जीवन के बाद मृत्यु दुनिया का सबसे अटल सत्य है। एक न एक दिन हर व्यक्ति को अपना ये नश्वर शरीर छोड़कर यहाँ से प्रस्थान करना होता है। मृत्यु के बाद क्रियाकर्म की तमाम रस्में निभाई जाती है और पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द पंचतत्व में विलीन किया जाता है। आचार्य विक्रमादित्य बता रहे हैं कि आखिर सुबह के समय में ही पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार क्यों करना चाहिए।
आचार्य विक्रमादित्य कहते हैं, ”संस्कार के संबंध में शास्त्रों में कई बातें बताई गई हैं। कुछ लोगों के मन में भ्रांति है रहती है कि अंतिम संस्कार कब करना चाहिए? कितनी देर में किया जाना चाहिए? भारतीय संस्कृति में देशकाल परिस्थिति के अनुसार कई प्रकार के अंतिम संस्कार होते हैं। जिन्हें कराने के अलग-अलग नियम है। किनके लिए किस प्रकार के राइट की जानी चाहिए। अंत्येष्टि कैसे की जाती है, उसके लिए अनेक ग्रंथों में पूर्ण रूप से व्याख्यान उपस्थित है।”
आचार्य विक्रमादित्य आगे कहते हैं, ”सबसे पहले तो शास्त्र ये कहता है दिवंगत आत्म की अंत्येष्टि हमें सुबह के समय जल्दी से जल्दी पंचतत्व में विलीन कर देनी चाहिए। यदि परिस्थति अनुकूल हैं, वहां पूरा परिवार एकत्रित है, जिसके द्वारा संस्कार किया जाना चाहिए। तब जल्दी से जल्दी दिवंगत आत्मा का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए। लेकिन अगर परिस्थिन अनुकूल नहीं है, जैसे – घर का कोई पुत्र या ज़रूरी इंसान अगर वहां मौजूद नहीं है तब शरीर को विभिन्न औषधियों के माध्यम से अंत्येष्टि करने से रोका जा सकता है।”
”अंतिम दाह-संस्कार देशकाल परिस्थिति क्षेत्र के हिसाब से अपने कर्म के हिसाब से और विशेष तौर पर अपने कल्चर के हिसाब से करना चाहिए। आपका जाती किस प्रकार से है? आपका धर्म कौन सा है? आप किस वर्ण के हैं? आप जहाँ जिस देश में हैं। उसके अनुसार अंत्येष्टि करनी चाहिए। अंत्येष्टि के बाद हमारे यहां विभिन्न व्यक्तियों के लिए अलग अलग नियम हैं। जो व्यक्ति संसारी है, उसके लिए संसार के हिसाबे से नियम हैं। जो लोग विरक्त हैं, उनके लिए विरक्ति के हिसाब से नियम हैं। जो लोग सन्यासी हैं उनके लिए सन्यास के हिसाब से नियम हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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Image Source : FREEPIK
products in fridge may harmful for health
आजकल के समय में हम अपना किचन बिना फ्रिज के सोच भी नहीं सकते। खाने पीने के हर तरह के सामान को हम आसनी से फ्रिज में कैरी कर सकते हैं, जो कई दिन तक बिना खराब हुए चलते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं फ्रिज में रखी कुछ चीज़ें आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकती हैं। दरअसल, आजकल के वर्किंग लाइफ को बैलेंस करने के लिए लोग जब थोड़ा बहुत खाना बचता है तो उसे फ्रिज में रख देते हैं। अगर आप बचा हुआ खाना दोबारा इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपकी सेहत पर उल्टा असर पड़ता है। चलिए हम आपको बताते हैं कि फ्रिज में आपका खाना कितने घंटे तक सेफ रहता है जिसक आप बिना डरे सेवन कर सकते हैं और कितने समय के बाद आपको इन फूड्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
कच्चे और पके फूड्स को हमेशा रखें अलग
हम अपने फ्रिज में कच्चा और पका हुआ दोनों तरह का फूड साथ रखते हैं। यानी जिस जगह पर कच्ची सब्जी रखी है, उसी के बराबर में पकी सब्जी भी रख देते हैं। बता दें, ऐसा करना हमारे फ्रिज में बैक्टिरिया के बढ़ने की वजह बन सकता है। इसलिए कच्चा और पके हुआ फूड को फ्रिज में अलग जगह ढक कर रखें।
इन पकाए हुए फूड्स को 1 से 2 दिन में करें खत्म
खाने के बाद बचे हुए चावल को हम फ्रिज में रख देते हैं। चावल फ्रिज में लंबे समय तक खराब नहीं होता। लेकिन इसका सेवन इसलिए फ्रिज में रखने के 2 दिन के अंदर ही इन चावलों को खा लेना चाहिए। इससे चावल आपको पूरा पोषण देगा और आपका पाचन भी ठीक रखेगा।
फ्रिज में रखी हुई पकाई गई सब्जियां भी, जिन्हें पूरी तरह बर्तन में ढंककर रखा गया हो, उन्हें भी 24 घंटे के अंदर खा लेना चाहिए।
दाल सबसे अधिक पौष्टिक तभी होती है, जब उसे ताजा-ताजा बनाया जाता है। लेकिन अगर खाना खाते समय दाल बच जाए तो आप उसे फ्रिज में रखकर उपयोग कर सकते हैं। पर आपको इस दाल का उपयोग 2 दिन के अंदर करना होगा। ऐसा करने से यह पेट में गैस का कारण नहीं बनेगी।
रोटी को फ्रिज में स्टोर कर रहे हैं तो यह लंबे समय तक फ्रेश बनी रह सकती है। आप 1 सप्ताह तक भी फ्रिज से रोटी निकालकर उसे गर्म करके घी या बटर लगाकर उपयोग में ला सकते हैं। लेकिन यह रोटी उतनी पौष्टिक नहीं रह जाती है।
कटे हुए फल को भी हम फ्रिज में उठा कर रख देते हैं। लेकिन ज्यादा देर के कटे हुए फल खाना काफी खराब माना जाता है। साथ ही फल को खाने का एक निश्चित समय होता है। उसके बाद यह फल दूषित हो जाता है। वैसे किसी भी फल को अगर आपने काट दिया है तो उसे 6 से 8 घंटे के बाद नहीं खाना चाहिए।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)
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पेशाब का रंग हमारी सेहत से जुड़ी जानकारी देता है। जब भी हम किसी बीमारी की चपेट में आते हैं तो इसका सीधा असर हमारे पेशाब के रंग पर पड़ता है। यह पिग्मेंट जितना संकेंद्रित होता है पेशाब का रंग उतना ही ज़्यादा गहरा होता है। एक हेल्दी इंसान दिन भर में करीब 7 से 8 बार यूरिन करता है, इस प्रॉसेस के जरिए शरीर के टॉक्सिस पदार्थ आसानी से बाहर निकलते हैं। साथ ही नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिंस से भी छुटकारा मिलता है। वैसे तो पेशाब का रंग पानी की तरह या बहुत ही हल्का पीला होता है। लेकिन जब ये बहुत ज़्यादा पीला या फिर लाल होने लगे तब आपको संभल जाना चाहिए।
हल्के पीले रंग का पेशाब
यूरिन के हल्के पीले रंग का मतलब है कि आप उतना पानी नहीं पी रहे हैं जितनी आपके शरीर को ज़रूरत है। ऐसे में आप थोड़ा ज़्यादा पानी पियें। हालांकि कई बार डायबिटीज और किडनी से जुड़ी बीमारियों की वजह से भी यूरिन का रंग ऐसा हो जाता है।
गाढ़े पीले रंग का यूरिन
अगर आपके पेशाब का रंग गाढ़ा पीला हो जाए तो इसका मलतलब है कि आपकी बॉडी पूरी तरह से डिहाइड्रेटेड हो चुकी है। इस वजह से आपको थकान, नींद की कमी और कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में अब आपको ज्यादा पानी पीने की जरूरत है। एक हेल्दी शरीर के लिए आपको रोजाना 8 से 10 ग्लास पानी पीना चाहिए।
ब्राउन रंग का यूरिन आना आपके लिए बिलकुल भी सेफ नहीं है। जब गॉल ब्लैडर या पित्ताशय में इंफेक्शन हो जाता है तब आपको ब्राउन रंग का यूरिन होता है। इसके अलावा पित्त की नली में किसी तरह की चोट या ब्लॉकेज भी इस वजह से हो सकती है, ऐसे में आपको तुरंत यूरिन टेस्ट करना चाहिए।
अगर पेशाब का रंग लाल हो जाए तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। यह किडनी में स्टोन और मूत्राशय में इंफेक्शन की वजह से हो सकता है। अगर पेशाब करते वक्त दर्द नहीं हो रहा है और पेशाब का रंग लाल है तो यह और चिंता का विषय है। ऐसी स्थिति में कैंसर का जोखिम भी बढ़ सकता है।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)
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चाय को दुनिया का सबसे ज्यादा लोकप्रिय पेय पदार्थ माना जाता है। ज़्यादातर लोगों के दिन की शुरुआत चाय के साथ होती है। लेकिन कुछ लोग चाय पीने के इतने आदी हो जाते हैं कि एक दिन एमए न जाने कितनी बार चाय पीने लगते हैं। ऐसे में चाय से ज्यादा प्यार आपके लिए सेहत से जुड़े कई परेशानियां खड़ा कर सकता है। ज्यादा चाय पीने से आपकी मेंटल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही रिसर्च में यह बात भी सामने आ चुकी है कि ज्यादा मीठी चाय पीने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को ज्यादा चाय पीने से बचना चाहिए।
ज़्यादा चाय पीने से सेहत को होंगे ये नुकसान
बढ़ जाता है स्ट्रेस और एंजायटी
चाय में कैफीन बहुत ज़्यादा मात्रा में पाई जाती है। ऐसे में कैफीन का ज्यादा इस्तेमाल करने से सिरदर्द, स्ट्रेस और एंजाइटी बढ़ने लगती है। साथ ही अगर आप एक दिन में 5 से 6 कप चाय पीते हैं तो आपको घबराहट की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। यानी कुल मिलकार कहें तो इससे आपके मेंटल हेल्थ पर बेहद बुरा असर पड़ता है।
होने लगती है आयरन की कमी
अगर आप आयरन की कमी से ग्रसित हैं तो आपको ज्यादा चाय पीने से बचना चाहिए। आयरन की कमी से अनिमिया, थकावट, सांस फूलना या सीने में दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। दरअसल, चाय में मौजूद कैफीन आयरन को कम करने लगते हैं। जिससे आपका शरीर बेहद कमजोर हो जाता है। तो अगर आप भी आयरन की कमी से जूझ रहे हैं तो चाय पीना बेहद कम कर दें।
नींद पर पड़ता है असर
एक दिन में ज्यादा चाय पीने की वजह से आप नींद न आने की समस्या से परेशान हो सकते हैं। दरअसल, चाय में मौजूद कैफीन आपकी स्लीप साइकल को बहुत बुरे तरीके से प्रभावित करती है। इसलिए रात को सोने से 6 घंटे पहले तक आप चाय का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें।
हो सकता है गर्भपात
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए ज़्यादा चाय पीना बेहद खतरनाक हो सकता है। कैफीन का ज्यादा इनटेक प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकता है। कई बार इसकी वजह से गर्भपात तक की नौबत आ जाती है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास भी प्रभावित होता है।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)
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