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सेना के खिलाफ बोलकर पाकिस्तान में पत्रकारिता नामुमकिन! क्या जान देकर अरशद को चुकानी पड़ी इसकी कीमत?

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इस्लामाबाद : पाकिस्तानी पत्रकार अरशद शरीफ की केन्या में गोली मारकर हत्या के बाद पाकिस्तानी सेना सवालों के घेरे में है। इसके दो कारण हैं, पहला यह कि अरशद उन पत्रकारों में से थे जो खुलकर पाकिस्तानी सेना और आर्मी चीफ जनरल बाजवा की खुलकर आलोचना करते थे। वह इमरान समर्थक पत्रकारों के रूप में जाने जाते थे। दूसरा यह कि पाकिस्तान में पत्रकारों की स्वतंत्रता के इतिहास का दामन दागों से भरा हुआ है। सत्ता किसी के भी हाथ में रहे, पत्रकारों को सरकार और सेना के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या बाकी पत्रकारों की तरह अरशद को भी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ी।

रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्डर (RSF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल के आखिर में शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद सेना से संबंधित एजेंसियों की ओर से पाकिस्तानी पत्रकारों को डराने-धमकाने के नौ मामले दर्ज किए जा चुके हैं। आरएसएफ के एशिया-पैसिफिक हेड डैनियल बास्टर्ड ने कहा कि पिछले दो महीनों में आरएसएफ की ओर से दर्ज किए गए उत्पीड़न के कई मामलों में एक बात कॉमन है, सभी पत्रकारों ने, किसी न किसी तरह से, पाकिस्तानी राजनीति में सेना की भूमिका की आलोचना की थी।

पाकिस्तानी पत्रकार अरशद नदीम की केन्या में गोली मारकर हत्या, सरकार की करते रहे हैं आलोचना
प्रेस की स्वतंत्रता के लिए बाजवा जिम्मेदार?
उन्होंने कहा कि आंकड़े स्पष्ट रूप से इस बात की तस्दीक करते हैं कि सेना ने पत्रकारों को डराने-धमकाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया है। इस तरह का हस्तक्षेप पूरी तरह से असहनीय है और इसे रोका जाना चाहिए अन्यथा पाक आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा को पाकिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता में गिरावट के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा। रिपोर्ट में बताए गए कुछ उदाहरणों पर नजर डालें तो अरशद से पहले किसी पत्रकार के खिलाफ हिंसा का मामला 9 जुलाई को सामने आया था। राजधानी इस्लामाबाद के मेलोडी जिले में एक टीवी चैनल के स्टूडियो के बाहर BOL न्यूज के एंकर सामी इब्राहिम पर तीन लोगों ने हमला कर दिया था।

पत्रकारों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे
इब्राहिम ने बताया था कि हमलावर सरकारी गाड़ी में आए थे जिस पर हरे रंग की लाइसेंस प्लेट लगी थी। छह हफ्ते पहले इब्राहिम के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे जिसमें उम्रकैद की भी सजा हो सकती है। इब्राहिम राजनीति में पाकिस्तानी सेना की भूमिका पर सवाल उठाने वाले पत्रकारों में से हैं। इसी तरह पंजाब के अटक में 5 जुलाई को एक प्रसिद्ध टीवी पत्रकार इमरान रियाज खान को एक टोल प्लाजा पर दर्जनों पुलिसकर्मियों ने गिरफ्तार कर लिया था। खान पर कम से कम 17 आरोप लगाए गए हैं जिनमें ‘लोगों की भावनाएं आहत करना’ और ‘देशद्रोह’ जैसे कई गंभीर आरोप भी शामिल हैं।

दफ्तर से घर लौटते पत्रकार पर हमला
खान ने इमरान खान को सत्ता से बाहर करने में सेना की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इससे पहले 30 जून की रात एक और टीवी पत्रकार अयाज आमिर पर लाहौर में हमला किया गया था। दफ्तर से घर लौटते वक्त हमलावरों ने उन्हें उनकी कार से बाहर घसीटा और उनकी पिटाई की। इससे एक दिन पहले आमिर ‘हालिया सरकार परिवर्तन के परिणामों’ पर आयोजित एक मीटिंग में शामिल हुए थे। यहां उन्होंने खुलकर राजनीति में सेना की आलोचना की थी। हालांकि वह इमरान खान की भी आलोचना करते थे जो सेना की मदद से सत्ता में आए थे।

जब पाकिस्‍तान के चीफ जनरल बाजवा के इस्‍तीफे की बात करने पर सीनियर आर्मी ऑफिसर के बेटे को डाल दिया गया जेल में
‘मैंने दोस्त, पति और पसंदीदा पत्रकार खो दिया’
अरसलान खान, नईम नाज़ीम, बिलाल फारूकी, मतिउल्लाह जान, ताहा सिद्दीकी और न जानें कितने, पाकिस्तान में दमनकारी कार्रवाइयों और हमलों के शिकार होने वाले पत्रकारों की सूची बहुत लंबी है। पाकिस्तान में सेना के खिलाफ बोलने वाला पत्रकार इसकी कीमत चुकाता है तो क्या अरशद भी इस सूची का नया नाम हैं या वह किसी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी साजिश का शिकार बन गए? अशरद की हत्या से सबसे ज्यादा दुखी उनकी पत्नी हैं। जावेरिया सिद्दीकी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘आज मैंने एक दोस्त, पति और अपना पसंदीदा पत्रकार खो दिया।’



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अमेरिका के एक स्कूल में गोलीबारी, 6 लोगों की मौत, पुलिस ने महिला शूटर को भी मार गिराया

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Image Source : फाइल फोटो
सांकेतिक तस्वीर

एक बार फिर अमेरिका में गोलीबारी की खबर सामने आ रही है। मामला टेनेसी राज्य के एक स्कूल है जहां एक लड़की शूटर ने हमला किया है। इस दौरान 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं। वहीं पुलिस ने शूटर को भी मार गिराया गया है। संदिग्ध ने एक साइड दरवाजे से प्रवेश द्वार के माध्यम से इमारत में प्रवेश किया था। 


अधिकारियों ने कहा कि नैशविले के एक निजी ईसाई स्कूल में सोमवार को हुई गोलीबारी में संदिग्ध की मौत हो गई है। वहीं नैशविले अग्निशमन विभाग ने ट्विटर पर कहा कि कई मरीज हैं लेकिन उनकी स्थिति तत्काल स्पष्ट नहीं है। 

 आर्कन्सास राज्य में भी हुई थी फायरिंग

इससे पहले अमेरिका के आर्कन्सास राज्य की पुलिस ने कहा कि रविवार रात को गोलीबारी की दो अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गयी तथा पांच लोग घयल हो गए। लिटल रॉक पुलिस विभाग ने ट्विटर पर एक बयान में कहा कि आपात सेवाओं को रात नौ बजकर 25 मिनट पर गोलीबारी की सूचना मिली।

जांच में जुटी पुलिस

घटना में दो लोगों को चोटें आयीं, लेकिन वो जानलेवा नहीं थीं। पुलिस ने बताया कि कुछ देर बाद नजदीकी इलाके में गोलीबारी की दूसरी घटना हुई, जिसमें पांच अन्य लोगों को गोली मारी गई। इनमें से दो लोगों की मौत हो गयी। गोलीबारी की दोनों घटनाएं एशर एवेन्यू के पास स्थित इलाकों में हुईं, लेकिन पुलिस ने अभी इनके आपस में जुड़े होने कोई जानकारी नहीं दी है। पुलिस ने बताया कि दोनों घटनाओं की जांच की जा रही है।

 

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कंगाल पाकिस्तान पर चौतरफा मार, अब जीवन रक्षक दवाओं की कमी से जूझ रहा जिन्ना का देश

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कंगाल पाकिस्तान पर चौतरफा मार, अब जीवन रक्षक दवाओं की कमी से जूझ रहा जिन्ना का देश

कराचीः कंगाल पाकिस्तान में खाने से लेकर पेट्रोल, बिजली और हर जरूरत की वस्तुओं की किल्लत बनी हुई है। पाकिस्तान का सरकारी खजाना खाली हो चुका है।  अब तो हालत यह हो गई है। जिन्ना के इस कंगाल देश में जीवन रक्षक दवाओं की भी कमी हो गई है। 

पाकिस्तान की दवा नियमितता प्राधिकरण (डीआरएपी) की मूल्य निर्धारण नीति और रुपये में गिरावट के कारण पाकिस्तान में अधिकांश आयातित और महत्वपूर्ण दवाओं की अत्यधिक कमी हो गई है, मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई। द न्यूज ने बताया, फार्मासिस्ट और जैविक उत्पादों के आयातक अब्दुल मन्नान ने कहा- डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी मुद्रा के अत्यधिक मूल्यह्रास और पाकिस्तान की ड्रग रेगुलरिटी अथॉरिटी (डीआरएपी) की विवादास्पद दवा मूल्य निर्धारण नीति के कारण, उनकी कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं और आयातकों के लिए उन्हें डीआरएपी द्वारा दी गई मौजूदा कीमतों पर लाना आर्थिक रूप से अव्यवहारिक हो गया है।

दवाओं के आपूर्तिकर्ताओं और अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक और निजी दोनों स्वास्थ्य सुविधाओं को आयातित टीकों, कैंसर उपचारों, प्रजनन दवाओं और एनेस्थीसिया गैसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि विक्रेताओं ने डॉलर-रुपये की असमानता के कारण अपनी आपूर्ति बंद कर दी है।

द न्यूज ने बताया कि फिलहाल, सबसे महत्वपूर्ण दवा जो स्वास्थ्य सुविधाओं को नहीं मिल रही है, वह हेपरिन है, जो कुछ हृदय संबंधी प्रक्रियाओं के बाद इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह, विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए आइसोफ्लुरेन, सेवोफ्लुरेन के साथ-साथ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी जैसी कुछ महत्वपूर्ण संवेदनाहारी गैसों के साथ-साथ मानव क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) और मानव रजोनिवृत्ति संबंधी गोनाडोट्रोपिन (एचएमजी) जैसे प्रजनन उत्पादों को भी डॉलर-रुपये की असमानता और डीआरएपी की मूल्य निर्धारण नीति के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है।

हालांकि अधिकांश ओरल दवाएं जिनमें सिरप, टैबलेट और इंजेक्शन शामिल हैं, स्थानीय रूप से उत्पादित की जाती हैं, लेकिन भारत, चीन, रूस, यूरोपीय देशों के साथ-साथ अमेरिका और तुर्की से पाकिस्तान सभी टीकों, कैंसर रोधी दवाओं और उपचारों, हार्माेन, प्रजनन दवाओं के साथ-साथ अन्य उत्पादों सहित अधिकांश जैविक उत्पादों का आयात करता है।

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इजरायल में विवादित न्यायिक सुधार कानून निलंबित, आखिर नेतन्याहू को झुकना ही पड़ा

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बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल के विवादित न्यायिक सुधार कानून को निलंबित कर दिया है। इसे अब इजरायली संसद में दोबारा चर्चा के लिए पेश किया जाएगा। इस कानून के विरोध में इजरायल में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। रिजर्व सैनिक और इजरायली दूतावासों ने भी विरोध में हड़ताल की है।

 



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