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भारतीय मूल की होकर भारत से कैसी नफरत? लाखों छात्रों पर भारी पड़ेगा सुएला ब्रेवरमैन का यह नया नियम

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लंदन : ब्रिटेन में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों के लिए एक बुरी खबर है। सात समंदर पार घर से दूर रहने वाले जो छात्र अपने परिवार को ब्रिटेन लाना चाहते हैं, वे अब ऐसा नहीं कर पाएंगे। ब्रिटिश सरकार ने एक नई इमीग्रेशन कार्रवाई की घोषणा की है। सरकार ने मंगलवार को सभी विदेशी छात्रों के लिए एक नई इमीग्रेशन कार्रवाई की घोषणा की जिसका असर हजारों भारतीय छात्रों पर पड़ सकता है। नया नियम ब्रिटेन के संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों के अपने परिवार के सदस्यों को देश में लाने के उनके वीजा अधिकार को प्रभावित करेगा।

ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने हाउस ऑफ कॉमन्स में एक लिखित बयान में कहा कि वर्तमान में रिसर्च प्रोग्राम्स से जुड़े पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ही अपने आश्रितों के रूप में बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता सहित परिवार के सदस्यों को ब्रिटेन लाने की अनुमति दी जाएगी। भारतीय मूल की मंत्री ने कहा कि दिसंबर 2022 में समाप्त हुए वर्ष में छात्रों के आश्रितों को लगभग 1,36,000 वीजा दिए जाने के बाद उपायों का नया पैकेज बेहद जरूरी था।

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‘बेईमान’ एजेंटों पर नकेल कसने की तैयारी

उन्होंने कहा कि 2022 के आश्रितों का आंकड़ा 2019 के 16,000 के आंकड़े से आठ गुना ज्यादा है। मंत्री ने ‘बेईमान’ शिक्षा एजेंटों पर नकेल कसने के लिए कदम उठाने का भी वादा किया और कहा कि ऐसे लोग शिक्षा की जगह आव्रजन बेचने के लिए अनुचित साधनों की मदद ले सकते हैं। शैक्षिक क्षेत्र और प्रमुख हितधारकों के साथ परामर्श के बाद नए प्रतिबंध ‘जल्द से जल्द’ लागू होने की उम्मीद है।

भारतीय छात्रों पर पड़ेगा सबसे बड़ा असर

ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला भारतीय मूल की हैं और उनके इस फैसले का सबसे बड़ा असर भारतीय छात्रों पर ही पड़ेगा। ब्रिटेन के उच्च शिक्षा संस्थानों की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी छात्र ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में सुविधाएं लेने से 10 गुना ज्यादा योगदान कर देते हैं और इनमें भारतीय छात्रों की एक बड़ी संख्या है। भारतीयों ने हाल ही में ब्रिटेन की ओर से सबसे अधिक स्टडी वीजा हासिल कर चीनियों को पीछे छोड़ दिया है। इस वीजा को हासिल करने वाले भारतीय सबसे अधिक संख्या में हैं।

आश्रितों के मामले में दूसरे नंबर पर भारतीय

2020-21 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 87,045 भारतीय छात्र इनरोल हुए थे। यह आंकड़ा चीन (99,965) से कम और नाइजीरिया (32,945) से ज्यादा था। फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार अपने साथ आश्रितों को ब्रिटेन लाने वाले सबसे अधिक छात्र नाइजीरिया और भारत के हैं जिनके आश्रितों को 2022 में 1,35,788 वीजा दिए गए जो 2019 से 16,047 ज्यादा थे। छात्रों के साथ आने वाले आश्रितों की संख्या के मामले में नाइजीरियाई छात्र पहले और भारतीय दूसरे नंबर पर हैं।



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कनाडा में इंदिरा गांधी की हत्‍या का मनाया गया जश्‍न, भारत पर उंगली उठाने वालीं पीएम ट्रूडो की एनएसए खामोश, उठे सवाल

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Canada India News: कनाडा की राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने एक बड़ा ही अजीबो-गरीब बयान दिय। उन्‍होंने भारत पर तो आतंरिक मामलों में हस्‍तक्षेप का आरोप लगा दिया है मगर अपने देश के हालातों पर खामोश है। कनाडा में खालिस्‍तान समर्थकों ने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्‍या का जश्‍न मनाया है।

 



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पाकिस्‍तान सेना के खिलाफ अपनी जंग हार चुके हैं इमरान खान, जानिए आखिर ऐसा क्‍यों कह रहे हैं विशेषज्ञ

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Pakistan News: पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान बड़े ही जोर-शोर से सेना के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। लेकिन देश के विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान सेना के खिलाफ अपनी जंग हार चुके हैं। उनका कहना है कि इस समय पीटीआई और इमरान को खासे दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

 



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चीन ने घातक हथियारों में बनाई ऐसी बढ़त, अमेरिका कभी नहीं कर सकेगा बराबरी, रिपोर्ट ने दुनिया को डराया

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मेलबर्न: ताइवान को लेकर चीन के साथ जंग जैसे हालात के बीच अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए एक बहुत ही डरावनी रिपोर्ट आई है। चीन के शोधकर्ताओं ने प्रमुख सैन्‍य तकनीक के मामले में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। ऑस्‍ट्रेलियाई थिंक टैंक ने खुलासा किया है कि चीन और अमेरिका के बीच यह सैन्‍य तकनीक की खाई इतनी ज्‍यादा बढ़ गई है कि पश्चिमी देश कभी भी इसकी बराबरी नहीं कर पाएंगे। ऑस्‍ट्रेलिया की यह रिपोर्ट भारत के लिए भी बड़े खतरे की घंटी है जो लद्दाख में चीन के सामने डटकर खड़ा है।

द ऑस्‍ट्रेलिया स्‍ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्‍टीट्यूट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में रिसर्च पेपर के आधार पर मंगलवार को खुलासा किया कि 23 में से 19 क्षेत्रों में चीन सबसे आगे चल रहा है। इसमें से ऐसे कई क्षेत्र हैं जो हिंद प्रशांत और अन्‍य क्षेत्रों में चीन के सैन्‍य दबदबे को स्‍थापित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। चीन अब हाइपरसोनिक मिसाइलों, इलेक्‍ट्रोनिक वारफेयर और समुद्र के अंदर हमला करने की क्षमता में बहुत आगे निकल चुका है। इस रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि चीन की बढ़त इन क्षेत्रों में बहुत प्रभावी है।
चीन की बराबरी नहीं कर सकता भारत, इसलिए भारतीय सेना से हमें खतरा नहीं, चीनी कर्नल का अहंकार तो देख‍िए

चीन ने हाइपरसोनिक तकनीक में सबको पीछे छोड़ा

रिपोर्ट के मुताबिक इससे यह खतरा पैदा हो गया है कि चीन इन क्षेत्रों में तकनीकी सफलता के मामले में पूरी दुनिया में अपना दबदबा कायम कर लेगा। इस विश्‍लेषण में यह भी कहा गया है कि हाइपरसोनिक तकनीक के मामले में 10 से 9 शोध संस्‍थान चीन में स्थित हैं। वहीं चीन समुद्र के नीचे चलने वाले ड्रोन बनाने के मामले में सभी 10 शीर्ष शोध संस्‍थानों का केंद्र है। बलिस्टिक मिसाइलों के उलट हाइपरसोनिक मिसाइल ध्‍वनि की 5 गुना रफ्तार के बाद भी कलाबाजी में माहिर है।

धरती के 10 हजार मीटर नीचे छिपा है कौन सा रहस्य? जानने के लिए चीन ने शुरू की खुदाई

हाइपरसोनिक मिसाइलों के मामले में चीन और अन्‍य देशों के बीच खाई बहुत ही ज्‍यादा है। इस तकनीक के क्षेत्र में चीन ने 73 फीसदी बेहतरीन शोध किए हैं जो अमेरिका और अन्‍य 8 देशों को मिलाकर भी ज्‍यादा है। इस विश्‍लेषण से यह भी पता चला है कि चीन पश्चिमी शोध संस्‍थानों का इस्‍तेमाल अपनी बढ़त हासिल करने के लिए कर रहा है। चीन के ऐसे शोध लिखने वाले 14 फीसदी शोधकर्ताओं ने अपनी पोस्‍ट गैजुएट ट्रेनिंग अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया या ब्रिटेन में हासिल की है। वहीं इलेक्‍ट्रॉनिक वारफेयर के मामले में 18 फीसदी वैज्ञानिकों ने पश्चिमी देशों में ट्रेनिंग ली है।
ताइवान के पास आमने-सामने आए अमेरिकी डिस्ट्रॉयर और चीनी युद्धपोत, बाल-बाल बची टक्कर, बढ़ा तनाव

अमेरिका को अभी भी इन मामलों में हासिल है बढ़त

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा नहीं है कि चीन हर क्षेत्र में बहुत आगे निकल गया है। थिंक टैंक ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश अभी भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर अपनी बादशाहत रखते हैं। इसमें ऑटोनॉमस सिस्‍टम, क्‍वांटम कंप्‍यूटिंग और क्‍वांटम सेंसर शामिल हैं। इसके अलावा एआई तथा साइबर सिक्‍यॉरिटी के मामले में अमेरिका अभी आगे है। अब अमेरिका ब्रिटेन और ऑस्‍ट्रेलिया के साथ मिलकर चीन के खिलाफ आ रही तकनीकी सफलता की खाई को पाटने में जुट गया है।



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