दिग्गज टेक कंपनी गूगल के पूर्व कर्मचारी ने बॉस रही एक महिला पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। शख्स ने कोर्ट में केस दायर करते हुए आरोप लगाया है कि एक डिनर के दौरान उसकी फीमेल बॉस ने उसे गलत तरीके से छुआ और उससे कहा कि उसे पता है कि शख्स को एशियाई महिलाएं पसंद हैं। शख्स का दावा है कि बॉस की बात नहीं मानने की वजह से बाद में गूगल से उसे नौकरी से निकाल दिया गया।
48 वर्षीय रयान ओलोहान का आरोप है कि दिसंबर, 2019 में चेल्सी के एक रेस्त्रां में गूगल की टॉप एक्सीक्यूटिव और उसकी बॉस टिफनी मिलर ने उसे गलत तरीके से पकड़ा। रयान ने मैनहट्टन में केस दर्ज करवाया है। कोर्ट पेपर्स के अनुसार, टिफनी मिलर ने रयान के ऐब्स पर हाथ फेरे और उसकी बॉडी की तारीफ की। फीमेल बॉस ने उससे कहा कि उसकी शादीशुदा जिंदगी में ‘स्पाइस’ की कमी है। ओलोहान फूड, बेवरेजेस एंड रेस्त्रां के मैनेजिंग डायरेक्टर पद पर प्रमोट हुए थे, जिसके बाद वेस्ट 13 स्ट्रीट पर कंपनी के लोग पार्टी के लिए जुटे थे।
असहज महसूस कर रहे थे ओलोहान
‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ के अनुसार, सात बच्चों के पिता ओलोहान का कहना है कि शुरुआत में वह इस घटना को सबके सामने लाने में असहज महसूस कर रहे थे, क्योंकि उस समय उनके ज्यादातर कलीग्स नशे में थे। उन्होंने गूगल के एचआर डिपार्टमेंट पर शिकायत करने के बाद भी कोई भी कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एचआर ने खुले तौर पर माना कि यदि शिकायत उल्टी होती यानी कि कोई महिला किसी पुरुष पर हैरेसमेंट का आरोप लगाती, तो तुरंत ही कार्रवाई हो जाती।
‘एशियाई महिलाएं ओलोहान को पसंद हैं’
ओलोहान का दावा है कि आरोप लगाए जाने के बाद से ही मिलर ने उस पर जवाबी कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी। महिला का प्रतिशोध कथित रूप से दिसंबर 2021 में गूगल द्वारा होस्ट किए गए एक कार्यक्रम में जारी रहा, जिसमें मिलर ने अपने सहयोगियों के सामने ओलोहान को नशे में धुत बताया। बाद में मिलर ने माफी मांगी। ओलोहान द्वारा दायर किए गए मुकदमे में कहा गया है कि गूगल को पता था कि मिलर का यह रिएक्शन इसलिए आया है, क्योंकि ओलोहान ने सेक्सुअल एडवांसेस से मना कर दिया था। वहीं, अप्रैल 2022 में कराओके बार में कंपनी के गेट-टू-गेदर के दौरान मिलर और ओलोहान का फिर से आमना-सामना हुआ, जहां ओलोहान का मजाक उड़ाया गया। मिलर ने वहां भी कहा कि वह जानती है कि ओलोहान को व्हाइट विमेन से ज्यादा एशियाई महिलाएं पसंद हैं।
दिल्ली में कार हादसे का एक हैरान करने वाला वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में एक तेज रफ्तार बेकाबू कार को सड़क पर घिसटते और कई बार पलटते देखा जा सकता है. पूरी घटना दक्षिणी दिल्ली के सीआर पार्क इलाके की है. इस घटना में एक 17 साल के स्कूली छात्र को मामूली चोटें आई हैं, उसे बाद में पास के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है. बेकाबू कार ने सामने खड़ी एक कैब को भी टक्कर मारी है. इस घटना में कैब चालक गौरव को भी चोटें आई हैं.
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पुलिस की जांच में पता चला है कि बेकाबू कार के पलटने के बाद वो सामने खड़ी एक कैब से जा टकराई. घटना के समय कैब चालक गौरव अपनी गाड़ी में अकेला था. पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो वहां बलेनो कार के साथ-साथ एक स्विफ्ट कार क्षतिग्रस्त स्थिति में दिखी.
कैब चालक गौरव ने पुलिस को बताया है कि बलेनो कार का चालक अपनी कार को काफी तेजी से चलाता हुई उसकी कार की तरफ बढ़ रहा था औऱ बाद में उसने उसकी कार को पीछे से टक्कर मार दी. इस मामले को लेकर पुलिस फिलहाल सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है, साथ ही घटना के समय आसपास मौजूद लोगों से भी पूछताछ की जा रही है.
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यूपी में नगर निकाय चुनाव का रास्ता साफ
यूपी निकाय चुनाव 2023: निकाय चुनाव का रास्ता अब साफ हो गया है। जातिगत आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी है। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे की जांच के लिए गठित एक समर्पित आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है, जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को चुनाव कराने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत के पिछले आदेश के आधार पर यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए एक अधिसूचना जारी की है।
दो दिनों में जारी कर दी जाएगी अधिसूचना
न्यायालय की इस पीठ में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जेबी पदीर्वाला की पीठ ने कहा कि आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रिपोर्ट 9 मार्च को पेश की गई है। पीठ ने आगे कहा कि इसके बाद अब स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना दो दिनों में जारी कर दी जाएगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण दिए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगा दी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने तब अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि उसने ओबीसी के प्रतिनिधित्व के लिए डेटा एकत्र करने के लिए पहले से ही एक समर्पित आयोग का गठन किया है।
हाई कोर्ट ने जारी कर दिया था आदेश
पिछले साल दिसंबर में उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित किया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल मई में ‘के. कृष्ण मूर्ति (डॉ.) और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य’ (2010) में संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण के लिए पहले ‘ट्रिपल टेस्ट शर्तो’ को पूरा करना होगा।
इससे पहले इस साल मार्च में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह, जिन्होंने आयोग का नेतृत्व किया था और चार अन्य सदस्य – सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार और पूर्व अतिरिक्त कानून सलाहकार संतोष कुमार विश्वकर्मा और ब्रजेश कुमार सोनी मिले थे। मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर जाकर शहरी विकास मंत्री ए.के. शर्मा और शहरी विकास विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में रिपोर्ट सौंपी।
अमृतपाल को लेकर भारत ने नेपाल को अलर्ट किया है। काठमांडू स्थित इंडियन एंबेसी ने नेपाल सरकार को आगाह किया है कि अमृतपाल सिंह फेक पासपोर्ट इस्तेमाल करते हुए वहां शरण ले सकता है। उसका हुलिया भी बताया है।