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खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर।
नई दिल्ली: कनाडा के प्रधानमंत्री पीएम ट्रूडो ने ओटावा में हाउस ऑफ कॉमंस में बयान दिया है कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां भारत सरकार और खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बीच कनेक्शन की जांच कर रही हैं। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा के नागरिक की उसी की सरजमीं पर हत्या में किसी दूसरे देश या विदेशी सरकार की संलिप्तता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आखिर कौन है ये आतंकी हरदीप सिंह निज्जर जिसके लिए कनाडा के पीएम ने भारत की नाराजगी का खतरा मोल लिया है। आइए, आपको बताते हैं आतंकी निज्जर के गुनाहों के बारे में।
खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था निज्जर
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जिस खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की बात कर रहे हैं, वह खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था। निज्जर पंजाब के जालंधर का रहने वाला था और उस पर सूबे में आतंकवाद फैलाने का आरोप था। 2020 में भारत ने उसे आतंकी घोषित किया था तो 2022 में NIA ने उसके ऊपर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। निज्जर की 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर हत्या हो गई थी। खालिस्तानी आतंकी हत्या पर ही ट्रूडो भारत से इस कदर खार खाए हुए हैं कि एक राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया है।
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो।
पाकिस्तान के रास्ते भेजता था हथियार हरदीप सिंह निज्जर ने न सिर्फ पंजाब में आतंकवाद फैलाया, बल्कि उसने लॉरेंस बिश्नोई गैंग की मदद भी की। आतंकियों की मदद के साथ-साथ उसका काम लॉजिस्टिक और पैसा मुहैया कराने का भी था। इसके अलावा वह पंजाब में नशे की खेप पहुंचाने और पाकिस्तान के रास्ते हथियार भेजने का काम भी करता रहता था। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर कनाडा में रहकर लगातार भारत के खिलाफ आतंकवाद को हवा दे रहा था। भारत ने 41 आतंकियों की लिस्ट जारी की थी और इसमें हरदीप निज्जर का नाम शामिल था।
कनाडा में निज्जर को मिल रहा था सपोर्ट निज्जर बहुत पड़े पैमाने पर हिन्दुस्तान में खालिस्तान मूवमेंट को वापस हवा देने की कोशिश कर रहा था। कनाडा में उसे बड़े लेवल पर सपोर्ट मिल रहा था, और वह मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए कनाडा से आतंकियों को फंड मुहैया करा रहा था। निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी आतंकियों को बड़ा झटका लगा था और माना जा रहा है कि उनसे जुड़े लोग ट्रूडो पर इसे लेकर दबाव बना रहे थे। शायद यही वजह है कि ट्रूडो ने एक आतंकी की हत्या के मामले पर संसद में न सिर्फ बयान दिया, बल्कि भारत को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।
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खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते बुरे दौर में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोपों के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था। अब इस कदम के जवाब में भारत सरकार ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें 5 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया है।
उच्चायुक्त तलब
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी कदमों के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को तलब किया था। ऐसा माना जा रहा था कि कनाडा को जवाब देने के लिए भारत सरकार भी कड़ा कदम उठा सकती है।
विदेश मंत्रालय का बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किए गए बयान में कहा है कि भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को आज तलब किया गया। उन्हें भारत में रह रहे एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।
क्यों तल्ख हुए रिश्ते?
G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी कदमों में जुट गए हैं। ट्रू़डो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कनेक्शन भारत से जोड़ते हुए भारत के एक राजनयिक को निकाल दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई पीएम के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन करार दिया है। भारत ने साथ ही कनाडा से आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की है। भारत ने कहा है कि इस तरह के बयान खालिस्तानियों से ध्यान हटाने के लिए दिए गए हैं।
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महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।
खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।