चीन ने समझौते के बावजूद भूटानी जमीन पर कब्जे केे प्रयास को तेज कर दिया है। चीन ने हाल में ही भूटानी सीमा पर 200 से अधिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। यह निर्माण सीमा विवाद सुलझाने के लिए भूटान के साथ हुए समझौते के बाद किया गया है। ऐसे में भारत की चिंता काफी ज्यादा बढ़ गई है।
India Launched 177 Foreign Satellites From 19 Countries: पिछले 5 वर्षों के इतिहास में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने तेज गति से प्रगति की है। वर्ष 2017 से 2022 के दौरान हिंदुस्तान ने अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाई है। इस दौरान भारत ने 19 देशों के 177 विदेशी उपग्रहों को लांच करने का गौरव हासिल किया है। इससे अंतरिक्ष में भारत का डंका बज रहा है। इंडियन स्पेस एंड रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) ने अंतरिक्ष में देश के नए युग की धमाकेदार शुरुआत की है। इसरो की इस कौशल क्षमता को पूरी दुनिया सलाम ठोक रही है। अंतरिक्ष में लहराते भारत के इस परचम ने पूरा आसमान जीत लिया है, जहां सिर्फ हिंदुस्तान…हिंदुस्तान और हिंदुस्तान ही नजर आ रहा है।
इसरो के अंतरिक्ष निकाय ने अपने सभी पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) मिशनों से विदेशी उपग्रहों को लॉन्च करके लगभग 9.4 करोड़ डॉलर और 46 मिलियन यूरो विदेशी मुद्रा की कमई की है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी सहायता मिली है। इसके लिए भारत सरकार ने वर्ष 2017 से 22 के लिए लगभग 55 हजार करोड़ रुपये का बजट तय किया था। भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी सेक्टर को सपोर्ट करने के लिए इन-स्पेस डिजिटल प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित किया। लिहाजा अब यह साइट 111 स्पेस स्टार्टअप में शामिल हो गई है।
इन देशों के उपग्रहों को किया लांच
इसरो ने पिछले पांच वर्षों में 19 देशों के 177 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इन देशों में फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कोलंबिया, फिनलैंड, इजरायल, इटली, जापान, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, मलेशिया, नीदरलैंड, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्पेन, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। इसरो के अनुसार उसने पीएसएलवी सैटेलाइट मिशन से करीब 1850 करोड़ रुपये की कमाई की है। साथ ही इसरो ने वाणिज्यिक समझौतों और पीएसएलवी के तहत जियो सिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-III के रूप में डब किए गए लॉन्च व्हीकल मार्क-III के लॉन्च को भी सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिससे लगभग ₹1,100 करोड़ की कमाई हुई है। वहीं अपने LVM3 मिशन में अंतरिक्ष संगठन ने एक ही मिशन में 36 वन वेब उपग्रह भी लॉन्च किए। इसके अलावा पहली बार एक भारतीय कंपनी, स्काईरूट एयरोस्पेस, ने “प्रारंभ” नामक एक मिशन के हिस्से के रूप में इस साल 18 नवंबर को निजी तौर पर विकसित रॉकेट विक्रम एस-545 किलोग्राम को अंतरिक्ष में भेजा।
टोक्यो: जापान दुनिया का वह इकलौता देश जिसने कभी परमाणु हमला झेला। अमेरिका ने जब अपना परमाणु बन बनाया तो उसने जापान पर ही गिरा दिया। हिरोशिमा और नागासाकी में तबाही झेलने के बाद भी जापान के रिश्ते अमेरिका के साथ अच्छे ही रहे। लेकिन अब माना जा रहा है कि इन रिश्तों में दुनिया को बदलाव देखने को मिल सकता है। जापान ने तय कर लिया है कि वह लंबी दूरी के हथियारों और सैन्य क्षमताओं पर जमकर निवेश करेगा। उसका यह फैसला बताने के लिए काफी है कि वह किसी किस दिशा में बदलाव को लेकर जाने वाला है। इसका सीधा असर अमेरिका के साथ उसके रिश्तों पर भी पड़ सकता है। कई हथियारों की खरीद की तैयारी जापान के रक्षा मंत्रालय ने उपकरणों और हथियारों की एक लंबी लिस्ट जारी कर दी है। जापान का कहना है कि इन उपकरणों और हथियारों को रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए खरीदा जाएगा। उसका मकसद चीन, उत्तर कोरिया और रूस की तरफ से मिलते खतरों का सामना करना है। जो योजना जापान ने तैयार की है उसके मुताबिक वह हाइपरसोनिक हथियारों की रिसर्च करेगा और उन्हें विकसित करेगा। साथ ही वह हाई स्पीड ग्लाइड बमों, टाइप 03 मिसाइल का सुधरा हुआ वर्जन, लक्ष्य भेदने वाले हथियारों के साथ ही अंडरवॉटर व्हीकल्स और समंदर के अंदर निशाना बनाने वाले हथियारों को भी तैयार करेगा।निशाने पर चीन! अपने परमाणु बमों को ‘चमका’ रहा भारत, अमेरिकी रिपोर्ट में दावा क्षमताएं विकसित कर रहा जापान की योजना यूएवी, टाइप 12 एंटी शिप मिसाइल, ग्लाइड बम और SH-60K एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर्स को खरीदने की भी है। इसके अलावा जापान समंदर पर गश्त के लिए एंटी-शिप मिसाइल, साइलेंट पावर यूनिट्स वाले टॉरपीडोज और टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें खरीदने की योजना भी बना रहा है। जापान की इस खरीद से साफ है कि वह अब रणनीतिक तौर पर अमेरिका से आजादी चाहता है।
साथ ही साथ चीन से निबटने के लिए असममित युद्ध क्षमता का निर्माण भी करना चाहता है। समुद्र पर गश्त लगाने वाले विमानों के लिए हाइपरसोनिक हथियार, हाई-स्पीड ग्लाइड बम और एंटी-शिप मिसाइल को खरीदने की जापान की योजना यह बतातने के लिए काफी है कि वह कैसे अमेरिका की तरफ से मिली सुरक्षा गारंटी से अलग आजाद देसी क्षमताओं को विकसित करने की तरफ बढ़ चुका है।
अमेरिका पर जापान को शक जापान सन् 1951 से ही अमेरिका की परमाणु छाया में रह रहा है। लेकिन उसे इस बात पर शक है कि उसकी रक्षा के लिए अमेरिका परमाणु हथियारों का प्रयोग करेगा। जापान के रक्षा विशेषज्ञ ताकाहाशी कोसुके ने एडमिरल (रिटायर्ड) कवानो कात्सुतोशी के हवाले से कहा है कि हर चार साल में अमेरिका की जनता राष्ट्रपति चुनावों में हिस्सा लेती है। इन चुनावों के दौरान वह अमेरिका के साथियों के लिए अमेरिका की क्षमताओं और विश्वसनीयता के बारे में भी सवाल उठाती है। ऐसे में अमेरिका की तरफ से वही पुराना रणनीतिक तर्क जापान को दिया जाएगा, इस बारे में संदेह है।
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यरूशलम : इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कब्जे वाले पश्चिमी तट पर यहूदी बस्तियों को ‘मजबूत’ करने की योजना के साथ-साथ फिलिस्तीनियों के खिलाफ कई दंडात्मक कदमों की घोषणा की है। उन्होंने गोलीबारी की दो घटनाओं में सात इजरायलियों के मारे जाने और पांच अन्य के घायल होने के बाद यह कदम उठाया है। नेतन्याहू ने शनिवार को इजरायली नागरिकों के लिए बंदूक परमिट में तेजी लाने और ‘अवैध हथियार’ इकट्ठा करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों से ‘अतिरिक्त कीमत वसूलने’ के लिए संदिग्धों के घरों को सील कर जमींदोज कर दिया जाएगा। उनके कार्यालय ने बाद में कहा कि हमलावरों के परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ भी रद्द कर दिए जाएंगे। शनिवार की उनकी इस घोषणा के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की अगले सप्ताह की यात्रा पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं तथा इस क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।
जनवरी 2023 हाल के वर्षों में पश्चिमी तट और पूर्वी यरूशलम में सबसे खूनी महीनों में एक रहा है। सुरक्षा मामलों पर नेतान्याहू की मंत्रिमंडलीय समिति ने गोलीबारी की दो घटनाओं के मद्देनजर सरकार के दंडात्मक कदमों को मंजूरी दी है। इनमें से एक हमला शुक्रवार रात को हुआ था, जब पूर्वी यरूशलम के एक उपासना स्थल के बाहर गोलीबारी में सात लोगों की जान चली गई थी। नेतान्याहू के कार्यालय ने बताया कि इस समिति ने हमलावरों के मकानों को ध्वस्त करने से पहले उन्हें सील करने को मंजूरी दी।
जब्त किए जाएंगे अवैध हथियार
सरकार ने हमलावरों के परिवारों को हासिल सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य लाभ रद्द करने, इजरायलियों के लिए हथियार प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाने तथा अवैध हथियारों को जब्त करने के प्रयासों में तेजी लाने की भी योजना बनाई है। अमेरिका ने इजरायल के इन कदमों पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने गोलीबारी की निंदा की है, लेकिन वह पूर्वी यरूशलम और पश्चिम तट पर यहूदी बस्तियों के निर्माण के खिलाफ है।