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साल 1969 में थामा कांग्रेस का हाथ… मल्लिकार्जुन खड़गे की जानिए पूरी सियासी स्टोरी

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Image Source : INDIA TV GFX
Congress veteran leader Mallikarjun Kharge

Highlights

  • कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए खड़गे का नामांकन
  • गांधी परिवार के बहुत अधिक विश्वस्त में से एक
  • 50 साल से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय

Mallikarjun Kharge: मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के सबसे वफादार सिपहसलार में से एक माने माने जाते हैं। ये माना जा रहा है कि कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर खड़गे की जीत लगभग तय है। आज जब उन्होंने नामांकन किया तो एक को छोड़कर सारे दावेदारों उनके साथ खड़े दिखाई दिए। यदि खड़गे चुनाव जीतते हैं, तो वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के अध्यक्ष बनने वाले एस निजालिंगप्पा के बाद कर्नाटक के दूसरे नेता होंगे।

राजनीति में पूरा किया अर्धशतक

अपने गृह राज्य कर्नाटक में ‘सोलिल्लादा सरदारा’ (कभी नहीं हारने वाला नेता) के रूप में मशहूर मापन्ना मल्लिकार्जुन खड़गे ने अध्यक्ष पद की रेस में पर्चा भर दिया है। अगर वह जीते तो जगजीवन राम के बाद इस पद पर आसीन होने वाले दूसरे दलित नेता भी होंगे। लगातार नौ बार विधायक चुने गये खड़गे 50 साल से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं। 80 साल के खड़गे के सियासी सफर का ग्राफ रफ्ता-रफ्ता चढ़ाव दिखाता है। 

साल 1969 में थामा कांग्रेस का हाथ
खड़गे ने अपना सियासी सफर गृह जिले गुलबर्ग (कलबुर्गी) में एक यूनियन नेता के रूप में किया। साल 1969 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और गुलबर्ग शहरी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। चुनावी मैदान में खड़गे अजेय रहे और साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कर्नाटक (खासकर हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र) को अपने चपेट में लेने वाली नरेंद्र मोदी लहर के बावजूद गुलबर्ग से 74 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने साल 2009 में लोकसभा चुनाव के मैदान में कूदने से पहले गुरुमितकल विधानसभा चुनाव से नौ बार जीत दर्ज की। वह गलुबर्ग से दो बार लोकसभा सदस्य रहे। 

दशकों बाद मिली पहली सियासी हार
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में खड़गे को भाजपा नेता उमेश जाधव के हाथों गुलबर्ग में 95,452 मतों से हार का सामना करना पड़ा। खड़गे के कई दशकों के सियासी सफर में यह उनकी पहली हार थी। खड़गे ने कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने के अलावा साल 2008 के विधानसभा चुनाव में केपीसीसी प्रमुख के रूप में काम किया। लोकसभा में साल 2014 से 2019 तक खड़गे कांग्रेस पार्टी के नेता रहे, हालांकि वह लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता नहीं बन सके क्योंकि कांग्रेस सांसदों की संख्या सदन की कुल संख्या की 10 प्रतिशत से कम थी। 

मनमोहन सरकार में बने केंद्रीय मंत्री
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (UPA) में खड़गे ने केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में श्रम एवं रोजगार, रेलवे और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग संभाला। जून, 2020 में उन्हें कर्नाटक से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित किया गया और वह फिलहाल उच्च सदन में विपक्ष के 17वें नेता हैं, उन्होंने पिछले साल फरवरी में गुलाम नबी आजाद की जगह ली। जब कभी कर्नाटक में उनको दावेदार के रूप में पेश करके दलित मुख्यमंत्री की बात उठी तो उन्होंने कई बार कहा, ‘‘आप क्यों बार-बार दलित कहते रहते हैं? ऐसा मत कहिये। मैं एक कांग्रेसी हूं। ’’ 

राजनीतिक विवादों से मुक्त रहा दामन
मिजाज और प्रकृति से सौम्य खड़गे कभी किसी बड़ी राजनीतिक समस्या या विवाद में नहीं फंसे। बीदर के वारावट्टी में एक गरीब परिवार में जन्मे खड़गे ने स्कूली पढ़ाई के अलावा स्नातक और वकालत की पढ़ाई गुलबर्ग में की। राजनीति में आने से पहले वह वकालत के पेशे में थे। वह बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं और गुलबर्ग के बुद्ध विहार परिसर में निर्मित सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के संस्थापक हैं। 13 मई, 1968 को उन्होंने राधाबाई से विवाह रचाया और दोनों के दो पुत्रियां और तीन बेटे हैं। उनके एक बेटे प्रियांक खड़गे विधायक हैं और पूर्व मंत्री रहे हैं। 

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ट्रेन हादसाः 40 शवों पर चोट का एक भी निशान नहीं, बिजली का करंट लगने से हो गई मौत

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ओडिशा में हुए भीषण रेल हादसे के बाद मरने वालों में 40 लोग ऐसे हैं जिन्हें किसी तरह की बाहरी चोट नहीं आई थी। अधिकारियों का कहना है कि एलटी केबल के टच होने से करंट लगने की वजह से उनकी मौत हो गई।



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पत्नी दिलवाने की मांग को लेकर महंगाई राहत कैंप पहुंचा 40 वर्षीय शख्स, तहसीलदार को लिखा पत्र हुआ वायरल

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सोशल मीडिया पर कब क्या देखने को मिल जाए कह नहीं सकते. कभी कोई छुट्टी के लिए अजीबोगरीब अर्जी लगाकर इंटरनेट पर चर्चा का विषय बन जाता है, तो कभी कोई हैरतअंगेज आवेदन लोगों को हैरत में डाल देते हैं. हाल ही में एक ऐसी ही एप्लीकेशन इन दिनों धड़ल्ले से वायरल हो रही है, जिसे पढ़कर शायद आप भी अपनी हंसी पर कंट्रोल न कर पाएं. दरअसल, हाल ही में एक 40 वर्षीय शख्स ने पत्नी कैसी होनी चाहिए इस पर एक ऐसी गजब की डिमांड रख दी है, जो इन दिनों पब्लिक का ध्यान अपनी ओर खींच रही है.

शख्स ने तहसीलदार को आवेदन में लिखा- पत्नी दिलवा दो

दरअसल, हाल ही में राजस्थान के दौसा में एक युवक ने अपनी अजीबोगरीब समस्या को लेकर तहसीलदार को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पत्नी कैसी होनी चाहिए, इसका जिक्र किया है. यही नहीं शख्स ने तहसीलदार से इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने की अर्जी लगाई है. इस अर्जी में खास बात है, इसका विषय….जो है घरवाली उपलब्ध करवाने के संबंध में. शख्स का यह अजीबोगरीब डिमांड की यह अर्जी इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई है. धड़ल्ले से वायरल हो रहे इस पत्र में शख्स ने निवेदन किया है कि, उससे घर का काम नहीं हो रहा है. यही वजह है कि घरेलू काम काज के लिए पत्नी की आवश्यकता है.

यहां देखें पोस्ट

महंगाई राहत कैंप में घरवाली की मांग

बीते शनिवार (3 जून) दुब्बी गांगदवाड़ी मुख्यमंत्री राहत कैंप में महावर नाम के एक 40 वर्षीय शखस ने घरवाली के लिए शिविर प्रभारी तहसीलदार को एक अर्जी लिखी है. कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह अकल्पनीय पत्र पोस्ट किया गया है, जो लोगों को हैरान करने के साथ-साथ हंसा-हंसाकर लोटपोट भी कर रहा है. वायरल पत्र में शख्स ने लिखा है, ‘मेरी घरेलू परिस्थितयां प्रतिकूल हैं. मैं अकेला घर में परेशान रहता हूं. घरेलू कार्य करने और मेरी सहायता हेतु पत्नी की आवश्यकता है, इसलिए श्रीमानजी से निवेदन है कि मेरे को निम्न प्राथमिकता के साथ पत्नी उपलब्ध करवाने का कष्ट करें.’

गजब डिमांड का आवेदन पत्र हुआ वायरल

कमाल की बात तो ये है कि, अर्जी की गुहार पर तहसीलदार ने प्रार्थना पत्र को मार्क करते हुए हल्का पटवारी को जांच कर आवश्यक करने के निर्देश दिए हैं. शख्स ने इस आवेदन में चार शर्तें भी रखी हैं. फिलहाल तहसीलदार ने शख्स के इस प्रार्थना पत्र को देखते हुए संबंधित पटवारी को फॉरवर्ड कर दिया. इसके साथ ही उचित कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए हैं. बताया जा रहा है कि, अब पटवारी ने भी तत्काल प्रभाव से तहसीलदार को इसका जवाब भेज दिया है. एनडीटीवी वायरल हो रहे इस आवेदन की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.
 

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बगैर सोचे समझे बोलने का लाइसेंस नहीं है अभिव्यक्ति की आजादी, मां दुर्गा पर टिप्पणी पर बोला हाईकोर्ट

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Freedom of Expression: यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने मां दुर्गा के संबंध में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले जौनपुर के शिव कुमार भारती की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।



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