उत्तर प्रदेश के एक स्कूल का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दिख रहा है कि किस तरह से शिक्षक बच्ची को क्लासरूम में बंद करके अपने घर चले गए हैं. वीडियो में बच्ची रो रही है और बता रही है उसके शिक्षक ने उसे अंदर छोड़कर क्लासरूम में आगे से ताला लगा दिया है. इस वजह से बाहर नहीं निकल पा रही है. पूरा मामला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर स्थित गुलावठी ब्लॉक के संविलियन सेगड़ा पीर स्कूल का है.
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क्लासरूम में बंद बच्ची का वीडियो वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में क्लासरूम के ताले की चाबी मंगवाकर बच्ची को बाहर निकाला. घटना के बाद से बच्ची के अभिभावक आरोपी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
वायरल हो रहे वीडियो में बच्ची क्लासरूम में बंद होने की वजह से रो रहा है. वीडियो रिकॉर्ड करने वाला शख्स बच्ची को समझाते हुए दिख रहा है कि तुम चिंता मत करो तुम्हें मैं बाहर निकालूंगा. साथ ही उसने बच्ची को धूप से दूर होकर बैठने को कहा. वीडियो में दिख रहा है कि बच्ची जिस क्लॉसरूम में बंद है उसके बाहर ताला लगा हुआ है. स्कूल के अंदर कमरे भी बंद हैं और इस बच्ची के अलावा स्कूल में कोई और भी नहीं है. वीडियो के वायरल होने की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और उन्होंने क्लॉसरूम का ताला खुलवाकर बच्ची को बाहर निकाला.
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भारत के पीएम मोदी और चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश और अमेरिका-चीन में भीषण होता टकराव, ईरान-इराक युद्ध,आर्मीनिया-अजरबैजान युद्ध और चीन-ताइवान तनाव जैसे मुद्दों ने तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा दिया है। ऐसे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन अपनी किसी भुजा को कमजोर नहीं होने देना चाहते। रूस और चीन के संबंध काफी मजबूत हैं और दोनों ही देशों की अमेरिका से कट्टर दुश्मनी है। इधर भारत से भी रूस की पारंपरिक और बेहद गहरी दोस्ती है। साउथ-ईस्ट एशिया में भारत और चीन सबसे मजबूत और ताकतवर देश हैं, जो किसी भी देश को नाको चने चबवा सकते हैं। मगर भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं। ऐसे में भारत-चीन भिड़े तो इसका साइड इफेक्ट रूस को भी उठाना पड़ सकता है, क्योंकि इससे रूस वैश्विक लड़ाई में कमजोर होगा। इसलिए रूस भारत और चीन के बीच संबंधों को सामान्य होते देखना चाहता है।
रूस को पता है कि यदि भारत और चीन दोनों देश मजबूती से उसके साथ खड़े रहे तो अमेरिका और पूरा यूरोप मिलकर भी पुतिन का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। रूस ने सोमवार को अमेरिका पर अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच ‘‘विरोधाभासों’’ का ‘‘सक्रियता’’ से दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। रूस का कहना है कि कि मॉस्को और नई दिल्ली ने दशकों पुराने संबंधों पर आधारित परस्पर विश्वास हासिल किया है जिससे दोनों पक्षों को मौजूदा भूराजनीतिक अशांति से निपटने में मदद मिलेगी। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक सम्मेलन में कहा कि यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों के ‘‘अहंकारी’’ और ‘‘लड़ाकू’’ रवैये से बनावटी भू-राजनीतिक बदलाव के कारण भारत-रूस के संबंध ‘‘तनाव’ में हैं। उन्होंने कहा कि मॉस्को इस्लामाबाद के साथ अपनी आर्थिक भागीदारी बढ़ाना चाहता है क्योंकि एक ‘‘कमजोर’’ पाकिस्तान, भारत समेत पूरे क्षेत्र के लिए सही नहीं है। बाद में एक ट्वीट में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मतलब था कि एक ‘‘अस्थिर’’ पाकिस्तान क्षेत्र में किसी के भी हित में नहीं है। वह ‘इंडिया राइट्स नेटवर्क’ और ‘सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स’ द्वारा आयोजित ‘भारत-रूस सामरिक साझेदारी में अगले कदम: पुरानी मित्रता नए क्षितिज’ पर एक सम्मेलन में बोल रहे थे।
भारत-चीन के सामान्य संबंधों से पूरी दुनिया को होगा फायदा
एक सवाल के जवाब में अलीपोव ने कहा कि रूस, भारत-चीन के संबंधों को सामान्य देखना चाहता है और इससे न केवल एशिया की सुरक्षा बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा को काफी फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि इसमें बहुत गंभीर बाधाएं हैं, दोनों देशों के बीच बहुत गंभीर सीमा समस्या है। हमारी चीन के साथ सीमा समस्या है, एक वक्त चीन के साथ सशस्त्र संघर्ष हुआ, बातचीत करने में हमें करीब 40 साल लग गए लेकिन आखिरकार एक समाधान तलाशने का यही एकमात्र रास्ता है।’’ अलीपोव ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहने जा रहा हूं कि भारत या चीन को क्या करना चाहिए। यह भारत और चीन के बीच पूरी तरह से एक द्विपक्षीय मामला है और हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करते हैं। लेकिन जितना जल्दी दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो, उतना ही पूरी दुनिया के लिए यह बेहतर होगा। अगर हमारे प्रयासों की आवश्यकता पड़ी तो हम यह करेंगे।
भारत और रूस के संबंध में आया तनाव
भारत-रूस संबंधों के ‘तनाव’ में होने की अपनी टिप्पणियों को स्पष्ट करते हुए रूसी राजूदत ने दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी पर पश्चिमी प्रतिबंधों के असर की ओर इशारा किया। अलीपोव ने कहा कि रूस भारत के साथ सहयोग में विविधता लाना चाहता है और दोनों देशों के बीच संबंध किसी के खिलाफ नहीं हैं। भारत के साथ रूस के समग्र संबंधों पर उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका के विपरीत हमें एक-दूसरे को तथा दुनिया को यह बताने की जरूरत नहीं है कि कुछ वजहों से अतीत में हमारे बीच करीबी साझेदारी संभव नहीं हो पायी। अलीपोव ने दावा किया कि अगर अमेरिका का चीन के साथ तालमेल बैठ जाता है या नयी दिल्ली बीजिंग के साथ संबंध सुधारने में कामयाब हो जाता है तो भारत के प्रति अमेरिका का रवैया बदल सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए वह अपने फायदे के लिए भारत और चीन के बीच विरोधाभासों का सक्रियता से दुरुपयोग कर रहा है।
तुर्की में सोमवार भोर से शुरू हुआ भूकंप का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सुबह से शाम तक तीन भूकंप के जोरदार झटकों से अब तक करीब 2000 लोग यहां पर जान गंवा चुके हैं और हजारों घायल हैं।
झटकों से सन्न तुर्की के लोग बर्फ से ढके गलियों में पजामे में भागते दिखे.
इस्तांबुल:
तुर्की और सीरिया में सोमवार की अहले सबुह अत्यधिक शक्तिशाली भूकंप आया. भूकंप के कारण 1,904 लोग जो सो रहे थे के मारे जाने की खबर है. तेज झटकों के कारण इमारतें ध्वस्त हो गईं. ग्रीनलैंड तक झटको को महसूस किया गया.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
रात को आए भूकंप की तीव्रता 7.8 मैग्निट्यूड की थी. वहीं इसके कुछ घंटे बाद दो और शक्तिशाली भूकंप आए, जिसने सीरिया और अन्य संघर्षों में गृह युद्ध से भागे लाखों लोगों से भरे क्षेत्र तुर्की के प्रमुख शहरों के तहस नहस कर दिया.
सीरिया के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के प्रमुख रायद अहमद ने इसे “केंद्र के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा भूकंप” कहा. स्टेट मीडिया और मेडिकल सूत्रों ने कहा कि सीरिया के बागी और सरकार शासित क्षेत्रों में कम से कम 783 लोगों के मारे जाने की सूचना है.
इधर, राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के अनुसार, तुर्की में 1,121 लोगों की मौत हो गई, जो सत्ता में अपने दो दशकों की सबसे बड़ी आपदाओं को झेल रहे हैं.
प्रारंभिक भूकंप के बाद 50 से अधिक आफ्टरशॉक्स आए, जिनमें 7.5 और 6-तीव्रता के झटके शामिल थे. इसने सोमवार दोपहर सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच क्षेत्र को झटका दिया.
एएफपी के संवाददाताओं और प्रत्यक्षदर्शियों ने दूसरे भूकंप के झटकों को तुर्की की राजधानी अंकारा और इरबिल के इराकी कुर्दिस्तान शहर तक में महसूस किया.
झटकों से सन्न तुर्की के लोग बर्फ से ढके गलियों में पजामे में भागते दिखे. इस दौरान उन्होंने बचावकर्मियों को क्षतिग्रस्त घरों के मलबे को अपने हाथों से खोदते हुए देखा.
तुर्की के कुर्द शहर (अस्पष्ट) दियारबकीर में जीवित बचे मुहित्तिन ओराकसी ने एएफपी को बताया, “मेरे परिवार के सात सदस्य मलबे में दबे हुए हैं.” उन्होंने कहा, “मेरी बहन, उसके तीन बच्चे, उसका पति और सास-ससुर सारे वहीं दबे हुए हैं.”
बता दें कि सर्दियों के बर्फ़ीले तूफ़ान से बचावकार्य में बाधा आ रही थी. लगातर हुए बर्फबारी ने प्रमुख सड़कों को बर्फ से ढक दिया था.
अधिकारियों ने कहा कि भूकंप ने क्षेत्र में तीन प्रमुख हवाईअड्डों को निष्क्रिय कर दिया, जिससे महत्वपूर्ण सहायता की डिलीवरी और मुश्किल हो गई है.
एर्दोगन ने अपनी सहानुभूति व्यक्त की और राष्ट्रीय एकता का आग्रह करते हुए कहा, “हमें उम्मीद है कि हम इस आपदा से एक साथ जल्द से जल्द और कम से कम क्षति के साथ रिकवर करेंगे.”
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