न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम से भारत बुरी तरह आहत है। भारत ने जोर देकर कहा कि सिर्फ बातचीत से ही विवादों को हल किया जा सकता है। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के ‘अवैध जनमत संग्रह’ और यूक्रेनी इलाकों के विलय की निंदा करते हुए एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया गया। भारत ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। यूएनएससी में भारत के बयान ने यह साबित कर दिया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर कायम है जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘यह युद्ध का युग नहीं है।’ वहीं वोटिंग में हिस्सा न लेकर भारत अपनी तटस्थ पर कायम रहा है।
कुछ दिनों पहले शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पीएम मोदी उजबेकिस्तान के समरकंद शहर पहुंचे थे। यहां उन्होंने सम्मेलन के इतर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय बैठक की थी। मोदी ने पुतिन से कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं हो सकता। जवाब में पुतिन ने कहा था कि वह यूक्रेन संकट पर भारत की चिंताओं से अवगत हैं और वह जल्द इसे समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। पीएम मोदी के इस बयान की पूरी दुनिया में तारीफ हुई थी। शुक्रवार को यूएनएससी में भारत ने बातचीत से विवादों को हल करने की बात कहकर यह साबित कर दिया कि वह पीएम मोदी के बयान पर कायम है।
Emmanuel Macron News: यह युद्ध का समय नहीं… पीएम मोदी के बयान की UN में गूंज, फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने जमकर की तारीफ
किसी भी खेमे में शामिल नहीं भारत
सात महीने पहले फरवरी में शुरू हुए रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से दुनिया दो विचारधाराओं में बंटी हुई नजर आ रही है। एक तरफ अमेरिका ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देश हैं जो पुतिन के हमले की निंदा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर चीन और बेलारूस जैसे देश भी हैं जो रूस के समर्थन में खड़े हैं। ऐसे में भारत पहले दिन से तटस्थ नीति का पालन कर रहा है और किसी भी खेमे में शामिल नहीं है। इस वजह से पश्चिमी देश भारत से नाराज भी हैं और दबाव बना रहे हैं कि वह यूक्रेन के खिलाफ रूस की निंदा करे।
भारत-रूस दोस्ती का गवाह है इतिहास
दूसरी ओर भारत और रूस के संबंधों का इतिहास सभी जानते हैं। कई दशकों से दोनों के संबंध बेहद मजबूत रहे हैं। चाहें 1971 की जंग हो या संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ पेश होने वाले प्रस्ताव, रूस ने हमेशा एक दोस्त होने का फर्ज निभाया है। भारत सबसे ज्यादा हथियार रूस से ही खरीदता है जिस पर पश्चिमी नाराजगी जताते हैं। शुक्रवार को एक बार फिर यूएनएससी में रूस के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया गया। लेकिन एक बार फिर भारत पश्चिम दबाव के आगे नहीं झुका और उसने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
भारत का दोहरा दांव समझे?
सुरक्षा परिषद में भारत ने दोहरा दांव चला। उसने रूस-यूक्रेन युद्ध पर बातचीत और शांति का संदेश भी दे दिया और यह भी दिखा दिया कि हिंदुस्तान किसी भीड़ का हिस्सा नहीं है। इस प्रस्ताव पर परिषद के 15 देशों को वोट करना था लेकिन रूस ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया जिससे यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। 10 देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया और 4 देश वोटिंग में अनुपस्थित रहे। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गुरुवार को कहा कि धमकी या बल प्रयोग से किसी देश द्वारा किसी अन्य देश के क्षेत्र पर कब्जा करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
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