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राज्यपाल की भूमिका पर गहराते मतभेद

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आदिति फडणीस /  09 30, 2022






पिछले महीने एक संवाददाता ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एल गणेशन से पूछा कि वह हावड़ा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 को कब मंजूरी देंगे, जिसमें हावड़ा नगर निगम क्षेत्र से बाली नगरपालिका बनाने का प्रस्ताव है। राज्यपाल ने विधेयक को पुनर्विचार के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार को लौटा दिया था। सरकार का दावा है कि विधेयक को राज्यपाल के पास वापस भेज दिया गया और उनकी मंजूरी का इंतजार है। उनसे पूछा गया कि विधेयक पर उनका क्या रुख होगा तब इस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘मेरे कान में तकलीफ है।’     

पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाए जाने से कई तरह की उम्मीदें बढ़ गई हैं। राज्य में धनखड़ के कार्यकाल के दौरान विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस की सरकार के साथ उनकी समय-समय पर ठनती रहती थी। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि कौन सही था और कौन गलत। अगर इसे उदाहरण के तौर पर भी देखा जाए तो किस राजनीतिक दल ने भेड़ और बकरियों के जुलूस के साथ राजभवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया है?

धनखड़ ने सत्याग्रह और उपवास पर बैठकर इसके खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया दी। लेकिन यह कहना भी मुनासिब होगा कि उनके द्वारा उठाए गए कदमों और बाद में उनकी पदोन्नति ने राजभवन में आने वाले लोगों के काम करने के तरीके के लिए नया पैमाना तय किया है।

राज्यपाल के कार्यालय का उपयोग और दुरुपयोग विशेष रूप से 1980 के दशक में विपक्षी दलों की राजनीति में काफी मशहूर हुआ करता था। पत्रकारों के लिए यह एक शानदार वक्त था खासतौर पर तब जब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल राम लाल ने एनटी रामाराव की निर्वाचित बहुमत वाली सरकार बर्खास्त कर दी और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की स्पष्ट और अस्पष्ट स्वीकृति के साथ एन भास्कर राव को पद पर आसीन कराया गया।

इससे भी बदतर नाटकीय घटनाक्रम तब हुआ जब एनटीआर कोरोनरी बाईपास के लिए अमेरिका में थे और बेगमपेट हवाईअड्डे पर यात्रा से लौटने के बाद थकावट में एक बेंच पर सोते हुए उनकी तस्वीरें साझा की गईं जिस पर अलग तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली। वहीं एक वक्त ऐसा भी था जब वाममोर्चा शासित पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति रखने वाले एक और राज्यपाल ए पी शर्मा ने अपनी सक्रियता दिखाई।

कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में उन्होंने संतोष भट्टाचार्य को कुलपति नियुक्त किया जिसके बाद विरोध प्रदर्शन हुए और इसका नेतृत्व खुद मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने किया। शर्मा के दस महीने के कार्यकाल (1983-84) में ‘ एपी शर्मा गद्दी छोड़ो, बंगाल छोड़ो’ के नारे के साथ ही बेहद उन्माद भरा सार्वजनिक विरोध देखा गया।

इसके तुरंत बाद, 1989-90 में, राजीव गांधी ने बंगाल के राज्यपाल के रूप में पूर्व खुफिया ब्यूरो प्रमुख टीवी राजेश्वर की नियुक्ति की थी लेकिन जब वीपी सिंह माकपा के समर्थन से सत्ता में आए तो उनकी जगह किसी और की नियुक्ति राज्यपाल के पद पर कर दी गई।

जब 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार सत्ता में आई, तब वित्त आयोग के फैसले के बाद सहकारी संघवाद विशेष रूप से चर्चा का विषय बन गया। लेकिन राज्यपाल की भूमिका डर और चिंता बढ़ाने वाले शख्स के तौर पर बनी रही। राज्यपाल को लेकर समस्याओं की शुरुआत पद छोड़ने की बात कहने से भी हुई।

असम के आईएएस अधिकारी ज्योति प्रसाद राजखोवा को अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 2016 में राजखोवा को पद से हटने के लिए कहा और जब उन्होंने इनकार कर दिया तब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया गया क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कठोर शब्दों में कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने में राज्यपाल की भूमिका को लेकर आलोचना की थी। भाजपा ने दावा किया कि पार्टी का राजखोवा अभियान से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि राजखोवा ने ऐसा नहीं कहा।

पुदुच्चेरी की पूर्व राज्यपाल किरण बेदी ने वी नारायणस्वामी के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार के लिए कई समस्याएं पैदा कीं। लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की निर्वाचित सरकार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से व्यापक जांच और दबाव का सामना करना पड़ रहा है जो वह सब कुछ कर रही है जो एक निर्वाचित सरकार को करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर प्रदूषित गैस के उत्सर्जन जैसे सड़क की धूल और वाहनों के उत्सर्जन की समीक्षा की बात कहें तो उनका कहना है कि शहर के वायु प्रदूषण में धूल और परिवहन उत्सर्जन का क्रमशः 26 प्रतिशत और 41 प्रतिशत योगदान है जबकि आप सरकार का कहना है कि इसकी मुख्य वजह पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना है।

तेलंगाना में राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन ने पिछले साल राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति के उम्मीदवार के रूप में पी कौशिक रेड्डी के नामांकन को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। रेड्डी कांग्रेस से टीआरएस में शामिल हो गए थे। यह और अन्य घटनाएं उनके गृहराज्य तमिलनाडु में गूंजीं, जहां विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने राज्यपाल आरएन रवि को सुंदरराजन का अनुकरण करने के खिलाफ चेतावनी दी।

राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को राज्य विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने संबंधी विधानसभा से पारित विधेयक को रवि द्वारा रोके जाने के बाद द्रमुक के मुखपत्र मुरासोली ने कहा, ‘अगर विधानसभा में पारित विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए नहीं भेजा जाता है तब कोई भी विधिवत रूप से निर्वाचित सरकार इसे स्वीकार नहीं करेगी। राज्यपालों को आमलोगों के अनुकूल पहल में बाधा नहीं बनना चाहिए।’

विपक्ष की नजर में महाराष्ट्र सरकार की हाल की कार्रवाइयां बताती हैं कि राज्यपाल केंद्र सरकार के ‘एजेंट’ हैं। सत्ता से बाहर हुई विपक्ष के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) की सरकार का राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साथ कई बार टकराव हुआ था और पिछले साल एक विधेयक पारित किया गया जिसमें महाराष्ट्र सरकार को राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए राज्यपाल को नामों की सिफारिश देने का अधिकार दिया था। इस विधेयक को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार ने कुछ दिन पहले वापस ले लिया था। 

ऐसे में सवाल यह है कि राजभवन और चुनी हुई सरकार के बीच का रिश्ता, निर्वाचित सरकार के रंग पर निर्भर करता है? हालांकि क्या अब यह वक्त नहीं आ गया है जब सहकारी संघवाद परअपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार राज्यपाल के अधिकारों और शक्तियों की स्पष्ट परिभाषा के बारे में चर्चा शुरू करे?



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सेंसेक्स 400 अंक से अधिक गिर गया, निफ्टी 17,900 के नीचे बंद हुआ

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डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के पांचवे और आखिरी दिन (06 जनवरी 2023, शुक्रवार) गिरावट के साथ बंद हुआ। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही लाल निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सेंसेक्स 452.90 अंक यानी कि 0.75% की गिरावट के साथ 59,900.37 के स्तर पर बंद हुआ।

वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 132.70 अंक यानी कि 0.74% की गिरावट के साथ 17,859.45 के स्तर पर बंद हुआ।

आपको बता दें कि, सुबह बाजार सपाट स्तर पर खुला था। इस दौरान सेंसेक्स 77.23 अंक यानी कि 0.13% बढ़कर 60,430.50 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 24.60 अंक यानी कि 0.14% बढ़कर 18,016.80 के स्तर पर खुला था।

जबकि बीते कारोबारी दिन (05 जनवरी 2023, गुरुवार) बाजार सपाट स्तर पर खुला था और गिरावट के साथ बंद हुआ था। इस दौरान सेंसेक्स 304.18 अंक यानी कि 0.50% गिरावट के साथ 60,353.27 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी 50.80 अंक यानी कि 0.28% गिरावट के साथ 17,992.15 के स्तर पर बंद हुआ था।



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सेंसेक्स में 77 अंकों की मामूली बढ़त, निफ्टी 18 हजार के पार खुला

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डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के पांचवे और आखिरी दिन (06 जनवरी 2023, शुक्रवार) भी सपाट स्तर पर खुला। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही हरे निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सेंसेक्स 77.23 अंक यानी कि 0.13% बढ़कर 60,430.50 के स्तर पर खुला।

वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 24.60 अंक यानी कि 0.14% बढ़कर 18,016.80 के स्तर पर खुला।

शुरुआती कारोबार के दौरान करीब 1205 शेयरों में तेजी आई, 679 शेयरों में गिरावट आई और 115 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।

आपको बता दें कि, बीते कारोबारी दिन (05 जनवरी 2023, गुरुवार) बाजार सपाट स्तर पर खुला था इस दौरान सेंसेक्स 44.66 अंक यानी कि 0.07% बढ़कर 60702.11 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 17 अंक यानी कि 0.09% ऊपर 18060.00 के स्तर पर खुला था। 

जबकि, शाम को बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ था। इस दौरान सेंसेक्स 304.18 अंक यानी कि 0.50% गिरावट के साथ 60,353.27 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी 50.80 अंक यानी कि 0.28% गिरावट के साथ 17,992.15 के स्तर पर बंद हुआ था।



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पेट्रोल- डीजल की कीमतें हुईं अपडेट, जानें आज बढ़े दाम या मिली राहत

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पेट्रोल- डीजल (Petrol- Diesel) की कीमतों को लेकर लंबे समय से कोई बढ़ा अपडेट देखने को नहीं मिला है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कई बार जबरदस्त तरीके से गिर चुकी हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि, आने वाले दिनों में कच्चा तेल महंगा होने पर इसका असर देश में दिखाई दे सकता है। फिलहाल, भारतीय तेल विपणन कंपनियों (इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम) ने वाहन ईंधन के दाम में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है।

बता दें कि, आखिरी बार बीते साल में 22 मई 2022 को आमजनता को महंगाई से राहत देने केंद्र सरकार द्वारा एक्‍साइज ड्यूटी में कटौती की गई थी। जिसके बाद पेट्रोल 8 रुपए और डीजल 6 रुपए प्रति लीटर तक सस्‍ता हो गया था। इसके बाद लगातार स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। आइए जानते हैं वाहन ईंधन के ताजा रेट…

महानगरों में पेट्रोल-डीजल की कीमत
इंडियन ऑयल (Indian Oil) की वेबसाइट के अनुसार आज देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 96.72 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। वहीं बात करें डीजल की तो दिल्ली में कीमत 89.62 रुपए प्रति लीटर है। आर्थिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल 106.35 रुपए प्रति लीटर है, तो एक लीटर डीजल 94.27 रुपए में उपलब्ध होगा। 

इसी तरह कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल के लिए 106.03 रुपए चुकाना होंगे जबकि यहां डीजल 92.76 प्रति लीटर है। चैन्नई में भी आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए 102.63 रुपए चुकाना होंगे, वहीं यहां डीजल की कीमत 94.24 रुपए प्रति लीटर है।   

ऐसे जानें अपने शहर में ईंधन की कीमत
पेट्रोल-डीजल की रोज की कीमतों की जानकारी आप SMS के जरिए भी जान सकते हैं। इसके लिए इंडियन ऑयल के उपभोक्ता को RSP लिखकर 9224992249 नंबर पर भेजना होगा। वहीं बीपीसीएल उपभोक्ता को RSP लिखकर 9223112222 नंबर पर भेजना होगा, जबकि एचपीसीएल उपभोक्ता को HPPrice लिखकर 9222201122 नंबर पर भेजना होगा, जिसके बाद ईंधन की कीमत की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

 



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