Opinion Poll on Rajasthan Election, Rajasthan Assembly Election: साल के अंत तक राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। सभी दलों ने अपनी चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं। ऐसे में एक सर्वे सामने आया है जिससे कांग्रेस को राहत मिलती नजर आ रही है। सर्वे के मुताबिक, राज्य में कांग्रेस फिर से सरकार बना सकती है। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए भी दो राहत की बात सामने आई है।
राजस्थान में फिर बनेगी कांग्रेस की सरकार?
राजस्थान चुनाव से पहले आईएएनएस-पोलस्ट्रैट ने 6705 लोगों का ओपिनियन पोल लिया। सर्वे के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में 200 में से 101 सीटें जा सकती हैं। वहीं भाजपा के खाते में इस बार 93 सीटें जा सकती हैं। सर्वे में यह बताया गया है कि कांग्रेस को कम से कम 97 सीटों और अधिकतम 105 सीटों पर जीत मिल सकती है। वहीं भाजपा 89 से 97 सीटों पर कब्जा कर सकती है।
सर्वे में राजस्थान के लोगों से उनका लोकप्रिय नेता पूछा गया। राज्य के 38 फीसदी लोगों ने अशोक गहलोत को अपने फेवरेट नेता बताया। वहीं भाजपा की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे के फेवर में 26 फीसदी लोगों ने वोट किया। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट को राज्य के 25 फीसदी लोगों ने अपना प्रिय नेता बताया। वहीं सर्वे में 48 फीसदी लोगों ने सीएम गहलोत के काम को अच्छा रेटिंग दिया है।
भाजपा को एक झटका लेकिन दो राहत भी
सर्वे के मुताबिक, भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में कुल 40 फीसदी वोट मिल सकते हैं। साल 2018 में भाजपा को 39 परसेंट वोट मिले थे। यानी भाजपा की वोटिंग शेयर एक फीसदी बढ़ सकती है। वहीं इस बार होने जा रहे चुनाव में भाजपा को 89 से 97 सीटों पर जीत मिल सकती है। यानी अगर सर्वे के आंकड़े सच होते हैं तो विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होने वाली है।
खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते बुरे दौर में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोपों के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था। अब इस कदम के जवाब में भारत सरकार ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें 5 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया है।
उच्चायुक्त तलब
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी कदमों के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को तलब किया था। ऐसा माना जा रहा था कि कनाडा को जवाब देने के लिए भारत सरकार भी कड़ा कदम उठा सकती है।
विदेश मंत्रालय का बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किए गए बयान में कहा है कि भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को आज तलब किया गया। उन्हें भारत में रह रहे एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।
क्यों तल्ख हुए रिश्ते?
G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी कदमों में जुट गए हैं। ट्रू़डो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कनेक्शन भारत से जोड़ते हुए भारत के एक राजनयिक को निकाल दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई पीएम के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन करार दिया है। भारत ने साथ ही कनाडा से आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की है। भारत ने कहा है कि इस तरह के बयान खालिस्तानियों से ध्यान हटाने के लिए दिए गए हैं।
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महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।
खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।