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अभिषेक कुमार / मुंबई 09 30, 2022 |
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रुपये में कमजोरी आने से अंतरराष्ट्रीय फंडों को गिरावट के संदर्भ में काफी हद तक मदद मिली है। अमेरिका का नैस्डैक 100 सूचकांक एक साल में 25 प्रतिशत नीचे आया है, जबकि भारत में अंतरराष्ट्रीय फंडों में महज 17 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई।
इंटरनैशनल मनी मैटर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) राहुल जैन ने कहा, ‘मुद्रा में गिरावट इस बार औसत के मुकाबले काफी ज्यादा रही है, जिससे अंतरराष्ट्रीय फंडों में गिरावट सीमित हुई है।’ दिलचस्प तथ्य यह है कि रुपये की वैल्यू में कमी आने से नैस्डैक 100 से जुड़े फंडों को निफ्टी-50 सूचकांक से जुड़े फंडों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिली है। स्थानीय मुद्रा के संदर्भ में तीन साल की अवधि के दौरान निफ्टी 47 प्रतिशत तक चढ़ा है, जबकि नैस्डैक में 45 प्रतिशत की तेजी आई।
वैल्यू रिसर्च के अनुसार, मोतीलाल ओसवाल नैस्डैक 100 ईटीएफ ने तीन साल की अवधि के दौरान 18 प्रतिशत का सालाना प्रतिफल दिया, जबकि निफ्टी-50 के कई इंडेक्स फंडों द्वारा समान अवधि में 15 प्रतिशत का प्रतिफल दर्ज किया गया।
यह बढ़त डॉलर में वृद्धि की वजह से हुई, जो खासकर अमेरिका स्थित अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश से संबंधित थी। यह भी एक वजह है जिसकी वजह से निवेश सलाहकार और विश्लेषक विदेश में शिक्षा और यात्रा जैसे लक्ष्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडों में एसआईपी का सुझाव दे रहे हैं। एकाध बार को छोड़कर, रुपया पिछले दशक में प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में डॉलर के मुकाबले गिरावट का शिकार हुआ।
भौगोलिक विविधता से जुड़ी और बड़ी एवं नए जमाने की कंपनियों में अंतरराष्ट्रीय निवेश करने के अन्य लाभ भी हैं। इन कारकों के साथ साथ 2020 की गिरावट के बाद वैश्विक बाजारों द्वारा आकर्षक प्रतिफल दिए जाने से भी अंतरराष्ट्रीय फंडों को पिछले कुछ समय से नए निवेशकों को अपने साथ जोड़ने में मदद मिली है।
म्युचुअल फंडों के उद्योग संगठन एम्फी से प्राप्त आंकड़े के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) श्रेणी में नई फंड पेशकशों (एनएफओ) ने वित्त वर्ष 2022 में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक पूंजी जुटाई। इस अवधि के दौरान, इन एफओएफ की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) दोगुनी बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं।
हालांकि, दो कारकों की वजह से इस साल एयूएम में इजाफा नहीं हुआ है, जिनमें शामिल हैं – उद्योग द्वारा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में 7 अरब डॉलर की सीमा पार किए जाने के बाद नए पूंजी प्रवाह पर सीमा और अंतरराष्ट्रीय बाजारों का कमजोर प्रदर्शन। 2022 में नैस्डैक 100 अब तक करीब 31 प्रतिशत गिरा है, क्योंकि ऊंची मुद्रास्फीति और उसके बाद ब्याज दर वृद्धि से कंपनियों की आय प्रभावित हुई।
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