विदेशी निवेशकों की आक्रामक बिकवाली के बीच देसी निवेशक साल 2022 में भारतीय इक्विटी बाजार के लिए उद्धारक बन गए। देसी संस्थागत निवेशकों (जिसमें म्युचुअल फंड, बीमा, बैंक व अन्य इकाइयां शामिल होती हैं) ने इस साल 22 दिसंबर तक भारतीय इक्विटी में रिकॉर्ड 2.47 लाख करोड़ रुपये
का निवेश किया।
अकेले म्युचुअल फंडों ने इक्विटी में 1.8 लाख करोड़ रुपये झोंके, जो साल 2021 के निवेश के मुकाबले 2.2 गुने से ज्यादा और अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है। बाजार नियामक सेबी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश के लिए मोटे तौर पर एसआईपी निवेश का विकल्प चुनने वाले खुदरा निवेशकों ने पूरे साल बाजार के जैसे भी हालात रहे, एमएफ यूनिट की लगातार खरीद की।
एमएफ निकाय एसोसिशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के मुताबिक, साल के दौरान एसआईपी निवेश धीरे-धीरे बढ़ा और करीब-करीब हर महीने नई ऊंचाई पर पहुंचा। इसमें शुद्ध निवेश जनवरी 2022 में 11,500 करोड़ रुपये था, जो नवंबर 2022 में बढ़कर 13,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
म्युचुअल फंडों के जरिए लगातार खुदरा निवेशकों की मिलती रही रकम व अन्य स्रोतों मसलन बीमा व प्रत्यक्ष इक्विटी निवेश ने विदेशी निवेशकों की बिकवाली की काफी ज्यादा भरपाई कर दी। 28 दिसंबर तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से शुद्ध रूप से 1.2 लाख करोड़ रुपये की निकासी की।
विशेषज्ञों ने कहा, यह पहला मौका है जब भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों की निवेश निकासी से करीब-करीब शांत रहा। इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, यह पहला मौका है जब बाजारों ने बढ़त के साथ समाप्ति की जबकि एफपीआई लगातार व आक्रामकता के साथ बिकवाली कर रहे हैं। इसका श्रेय खुदरा निवेशकों को जाता है जो पिछले तीन सालों में बड़ी संख्या में बाजार में उतरे, चाहे प्रत्यक्ष इक्विटी के जरिये या फिर एमएफ के जरिये।
बाजारों ने इस साल मध्यम स्तर का रिटर्न दिया। बेंचमार्क सेंसेक्स व निफ्टी ने साल 2022 की समाप्ति 4.4 फीसदी रिटर्न के साथ की। हालांकि यह प्रदर्शन अभी भी बेहतर नजर आ रहा है जब हम अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से इसकी तुलना करते हैं। वैश्विक स्तर पर बाजारों ने इस साल मंदी के डर के कारण रिकॉर्ड 18 लाख करोड़ डॉलर स्वाहा हो गए।
एसबीआई म्युचुअल फंड के डिप्टी एमडी व चीफ बिजनेस अफसर डीपी सिंह ने कहा, ऐसे साल में बाजार की स्थिरता में खुदरा भागीदारी ने अहम भूमिका निभाई जब भूराजनीतिक तनाव व अन्य आर्थिक कारकों की वजह से काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला। जब विदेशी निवेशक मैदान छोड़ रहे थे तब बाजारों को खुदरा निवेशकों से सहारा मिला, जिन्होंने भारत की प्रगति की कहानी पर भरोसा करते हुए निवेश जारी रखा।
यूनियन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के सीईओ जी. प्रदीपकुमार ने कहा, इक्विटी बाजार बेहतर स्थिति में है क्योंकि खुदरा निवेशकों के मजबूत निवेश ने उतारचढ़ाव कम कर दिया है। खुदरा निवेशकों से मिले इस तरह के सहयोग ने बाजार को अहम गिरावट से बचाया और म्युचुअल फंडों को अपने दायरे में नए निवेशक जोड़ने में मदद मिली।
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साल 2023 के बाजार परिदृश्य पर बोफा सिक्योरिटीज ने कहा है कि देसी निवेश थोड़ी नरम रफ्तार से ही सही, जारी रहने की संभावना है। ब्रोकरेज का अनुमान है कि पीएफ, पेंशन फंड, बीमा फंड और एसआईपी कैलेंडर वर्ष 2023 में भारतीय इक्विटी में करीब 1.6 लाख करोड़ रुपये का योगदान कर सकते हैं।
यह देखते हुए कि एसआईपी निवेश इस साल सुदृढ़ बना रहा जबकि बाजार में गिरावट का दौर भी देखने को मिला, ऐसे में म्युचुअल फंड उद्योग का मानना है कि खुदरा निवेशक परिपक्व हो गए हैं और इक्विटी बाजार में उतारचढ़ाव को परिसंपत्ति सृजन के मौके के तौर पर देखते हैं। रिपोर्ट बताती है कि खुदरा निवेशक बाजार में गिरावट के दौरान ज्यादा निवेश की कोशिश करते हैं ताकि कम कीमत पर ज्यादा एमएफ यूनिट या शेयर खरीद सकें।