बिहार के शराबकांड ने पूरे देश में राज्य की किरकिरी करा दी थी। अब मामले की जांच भी मज़ाक बनकर रह गई है। जी हां, पुलिस शराब माफिया का पता अब तोते से पूछ रही है। दरअसल, बिहार के गया में शराब माफिया के एक सदस्य का पता लगाने के लिए पुलिस ने उसके ठिकाने के बारे में कोई सुराग मिलने की उम्मीद में उसके तोते से पूछताछ की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पूछताछ का वीडियो वायरल हो रहा है। घटना मंगलवार रात की है, जब गुरुआ थाने की एक टीम उपनिरीक्षक कन्हैया कुमार के नेतृत्व में अमृत मल्लाह को गिरफ्तार करने के लिए गांव में गई थी, लेकिन वह पहले ही अपने घर से भाग गया था।
तोते ने क्या जवाब दिया?
पुलिस टीम जब मल्लाह के घर पहुंची तो उन्हें एक तोता ही मिला। कन्हैया कुमार ने मल्लाह के बारे में कुछ संकेत पाने के लिए तोते से उसके बारे में हिंदी और मगही में पूछा, लेकिन उसने जवाब में केवल ‘कटोरा कटोरा कटोरा’ कहा।
‘कटोरा कटोरा कटोरा’
वीडियो के अनुसार, उपनिरीक्षक ने जब तोते से पूछा, “ए मिट्ठू, तोहर मालिक कहां गेलौ, तोहर मालिक छोड़ के भाग गेलौ?’ तब पक्षी जवाब दिया, “कटोरा कटोरा कटोरा”। जब कन्हैया कुमार ने कटोरा में बनने वाली शराब के बारे में पूछा तो तोते ने फिर जवाब दिया, “कटोरा कटोरा कटोरा”।
वायरल वीडियो पर एक दर्शक ने कमेंट किया, “पुलिस तोते से राज खुलवाने में नाकाम रही।”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “तोता अपने गुरु के प्रति वफादार होता है और अपने ठिकाने का खुलासा नहीं करता।”
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जुंटा, म्यांमार सैन्य सरकार प्रमुख
New Law to Contest Elections in Myanmar: म्यांमार में आंग सांग सू की का तख्तापलट कर उन्हें जेल में डालने वाली सेना की सरकार ने अब ऐसा राजनीतिक कानून बना दिया है कि शायद ही कोई राजनेता चुनाव लड़ पाए। सेना ने अपनी जरूरत के हिसाब से विपक्षी दलों को पस्त करने के लिए अजीबोगरीब कानून बनाया है, जिनकी शर्तें ऐसी हैं कि ज्यादातर पॉलिटिकल पार्टियों के नेता चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे। आंग सांग सू की की सरकार गिराने के बाद इसे हमेशा सत्ता में बने रहने के लिए सेना की दूसरी बड़ी कोशिश करार दिया जा रहा है।
म्यांमा की सैन्य सरकार ने राजनीतिक दलों के पंजीकरण को लेकर एक नया कानून बनाया है। इस कानून के बन जाने से अब म्यांमार में इस साल के अंत में होने वाले आम चुनाव में विपक्षी समूहों के लिए सेना समर्थित उम्मीदवारों को कड़ी चुनौती देना मुश्किल हो जाएगा। नया चुनाव कानून सरकारी अखबार ‘म्यांमा एलिन्न’ में प्रकाशित किया गया है। इसमें चुनाव में हिस्सा लेने वाले दलों के लिए निर्धारित न्यूनतम कोष और सदस्यता के स्तर के बारे में बताया गया है। नए कानून के जरिये उन दलों या उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई है, जिन्हें सैन्य शासन से गैर-कानूनी मानता है या उनका संबंध ऐसे संगठनों से है, जिन्हें सैन्य सरकार ने आतंकवादी समूह घोषित कर रखा है।
आंग सांग सू की का 2021 में सेना ने कर दिया था तख्तापलट
म्यांमार की सेना ने फरवरी 2021 में बहुमत से सत्ता में आई एक्टिविस्ट आंग सांग सू की सरकार का तख्तापलट कर दिया था। जबकि सू की की सरकार लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई थी। सेना ने सू की और उनकी ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी’ के शीर्ष सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि सू की की पार्टी ने नवंबर 2020 के आम चुनाव में दूसरे कार्यकाल के लिए प्रचंड बहुमत हासिल किया था। सैन्य तख्तापलट के विरोध में देशभर में हुए प्रदर्शनों को सुरक्षाबलों ने कुचल दिया था, जिसमें करीब 2,900 आम नागरिकों की मौत हुई थी और हज़ारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। नया कानून दलों को संघीय निर्वाचन आयोग में पंजीकरण कराने के लिए दो महीने का वक्त देता है और ऐसा न करने वाले दल खुद-ब-खुद अमान्य हो जाएंगे और उन्हें भंग मान लिया जाएगा।
चुनाव लड़ने वाले दलों के लिए तीन महीने में 1 लाख सदस्य बनाना जरूरी
म्यांमार की सेना के नए राजनीतिक कानून के मुताबिक पूरे देश में चुनाव लड़ना चाह रहे दलों के लिए जरूरी होगा कि वे पंजीकरण के बाद तीन महीने में कम से कम एक लाख सदस्य बनाएं, जो 2020 के चुनाव के लिए तय किए गए न्यूनतम स्तर से 100 गुना ज्यादा है। दलों को छह महीने के अंदर देश के आधे नगरों में अपने दफ्तर खोलने होंगे और कम से कम आधी सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि वह सेना की ओर से कराए जाने वाले चुनाव को स्वीकार नहीं करेगी। पार्टी ने आरोप लगाया था कि सेना ‘फर्जी’ चुनावों के जरिये राजनीतिक वैधता और अंतरराष्ट्रीय मान्यता पाने की कोशिश कर रही है। ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ ने शुक्रवार को एसोसिएटिड प्रेस को भेजे संदेश में नए कानून को खारिज किया है।
पार्टी की केंद्रीय कार्य समिति के सदस्य क्याव हटवे ने कहा, “नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी की केंद्रीय कार्य समिति इसे स्वीकार नहीं करेगी, क्योंकि सैन्य परिषद की सभी कार्रवाइयां अवैध हैं। सैन्य परिषद द्वारा किए गए तख्तापलट ने भी मौजूदा कानूनों का उल्लंघन किया है और लोग उसका बिल्कुल भी समर्थन नहीं कर रहे हैं।” म्यांमा में फिलहाल 90 से ज्यादा राजनीतिक दल हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सेना के समर्थन वाली ‘यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी’ ही नए कानून के तहत निर्धारित जरूरतों को पूरा कर पाएगी।
Pakistan Financial Crisis: पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी ने एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान की स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि फाइनेंशियल टाइम्स ने उसके डिफॉल्ट होने की भविष्यवाणी कर दी है। पाकिस्तान में अब विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि इस बर्बादी के लिए जिम्मेदारी तय करनी होगी। इशाक डार के वित्त मंत्री बनने के बाद हालत और खराब हुई है।
इस्लामाबाद: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अब IMF ही आखिरी उम्मीद है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 2014 के बाद से 3.7 अरब डॉलर के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पाकिस्तान के पास अब सिर्फ इतना ही पैसा बचा है कि वह तीन हफ्ते का आयात कर सकता है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान IMF से बेलआउट पैकेज की मांग कर रहा है। फाइनेंशियल टाइम्स ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान को जल्द ही फंड न मिला तो वह दिवालिया हो सकता है।