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हर महीने 399 रुपये देकर Jio यूजर्स को मिलेगी 90 दिन की वैधता, अनलिमिटेड डाटा-कॉलिंग बेनिफिट भी

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JioFiber Cheapest Plan: टेलिकॉम कंपनी Reliance Jio कई प्रीपेड और पोस्टेपड प्लान्स ऑफर करती है। इसी तरह से कंपनी Fiber Broadband प्लान भी उपलब्ध कराती है। इस सेगमेंट में भी आपको मंथली, क्वार्टली और वार्षिक प्लान्स दिए जाते हैं। कई यूजर्स ऐसे होते हैं जो वार्षिक रिचार्ज नहीं कराते हैं क्योंकि ये काफी महंग पड़ जाते हैं और इन्हें मंथली रिचार्ज से भी परेशानी होती है।

ऐसे ही यूजर्स के लिए कंपनी ने 90 दिन की वैधता वाले प्लान उपलब्ध कराए हैं जो कई बेनिफिट्स के साथ आते हैं। अनलिमिटेड फास्ट स्पीड इंटरनेट से लेकर अनलिमिटेड कॉलिंग तक कई बेनिफिट्स दिए जा रहे हैं। Jio कंपनी 1,197 रुपये का एक प्लान उपलब्ध करा रही है जिसमें 90 दिन की वैधता उपलब्ध कराई जा रही है। चलिए जानते हैं इसके बेनिफिट्स।

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JioFiber के 1,197 रुपये वाला प्लान:

इस प्लान की वैधता 90 दिनों की है। हर महीने की कीमत निकाली जाए तो यह हर महीने 399 रुपये आती है। इस प्लान में 30Mbps की स्पीड दी जा रही है। यह अपलोड और डाउनलोड स्पीड दोनों ही है। इसके अलावा यूजर्स को अनलिमिटेड डाटा दिया जा रहा है। जियो अनलिमिटेड डाटा 3.3 TB हाई-स्पीड में हर महीने देती है।

इसके अलावा यूजर्स को अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग की सुविधा दी जा रही है। आप किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड कॉलिंग की सुविधा दी जा रही है। अगर आप मंथली रिचार्ज नहीं कराना चाहते हैं और आपको वार्षिक रिचार्ज ज्यादा महंगे लगते हैं तो यह प्लान आपके लिए एक सही विकल्प साबित हो सकता है।



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क्या आपका टीवी है फर्जी? गूगल का बड़ा खुलासा, जानें कैसे बिना लाइसेंस हो रही टीवी की बिक्री

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स्मार्ट टीवी की डिमांड में पिछले कुछ सालों से भारी इजाफा दर्ज किया जा रहा है। इसमें से सबसे ज्यादा बिक्री एंड्रॉइड स्मार्ट टीवी की हो रही है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि जिस टीवी को आप सस्ते में खरीदकर घरा लाए हैं, वो वास्तव में एक एंड्रॉइड स्मार्ट टीवी है। दरअसल गूगल ने मार्केट में बिकने वाली एंड्रॉइड स्मार्ट टीवी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। कंपनी का कहना है कि कम्यूनिटी पोस्ट में खुलासा किया है कि मार्केट में ऐसे स्मार्ट टीवी की बिक्री हो रही है, जो एंड्रॉइड टीवी होने का दावा करते हैं। लेकिन वास्तव में वो टीवी एंड्रॉइड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट यानी AOSP पर काम करते हैं।

आखिर दोनों में अंतर क्या है?

ड्रॉइड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट बेस्ड स्मार्ट टीवी में बिना गूगल की परमिशन के गूगल ऐप्स और प्ले स्टोर को दिया जा रहा है। मतलब इस बारे में गूगल से कोई लाइसेंस नहीं लिया गया है।

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ओपन सोर्स से नुकसान क्या है?
साधारण शब्दों में समझें, तो बिना लाइसेंस गूगल ऐप्स और प्ले स्टोर दिए जाने की वजह से आपका टीवी गूगल प्रोटेक्टेड नहीं है। अब सवाल उठता है कि आखिर कैसे पता लगाया जाए कि एंड्रॉइड टीवी ओएस और प्ले प्रोटेक्ट सर्टिफाइड है या नहीं? इसके लिए यूजर्स को टीवी खरीदने से पहले Google की ऑफिशियल एंड्रॉइड टीवी वेबसाइट पर जाना चाहिए, जहां खरीदार ऑफिशियल एंड्रॉइड टीवी को चेक कर सकते हैं।

ऐसे भी कर सकते हैं चेक
Google Play प्रोटेक्ट जांचने का एक और तरीका है। यह प्ले स्टोर के भीतर एक सर्टिफिकेशन है, जो बताता है कि डिवाइस को Google की ओर से ऑफिशियल तौर पर लाइसेंस दिया गया है या नहीं। अगर आपका टीवी प्ले प्रोटेक्ट सर्टिफाइड नहीं है तो इसका मतलब है कि यह प्ले प्रोटेक्ट सर्टिफाइड नहीं है।



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आ गया 10,000 mAh वाला Power Bank, कीमत भी है कम और खासियत अलग

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Ubon, इनोवेटिव मोबाइल एक्सेसरीज का मार्केट लीडर, ने अपने नए और बेहतरीन प्रोडक्ट, मार्शल सीरीज 2.0 पीबी-एसएक्स-201, पावर बैंक को लॉन्च करने की घोषणा की है। ये भारत का पहला अल्टीमेट ट्रांसपेरेंट पावर बैंक है, जिसे भारत में लॉन्च करते हुए यूबॉन बेहद रोमांचित है। यह शानदार पावर बैंक अत्याधुनिक तकनीक को एक आकर्षक डिजाइन के साथ जोड़ता है, जो यूजर्स को एक अनूठा और पारदर्शी चार्जिंग अनुभव प्रदान करता है। यह सब सिर्फ एक पावर पैक उत्पाद में जिसकी कीमत मात्र 3699/- रुपये है।मार्शल सीरीज 2.0 पीबी-एसएक्स201 पावर बैंक हमारे डिवाइस को चार्ज करने के तरीके में पूरी तरह से बदलाव लाने के लिए तैयार है। 10000 एमएएच की पावर क्षमता वाला यह पावर बैंक सुनिश्चित करता है कि जब आपको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो तो आपकी बैटरी कभी खत्म न हो। अपने 22.5 वॉट पावर आउटपुट के साथ, यह पावर डिलीवरी (पीडी) और क्विक चार्ज (क्यूसी) दोनों तकनीकों का समर्थन करता है, जिससे उपकरणों की एक विस्तृत सीरीज़ के लिए तेज और कुशल चार्जिंग सक्षम हो जाती है।

मार्शल सीरीज 2.0 पीबी-एसएक्स201 के असाधारण फीचर्स में से एक इसकी बिल्ट-इन चार्जिंग केबल है। यह दो चार्जिंग केबल के साथ आता है-एक आईफोन के लिए और दूसरा टाइप-सी डिवाइस के लिए। यह अतिरिक्त केबल ले जाने की आवश्यकता को समाप्त करता है और विभिन्न स्मार्टफोन और टैबलेट के साथ कम्पेटेबिलिटी सुनिश्चित करता है। इन इनबिल्ट केबलों की सुविधा के साथ, यूजर्स चलते-फिरते अपने डिवाइसिज को बिना किसी परेशानी के चार्ज कर सकते हैं।

यूबॉन के लिए सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, और मार्शल सीरीज 2.0 पीबी-एसएक्स201 पावर बैंक भी इस संबंध में कोई अपवाद नहीं है। इसमें एडवांस्ड सुरक्षा फीचर्स शामिल हैं जो ओवरचार्जिंग, ओवरहीटिंग और ओवरवॉल्टेज से बचाती हैं। यह यूजर्स को यह जानकर मन की शांति देता है कि चार्जिंग प्रोसेस के दौरान उनके डिवाइस सुरक्षित हैं।

यूबॉन के एमडी और सह-संस्थापक श्री मनदीप अरोड़ा ने कहा कि “हम भारत के पहले अल्टीमेट ट्रांसपेरेंट पावर बैंक, मार्शल सीरीज 2.0 पीबी-एसएक्स201 को पेश करते हुए रोमांचित हैं।”

उन्होंने कहा कि “यह इनोवेटिव उत्पाद एडवांस तकनीक, सुविधा और सुरक्षा को जोड़ता है, जो हमारे ग्राहकों को एक बेहतर चार्जिंग समाधान प्रदान करता है। हमारा मानना है कि मार्शल सीरीज 2.0 पावर बैंक बाजार में एक नया मानक स्थापित करेगी।”



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इंटरनेट का असर! टेक्नोलॉजी से बढ़ रही किसानों की आमदनी, पढ़ें रिपोर्ट

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इंटरनेट लोगों की जिंदगी पर गहरा असर छोड़ रहा है। इंटरनेट ने आम जीवन को आसान बना दिया है। लेकिन कई एक्सपर्ट मानते हैं, कि इंटरनेट का पर्यावरण पर गलत असर पड़ता है। लेकिन इसका अलग पहलू है कि इंटरनेट से किसानों की आमदमी में इजाफा हो रहा है। मतलब घाटे की खेती को इंटरनेट से मुनाफे में बदला जा रहा है। साथ ही टेक्नोलॉजी से पर्यावरण के बेतहाशा दोहन को भी रोकने में मदद मिल रही है। बालीपुरा फाउंडेशन के फाउंडर रंजीत बारथाकुर की मानें, तो इंटरनेट ऑफ थिंग्स यानी IoT तेजी से लोगों की जिंदगी में सकरात्मक बदलाव ला रहा है। आइए जानते हैं आखिर कैसे?IoT बेस्ड स्मार्ट डिवाइस खेती के दौरान पानी और उर्वरक की खपत की जानकारी देते हैं। साथ ही मिट्टी उवर्रक क्षमता की डिटेल हासिल की जा सकती है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ सकती है। IoT डिवास से पता लगा सकते हैं, कि आखिर फसल को कीटनाशक की जरूरत है या नहीं। इसके अलावा मिट्टी की गुणवत्ता और मौसम की जानकारी हासिल कर सकते हैं। साथ ही किसान अपनी फसल को ऑनलाइन बेचकर सही दाम हासिल कर सकते हैं।

भारत जैसे देश में बॉयोडायर्सिटी और ईकोसिस्टम का बचाना एक कठिन कदम है। साथ ही इसमें ज्यादा रिसोर्स और रिचार्ज की जरूरत होती है। इसके अलावा फाइनेंशियल और काफी लोगों की जरूरत होती है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई बेस्ड इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक रक्षक बनकर उभरा है। इससे हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट डेटा या एनालिटिक्स जैसी तकनीक से उत्तर पूर्व जैसे क्षेत्र में जो दुर्गम है और एक कठिन स्थलाकृति है जो जमीनी निगरानी को बाधित करती है, समृद्ध जैव विविधता और अद्वितीय पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है।

ग्लोबली IoT डिवाइस इकोसिस्टम और बॉयोडायवर्सिटी की निगरानी की जा रही है। इसमें सेंसर से लैस आईओटी डिवाइस हवा की गुणवत्ता, पानी की गुणवत्ता, मिट्टी की स्थिति का रियल टाइम डेटा कलेक्ट करती हैं। ऐसे में पॉलिसी बनाने से लेकर पर्यावरण को बचाने कि लिए प्रदूषण हॉटस्पॉट का पता लगाया जाता है, जिसमें IoT डिवाइस का काफी अहम रोल होता है।

भारत के उत्तर पूर्व में अवैध वनों की कटाई और अवैध शिकार से निपटने के लिए क्लोजर होम, सेंसर और IoT बेस्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। वनों में हाई स्पीड ध्वनिक सेंसर वाले ड्रोन और कैमरे जानवरों को शिकार से बचाते हैं। असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को बाघों पर नज़र रखने के लिए इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस ऐसे जानवरों में लगाए जाते हैं, जिनके अवैध शिकार का खतरा है। इसमें बाघ, गैंडे और हाथी शामिल हैं।

कुछ अहम प्वाइंट

  • IoT से बाध के खतरों का समय से पहले पता लगाया जा सकता है। चीन से पानी छोड़ने से ब्रह्मपुत्र घाटी में बाढ़ का खतरा बना रहता है, जिससे IoT की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है।
  • IoT बेस्ड सिस्टम से समय से पहले मौसम की जानकारी हासिल की जा सकती है, जिससे अधिकारियों को समय पर अलर्ट जारी किया जा सकता है।
  • IoT का उपयोग करके हम नेचर को बचा सकते हैं। आज के वक्त में निगरानी और डेटा कलेक्शन के लिए IoT एक अहम टेक्नोलॉजी बनकर उभरी है।
  • बदले मानसून पैटर्न, बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी के लिए IoT जरूरी हो जाती है। इसमें जल स्तर, वर्षा पैटर्न और वाटरशेड की निगरानी के लिए IoT का उपयोग किया जाता है।
  • IoT बेस्ड सेंसर जमीन के नीचे पानी की निगरानी की जाती है, जिससे वाटर लेवल को गिरने से बचाया जाता है।
  • अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में जंगलों में अवैध लकड़ी की कटाई का पता लगाने के लिए इसी तरह के सेंसर का उपयोग किया जा सकता है।
  • भारत के लिए आईओटी समाधानों को अपनाना और सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।



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