के कैलेंडर में ‘काले अक्षरों’ में लिखी है। 21 साल पहले साल 2001 में आज के ही दिन न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन और पेनसिल्वेनिया में अपहरण किए गए यात्री विमानों के जरिए सिलसिलेवार हमले किए गए थे जिनमें लगभग 3,000 लोग मारे गए थे। अमेरिका आज 9/11 की 21वीं बरसी मना रहा है और लोग इसमें जान गंवाने वालों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इस हमले ने न सिर्फ वैश्विक भू-राजनीति की दिशा बदल दी बल्कि अमेरिका को भी अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर कर दिया। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और एक लंबा युद्ध किया। लेकिन आज जब अमेरिका का बदला लगभग पूरा हो चुका है तो उसका फोकस आतंकवाद से हटकर दूसरी चीजों की तरफ है।

9/11 के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने अफगानिस्तान पर राज कर रहे तालिबान से हमले के मुख्य साजिशकर्ता अल-कायदा सरगना कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को अमेरिका को सौंपने और आतंकवादी संगठन को खत्म करने के लिए कहा। लेकिन तालिबान ने अमेरिका की मांग को अनसुना कर दिया। अमेरिका बातचीत या समझौता करने के मूड में नहीं था और 7 अक्टूबर 2001 को उसने ब्रिटेन के साथ अफगानिस्तान में आजादी के लिए जंग छेड़ दी। आगे चलकर इसमें अन्य सेनाएं भी शामिल हो गईं।

तालिबान को चुकानी पड़ी अल-कायदा से दोस्ती की कीमत
कुछ ही समय में 17 दिसंबर 2001 को अमेरिका और उसके सहयोगियों ने तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया। तालिबान और अल-कायदा के कई आतंकी भागने में कामयाब हुए और उन्होंने पाकिस्तान में शरण ले ली। अमेरिका का सबसे बड़ा बदला तब पूरा हुआ जब उसने 2 मई 2011 को लादेन को मार गिराया। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑपरेशन जेरेनिमो चलाया और अमेरिकी मरीन कमांडो ने पाकिस्तान के एबटाबाद में छिपे लादेन को उसके घर में घुसकर मार गिराया।

पूरा हो चुका है अमेरिका का बदला
लादेन के मरने के बाद आतंकवादी संगठन की कमान अल जवाहिरी के हाथ में आ गई जो 9/11 हमले की साजिश रचने में शामिल था। पिछले महीने की शुरुआत में अमेरिका ने अफगानिस्तान में छिपे जवाहिरी को ड्रोन हमले में मार गिराया था। 21 साल बाद अमेरिका ने अपनी जमीन पर सबसे भयानक हमले का पूरा बदला ले लिया था। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका काफी हद तक कामयाब साबित हुआ है क्योंकि उसका सबसे बड़ा दुश्मन अल-कायदा अब कमजोर पड़ चुका है और अफगान तालिबान भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते उसे पनाह देने के मूड में नहीं है।

9/11 के साये से बाहर आ रहा अमेरिका
अब अमेरिका के ‘दुश्मन’ बदल चुके हैं जो पहले ज्यादा बड़े और ताकतवर हैं और इनसे निपटने की अमेरिका की तैयारी भी पहले से कहीं ज्यादा बड़ी है। अंतरराष्ट्रीय और सुरक्षा मामलों के जानकार कबीर तनेजा ने अपने ट्वीट में लिखा, ’21 साल पहले 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने ‘आतंकवाद के खिलाफ युद्ध’ शुरू कर दिया था जिसने भू-राजनीति की दिशा को बदल दिया था। आज अल-कायदा के दोनों सरगना मारे जा चुके हैं, अफगानिस्तान की जंग हारी जा चुकी है और इराक युद्ध एक धब्बा बना हुआ है। अमेरिका अब चीन और रूस के खतरे से निपटने के लिए 9/11 के साये से बाहर आ रहा है।’

चीन के खिलाफ अमेरिका की तैयारी बड़ी
अमेरिका के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती चीन और रूस की है जिससे निपटने के लिए उसकी तैयारी भी काफी बड़ी है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खतरे से निपटने के लिए अमेरिका क्वाड जैसे संगठन का सदस्य है जिसमें भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। आगे चलकर साउथ कोरिया जैसे देशों के साथ क्वाड का विस्तार भी हो सकता है जिसके संकेत भी मिल चुके हैं। इतना ही नहीं, ताइवान से औपचारिक संबंध न होने के बाद भी अमेरिका चीन के खिलाफ खुलकर उसका समर्थन कर रहा है, जिसमें शीर्ष नेताओं और अधिकारियों की यात्रा, हथियारों का सौदा और सैन्य प्रशिक्षण जैसी चीजें शामिल हैं।

रूस से रिश्तों में स्थायी कड़वाहट
एशिया में चीन तो यूरोप में रूस अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन है। अमेरिका नाटो के सहारे रूस के पर कतरना चाहता है इसलिए वह ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ मिलकर सैन्य गठबंधन के विस्तार पर जोर देता है ताकि रूस का घेराव किया जा सके। अमेरिका रूसी हमले के खिलाफ यूक्रेन को हथियार और सैन्य सहायता देने वाला सबसे बड़ा देश है। उसने रूस पर प्रतिबंध भी लगाए हैं और विदेशों में रूसी कुलीन लोगों की संपत्ति को भी जब्त कर रहा है। वॉशिंगटन में कोई भी रहे लेकिन पुतिन के साथ उसके रिश्ते एक जैसे रहते हैं। बाइडन के आने के बाद इनमें सुधार के बजाय और ज्यादा तल्खी बढ़ी है। अमेरिका जानता है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाकर तालिबान को अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए मजबूर किया जा सकता है इसलिए अब उसका फोकस रूस और चीन जैसे बड़े दुश्मनों से निपटने पर है।



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अमेरिका का डेमोक्रेसी समिट कल, लोकतांत्रित देशों को एक मंच पर जुटा चीन-रूस को चिढ़ाएंगे बाइडेन

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अमेरिका में मंगलवार को तीन दिवसीय डेमोक्रेसी समिट की शुरुआत होगी। यह समिट इस बार भी वर्चुअली ही आयोजित किया जा रहा है। इस साल डेमोक्रेसी समिट में देश दुनिया के 121 राजनेता और अधिकार समूह हिस्सा लेने वाले हैं। इस समिट का उद्घाटन भाषण यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेंलेंस्की देंगे।

 



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Afghanistan के काबुल में दौदजई ट्रेड सेंटर के नजदीक जोरदार धमाका | News & Features Network

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Afghanistan काबुल में एक बड़ा धमाका हुआ है. यह विस्फोट काबुल में विदेश मंत्रालय रोड पर दौदजई ट्रेड सेंटर के नजदीक हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस धमाके में अब तक 6 लोगों की मौत हुई है और कई अन्य घायल हुए हैं. वहीं, अभी तक सरकार द्वारा इस धमाके पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है.

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि धमाका काफी तेज था और जमीन पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया. फिलहाल जांच एजेंसियां घटना की जांच में जुटी हैं. घायलों में बच्चे भी शामिल हैं. सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, जिस इलाके में यह विस्फोट हुआ है, वहां कई सरकारी इमारतें और दूतावास स्थित हैं. विस्फोट का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है.

अभी तक इस हमले की किसी भी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि बम धमाके के पीछे आईएसआईएस-के (ISIS-K) का हाथ हो सकता है, जो काफी तेजी से Afghanistan में अपनी शक्ति का विस्तार कर रहा है. पिछले दिनों एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता में लौटने के बाद से तालिबान ने इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत, जिसे आईएसआईएस-के भी कहा जाता है, उसे रोकने में बुरी तरह से नाकाम साबित हुआ है 

Afghanistan में लगातार हमले करने वाले इस्लामिक स्टेट समूह के सहयोगी संगठन को कंट्रोल करने में लगातार फेल नजर आया है. इस संगठन की शक्ति में अब इस कदर इजाफा होने लगा है कि संभावना व्यक्त की जा रही है, वो अब सिर्फ अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं रहने वाला है बल्कि अब अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए भी खतरा बन गया है.

इससे पहले आईएसआईएस-के ने 9 मार्च 2023 को इस्लामिक स्टेट समूह ने एक आत्मघाती बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी. इस हमले में उत्तरी Afghanistan में बल्ख प्रांत के तालिबान गवर्नर मोहम्मद दाऊद मुजम्मिल समेत 2 लोगों को उड़ा दिया गया था. वहीं, 9 मार्च को हुए बम धमाके से ठीक पहले इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने अफगानिस्तान के पश्चिमी हेरात प्रांत में जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख को निशाना बनाकर हमला किया, जिसमें उसकी जान चली गई



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मुसीबत से घिरे इमरान खान को मिली राहत, पाकिस्तान की अदालत ने 7 मामलों में दी जमानत

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मुसीबत से घिरे इमरान खान को मिली राहत, पाकिस्तान की अदालत ने 7 मामलों में दी जमानत

इस्लामाबादः पाकिस्तान की एक अदालत ने इस माह के शुरू में संघीय न्यायिक परिसर में हुई झड़पों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ दर्ज सात अलग अलग मामलों में उन्हें सोमवार को अंतरिम जमानत दे दी। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ‘आईएचसी‘ के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक एवं न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की खंडपीठ ने जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। 

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ ‘पीटीआई‘ के अध्यक्ष खान ने गोलरा, बारा काहू, रमना, खन्ना और सीटीडी थानों में उनके खिलाफ दर्ज सात मामलों में अंतरिम जमानत की मांग की। खान की ओर से याचिकाएं दायर करने वाले अधिवक्ता सलमान सफदर ने कहा कि यदि पूर्व प्रधानमंत्री गिरफ्तार हो जाते हैं, तो उन्हें ‘अपूरणीय क्षति‘ होगी। याचिका के अनुसार, ‘सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के प्रमुख होने के नाते ऐसी आशंका है कि यदि याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी.पूर्व जमानत नहीं दी जाती है, तो इमरान खान के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और विरोधी अपने कुत्सित इरादों में कामयाब हो जाएंगे।‘

अदालत ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खान को अंतरिम जमानत दे दी। पीटीआई के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किये गए एक वीडियो में खान को अदालत परिसर में प्रवेश करते दिखाया गया है। उनके बुलेट प्रूफ वाहन की सुरक्षा में इस्लामाबाद पुलिस तैनात थी। खान के खिलाफ 143 मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें से ज्यादातर आतंकवाद के आरोपों से जुड़े हैं।

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