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बगैर कांग्रेस विपक्षी एकजुटता चाहती हैं ममता बनर्जी? भतीजे अभिषेक के तेवर से मिल रहे संकेत

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“संवाद महत्वपूर्ण है, नए संसद भवन पर निर्णय इसके जरिये लिया जा सकता था”: शरद पवार

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औरंगाबाद:

संसद से संबंधित गतिविधियों में संवाद के महत्व पर जोर देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि नए संसद भवन पर निर्णय राजनीतिक दलों के साथ बातचीत के माध्यम से लिया जा सकता था.

राकांपा के वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र के औरंगाबाद में महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय में एक ‘सौहार्द बैठक’ में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि संसदीय गतिविधियों के लिए बातचीत करने में सामान्य गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी राजनीतिक दलों के बीच मतभेद थे लेकिन उन्होंने बातचीत के जरिए उन्हें सुलझाने की कोशिश की.

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उन्होंने कहा, “मुझे समझ नहीं आया कि नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी. इसके बारे में फैसला बातचीत (राजनीतिक दलों के साथ) के जरिए लिया जा सकता था. लेकिन मुझे नए भवन के बारे में अखबारों से पता चला.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 28 मई को किए गए नए संसद भवन के उद्घाटन से 20 से अधिक विपक्षी दल दूर रहे. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर उद्घाटन को “राज्याभिषेक” की तरह मानने का आरोप लगाया.

किसी का नाम लिए बगैर पवार ने कहा, “सरकार के प्रमुख व्यक्ति नियमित रूप से संसद सत्र में भाग नहीं लेते हैं. अगर किसी दिन सरकार के मुखिया संसद में आ जाएं तो उस दिन कुछ अलग ही एहसास होता है. संसद सबसे ऊपर है. अगर इसे महत्व नहीं दिया जाता है, तो लोगों की धारणा (इसके बारे में) भी प्रभावित होती है.” खुद को एक “छोटे” राजनीतिक दल का नेता बताते हुए पवार ने कहा, “हमने (विपक्ष ने) नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को आमंत्रित करने की मांग की. इसका (सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा) विरोध करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. संसद के पहले सत्र के बाद ली गई एक तस्वीर में डॉक्टर बी.आर. आंबेडकर और पंडित जवाहरलाल नेहरू समेत देश के कई नेता नजर आ रहे थे.”

विपक्षी दलों ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि उद्घाटन राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि वह देश की संवैधानिक प्रमुख हैं. पवार ने यह भी आरोप लगाया कि निर्वाचित नेताओं को पहले नए भवन में प्रवेश करने का मौका नहीं मिला. उन्होंने कहा, “नए संसद भवन की जो पहली तस्वीर सामने आई, वह निर्वाचित सदस्यों की नहीं बल्कि भगवा वस्त्र पहने लोगों की थी.”

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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देश के टॉप 100 संस्थानों में ही हैं सबसे काबिल शिक्षक! रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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Image Source : PTI (REPRESENTATIVE IMAGE)
पीएचडी योग्यता वाले फैकल्टी मेंबर देश की टॉप 100 संस्थानों तक ही सीमित है।

देश में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के टॉप 100 संस्थानों में ही सबसे काबिल शिक्षक यानी पीएचडी योग्यता वाले शिक्षक पढ़ा रहे हैं। ये बात हम नहीं कह रहे। शिक्षा मंत्रालय ने खुद इस बात का दावा किया है। शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पीएचडी योग्यता वाले फैकल्टी मेंबर टॉप 100 संस्थानों तक ही सीमित हैं जबकि शेष संस्थानों में डॉक्टरेट की डिग्री वाले फैकल्टी मेंबर की संख्या कम है। नेशनल इंस्टिट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) के 8वें संस्करण के लिए मंत्रालय ने एनालिसिस के आधार पर ये बात कही। 

पीएचडी डिग्रीधारक की कमी का मुद्दा गंभीर

शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पीएचडी फैकल्टी मेंबर की कमी का मुद्दा एक गंभीर “बाधा” है क्योंकि डॉक्टरेट ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त सलाह हायर एजुकेशन में टीचिंग कैरियर के लिए फैकल्टी तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एनालिसिस रिपोर्ट के मुताबिक, देश के टॉप 100 संस्थानों में पीएचडी वाले फैकल्टी मेंबर कॉलेजों के मामले में न्यूनतम 61.06 प्रतिशत से लेकर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूशन के मामले में अधिकतम 91.60 फीसदी तक हैं। वहीं, पीएचडी वाले फैकल्टी मेंबर फार्मेसी संस्थानों के मामले में न्यूनतम 33.27 प्रतिशत से लेकर यूनिवर्सिटीज के मामले में अधिकतम 64.29 प्रतिशत तक हैं।

इंजीनियरिंग एजुकेशन में बढ़ोतरी

मंत्रालय की रिपोर्ट के मानें तो, “इंजीनियरिंग एजुकेशन में भारत में पिछले दो दशकों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी दर्ज हुई है, जिसमें हजारों इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूशन, निजी क्षेत्र के साथ-साथ सरकारी क्षेत्र में, देश के लगभग सभी हिस्सों में दिखाई देते हैं। भारत में हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूशन की एक बड़ी तस्वीर प्राप्त करने के वास्ते फैकल्टी डेटा के एनालिसिस के लिए इंजीनियरिंग का चयन किया जाता है।” 

बड़ी चुनौती से गुजर रहा

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “यह विषय (इंजीनियरिंग) अपने ग्रेजुएट्स की क्वालिटी और रोजगार क्षमता के मामले में भी एक बड़ी चुनौती से गुजर रहा है।” हालांकि, इंजीनियरिंग फैकल्टी के केवल 44.51 प्रतिशत सदस्यों के पास डॉक्टरेट की योग्यता है, जबकि 55 प्रतिशत से अधिक फैकल्टी मेंबर के पास मास्टर डिग्री है। जानकारी दे दें कि केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने सोमवार को एनआईआरएफ (NIRF) का 8वां संस्करण जारी किया।

(इनपुट- पीटीआई)

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मुख्तार अंसारी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा, अपील मंजूर, 24 जुलाई को सुनवाई

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माफिया मुख्तार अंसारी गैंगस्टर एक्ट में मिली सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। उसकी याचिका विचार के लिए स्वीकार कर ली गई है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत से सभी रिकॉर्ड तलब कर लिए हैं।



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