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संजीव मुखर्जी और इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली 09 29, 2022 |
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केंद्र ने मुफ्त खाद्यान्न वितरण योजना यानी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को सातवीं बार विस्तार देने का निर्णय लिया है, लेकिन उसके सामने दो चुनौतियां थीं। पहला, राजकोष पर पड़ने वाला सब्सिडी का बोझ जो एक बार फिर बढ़ गया है और दूसरी चुनौती कुछ ऐसी थी जिसका पिछले कई वर्षों में शायद ही देश ने कभी सामना किया हो यानी खाद्यान्न के भंडार की स्थिति।
पूरे वित्त वर्ष के लिए योजना के व्यापक विस्तार के बजाय सिर्फ तीन महीने के लिए इसका विस्तार करना दर्शाता है कि केंद्रीय पूल में राजकोषीय और अनाज भंडारण दोनों पक्षों पर चिंता है।
हालांकि, दोनों के बीच, व्यापार और बाजार पर नजर रखने वालों द्वारा की गई गणना से पता चलता है कि केंद्रीय पूल अनाज भंडारण के लिए न्यूनतम विचार का हो सकता है, लेकिन यह उतना आरामदायक नहीं है जितना पीएमजीकेएवाई की पिछले छह विस्तार के दौरान थी।
अनाज भंडार
16 सिंतबर 2022 (ताजा आधिकारिक डेटा) तक अनाज भंडारण केंद्रीय पूल में करीब 5.61 करोड़ टन खाद्यान्न था (इसमें 95.8 लाख टन बिना पिसाई वाले धान शामिल हैं) जबकि 1 अक्टूबर तक 3.07 करोड़ टन अनाज परिचालन भंडार और नीतिगत संरक्षण के लिए रहना चाहिए। बफर नियम के तहत हर साल 31 मार्च को भारत के पास भंडार में करीब 2.14 करोड़ टन खाद्यान्न (चावल+गेहूं) रहना चाहिए।
गणना के अनुसार, जुलाई के बाद से किए गए चावल और गेहूं के बीच बदले गए मिश्रण के आधार पर अनाज स्टॉक की मासिक गिरावट दोनों नियमित पीडीएस और पीएमजीकेएवाई के लिए करीब 80 लाख टन (20 लाख टन गेहूं और 60 लाख टन चावल) हो गई।
इसका मतलब हुआ कि अक्टूबर से मार्च तक अगले छह माह में भारत को करीब 4.8 करोड़ टन खाद्यान्न की जरूरत होगी। तीन महीनों में यह संख्या और घटकर 2.5 करोड़ टन हो जाएगी।
योजना को अगर एक बार में छह माह के लिए बढ़ा दिया जाता तो वित्त वर्ष के भंडार स्तर पर सवाल खड़े हो सकते थे, जिन्हें 2.10 करोड़ टन पर बनाए रखना होता है।
इसलिए, तीन माह का विस्तार काफी विवेकपूर्ण है। हालांकि इन संख्याओं में एक पकड़ भी है। वे नई चावल खरीद को ध्यान में नहीं रखते हैं, जो कुछ दिन बाद यानी एक अक्टूबर से मार्केटिंग सत्र 2022-23 के लिए शुरू होने हो सकती है।
आधाकारिक लक्ष्य के अनुसर, भारत सत्र 2022-23 (अक्टूबर से मार्च) के लिए 5.18 करोड़ टन चावल खरीद की तैयारी कर रहा है।
अगर 31 मार्च, 2023 तक तय लक्ष्य की आधी (करीब 2.6 करोड़ टन) भी टन खरीद हो जाती है तो भी अनाज भंडार का स्तर 31 मार्च तक बफर और जरूरी परिचालन भंडार के स्तर से काफी ऊपर रहेगा।
इन दोनों (चावल और गेहूं) के बीच आने वाली खरीफ फसल के कारण गेहूं की तुलना में पूर्व की स्थिति काफी बेहतर है। गेहूं के मामले में, अगली फसल बाजार में अप्रैल से ही आएगी।
सूत्रों ने कहा कि योजना के तीन महीने के सीमित विस्तार से इसे और आगे बढ़ाने से पहले सरकार को अनाज की खरीद और भंडार का स्तर देखने का दिसंबर के अंत तक का एक मौका दिया है।