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मल्लिकार्जुन खड़गे : गांधी परिवार के वफादारों में शुमार, 5 दशक के सियासी करियर में केवल एक बार ही हारे

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मल्लिकार्जुन खड़गे पांच दशक से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं


Congress president polls: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए वरिष्‍ठ नेता और राज्‍यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने पर्चा भर दिया है. मुख्‍य मुकाबला खड़गे और शशि थरूर के बीच है. एक अन्‍य पर्चा केएन त्रिपाठी ने दाखिल किया है जबकि दिग्विजय सिंह रेस से बाहर हो चुके हैं. गांधी परिवार के समर्थन के चलते कर्नाटक के कांग्रेस नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे को अध्‍यक्ष पद की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. अपने गृह राज्‍य कर्नाटक में मल्लिकार्जुन खड़गे “सोलिलाडा सरदारा (a leader without defeat)” के नाम से लोकप्रिय हैं. उन्‍हें गांधी परिवार के कट्टर वफादारों में शुमार किया जाता है. 

  2. यदि खड़गे कांग्रेस अध्‍यक्ष चुने जाते हैं तो वे कर्नाटक राज्‍य से यह पद संभालने वाले दूसरे नेता होंगे. उनसे पहले कर्नाटक से एस. निजलिंगप्‍पा यह पद संभाल चुके हैं. चुने जाने पर खड़गे, जगजीवन राम के बाद यह पद संभालने वाले दूसरे दलित नेता होंगे. 

  3. 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे पांच दशक से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं. वे लगातार नौ बार विधायक रहे चुके हैं. 

  4. मल्लिकार्जुन खड़गे ने गृह राज्‍य गुलबर्गा (अब कलबुर्गी) से यूनियन लीडर के तौर पर शुरुआत की, इसके बाद से उनका ग्राफ लगातार चढ़ता गया.   

  5. खड़गे वर्ष 1969 में कांग्रेस से जुड़े.वे गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष भी रह चुके हैं. 

  6. गुरमिटकल (Gurmitkal) विधानसभा सीट से लगातार 9 बार चुनाव जीतने की उपलब्धि मल्लिकार्जन खड़गे के नाम पर है.

  7. चुनावों में मल्लिकार्जुन खड़गे की छवि ‘अजेय योद्धा’ की रही है. वर्ष 2014 के आम चुनावों में नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद उन्‍होंने गुलबर्गासीट से 74 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. वे दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्‍हें गुलबर्गा सीट से बीजेपी के उमेश जाधव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. करीब पांच दशक में यह खड़गे की पहली चुनावी हार थी. 

  8. गांधी परिवार के वफादार मल्लिकार्जुन खड़गे कई मंत्रालयों की जिम्‍मेदारी संभाल चुके हैं. मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार में वे श्रम और रोजगार के अलावा रेलवे, सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्री रहे हैं.

  9. जून 2020 में वे कर्नाटक से राज्‍यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए थे और इस समय उच्‍च सदन में नेता प्रतिपक्ष की जिम्‍मेदारी संभाल रहे हैं. खड़गे की छवि सौम्‍य और विनम्र नेता के तौर पर है. 

  10. बीदर जिले के एक गरीब परिवार में जन्‍मे खड़गे ने गुलबर्गा से बीए के बाद लॉ की डिग्री हासिल की. राजनीति में उतरने के पहले वे कुछ समय वकालत भी कर चुके हैं.13 मई 1968 को राधाबाई से मल्लिकार्जन खड़गे का विवाह हुआ.  वे दो बेटियों और तीन बेटों के पिता हैं. मल्लिकार्जन खड़गे का एक बेटा प्रियांक इस समय विधायक है. 



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सड़क के नाम पर चटाई बिछाकर चढ़ाया था डामर, टोपीबाज नहीं ‘तकनीकबाज’ निकला ठेकेदार

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Image Source : TWITTER
सड़क निर्माण कार्य को दिखाते हुए गांव के लोग।

हमारे देश में सड़क बनती है और हर साल उस पर मरम्मत के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार होता है। नई सड़क बनाना हो या सड़क पर गढ्ढे भरना हो भ्रष्टाचार तो होगा ही। भ्रष्ट अधिकारियों के इस करप्शन का शिकार जनता होती है और कभी-कभी इसकी कीमत जनता को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। ऐसे ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी एक सड़क का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो को देखने के बाद आपको हंसी आएगी और गुस्सा भी आएगा और आप सोच में पड़ जाएंगे कि ऐसे ठेकेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? जहां ये पता ही नहीं चल रहा है कि सड़क बनाई गई है या चटाई बिछाई गई है। 

गांव के लोगों ने चादर की तरह मोड़ दी सड़क

इंडिया टीवी से जुड़े संवाददाता विजय साल्वी ने इस मामले की तहकीकात की तो पता चला कि मामला महाराष्ट्र के जालना का है। यहां पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत रोड तैयार हो रहा था। जिसके बाद गांव वाले पहुंचते है और उन्हें शक होता है कि ठेकेदार सड़क बनाने के नाम पर भ्रष्टाचार कर रहा है। गांव वाले मौके पर पहुंच कर रोड के निर्माण कार्य को देखते हैं तब पता चलता है कि ठेकेदार ने सड़क बनाने के नाम पर कारपेट के ऊपर डामर बिछा दिया है।  गांव के लोग इसे सड़क नहीं एक कारपेट बता रहे हैं। इसका घटना का वीडियो गांव के ही लोगों ने बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ते हुए नजर आ रहा है। 

ठेकेदार खुशाल सिंह ठाकुर

Image Source : INDIA TV

ठेकेदार खुशाल सिंह ठाकुर

ठेकेदार ने बताया आखिर क्यों बिछाई गई कारपेट

संवाददाता विजय साल्वी ने जब इस रोड के कान्ट्रैक्टर खुशाल सिंह ठाकुर से बात की तो ठेकेदार का कहना था कि इंजीनियर और डिप्टी इंजीनियर के अंडर यह काम चल रहा है और तकनीक की दृष्टि से देखा जाए तो यह सड़क ठीक बन रही है। तकनीकि स्तर पर मराठावाड़ा में यह पहला प्रयोग किया जा रहा है जिसमें सिमिलर मेटिंग का प्रयोग किया गया है। इस प्रक्रिया में मैट नीचे डालकर उसके उपर ब्लॉक कंक्रीट का काम होता है। सरकार के आदेश के हिसाब से ही रोड के उपर मैटिंग की गई है। तकनीक के दृष्टिकोण के अनुसार मेरे काम में कोई भी गलती नहीं है। 

(विजय साल्वी की रिपोर्ट)

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भारत के आगे गिड़गिड़ा रही पाकिस्तानी संसद, क्यों मांग रही है उच्‍चायुक्‍त? 

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पाकिस्तान वापस से भारत के साथ अपने राजनयिक संबंध बहाल करना चाहता है। तंग हाल पाकिस्तान के लिए देश चलाने की चुनौतियों की कोई सीमा नहीं है। ऐसे में उसे भारत



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Weather News: मई महीने में लू के बजाय बारिश, जानें- आखिर क्यों बदल रहा मौसम का मिजाज?

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नई दिल्ली:

इस साल फरवरी से अब तक 4 महीनों में मौसम (Weather Update) का अलग ही अंदाज दिखा. जब ठंड होनी थी, तो गर्मी पड़ी. जब गर्मी की बारी आई तो बारिश होने लगी. मई में लू चलने के बजाय बारिश होने लगी. केदारनाथ, बद्रीनाथ समेत पहाड़ी इलाकों में तो बर्फबारी (Snowfall) भी हुई. दिल्ली में पिछले साल इस समय जो तापमान था, अभी तापमान उससे कई डिग्री नीचे जा रहा है. पिछले हफ्ते कई राज्यों में तेज बारिश (Heavy Rain in Delhi) हुई. तूफान आया और कुछ जगहों पर ओले भी पड़े. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या गर्मी के मौसम में गर्मी खत्म हो गई है? आखिर मौसम का मिजाज क्यों बदल रहा है?

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फरवरी में शिमला तक का हाल गर्मी से बेहाल हुआ. मार्च में बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया. अप्रैल में भी आंधी तूफान और बारिश ने तपिश महसूस नहीं होने दी. मई में तापमान पहले जहां 40 – 45 डिग्री तक पहुंचता था. लेकिन इस साल मई इतना ठंडा-ठंडा रहा कि पिछले 37 साल का रिकॉर्ड टूट गया. पिछले साल 1 मई को देश का औसम अधिकतम तापमान 43.5 डिग्री सेल्सियस था. ये इस साल 28.7 डिग्री सेल्सियस ही रहा.
 

वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से मौसम में हो रहा उतार-चढ़ाव


भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के सीनियर वैज्ञानिक डॉक्टर नरेश कुमार बताते हैं, “मौसम में ये उतार-चढ़ाव वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (Western Disturbance) यानी पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हो रहा है. मई में गर्मी नहीं रही. जबकि पिछले साल मार्च और अप्रैल बहुत गर्म रहा था. उस वक्त आए पश्चिमी विक्षोभ का मैदानी इलाकों में कोई प्रभाव नहीं दिखा था. मार्च से ही पिछले साल हीटवेव महसूस किया गया था. लेकिन इस साल फरवरी से पश्चिमी विक्षोभ और उसका असर जम्मू-कश्मीर में दिखा. कई पहाड़ी इलाकों में तापमान बढ़ गया था.”

डॉक्टर नरेश कुमार बताते हैं, “मार्च में पश्चिमी विक्षोभ की फ्रीक्वेंसी बढ़ गई है. मैदानी इलाकों में इसका असर भी ज्यादा दिख रहा है. इसी कारण मौसम में बदलाव हो रहे हैं. तापमान में बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है.”

1901 के बाद दूसरी बार सबसे ठंड रहा मई

1901 के बाद दूसरी बार ऐसा हुआ है जब मई का महीना सबसे ठंडा रहा. वैसे तो आमतौर पर दिल्ली में मई में पारा अधिकांश दिनों में 40 के पार ही रहता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं था. दिल्ली में इस बार मई के महीने में केवल 9 दिन ही ऐसे रहे जब पारा 40 के पार पहुंचा. पिछले एक दशक में बारिश का भी रिकॉर्ड टूटा है. कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है. 

बारिश की वजह से साफ हुई दिल्ली की हवा

बारिश की वजह से दिल्ली की हवा भी साफ हुई है. दिल्ली में इस साल जनवरी से मई की अवधि में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 213 दर्ज किया गया, जो 2020 को छोड़कर, 2016 के बाद से सबसे कम है. पिछले साल इसी अवधि में एक्यूआई 237, 2021 में 235, 2020 में 181, 2019 में 236, 2018 में 242, 2017 में 251 और 2016 में 283 था.

मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली के मौसम में शुक्रवार से कुछ बदलाव होंगे. पारा चढ़ना शुरू होगा. अनुमान है कि तापमान धीरे धीरे 40 डिग्री तक पहुंचेगा. इसके साथ ही बिहार, पश्चिम बंगाल, और सिक्किम जैसे राज्यों में आने वाले तीन से चार दिनों में हीटवेव के आसार हैं. 

 

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“कल से बढ़ेगा पारा, तापमान जाएगा 40 के करीब”: NDTV से बातचीत में IMD वैज्ञानिक



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