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सुब्रत पांडा / मुंबई 09 30, 2022 |
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक चाहता है कि बैंक ऋण के प्रावधान के लिए संभावित ऋण नुकसान (ईसीएल) व्यवस्था अपनाएं और वह इस संबंध में जल्द ही चर्चा पत्र पेश करेगा। भारत में बैंकों को मौजूदा समय में होने वाले नुकसान पर त्रण नुकसान प्रावधान करने की जरूरत होती है, जिसमें प्रावधान चूक होने के बाद किए जाते हैं।
दास ने कहा, ‘संभावित नुकसान-आधारित दृष्टिकोण बेहद सक्षम और विवेकपूर्ण है, जिसके लिए बैंकों को संभावित नुकसान के आकलन के हिसाब से प्रावधान करने की जरूरत है। वैश्विक रूप से स्वीकृत मानकों की दिशा में प्रयास बढ़ने से हम हितधारक प्रतिक्रियाओं के लिए प्रस्तावित ढांचे पर चर्चा पत्र जारी करेंगे।’
आरबीआई ने कहा है कि ऋणों के प्रावधान के लिए मौजूदा दृष्टिकोण पर्याप्त नहीं है और इसे वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) के दौरान पेश किया गया था।
येस सिक्योरिटीज के अनुसार, ऋण नुकसान प्रावधान संभावित नुकसान के दृष्टिकोण पर आधारित हैं और इनसे कुछ हद तक अग्रिम तौर पर प्रावधान किए जा सकते हैं।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के निदेशक एवं प्रमुख (फाइनैशियल इंस्टीट्यूशंस) प्रकाश अग्रवाल ने कहा, ‘चूंकि आरबीआई ने बैंकों द्वारा किए जाने वाले ऋण नुकसान प्रावधान के लिए ईसीएल आधारित दृष्टिकोण के संदर्भ में कई बदलाव किए हैं, लेकिन कुछ बैंक इस पर अमल आसान बनाने के लिए प्रावधानों में बफर बनाना शुरू कर सकते हैं। वहीं प्रावधान में वृद्धि इस तथ्य को देखते हुए महत्वपूर्ण साबित नहीं हो सकती है कि कॉरपोरेट दबाव चक्र काफी हद तक पूरा हुआ है और बैंकों ने निर्धारित मानकों के मुकाबले काफी ज्यादा प्रावधान किए हैं। ‘
आरबीआई में डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने जून 2022 में कहा था, ‘हो चुके नुकसान पर प्रावधान का दृष्टिकोण प्रभावी नहीं है, क्योंकि आर्थिक मंदी के दौरान चक्रीयता-समर्थक साबित हो सकता है, जिसका बैंकों के साथ साथ वित्तीय व्यवस्था की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।’ कुछ बड़ी गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) ऋण नुकसान का अनुमान लगाने के लिए ‘संभावित ऋण नुकसान’ दृष्टिकोण पर अमल करने पर जोर दे रही हैं।
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