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सचिन मामपट्टा / मुंबई October 25, 2022 |
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शेयर बाजार में हालिया उतार-चढ़ाव के बावजूद निवेश पर दस गुना से अधिक रिटर्न देने वाली कंपनियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। सितंबर 2022 में समाप्त दस साल की अवधि के दौरान निवेश पर दस गुना रिटर्न देने वाली कंपनियों की संख्या बढ़कर 251 हो गई जबकि एक साल पहले की समान अवधि में उनकी संख्या 224 थी।
इसी प्रकार सितंबर 2022 में समाप्त तीन साल की अवधि में दस गुना रिटर्न देने वाली कंपनियों की संख्या 16 से बढ़कर 55 हो गई। पांच साल की निवेश अवधि के दौरान दस गुना रिटर्न देने वाली कंपनियों की संख्या सितंबर 2022 के अंत में 34 थी जबकि सितंबर 2021 में यह आंकड़ा 38 रहा था।
यह विश्लेषण 2004 के बाद हर साल सितंबर अंत के भाव के साथ 1,401 कंपनियों के आंकड़ों पर आधारित है। यह आंकड़ा अधिक भी हो सकता है क्योंकि इस दौरान आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने वाली कंपनियों को आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि इन आंकड़ों से बाजार की व्यापक प्रवृत्ति का संकेत मिलता है।
सितंबर 2021 और सितंबर 2022 की अवधि में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में 2.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। जबकि पिछले तीन वर्षों के दौरान इसमें 48.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। इसी प्रकार पिछले पांच वर्षों के दौरान सेंसेक्स में 83.6 फीसदी और पिछले दस वर्षों के दौरान 206.1 फीसदी की तेजी आई।
नवंबर 2021 के दौरान तनाव बढ़ने के बाद यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई से शेयर बाजार पर दबाव बढ़ गया। इससे बाजार में बिकवाली बढ़ गई। सितंबर 2021 से सितंबर 2022 के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा की गई लिवाली से भारतीय शेयर बाजार को थामने में मदद मिली। म्युचुअल फंडों ने इस दौरान 2.2 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की।
वैश्विक महामारी के शुरुआती चरण में दस गुना अथवा इससे अधिक रिटर्न देने वाली कंपनियों की संख्या में गिरावट आई थी। सितंबर 2020 में समाप्त तीन साल की अवधि में 1,401 कंपनियों के बीच दस गुना रिटर्न देने वाली कंपनियों की संख्या महज 4 थी। पांच वर्षों की निवेश अवधि के दौरान ऐसी कंपनियों की संख्या 16 और दस वर्षों की निवेश अवधि के दौरान उनकी संख्या 77 थी।
दस गुना रिटर्न देने वाली कंपनियों के चयन की संभावना के विश्लेषण से निवेश की अवधि बढ़ने पर उनकी संख्या में भी इजाफा दिखता है। तीन से पांच साल की निवेश अवधि के लिए नमूने में से दस गुना रिटर्न देने वाली कंपनियों के चयन की संभावना 1 से 4 फीसदी दिखी। जबकि दस वर्षों की निवेश अवधि के मामले में दस गुना रिटर्न देने वाली कंपनियों के चयन की संभावना बढ़कर 16 से 18 फीसदी हो गई। इसमें से कुछ का संबंध बाजारों के स्तर से है। भारतीय कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण वैश्विक आर्थिक संकट के बाद 2009 में 1.4 लाख करोड़ डॉलर था जो बढ़कर मंगलवार को 3.4 लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंच गया।
मॉर्गन स्टैनली की इक्विटी एनालिस्ट शीला राठी, शोध सहायक अपूर्वा जैन और इक्विटी रणनीतिकार रिधम देसाई एवं नयंत पारेख द्वारा तैयार इंडिया इक्विटी स्ट्रैटजी नोट के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश बढ़ने से बाजार को मदद मिल सकती है। नोट में कहा गया है कि एफपीआई निवेश कई वर्षों के निचले स्तर पर है और 2021 के बाद (पिछले कुछ सप्ताह को छोड़कर) वे लगातार बिकवाली कर रहे हैं।
क्वांटम म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर जॉर्ज थॉमस ने कहा कि अक्टूबर में इक्विटी आउटलुक नोट में अनुकूल जनसांख्यिकी जैसे कारकों को देखते हुए अन्य बाजारों के मुकाबले भारत का मौजूदा मूल्यांकन प्रीमियम जारी रहने की संभावना है। नोट में सुझाव दिया गया है कि वैश्विक कारकों पर करीबी नजर रखना आवश्यक है।
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