8 दिसंबर को ही हिमाचल के साथ गुजरात की नतीजे भी आएंगे
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। हालांकि हर कोई उम्मीद कर रहा था कि आयोग हिमाचल प्रदेश के साथ ही गुजरात विधानसभा चुनावों की तारीखों की भी घोषणा करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसको लेकर अब विपक्षी नेता इस फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इसको लेकर अब चुनाव आयोग ने बयान दिया है कि हिमाचल और गुजरात में एकसाथ विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं करने के लिए 2017 में अपनाई गई परंपरा निभाने की बात कही है।
दोनों राज्यों में चुनावों की घोषणा क्यों नहीं?
हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनावों की तारीख साथ में घषित नहीं करने को लेकर निर्वाचन आयोग ने 2017 में अपनाई गई परंपरा का उल्लेख किया और कहा कि इस बार आदर्श आचार संहिता को “अनावश्यक रूप से बढ़ाया” नहीं गया है। निर्वाचन आयोग ने एकसाथ दोनों राज्यों में चुनावों की घोषणा क्यों नहीं की, इस बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कहा, ‘‘आयोग वास्तव में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करने में परंपरा का पालन करता है। आयोग ने पिछली परंपरा का अनुसरण किया।’’
पिछले चुनाव एकसाथ हुई थी मतगणना
बता दें कि साल 2017 में, दोनों राज्यों में अलग-अलग तारीखों पर चुनाव की घोषणा की गई थी, लेकिन मतगणना 18 दिसंबर को एकसाथ हुई थी। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की। अधिसूचना 17 अक्टूबर को जारी की जाएगी और मतदान 12 नवंबर को होगा। मतों की गिनती 8 दिसंबर को होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या गुजरात के लिए मतों की गिनती 8 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश के साथ ही होगी, कुमार ने कहा, ‘‘जब हम गुजरात चुनाव की घोषणा करेंगे, तो हम आपको यह बताएंगे।’’
विपक्षी नेताओं ने उठाए कई सवाल
तकनीकी रूप से, नवंबर-दिसंबर की अवधि में गुजरात चुनाव कराना अभी भी संभव है, ताकि मतों की गिनती एक ही दिन की जा सके, जैसा कि 2017 में हुआ था। कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा कि गुजरात चुनावों की घोषणा बाद में करने से मौजूदा सरकार को आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले और अधिक कल्याणकारी योजनाओं को शुरू करने का मौका मिल सकता है। कुमार ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने परंपरा का पालन करते हुए वास्तव में इसे “परिष्कृत” किया। उन्होंने कहा कि 2017 और 2012 में जब दोनों चुनाव साथ हुए थे तब आदर्श आचार संहिता की अवधि 70 दिनों से घटाकर 57 दिन (2017) और 81 दिनों से घटाकर 57 दिन (2012) कर दी गई थी। साल 2017 के चुनाव की तुलना में परिणाम का इंतजार दो हफ्ते कम कर दिया गया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताई ये वजह
सीईसी ने कहा, “चुनाव की तैयारी और संचालन बहुत विस्तृत कवायद है और इसमें विभिन्न कारकों, सभी हितधारकों के साथ परामर्श और अन्य कारकों को ध्यान में रखा जाता है।’’ उन्होंने कहा कि एक चुनाव के परिणाम का दूसरे पर प्रभाव जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में मौसम बहुत महत्वपूर्ण कारक है, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में। कुमार ने कहा, ‘‘हर चीज की पड़ताल करने के बाद, निर्वाचन आयोग ने उस परंपरा का पालन करने का फैसला किया, जिसका पालन पिछली बार किया गया था।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में रहते हुए (#9YearsOfPMModi) नौ साल पूरा होने पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से डिजिटल इंडिया को लेकर उनके विजन ने पूरे देश को विश्व मानचित्र पर एक अलग पहचान दिलाई. और डिजिटल क्रांति ने किस तरह से देशवासियों के जीवन को सरल और सुगम बनाया है.
बैंक हो, पहचान का प्रमाण हो, यात्रा की सुविधा हो या फिर स्वास्थ्य संबंधि मुद्दे, ये सारे काम 2023 के डिजिटल इंडिया में एक क्लिक के साथ हो जाते हैं. आठ साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जिस डिजिटल क्रांति की बात की थी, उसका लाभ अब मिलने लगा है. (यहां देखिए, डॉक्यूमेंट्री सीरीज के सातवें एपिसोड का पूरा वीडियो)
मैं एक ऐसे डिजिटल भारत का सपना देखता हूं, जहां सरकार सक्रिय रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के साथ जुड़ती है. मैं एक ऐसे डिजिटल भारत का सपना देखता हूं जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा डिजिटल शिक्षा द्वारा संचालित सबसे दुर्गम कोनों तक पहुंचती है. मैं एक ऐसे डिजिटल भारत का सपना देखता हूं जहां नेटिजन एक सशक्त नागरिक हो.
नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री
2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के पहले बड़े लक्ष्यों में से एक डिजिटल भारत भी था. मोदी सरकार की नौवीं वर्षगांठ पर डिजिटल इंडिया का असर अब जमीन पर दिख रहा है. 2015 में डिजिटल डॉक्युमेंट स्टोर डिजीलॉकर की लॉन्चिंग की गई. इसके बाद 2016 में डिजिटल पेमेंट के लिए UPI लॉन्च किया गया. 2021 में वन स्टॉप कोविड-19 वैक्सीन प्लेटफॉर्म की लॉन्चिंग हुई. जबकि 2022 में एयरपोर्ट पर भीड़ कम करने के लिए डिजी यात्रा की लॉन्चिंग की गई. मोदी सरकार की ये तमाम पहले अब लाखों जिंदगियों को छू रहा है.
भारत ने उस तरीके को बदल दिया है. जिसमें दूरस्थ भारतीय नागरिक सहित हर नागरिक के लिए शासन शामिल है.
राजीव चंद्रशेखर
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री
पीएम के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबराय ने कहा कि शायद यह एकमात्र उदाहरण है, जहां सरकार द्वारा संचालित पहल इतनी ज्यादा सफल रही है. वहीं, फैक्टरडेली के को-फाउंडर पंकज मिश्रा ने कहा कि अब हम टेक और डिजिटल के बारे में ऐसे बात नहीं करते हैं, जैसे वो हमारे जीवन से अलग हैं. पिछले दशक में इन चीजों में तेजी से बदलाव आया है. जबकि नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के सीईओ आरएस शर्मा का कहना है कि डिजिटल इंडिया सचमुच में एक ऐसा कार्यक्रम हमारी सरकार का रहा है, जिसने लोगों के काम करने के तरीके में काफी बदलाव लेकर आया है. इससे सरकारी सेवाओं और सुविधाओं में बड़ी क्रांति आई है. इसे लेकर प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि डिजिटल इंडिया सिर्फ ऐप तक ही सीमित नहीं है. इसका प्रसार अब बड़े स्तर पर हो चुका है.
डिजिटल इंडिया को समझने के लिए आंकड़े खंगालने पड़ेंगे
आज देश के व्यस्क आबादी के 99 फीसदी हिस्से के पास यूनिक आइडेंटिटी नंबर है. मई 2023 तक 137 करोड़ से ज्यादा आधार कार्ड जारी किए गए हैं. फैक्टरडेली के को-फाउंडर पंकज मिश्रा ने कहा कि ये अप्रत्याशित है. दुनिया में कहीं भी 1.34 अरब लोगों को अपना पहचान पत्र आधार जैसी किसी प्रणाली या मंच का इस्तेमाल करते हुए नहीं मिला. लगभग 111 करोड़ भारतीयों ने कोविड के टीकों का लाभ उठाने के लिए कोविन पर रजिस्ट्रेशन करवाया.
आरएस शर्मा, सीईओ, नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने कहा कि किसी देश में ऐसी कोई मिसाल नहीं है जहां एक डेटाबेस को आठ या नौ महीने से भी कम समय में अरब से भी ज्यादा लोगों तक पहुंचाया गया हो.
UPI से मासिक लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा
यूपीआई में मासिक लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा को हो चुका है.पंकज मिश्रा कहते हैं कि यूपीआई की विभिन्न मंचों पर काम करने की क्षमता विश्वस्तरीय है. बहुत से देश जिन्हें लगता था कि वो वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में शामिल नहीं किए गए वो अब यूपीआई को देखकर कह रहे हैं कि हम भी इन बाधाओं से आगे निकल सकते हैं. डिजिटल इंडिया स्टैक का यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एक गेम चेंजर साबित हुआ है. रेहड़ी वालों और रिक्शा चालकों से लेकर चमचमाते शो रूम और होटलों तक सभी छोटे बड़े कारोबार क्यू आर कोड की छत्रछाया में चले आए हैं.
“आज 100 के 100 रुपये नागरिकों तक पहुंचते हैं”
व्यापार में आसानी के अलावा इस मंच की सबसे बड़ी उपलब्धि है वित्तीय समावेश. प्रसार भारती के पूर्व सीईओ शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि जब-जब देश में चुनौतियां आई हैं जैसे नोटबंदी हो, लॉकडाउन हो, तब-तब डिजिटल इंडिया के जितने प्रोजेक्ट हैं वो काम आए हैं. और 100 करोड़ से भी ज्यादा जो आबादी है देश में उस स्तर पर डिजिटल होने के फायदे को पहुंचाने वाला भारत दुनिया में एकलौता देश है. वहीं, केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि आज अगर देश की राजधानी या राज्य की राज्यधानी से 100 रुपये निकलते हैं तो वो 100 के 100 रुपये पहुंचते हैं नागरिक के खाते में. और इसको संभव बनाता है यूपीआई का डिजिटल प्लेटफॉर्म.
निर्बाध पेमेंट गेटवे से सड़क यात्रा आसान हुई है. फास्टट्रैक से अब टोल बूथ पर लंबी कतारें नहीं लगती हैं. फास्टट्रैक स्टीकर्स अपने आप यूपीआई खातों से टोल टैक्स काट लेते हैं जिस वजह से अब टोल प्लाजों पर वाहनों को रुकना नहीं पड़ता है. जहां यूपीआई ने भारतीयों को बिना कैश के बाहर निकलने की आजादी दी, वहीं आधार ने उन्हें एक नई पहचान दी. जिसने ई-गवर्नेंस के लिए राह बनाई. नंदन नीलेकणी की अगुवाई में आज हर भारतीय का एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर है.
“आज 130 करोड़ भारतीयों के पास आधार”
यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पहले अध्यक्ष के तौर पर नंदन नीलेकणी ने वो नींव रखी, जिसके ऊपर गवर्नेंस की योजनाएं आधारित हैं. आरएस शर्मा ने कहा कि आज 130 करोड़ लोगों के पास आधार है. मतलब लगभग हर व्यक्ति के पास आधार है. तो आज हिन्दुस्तान अकेला ऐसा देश है जिसके पास ऑनलाइन सिग्नेचर सर्विस उपलब्ध है, डिजिटल लॉकर है जिसमें 550 करोड़ डाक्यूमेंट्स रखे गए हैं. उसी तरह से हमारे पास डिजिटल केवाईसी है, जिसके माध्यम से अब आप घर बैठे ही बैंक एकाउंट खोल सकते हैं. ये जो चीज हुई है, इसे डिजिटल क्रांति कहते हैं जो हिन्दुस्तान में हुई है.
ये अनूठी पहचान पूरी तरह से डिजिटल है. आपको कार्ड भी साथ रखने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ये डिजिलॉकर पर उपलब्ध है. एक ऐसा ऐप जो सारे अहम दस्तावेज फोन पर उपलब्ध कराता है. फिर ये डिजिटल आईडी अन्य ऐप से जुड़कर सुविधाएं देता है. जैसे डिजि यात्रा हवाई यात्रा को ज्यादा आसान बनाता है. या आरोग्य सेतु की मदद से कोविड की स्थिति पर निगरानी रखी जाती है.
डिजिटल इंडिया ने सरकार के कामकाज के तरीके को भी बदला है
डिजिटल इंडिया ने ना सिर्फ आम भारतीयों की जिंदगियां बदल दी हैं बल्कि सरकार के कामकाज के तरीके को भी बदला है. शशि शेखर वेम्पति कहते हैं कि मैं जो एक बड़ी उपलब्धि मानता हूं सरकार के अंदर तकनीक के इस्तेमाल का वो है गवर्मेंट ई मार्केट प्लेस, जेम पोर्टल. इसमें सरकार की जितनी भी सारी खरीददारी है वो ऑनलाइन हो रहा है.और ये ओपन मार्केट प्लेस है. इसमें छोटे से छोटे दुकानदार हो या सर्विस प्रोवाइडर हो वो इस जेम पोर्टल पर रजिस्टर हो सकते हैं. और अपने जो भी प्रोडक्ट्स हैं सर्विसेज हैं वो सरकारी मंत्रालय को ऑफर कर सकते हैं.
वैसे डिजिटल पहुंच अब भी एक चुनौती है. और अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकि है. फिलहाल देश के आधे हिस्से तक ही इंटरनेट पहुंचता है. इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन के अनुसार 2022 में देश की 52 फीसदी आबादी तक इंटरनेट की पहुंच हुई है. विश्व बैंक के आंकड़े देखें तो इंटरनेट की पहुंच जो 2014 तक सिर्फ 14 फीसदी थी वो अब बढ़ी तो है लेकिन अभी इस क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है.
दिल्ली के बाहरी ग्रामीण इलाके में किसान कहते हैं कि वहां इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है. और कुछ लोगों का जीवन बिल्कुल वैसा है जैसे डिजिटल इंडिया मिशन से पहले था. मुरशाहिद जो किसान हैं, का कहना है कि सरकार ने जो कहा था कि हम किसानों तक इंटरनेट के माध्यम से बात पहुंचा देंगे वो बात हम तक नहीं आ पाती है. सरकार हमारी मदद कर रही है लेकिन वो हम तक नहीं आती है.
वहीं, तबस्सुम, जो गृहिणी हैं, कहती हैं कि लॉकडाउन से पहले बच्चे अच्छे नंबर से पास हो जाते थे लेकिन लॉकडाउन में पढ़ाई ना होने की वजह से नंबर कम आए. क्योंकि और बच्चों की तरह हमारे बच्चे से इंटरनेट से पढ़ाई नहीं कर पाए. हमारे बस की बड़ा फोन लेना है नहीं. हम तो सिर्फ बात करने के लिए ही फोन का इस्तेमाल कर पाते हैं.
ग्रामीण भारत में भी डिजिटल अपना पांव पसार रहा है. शशि शेखर वेम्पति कहते हैं कि भारत नेट जो हर गांव और हर पंचायत में फाइबर ऑपटिक एक्सिस का एक प्रोजेक्ट है, वो भी आगे बढ़ रहा है. हाल ही में सरकार ने बीएसएनएल को एक बड़ा पैकेज दिया हुआ है जिससे 4 जी नेटवर्क का भी विस्तार होने वाला है. मुझे लगता है कि ये सिर्फ एक समय की बात है कि देश में इंटरनेट की पहुंच और बढ़ने वाली है.
साइबर सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती
साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है. इंटरनेट पर डेटा के साथ जोखिम जुड़े रहते हैं. जिससे डिजिटल इंडिया भी अछूता नहीं है. आरएस शर्मा कहते हैं कि ऑनलाइन डिजिटल दुनिया, एक ऐसी दुनिया है जहां डेटा ब्रिच का रिस्क हमेशा रहता है. किसी भी सिस्टम को ये सुनिश्चित करना चाहिए की वहां डेटा का ब्रिच ना हो. सुरक्षा को सुनिश्चित करना भी जरूरी है. इन चुनौतियों के बावजूद डिजिटल इंडिया कई नए मंचों पर आ रहा है. एक बड़ा कदम है सरकार समर्थित ई कॉमर्स का मंच ओएनडीसी. जो देश भर के 35 हजार से ज्यादा छोटे कारोबार और रेस्टोरेंट मालिकों का सशक्तिकरण करके ऑनलाइन रिटेल में बदलाव ला रहा है. इस तरह के अभियानों के साथ डिजिटल इंडिया का भविष्य उज्जवल है.
डॉक्यूमेंट्री सीरीज के पहले 5 एपिसोड आप यहां देख सकते हैं:-
पाकिस्तान के गृह मंत्री ने मंगलवार को कहा कि इमरान खान के खिलाफ सैन्य अदालत में मुकदमा चलाया जाएगा क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री सैन्य प्रतिष्ठानों पर नौ मई को हुए हमले की घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे।
Image Source : ANI
बृजभूषण सिंह ने पहलवानों पर कसा तंज
भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था और प्रदर्शन कर उन्हें सजा देने की मांग की थी। इस मामले में पहलवानों का प्रदर्शन जारी है। मंगलवार को पहलवानों ने हरिद्वार में गंगा नदी में मेडल प्रवाहित करने का फैसला किया। पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया मंगलवार (30 मई) को अपने मेडल को गंगा में बहाने पहुंचे लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत ने खिलाड़ियों को रोक दिया।
पहलवानों के इस कदम पर बीजेपी के सांसद बृजभूषण सिंह ने पहलवानों पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि गए थे सब गंगा में मेडल बहाने लेकिन गंगा की जगह पदक नरेश टिकैत को दे दिए गए।
बृजभूषण सिंह ने कहा, ”जांच होने दीजिए। अब खेल हमारे हाथ में नहीं है, सब कुछ दिल्ली पुलिस के हाथ में है। पहलवानों के निवेदन पर एफआईआर हुई और इस पर जांच चल रही है। मैं क्या मदद कर सकता हूं। मैं तो हर हाल में तैयार हूं। ये लोग मेडल गंगा में बहाने गए लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत को दे दिए. मेरा कार्यकाल खत्म हो गया और मैं गलत पाया जाऊंगा तो गिरफ्तार हो जाऊंगा। वैसे भी मेरा कार्यकाल खत्म हो चुका है।”
दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर निशाना साधा है। इस मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर सहित कई लोगों के साथ पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले ने भी पहलवानों का पक्ष लिया और कहा कि उम्मीद है कि मामला जल्द सुलझेगा।
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