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जी20 में इकोनॉमिक कॉरिडोर पर सहमति
Economic Corridor: भारत- मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर पूरी दुनिया में हलचल है। इस इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर जहां चीन, पाकिस्तान तिलमिला उठे हैं, वहीं कई ऐसे देश हैं, जिन्हें इस प्रोजेक्ट से फायदा मिलेगा। हाल ही में जी20 समिट में इस इकोनॉमिक कॉरिडोर का ऐलान हुआ था और इस मेगा प्रोजेक्ट पर सहमति बनी। इस कॉरिडोर को चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) की काट माना जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में भारत के अलावा अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब आमीरात, यूरोपीय यूनियन, इटली, फ्रांस और जर्मनी भी शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट पर को लेकर तुर्की भी तिलमिलाया है, हालांकि एक और मुस्लिम देश है, जिसे इस कॉरिडोर के बनने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान होगा।
इस इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर जिस मुस्लिम देश को सबसे बड़ा घाटा होगा, उसके बारे में इजरायल की मीडिया में जिक्र किया गया है। इजरायल के ‘इकोनॉमिक ग्लोब्स अखबार’ के मुताबिक, इस कॉरिडोर के बनने से मिस्र को आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि कॉरिडर के बन जाने से स्वेज नहर से होकर गुजरने वाली माल ढुलाई कम होगी। जिससे कि मिस्र की कमाई में भारी गिरावट दर्ज होने की संभावना है। अभी मिस्र की इकोनॉमी का बड़ा हिस्सा स्वेज नहर की माल ढुलाई की कमाई से ही आता है।
मिस्र के कारोबार का 10 फीसदी केवल स्वेज नहर से
अखबार ने गल्फ की राजनीति और सुरक्षा विशेषज्ञ एवं इजराइल के इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज (आईएनएसएस) के एक वरिष्ठ शोधकर्ता योएल गुजांस्की के हवाले से लिखा है, ‘दुनिया का कुल 10 फीसदी और तेल का 7 प्रतिशत व्यापार स्वेज नहर के रास्ते से होता है। अभी स्वेज नहर मिस्र के कंट्रोल में है। लेकिन जब भारत से लेकर यूरोप तक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनेगा, तो यह वैश्विक तेल कारोबार को प्रभावित करेगा। इससे मिस्र को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
स्वेज नहर से सालभर में कितनी हुई कमाई?
वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्वेज नहर से कुल कमाई 9.4 बिलियन दर्ज की गई, जो पिछले साल की कमाई 7 बिलियन डॉलर से काफी ज्यादा है। इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडर मिस्र के लिए यह इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि मिस्र पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का लगभग 12.5 बिलियन डॉलर का कर्ज है और उसकी आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है। ऐसे में स्वेज नहर से होने वाली कमाई मिस्र के लिए मायने रखती है। जब नया इकोनॉमिक कॉरिडोर अस्तित्व में आ जाएगा, तो यह मिस्र के लिए बड़े झटके के समान होगा।
रूस और ईरान को भी झटका
इजरायली विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि इस इकोनॉमिक कॉरिडोर से रूस और इरान के प्रोजेक्ट को भी झटका लगेगा। रूस और ईरान के प्रोजेक्ट अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को भी नुकसान होगा। क्योंकि 7200 किमी लंबे इस कॉरिडोर में भारत शामिल है। दरअसल, इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडर में भी भारत शामिल है। ऐसे में दो समानांतर प्रोजेक्ट में एक साथ रहना भारत के लिए आसान नहीं होगा।
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यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडन और ईरानी प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी
Iran-America: ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बरकरार है। दोनों देशों की दुश्मनी के बीच कैदियों की अदला बदली हुई है। इसके तहत अमेरिका ने 5 कैदी मांगे, जिसे ईरान की राजधानी तेहरान से रवाना कर दिया गया। ये कैदी वहां से कतर पहुंचे। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। बंदियों के कतर पहुंचने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि ईरान में कैद 5 निर्दोष अमेरिकी आखिरकर अपने वतन वापस लौट रहे हैं। जब ये कैदी विमान से कतर पहुंचे तो वहां अमेरिकी राजदूत ने इन बंदियों से मुलाकात की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कतर एयरवेज ने तेहरान के मेहराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी। इसका उपयोग पहले भी कैदियों की अदला बदली में किया जाता रहा है।
अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि कैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया अभी जारी है। इससे पहले दिन में अधिकारियों ने बताया था कि कभी फ्रीज की गई करीब 6 अरब डॉलर (49 हजार 976 करोड़ रुपए) की ईरानी संपत्ति कतर पहुंचने के बाद कैदियों की यह अदला-बदली होगी। यह अदला-बदली के मुख्य शर्तों में से है। कैदियों की अदला-बदली का मतलब यह नहीं है कि अमेरिका और ईरान के बीच तनाव कम हो गया है। दोनों देशों के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम सहित विभिन्न मुद्दों पर तनाव की स्थिति अभी भी बरकरार है।
परमाणु हथियार बनाने की कवायद में जुटा है ईरान
ईरान कहता आ रहा है कि वह परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण काम के लिए चला रहा है। इसी बीच ईरानी विदेश मंत्रालय के अनुसार कैदियों की अदला बदली के लिए मांगी गई रकम कतर के पास है। यह रकम पहले दक्षिण कोरिया के पास थी। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता प्रवक्ता नसीर कनानी ने सरकारी टेलीविजन पर यह टिप्पणी की लेकिन उनकी इस टिप्पणी के बाद आगे का प्रसारण रोक दिया गया था।
ईरान के दो कैदी रहेंगे अमेरिका में
कनानी ने कहा कि ‘दक्षिण कोरिया सहित कुछ देशें में फ्रीज की गई ईरानी संपत्ति अब ‘डीफ्रीज’ कर दी गई है।’ उन्होंने कहा कि ‘अब सारी संपत्ति देश के नियंत्रण में आ जाएगी।’ कनानी ने आगे कहा कि ‘ईरान में बंदी बनाए गए पांच कैदियों को अमेरिका को सौंपा जाएगा।’ उन्होंने कहा कि ईरानी कैदियों में से दो अमेरिका में रहेंगे।
रिहा किए गए कैदियों के नाम
सियामक नमाजी को 2015 में हिरासत में लिया गया था और बाद में जासूसी के आरोप में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। वहीं इमाद शागी पेशे से बिजनेसमैन हैं, इन्हें 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। ईरानी मूल के मोराद तहबाज़, जो एक ब्रिटिश-अमेरिकी संरक्षणवादी हैं, 2018 में गिरफ्तारी के बाद 10 साल जेल की सजा मिली थी। अन्य दो कैदियों में एक पुरुष और एक महिला है। इन दोनों ने पहचान सार्वजनिक न करने का अनुरोध किया था।
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जैसे-जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही नेताओं की ओर अलग-अलग तरीके के वादे किए जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से भारतवंशी विवेक रामास्वामी काफी पॉपुलर हो रहे हैं। उनके बोलने की शैली और वादें लोगों को काफी पसंद भी आ रहे हैं। हालांकि, अब उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया है जिससे कई लोगों को निराशा हो सकती है।
क्या बोले रामास्वामी?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी पेश करने वाले रामास्वामी ने एच-1बी वीजा की सुविधा को खत्म करने की बात कही है। उन्होंने इसे सिसट्म को गिरमिटिया दासता का रूप बताते हुए कहा कि इस लॉटरी आधारित सिस्टम को खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस लॉटरी आधारित सिस्टम को समाप्त कर देना चाहिए। रामास्वामी के अनुसार, एच-1बी वीजा से सिर्फ उन कंपनियों को लाभ पहुंचता है जिन्होंने एच-1बी अप्रवासी को स्पांसर किया था।
इससे बदलेंगे
विवेक रामास्वामी ने कहा है कि अमेरिका में चेन बेस्ड माइग्रेशन को खत्म करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो लोग अमेरिका में परिवार के सदस्य के रूप में आते हैं योग्यता वाले माइग्रेंट्स नहीं होते हैं। रामास्वामी ने कहा कि अगर वो अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे तो एच-1बी वीजा सिस्टम को मेरिटोक्रेटिक एंट्री से बदल देंगे।
खुद किया 29 बार इस्तेमाल
खास बात ये है कि वर्तमान में अमेरिका में जारी एच-1बी वीजा की सुविधा का इस्तेमाल खुद विवेक रामास्वामी ने भी कई बार किया है। रिपोर्ट्स की मानें तो उन्होंने 29 बार इसका इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपनी फार्मा कंपनी में हाई स्किल्ड कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए रामास्वामी ने कई बार एच-1बी वीजा की सुविधा का इस्तेमाल किया है।
क्या है एच-1बी वीजा?
अमेरिकी प्रशासन द्वारा जारी किया जाने वाले एच-1बी वीजा को एक गैर-प्रवासी वीजा माना जाता है। इन्हें अमेरिका में काम करने जाने वाले लोगों को दिया जाता है। कुशल कर्मचारियों की कमी को देखते हुए अमेरिकी कंपनियां अपने यहां इन लोगों को हायर करती है। एच-1बी वीजा पाने वाला शख्स अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अमेरिका में रह सकता है। इस वीजा की अवधि 6 साल तक के लिए होती है। इसके बाद लोग अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो।
ओटावा: खालिस्तानी आतंकियों के मामले में G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हताशा भरा बयान दिया है। पीएम ट्रूडो ने ओटावा में हाउस ऑफ कॉमंस में कहा है कि कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां भारत सरकार और खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बीच कनेक्शन की जांच कर रही हैं। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा के नागरिक की उसी की सरजमीं पर हत्या में किसी दूसरे देश या विदेशी सरकार की संलिप्तता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ट्रूडो के बयान के साथ ही भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी बढ़ने के आसार हैं।
18 जून को हुई थी आतंकी निज्जर की हत्या
बता दें कि निज्जर की हत्या को ट्रूडो ने अपने देश की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है। उनके इस बयान के साथ ही कनाडा ने एक भारतीय राजनयिक को निकालने का भी एलान कर दिया है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली ने राजनयिक को निकालने का एलान करते हुए कहा कि उनका देश हर हाल में अपने नागरिकों की रक्षा करेगा। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को NIA ने भगोड़ा घोषित कर रखा था। इसी साल 18 जून को आतंकी निज्जर की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वो कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे की पार्किंग में खड़ा था।
‘कनाडा कानून का पालन करने वाला देश’ जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि उन्होंने इस बारे में जी-20 समिट के दौरान पीएम मोदी से भी बात की थी। उन्होंने साथ ही ये भी दावा किया कि उन्होंने दिल्ली यात्रा के दौरान ये मुद्दा भारत सरकार के सामने उठाया था। कनाडा की संसद में ट्रूडो ने कहा, ‘बीते कुछ हफ्तों से कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां कनाडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर और भारत सरकार के संभावित कनेक्शन के विश्वसनीय आरोपों की सक्रिय तौर पर जांच कर रही है। कनाडा कानून का पालन करने वाला देश है। हमारी पहली प्राथमिकता ये रही है कि हमारी सुरक्षा एजेंसियां और कानून प्रवर्तन एजेंसियां सभी कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।’
‘सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं’ ट्रूडो ने कहा, ‘इस हत्या के दोषियों को कटघरे में खड़ा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। कनाडा ने भारत सरकार के शीर्ष अधिकारियों और सुरक्षा अधिकारियों के सामने ये मुद्दा उठाया था। किसी भी कनाडाई नागरिक की हमारी ही सरजमीं पर हत्या में किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है। हम इस बेहद गंभीर मामले पर हमारे सहयोगियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मैं कड़े शब्दों में भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि इस मामले की तह तक जाने के लिए वो कनाडा के साथ सहयोग करें।’
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