पेरिस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंच गए हैं। पीएम मोदी यहां पर 14 जुलाई को बैस्टिल डे के मौके पर शिरकत करेंगे। उनके इस दौरे को भारत और फ्रांस के रक्षा संबंधों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो पीएम मोदी का रेड कारपेट वेलकम करने के लिए बेकरार हैं। पीएम मोदी का फ्रांस दौरा अमेरिकी दौरे के बाद हो रहा है। जून महीने के अंत में पीएम मोदी का अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने व्हाइट हाउस में राजकीय स्वागत किया था। कई मुद्दों पर होगी अहम चर्चा फ्रांस दौरे पर पीएम मोदी मैक्रों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा 14 जुलाई को फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस में भी शामिल होंगे। इस दौरान मैंक्रो की तरफ से उनके लिए राजकीय भोज भी आयोजित किया जाएगा। पीएम मोदी के दौरे को लेकर मैंक्रो भी खासे उत्साहित हैं। उनके एक सहयोगी के हवाले से न्यूज एजेंसी एएफपी ने लिखा है कि भारत फ्रांस की इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक अहम हिस्सा है। दूसरी ओर भारत से रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने भी भरोसा जताया कि उनकी यात्रा से अगले 25 सालों में द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को नई गति मिलेगी।
मैक्रों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बातचीत में द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के विस्तार पर मुख्य रूप से ध्यान दिए जाने की उम्मीद है। मैंक्रो ने 14 जुलाई की मिलिट्री परेड के लिए मोदी को अतिथि चुना है। इस परेड में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी के अलावा भारतीय वायुसेना के लिए खास तौर पर तैयार किए गए राफेल जेट्स की भागीदारी दोनों देशों के करीबी रक्षा संबंधों को बताने के लिए काफी है। नौसेना के लिए 26 राफेल की डील पीएम मोदी का फ्रांस दौरा शुरू होने से पहले रक्षा खरीद परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-समुद्री लड़ाकू जेट और तीन स्कॉर्पियन डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की खरीद के लिए प्रारंभिक मंजूरी दे दी है। प्रस्तावों पर रक्षा मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठकों के दौरान चर्चा की गई थी, इसके बाद उन्हें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली परिषद के समक्ष रखा गया था। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के दौरे पर इसकी डील साइन हो सकती है। इससे पहले, जब भारत ने फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदे थे, तो वे भारतीय वायुसेना के लिए थे।
इस डील के जरिए भारतीय नौसेना को 22 सिंगल सीटर राफेल मरीन विमान के साथ-साथ चार ट्रेनर जेट भी मिलने की संभावना है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, विमान और पनडुब्बियों की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि भारतीय नौसेना उनकी कमी का सामना कर रही है और विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की जरूरत है। फ्रांस के हथियारों का बड़ा खरीदार एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य और विक्रांत मिग-29 का संचालन कर रहे हैं और दोनों कैरियर्स पर राफेल की जरूरत है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक इन सौदों की कीमत 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है, लेकिन अंतिम लागत अनुबंध वार्ता पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगी। भारत, फ्रेंच हथियारों के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है। साल 2015 में पीएम मोदी ने फ्रांस की यात्रा के दौरान 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए एक ऐतिहासिक सौदे की घोषणा की थी। इसकी कीमत करीब अरब यूरो या 4.24 अरब डॉलर बताई गई थी।
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यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडन और ईरानी प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी
Iran-America: ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बरकरार है। दोनों देशों की दुश्मनी के बीच कैदियों की अदला बदली हुई है। इसके तहत अमेरिका ने 5 कैदी मांगे, जिसे ईरान की राजधानी तेहरान से रवाना कर दिया गया। ये कैदी वहां से कतर पहुंचे। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। बंदियों के कतर पहुंचने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि ईरान में कैद 5 निर्दोष अमेरिकी आखिरकर अपने वतन वापस लौट रहे हैं। जब ये कैदी विमान से कतर पहुंचे तो वहां अमेरिकी राजदूत ने इन बंदियों से मुलाकात की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कतर एयरवेज ने तेहरान के मेहराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी। इसका उपयोग पहले भी कैदियों की अदला बदली में किया जाता रहा है।
अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि कैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया अभी जारी है। इससे पहले दिन में अधिकारियों ने बताया था कि कभी फ्रीज की गई करीब 6 अरब डॉलर (49 हजार 976 करोड़ रुपए) की ईरानी संपत्ति कतर पहुंचने के बाद कैदियों की यह अदला-बदली होगी। यह अदला-बदली के मुख्य शर्तों में से है। कैदियों की अदला-बदली का मतलब यह नहीं है कि अमेरिका और ईरान के बीच तनाव कम हो गया है। दोनों देशों के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम सहित विभिन्न मुद्दों पर तनाव की स्थिति अभी भी बरकरार है।
परमाणु हथियार बनाने की कवायद में जुटा है ईरान
ईरान कहता आ रहा है कि वह परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण काम के लिए चला रहा है। इसी बीच ईरानी विदेश मंत्रालय के अनुसार कैदियों की अदला बदली के लिए मांगी गई रकम कतर के पास है। यह रकम पहले दक्षिण कोरिया के पास थी। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता प्रवक्ता नसीर कनानी ने सरकारी टेलीविजन पर यह टिप्पणी की लेकिन उनकी इस टिप्पणी के बाद आगे का प्रसारण रोक दिया गया था।
ईरान के दो कैदी रहेंगे अमेरिका में
कनानी ने कहा कि ‘दक्षिण कोरिया सहित कुछ देशें में फ्रीज की गई ईरानी संपत्ति अब ‘डीफ्रीज’ कर दी गई है।’ उन्होंने कहा कि ‘अब सारी संपत्ति देश के नियंत्रण में आ जाएगी।’ कनानी ने आगे कहा कि ‘ईरान में बंदी बनाए गए पांच कैदियों को अमेरिका को सौंपा जाएगा।’ उन्होंने कहा कि ईरानी कैदियों में से दो अमेरिका में रहेंगे।
रिहा किए गए कैदियों के नाम
सियामक नमाजी को 2015 में हिरासत में लिया गया था और बाद में जासूसी के आरोप में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। वहीं इमाद शागी पेशे से बिजनेसमैन हैं, इन्हें 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। ईरानी मूल के मोराद तहबाज़, जो एक ब्रिटिश-अमेरिकी संरक्षणवादी हैं, 2018 में गिरफ्तारी के बाद 10 साल जेल की सजा मिली थी। अन्य दो कैदियों में एक पुरुष और एक महिला है। इन दोनों ने पहचान सार्वजनिक न करने का अनुरोध किया था।
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जैसे-जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही नेताओं की ओर अलग-अलग तरीके के वादे किए जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से भारतवंशी विवेक रामास्वामी काफी पॉपुलर हो रहे हैं। उनके बोलने की शैली और वादें लोगों को काफी पसंद भी आ रहे हैं। हालांकि, अब उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया है जिससे कई लोगों को निराशा हो सकती है।
क्या बोले रामास्वामी?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी पेश करने वाले रामास्वामी ने एच-1बी वीजा की सुविधा को खत्म करने की बात कही है। उन्होंने इसे सिसट्म को गिरमिटिया दासता का रूप बताते हुए कहा कि इस लॉटरी आधारित सिस्टम को खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस लॉटरी आधारित सिस्टम को समाप्त कर देना चाहिए। रामास्वामी के अनुसार, एच-1बी वीजा से सिर्फ उन कंपनियों को लाभ पहुंचता है जिन्होंने एच-1बी अप्रवासी को स्पांसर किया था।
इससे बदलेंगे
विवेक रामास्वामी ने कहा है कि अमेरिका में चेन बेस्ड माइग्रेशन को खत्म करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो लोग अमेरिका में परिवार के सदस्य के रूप में आते हैं योग्यता वाले माइग्रेंट्स नहीं होते हैं। रामास्वामी ने कहा कि अगर वो अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे तो एच-1बी वीजा सिस्टम को मेरिटोक्रेटिक एंट्री से बदल देंगे।
खुद किया 29 बार इस्तेमाल
खास बात ये है कि वर्तमान में अमेरिका में जारी एच-1बी वीजा की सुविधा का इस्तेमाल खुद विवेक रामास्वामी ने भी कई बार किया है। रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने 29 बार इसका इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपनी फार्मा कंपनी में हाई स्किल्ड कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए रामास्वामी ने कई बार एच-1बी वीजा की सुविधा का इस्तेमाल किया है।
क्या है एच-1बी वीजा?
अमेरिकी प्रशासन द्वारा जारी किया जाने वाले एच-1बी वीजा को एक गैर-प्रवासी वीजा माना जाता है। इन्हें अमेरिका में काम करने जाने वाले लोगों को दिया जाता है। कुशल कर्मचारियों की कमी को देखते हुए अमेरिकी कंपनियां अपने यहां इन लोगों को हायर करती है। एच-1बी वीजा पाने वाला शख्स अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अमेरिका में रह सकता है। इस वीजा की अवधि 6 साल तक के लिए होती है। इसके बाद लोग अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो।
ओटावा: खालिस्तानी आतंकियों के मामले में G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हताशा भरा बयान दिया है। पीएम ट्रूडो ने ओटावा में हाउस ऑफ कॉमंस में कहा है कि कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां भारत सरकार और खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बीच कनेक्शन की जांच कर रही हैं। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा के नागरिक की उसी की सरजमीं पर हत्या में किसी दूसरे देश या विदेशी सरकार की संलिप्तता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ट्रूडो के बयान के साथ ही भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी बढ़ने के आसार हैं।
18 जून को हुई थी आतंकी निज्जर की हत्या
बता दें कि निज्जर की हत्या को ट्रूडो ने अपने देश की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। उनके इस बयान के साथ ही कनाडा ने एक भारतीय राजनयिक को निकालने का भी एलान कर दिया है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली ने राजनयिक को निकालने का एलान करते हुए कहा कि उनका देश हर हाल में अपने नागरिकों की रक्षा करेगा। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को NIA ने भगोड़ा घोषित कर रखा था। इसी साल 18 जून को आतंकी निज्जर की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वो कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे की पार्किंग में खड़ा था।
‘कनाडा कानून का पालन करने वाला देश’ जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि उन्होंने इस बारे में जी-20 समिट के दौरान पीएम मोदी से भी बात की थी। उन्होंने साथ ही ये भी दावा किया कि उन्होंने दिल्ली यात्रा के दौरान ये मुद्दा भारत सरकार के सामने उठाया था। कनाडा की संसद में ट्रूडो ने कहा, ‘बीते कुछ हफ्तों से कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां कनाडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर और भारत सरकार के संभावित कनेक्शन के विश्वसनीय आरोपों की सक्रिय तौर पर जांच कर रही है। कनाडा कानून का पालन करने वाला देश है। हमारी पहली प्राथमिकता ये रही है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां और कानून प्रवर्तन एजेंसियां सभी कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।’
‘सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं’ ट्रूडो ने कहा, ‘इस हत्या के दोषियों को कटघरे में खड़ा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। कनाडा ने भारत सरकार के शीर्ष अधिकारियों और सुरक्षा अधिकारियों के सामने ये मुद्दा उठाया था। किसी भी कनाडाई नागरिक की हमारी ही सरजमीं पर हत्या में किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है। हम इस बेहद गंभीर मामले पर हमारे सहयोगियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मैं कड़े शब्दों में भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस मामले की तह तक जाने के लिए वो कनाडा के साथ सहयोग करें।’
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