वॉशिंगटन: पिछले दिनों अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के बीच काफी हलचल देखने को मिली। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटोनी ब्लिंकन के साथ अलग-अलग मीटिंग कीं। बिलावल के साथ मीटिंग के बाद ब्लिंकन का कहना था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच ‘रचनात्मक रिश्तों’ पर जोर देते हैं। उनके इस बयान ने भारत और पाकिस्तान दोनों को ही परेशानी में डाल दिया कि अमेरिका दोनों के बीच एक जैसे रिश्तों की बात कर रहा है। वहीं अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ रिश्तों के अलग-अलग मायने हैं।
अमेरिका की नीति
नेड प्राइस ने अमेरिका की उसी नीति को दोहराया जो जॉर्ज डब्लू बुश के काल से चली आ रही है। इस नीति के तहत ही भारत और पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बरकरार रखा जा रहा था। पिछले कुछ दिनों में अमेरिक ने जब से पाकिस्तान के लिए सैन्य बिक्री को मंजूर किया है तब से ही भारत और पाकिस्तान के साथ रिश्ते अलग ही नजर आने लगे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, बुश की जिस नीति को फॉलो कर रहे हैं, उससे भारत को काफी फायदा हुआ है। इस नीति की वजह से ही भारत के साथ रिश्ते आगे बढ़े हैं। अमेरिका ने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित कश्मीर जैसे मसले से बचते हुए भी रिश्तों को आगे बढ़ाने में यकीन रखा।
कैसे बदले रिश्ते
पाकिस्तान हमेशा से वही बर्ताव चाहता था जो अमेरिका भारत के साथ करता आ रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते एतिहासिक तौर पर बदले और पाकिस्तान भी इस बात को काफी अच्छे से समझता है। साल 2018 से ही अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों पर बर्फ सी जमी थी। सुरक्षा मामलों की वजह से अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा कमजोर रहे। मगर जब हाल ही में बाइडेन प्रशासन ने 450 मिलियन डॉलर के साथ पाकिस्तान को सैन्य मदद दी और एफ-16 को अपग्रेड करने पर मंजूरी दी तो यहां से सबकुछ बदलने लगा। अमेरिका का कहना है कि काउंटर-टेररिज्म के लिए यह बहुत जरूरी है। इस डील को मंजूरी तो मिली लेकिन सुरक्षा के लिए दी जाने वाली मदद अभी तक रुकी है। ऐसे में आखिर क्यों इस पैकेज को अप्रूव किया गया, इस पर सवाल हैं।
जयशंकर ने लगाई फटकार
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर एफ-16 डील को लेकर अमेरिका पर खासे नाराज हुए। पिछले हफ्ते जब वह वॉशिंगटन में भारतीय समुदाय के बीच थे तो उनके बयान से उनकी नाराजगी साफ नजर आई। उन्होंने साफ कर दिया कि पाकिस्तान एफ-16 को भारत के खिलाफ प्रयोग होने वाले हथियार के तौर पर देखता है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के साथ बेहतर होते रिश्तों को लेकर भी अमेरिका को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, ‘आपको यह समझना होगा कि यह वह रिश्ता है जिससे न तो पाकिस्तान को हितों को फायदा होगा और न ही अमेरिका के हित पूरे होने वाले हैं।’
अमेरिका को आई समझ!
पाकिस्तान इस टिप्पणी से खासा नाराज था और विदेश विभाग की तरफ से भारत को सलाह दी गई कि वह अमेरिका के साथ उसके रिश्तों पर कोई बयान न दे। बिलावल भुट्टो ने कहा कि यह तो तय था कि भारत को इससे निराशा होगी तो होने दे। जयशंकर के बयान के बाद अमेरिका को समझ आ गया था कि पाकिस्तान के साथ सुरक्षा सहयोग से भारत के हितों को कोई फायदा नहीं होगा। जबकि भारत यह जानता है कि अगर अमेरिका को चीन को जवाब देना है तो आपसी सहयोग बहुत जरूरी है।
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