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2047 तक ऐसा भारत बनाना है जिसमें अतीत का गौरव और आधुनिकता के स्वर्णिम अध्याय हों, जानें राष्ट्रपति के भाषण की बड़ी बातें

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Image Source : संसद टीवी
द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि देश में अमृतकाल का 25 वर्ष का कालखंड, स्वतन्त्रता की स्वर्णिम शताब्दी का और विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है और हमें 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो अतीत के गौरव से जुड़ा हो और जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय हो। राष्ट्रपति ने बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ ही महीने पहले देश ने अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करके अमृतकाल में प्रवेश किया है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के इस अमृतकाल में हजारों वर्षों के गौरवशाली अतीत का गर्व, भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की प्रेरणाएं और भारत के स्वर्णिम भविष्य के संकल्प जुड़े हैं। अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि अमृतकाल का यह 25 वर्ष का कालखंड, स्वतन्त्रता की स्वर्णिम शताब्दी का और विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है। 

राष्ट्रपति के अभिभाषण की अहम बातें

  1. ये 25 वर्ष हम सबके लिए और देश के प्रत्येक नागरिक के लिए कर्तव्यों की पराकाष्ठा कर दिखाने के हैं। यह हमारे सामने युग निर्माण का अवसर है, और हमें इस अवसर के लिए शत-प्रतिशत सामर्थ्य के साथ हर क्षण कार्य करना है।
  2. हमें 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो अतीत के गौरव से जुड़ा हो और जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय हो>  हमें ऐसा भारत बनाना है, जो आत्मनिर्भर हो और जो अपने मानवीय दायित्वों को पूरा करने के लिए भी समर्थ हो, ऐसा भारत- जिसमें गरीबी न हो, जिसका मध्यम वर्ग भी वैभवयुक्त हो। ऐसा भारत- जिसकी युवाशक्ति और नारीशक्ति, समाज और राष्ट्र को दिशा देने के लिए सबसे आगे खड़ी हो, जिसके युवा समय से दो कदम आगे चलते हों। ऐसा भारत- जिसकी विविधता और अधिक उज्ज्वल हो, जिसकी एकता और अधिक अटल हो।
  3. 2047 में देश जब इस सच्चाई को जीवंत करेगा तो निश्चित रूप से उस भव्य निर्माण की नींव का अवलोकन और आकलन भी करेगा। तब आज़ादी के अमृतकाल की इस प्रथम बेला को एक अलग आस्था के साथ देखा जाएगा। इसलिए आज अमृतकाल का यह समय, यह कालखंड बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
  4. एक तरफ हम इस वर्ष एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) की अध्यक्षता कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हम क्वाड (भारत प्रशांत चतुष्कोणीय वार्ता) का सदस्य होने के नाते, भारत प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए काम कर रहे हैं। भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए अपनी भूमिका का विस्तार किया है। भारत को लेकर आज जो सद्भाव है उसका लाभ हमें अफगानिस्तान और यूक्रेन में पैदा हुए संकट के दौरान भी मिला। संकट में फंसे अपने नागरिकों को हम इन देशों से सुरक्षित वापस लेकर आए हैं। 
  5. आतंकवाद को लेकर जो कड़ा रुख अपनाया है उसको भी आज दुनिया समझ रही है। इसलिए आतंकवाद के विरुद्ध भारत की आवाज़ को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है।पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत में पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आतंकवाद निरोधक समिति की एक विशेष बैठक आयोजित की गई। इसमें भी भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी भूमिका को स्पष्ट किया। साइबर सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को भी मेरी सरकार गंभीरता से पूरे विश्व के सामने रख रही है। सरकार का साफ मानना है कि स्थाई शांति तभी संभव है, जब देश राजनीतिक और रणनीतिक रूप से सशक्त होंगे। इसलिए अपनी सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण पर हम निरंतर बल दे रहे हैं।
  6. सरकार ने देशहित को सदैव सर्वोपरि रखा, नीति-रणनीति में संपूर्ण परिवर्तन की इच्छाशक्ति दिखाई। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर आतंकवाद पर कठोर प्रहार तक, नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लेकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक हर दुस्साहस के कड़े जवाब तक सरकार की पहचान एक निर्णायक सरकार की रही है।
  7. आज़ादी के अमृतकाल में देश पंच प्राणों की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है। गुलामी के हर निशान, हर मानसिकता से मुक्ति दिलाने के लिए भी मेरी सरकार निरंतर प्रयासरत है। जो कभी राजपथ था, वह अब कर्तव्यपथ बन चुका है।
  8. ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता आज हम देख रहे हैं। देश में पहली बार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक हुई है एवं महिलाओं का स्वास्थ्य भी पहले के मुकाबले और बेहतर हुआ है। मेरी सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसी भी काम, किसी भी कार्यक्षेत्र में महिलाओं के लिए कोई बंदिश न हो। मुझे यह देखकर गर्व होता है कि आज की हमारी बहनें और बेटियां उत्कल भारती के सपनों के अनुरूप विश्व स्तर पर अपनी कीर्ति पताका लहरा रही हैं।
  9. सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को नई परिस्थितियों के अनुसार आगे भी चलाने का निर्णय लिया है। यह एक संवेदनशील और गरीब-हितैषी सरकार की पहचान है। मेरी सरकार ने हर उस समाज की इच्छाओं को पूरा किया है, जो सदियों से वंचित रहा है। गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी, इनकी इच्छाओं को पूरा कर उन्हें सपने देखने का साहस दिया है।
  10. हमारे लिए युग निर्माण का अवसर है।हमें ऐसा भारत बनाना है जो आत्मनिर्भर है और जो अपने मानवीय दायित्व को पूरा करने में समर्थ हो, जिसमें गरीबी न हो, जिसका मध्यम वर्ग भी वैभव से युक्त हो। जिसकी युवाशक्ति, नारी शक्ति समाज और राष्ट्र को दिशा देने के लिए खड़ी हो।

इनपुट-भाषा

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यूपी निकाय चुनाव 2023 की दूर हुई सारी प्रॉब्लम, सुप्रीम कोर्ट से मिल गई हरी झंडी

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यूपी में नगर निकाय चुनाव का रास्ता साफ

यूपी निकाय चुनाव 2023: निकाय चुनाव का रास्ता अब साफ हो  गया है। जातिगत आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी है। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे की जांच के लिए गठित एक समर्पित आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है, जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को चुनाव कराने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत के पिछले आदेश के आधार पर यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए एक अधिसूचना जारी की है।

दो दिनों में जारी कर दी जाएगी अधिसूचना

न्यायालय की इस पीठ में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जेबी पदीर्वाला की पीठ ने कहा कि आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रिपोर्ट 9 मार्च को पेश की गई है। पीठ ने आगे कहा कि इसके बाद अब स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना दो दिनों में जारी कर दी जाएगी।

 बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण दिए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगा दी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने तब अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि उसने ओबीसी के प्रतिनिधित्व के लिए डेटा एकत्र करने के लिए पहले से ही एक समर्पित आयोग का गठन किया है।

हाई कोर्ट ने जारी कर दिया था आदेश

पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित किया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल मई में ‘के. कृष्ण मूर्ति (डॉ.) और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य’ (2010) में संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण के लिए पहले ‘ट्रिपल टेस्ट शर्तो’ को पूरा करना होगा।

इससे पहले इस साल मार्च में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह, जिन्होंने आयोग का नेतृत्व किया था और चार अन्य सदस्य – सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार और पूर्व अतिरिक्त कानून सलाहकार संतोष कुमार विश्वकर्मा और ब्रजेश कुमार सोनी मिले थे। मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर जाकर शहरी विकास मंत्री ए.के. शर्मा और शहरी विकास विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में रिपोर्ट सौंपी।





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नकली पासपोर्ट लेकर नेपाल के रास्ते भाग सकता है अमृतपाल, भारत ने किया आगाह

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अमृतपाल को लेकर भारत ने नेपाल को अलर्ट किया है। काठमांडू स्थित इंडियन एंबेसी ने नेपाल सरकार को आगाह किया है कि अमृतपाल सिंह फेक पासपोर्ट इस्तेमाल करते हुए वहां शरण ले सकता है। उसका हुलिया भी बताया है।



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बिहार: लालू प्रसाद यादव ने पहली बार पोती को गोद लिया, शेयर कीं तस्वीरें और VIDEO

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पोती को गोद में लिए लालू यादव

पटना: बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने अपनी पोती को पहली बार गोदी में लेकर फोटो क्लिक करवाई हैं और इस फोटोज को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया है। गौरतलब है कि लालू के बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पिता बन गए हैं और उनकी पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया है। 

लालू ने तेजस्वी की बेटी को गोद में लेकर ट्विटर पर फोटो पोस्ट कीं और कहा, ‘नवरात्रि के पवित्र अवसर पर माता रानी के असीम आशीर्वाद तथा रहमतों, नेकियों और बरकतों के मुक़द्दस माह-ए-रमजान एवं चैती छठ महापर्व  के पावन दिन लक्ष्मी रत्न पौत्री के जन्म पर प्रेषित आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद।’

लालू ने कहा, ‘अपने बच्चे के बच्चे को प्रथम बार गोद में लेना अद्भुत, रोमांचक, सुखद और मंत्रमुग्ध करने वाला पल होता है। आप इस कीमती, नये, छोटे से मासूम चेहरे में भविष्य के साथ-साथ अतीत एवं वर्षों के प्यार, त्याग और संघर्षों को महसूस करते हैं। इनकी छोटी आंखें का मिलान कुछ नया दिखाता है।’

लालू ने कहा, ‘कभी-कभार अनुभूति होती है कि नाती-पोती आपकी आत्मा का भी थोड़ा सा हिस्सा आपसे ले लेते हैं।

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