मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। सिंधिया परिवार को गद्दार बताए जाने पर भड़के ज्योतिरादित्य ने भी अब कांग्रेस से सवाल पूछते हुए पलटवार किया है।
सिंधिया ने पिछले दिनों कांग्रेस द्वारा की गई उनकी आलोचना पर कहा है कि अगर ऐसा था तो उनके पिता और उन्हें कांग्रेस में क्यों शामिल किया गया था? उन्होंने कहा, ” देखो वे अपना काम करेंगे। जिन्होंने इतिहास का एक पन्ना भी नहीं पढ़ा है, उन्हें जो बोलना है बोलने दीजिए। मेरे और मेरे परिवार के कर्म, विचार और विचारधारा ग्वालियर, ग्वालियर संभाग, मध्य प्रद्रेश और राष्ट्र के लिए समर्पित हैं। .. यदि उन्हें इतनी ही चिंता थी तो उन्होंने मेरे पिताजी (माधवराव सिंधिया), और फिर मुझे कांग्रेस में क्यों शामिल किया।”
प्रियंका गांधी की ग्वालियर यात्रा के दौरान स्मारक पर पोस्टर लगाए गए थे कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सिंधियाओं ने रानी लक्ष्मीबाई तथा 1969 और 2020 में कांग्रेस को धोखा दिया। इन पोस्टरों को पुलिस ने हटा दिया।
शुक्रवार को रैली में प्रियंका के बोलने से पहले विपक्ष के नेता गोविंद सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “पहले इस परिवार (सिंधिया) ने लक्ष्मीबाई को धोखा दिया और फिर 1967 में कांग्रेस को धोखा दिया (जब ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिरा दिया) और अब अपनी संपत्ति बचाने के लिए 2020 में कांग्रेस की सरकार गिराकर विश्वासघात किया।”
उन्होंने आरोप लगाया, “लक्ष्मीबाई ने यहीं अंतिम सांस ली। भिंड की जनता ने उनका समर्थन किया। वह ग्वालियर के महाराज के अनुरोध पर यहां आई थीं। अगर लक्ष्मीबाई को साथ मिलता तो आजादी 100 साल पहले ही आ गई होती। विश्वासघात का इतिहास दोहराया जा रहा है।
खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।
कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते बुरे दौर में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोपों के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था। अब इस कदम के जवाब में भारत सरकार ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें 5 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया है।
उच्चायुक्त तलब
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी कदमों के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को तलब किया था। ऐसा माना जा रहा था कि कनाडा को जवाब देने के लिए भारत सरकार भी कड़ा कदम उठा सकती है।
विदेश मंत्रालय का बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किए गए बयान में कहा है कि भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को आज तलब किया गया। उन्हें भारत में रह रहे एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।
क्यों तल्ख हुए रिश्ते?
G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी कदमों में जुट गए हैं। ट्रू़डो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कनेक्शन भारत से जोड़ते हुए भारत के एक राजनयिक को निकाल दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई पीएम के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन करार दिया है। भारत ने साथ ही कनाडा से आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की है। भारत ने कहा है कि इस तरह के बयान खालिस्तानियों से ध्यान हटाने के लिए दिए गए हैं।
India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्शन
महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।
खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।