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यहां खुलेआम बिक रहा महाविनाश से बचाने वाला “परमाणु बंकर”, क्या वाकई होने वाला है तीसरा विश्वयुद्ध?

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ब्रिटेन के ग्रामीण क्षेत्रों में बिकने को तैयार खेतनुमा परमाणु बंकर

नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के आरंभ होने के बाद से ही तीसरे विश्वयुद्ध की आशंकाओं ने पूरी दुनिया को घेर रखा है। यूक्रेन पर रूस की ओर से परमाणु हमला किए जाने को लेकर अमेरिका समेत पूरा यूरोप चिंतित है। अब जिस तरह से युद्ध में हारते यूक्रेन को बचाने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ सामने आया है, उसने तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे को और भी बढ़ा दिया है। इस बीच ब्रिटेन से चौंकाने वाली खबर आई है। ब्रिटेन के ग्रामीण इलाकों में खुले आम धरती पर होने वाले महाविनाश से बचाने के लिए “परमाणु बंकर” 70 हजार पाउंड में बेचे जा रहे हैं। ऐसे में क्या माना जाए कि दुनिया में परमाणु युद्ध होने तय हो गया है, जिसके बाद इस तरह खुलेआम ग्रामीण क्षेत्रों में परमाणु बंकर बेचे जा रहे हैं। यह देखने में बिलकुल खेतनुमा हैं।

परमाणु बंकर में क्या है


ब्रिटेन के डर्बीशायर स्थित ग्रामीण इलाकों में 12 फीट गहरा एक भूमिगत परमाणु बंकर 70,000 पाउंड में बेचा जा रहा है, जिसमें दो कमरे हैं। इसे परमाणु हमले का सामना करने के लिए प्रबलित कंक्रीट से बनाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे भूमिगत रूप से छिपा हुआ यह परमाणु बंकर भूखंड के तौर पर बिक्री को तैयार है। 70 हजार पाउंड देकर इसे आप भी हासिल कर सकते हैं।

ब्रिटेन के ग्रामीण इलाकों में परमाणु कयामत के दिन बंकर के लिए छिपा हुआ भूखंड 70,000 पाउंड में बेचा जा रहा है।

खुली आंखों से देखा जा सकता है परमाणु बंकर

डर्बीशायर के बोल्सोवर में ऑब्जर्वर पोस्ट फील्ड व्हिटवेल स्थित है। खुली आंखों से देखा जा सकने वाला यह परमाणु बंकर भूखंड उसके मौजूदा मालिक द्वारा फसल उगाने के लिए दलदलनुमा क्षेत्र किसान के खेत के तौर पर दिखाई देगा। यह दो अलग-अलग लॉट से बना है। डर्बीशायरलाइव की रिपोर्ट के अनुसार, पहला लगभग 21.55 एकड़ में फैला है। इसमें करीब चार परमाणु बंकर हैं और यह £280,000 मूल्य का है। यहां खेत के मालिक ने हाल के वर्षों में अपनी फसलें भी रखी हैं। वहीं दूसरा भाग 4.61 एकड़ खंड में है, जिसमें शीतयुद्ध का एक आश्रय भी शामिल है। ऐसे में परमाणु बंकर युक्त इस खेत की कुल कीमत 3 लाख 50000 पाउंड हो जाती है।  70 हजार पाउंड देकर इसमें से एक बंकर खरीदा जा सकता है। डर्बीशायर काउंटी काउंसिल ने इसे आश्रय के रूप में पंजीकृत किया है, जिसे स्मारक के तौर पर सील कर दिया गया है।

प्राधिकरण की वेबसाइट ने किया अलग दावा

ब्रिटेन के ग्रामीण इलाकों में खुले आम बिकने को तैयार इन परमाणु बंकरों के बारे में खुलासा होने से दुनिया भर में हलचल पैदा हो गई है। वहीं डर्बीशायर के प्राधिकरण की वेबसाइट कहती है कि “पिछली डेढ़ शताब्दी में इस साइट का उपयोग इसके अच्छे वैंटेज प्वाइंट के लिए किया गया है। व्हिटवेल लोकल हिस्ट्री ग्रुप के अनुसार इसे रॉयल ऑब्जर्वर कॉर्प्स द्वारा  1939 के बाद से एक ऑब्जर्वेशन प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल किया गया था और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हर दिन इसका उपयोग इसी उद्देश्य के लिए किया गया था।

परमाणु बंकर के पास बना आश्रय स्थल 1970 के दशक का

प्राधिकरण के अनुसार 1970 के दशक में परमाणु हमले के स्थिति में इसके पास में एक भूमिगत आश्रय स्थल भी बनाया गया था। आश्रय के अंदर दो कमरे हैं। ब्रिटेन के गृहमंत्रालय ने परमाणु हमले के खिलाफ एक कम्युनल एरिया डब्ल्यू/सी (1) के तौर पर पूरे देश में कुल 870 थर्मो-न्यूक्लियर फॉलआउट शेल्टर सामरिक रक्षा के हिस्से के रूप में बनाए गए थे। यह ऑब्जर्वेशन प्वाइंट के तौर पर भी इस्तेमाल होते थे। साइज में 18 फीट x 10 फीट माप वाले इन बंकरों को 12 फीट नीचे भूमिगत बनाया गया था। जो कि प्रबलित कंक्रीट से बने थे और प्रत्येक की लागत £2,000 पाउंड थी। 1992 में आश्रयों का विमोचन किया गया था जब तत्कालीन गृह सचिव ने फैसला किया था कि वे अब आवश्यक नहीं थे।”

अब खेत व घुड़सवारी के रूप में हो सकता है इस्तेमाल

चेस्टरफ़ील्ड में स्थित डब्ल्यूटी पार्कर एस्टेट एजेंटों के एजेंट कहते हैं कि अब इसके आसपास की भूमि “अन्य कृषि / घुड़सवारी प्रकार के उपयोग के लिए इस्तेमाल की जा सकती है, जो नियोजन सहमति प्राप्त करने के अधीन है”। एजेंट कहते हैं कि “अप्रयुक्त बंकर के लिए एक ओवरहेड लाइन है। हालांकि हमें किसी भी मुख्य सेवा से जुड़े होने की जानकारी नहीं है। “प्लान में हरे रंग से दिखाया गया भूमि का एक क्षेत्र अपंजीकृत प्रतीत होता है। यह चारों ओर संभवतः बंकर के हिस्से को घेर रखा है। जो कि विक्रेता के पंजीकृत शीर्षक संख्या DY431357 के तहत आता है। यह कई वर्षों से विक्रेता के स्वामित्व में है। “इस प्रकार, विक्रेता भविष्य में किए गए किसी भी तीसरे पक्ष के स्वामित्व के दावों के खिलाफ खरीदार को क्षतिपूर्ति करेगा। हम हरे रंग की भूमि के स्वामित्व से अवगत नहीं हैं और यह बिक्री में शामिल नहीं है।”

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अमेरिका का डेमोक्रेसी समिट कल, लोकतांत्रित देशों को एक मंच पर जुटा चीन-रूस को चिढ़ाएंगे बाइडेन

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अमेरिका में मंगलवार को तीन दिवसीय डेमोक्रेसी समिट की शुरुआत होगी। यह समिट इस बार भी वर्चुअली ही आयोजित किया जा रहा है। इस साल डेमोक्रेसी समिट में देश दुनिया के 121 राजनेता और अधिकार समूह हिस्सा लेने वाले हैं। इस समिट का उद्घाटन भाषण यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेंलेंस्की देंगे।

 



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Afghanistan के काबुल में दौदजई ट्रेड सेंटर के नजदीक जोरदार धमाका | News & Features Network

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Afghanistan काबुल में एक बड़ा धमाका हुआ है. यह विस्फोट काबुल में विदेश मंत्रालय रोड पर दौदजई ट्रेड सेंटर के नजदीक हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस धमाके में अब तक 6 लोगों की मौत हुई है और कई अन्य घायल हुए हैं. वहीं, अभी तक सरकार द्वारा इस धमाके पर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है.

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि धमाका काफी तेज था और जमीन पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया. फिलहाल जांच एजेंसियां घटना की जांच में जुटी हैं. घायलों में बच्चे भी शामिल हैं. सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, जिस इलाके में यह विस्फोट हुआ है, वहां कई सरकारी इमारतें और दूतावास स्थित हैं. विस्फोट का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है.

अभी तक इस हमले की किसी भी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि बम धमाके के पीछे आईएसआईएस-के (ISIS-K) का हाथ हो सकता है, जो काफी तेजी से Afghanistan में अपनी शक्ति का विस्तार कर रहा है. पिछले दिनों एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता में लौटने के बाद से तालिबान ने इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत, जिसे आईएसआईएस-के भी कहा जाता है, उसे रोकने में बुरी तरह से नाकाम साबित हुआ है 

Afghanistan में लगातार हमले करने वाले इस्लामिक स्टेट समूह के सहयोगी संगठन को कंट्रोल करने में लगातार फेल नजर आया है. इस संगठन की शक्ति में अब इस कदर इजाफा होने लगा है कि संभावना व्यक्त की जा रही है, वो अब सिर्फ अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं रहने वाला है बल्कि अब अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए भी खतरा बन गया है.

इससे पहले आईएसआईएस-के ने 9 मार्च 2023 को इस्लामिक स्टेट समूह ने एक आत्मघाती बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी. इस हमले में उत्तरी Afghanistan में बल्ख प्रांत के तालिबान गवर्नर मोहम्मद दाऊद मुजम्मिल समेत 2 लोगों को उड़ा दिया गया था. वहीं, 9 मार्च को हुए बम धमाके से ठीक पहले इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने अफगानिस्तान के पश्चिमी हेरात प्रांत में जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख को निशाना बनाकर हमला किया, जिसमें उसकी जान चली गई



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डेनमार्क में फिर कुरान जलाने पर भड़के मुस्लिम देश, सऊदी अरब, तुर्की सहित कई देशों ने की कड़ी निंदा

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डेनमार्क में फिर कुरान जलाने पर भड़के मुस्लिम देश, सऊदी अरब, तुर्की सहित कई देशों ने की कड़ी निंदा

Denmark: डेनमार्क में तुर्की के दूतावास के सामने शुक्रवार को पवित्र कुरान जलाने की घटना सामने आई। इस साल में यह दूसरी बार है जब डेनमार्क में इस तरह की घटना हुई हो। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान तुर्की का झंडा भी जला दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डेनमार्क में हुई इस घटना के बाद मुस्लिम देशों ने कड़ा आक्रोश जताया। इन भड़के मुस्लिम देशों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। तुर्की ने शनिवार को इस घटना की निंदा की। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया और बयान में इस घृणित अपराध बताया। साथ ही जोर देते हुए चेताया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में इस तरह की कार्रवाई को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा।

तुर्की के अलावा मुस्लिम देश सऊदी अरब, यूएई और पाकिस्तान ने भी इस घटना पर विरोध दर्ज कराया है। सऊदी अरब किंगडम के विदेश मंत्रालय ने ट्विटर पर एक बयान साझा करते हुए लिखा, ‘सऊदी अरब डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में तुर्की के दूतावास के सामने एक चरमपंथी समूह की ओर से पवित्र कुरान को जलाने की कड़े शब्दों में निंदा करता है।‘ बयान में आगे कहा गया, ‘किंगडम संवाद, सहिष्णुता और सम्मान के मूल्यों को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देता है और नफरत और उग्रवाद को अस्वीकार करता है।‘

यूएई ने भी जताया विरोध

संयुक्त अरब अमीरात ने भी डेनमार्क में कुरान जलाने की घटना पर अपना विरोध जताया। अमीरात समाचार एजेंसी ने मंत्रालय के प्रवक्ता के हवाले से कहा, ‘विदेश मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय मानवीय और नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के उल्लंघन की सभी प्रथाओं को अस्वीकार करता है।‘ 

पाकिस्तान ने जताई नाराजगी

पाकिस्तान ने भी सोमवार को इस घटना का विरोध किया। पाकिस्तान के विदेश ऑफिस की प्रवक्ता मुमताज जाहरा बलोच ने एक बयान में कहा, ‘इस तरह की जानबूझकर की जा रही घटनाओं की पुनरावृत्ति मुसलमानों और उनकी आस्था के खिलाफ बढ़ती नफरत, नस्लवाद और इस्लामोफोबिया का उदाहरण है।‘ 

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