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पाकिस्तान में तबाही मचा रही बाढ़, मरने वालों की संख्या 1100 से ज्यादा पहुंची

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Image Source : PTI
Pakistan Floods

Highlights

  • पाकिस्तान में बाढ़ का कहर
  • मरने वालों की संख्या 1100 से ज्यादा पहुंची
  • पाक को मिलने लगी अंतरराष्ट्रीय सहायता

Pakistan News: पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या सोमवार को 1136 पहुंच गई है। हालांकि अब पाक में आर्थिक संकट के बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार की अपील के बाद अंतरराष्ट्रीय सहायता पहुंचने लगी है। बाढ़ के कहर का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 3.3 करोड़ लोगों को यानी देश की कुल आबादी के करीब सातवें हिस्सा को विस्थापित होना पड़ा है। 

पाकिस्तानी जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान ने इसे “दशक का सबसे भयावह मानसून” कहा, वहीं वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने कहा कि बाढ़ के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 10 अरब डॉलर तक का नुकसान हुआ है। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने वाले मुख्य राष्ट्रीय संगठन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, बाढ़ के कारण कम से कम 1136 लोग मारे गए हैं जबकि 1,634 लोग घायल हुए हैं। 

प्राधिकरण ने कहा कि करीब 9,92,871 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे लाखों लोग भोजन और साफ पानी आदि से वंचित हैं। इसके साथ ही करीब 7.19 लाख पशु भी मारे गए हैं और लाखों एकड़ उपजाऊ भूमि लगातार बारिश से पानी में डूबी हुई है। 

मृतकों की संख्या में हो सकती है बढ़ोतरी

‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि मृतकों की संख्या काफी अधिक हो सकती है क्योंकि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हजारों गांव देश के बाकी हिस्सों से कटे हुए हैं और नदियों में उफान से सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 

‘जियो टीवी’ की एक खबर के अनुसार, पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में बिजली की बहाली सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस भीषण आपदा का सामना करने में मुश्किलों से जूझ रहे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है और कई देशों ने एकजुटता संदेशों के साथ मानवीय सहायता भेजी है। 

बीबीसी ने प्रधानमंत्री शरीफ के एक करीबी सहयोगी का हवाला देते हुए कहा कि देश को अंतरराष्ट्रीय मदद की काफी दरकार है। अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य ने आपदा अपील को देखते हुए मदद की है, लेकिन और अधिक धन की जरूरत है। 

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दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों को मिला सबसे पुराना कब्रिस्‍तान, खुलेंगे इंसानी सभ्‍यता के कई बड़े राज!

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जोहान्सबर्ग: दक्षिण अफ्रीका में जीवाश्म विज्ञानियों को दुनिया के सबसे पुराने कब्रिस्‍तान का पता लगा है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह इंसानों को दफन करने की वह सबसे पुरानी ज्ञात जगह है जहां पर ऐसे इंसानों को दफनाया जाता था जिनका दिमाग छोटा होता था। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ऐसे मनुष्‍य थे जिन्हें पहले जटिल व्यवहार के लिए अक्षम माना जाता था। मशहूर जीवाश्म विज्ञानी ली बर्जर के नेतृत्व में इस खोज को पूरा किया गया है। रिसर्चर्स ने सोमवार को कहा कि उन्हें जोहान्‍सबर्ग में यूनेस्‍को की वर्ल्‍ड हैरिटेज साइट के पास जो कुछ भी मिला है, उसने उन्‍हें हैरान कर दिया है। यह कब्रिस्‍तान होमो नलेदी का है जो एक पेड़ पर चढ़ने वाला और पाषाण युग का मानव था।

100 फीट नीचे दबा कब्रिस्‍तान
कब्रिस्‍तान उस गुफा के अंदर मिला है जहां पर पत्‍थर युग में इंसान रहते थे। यह करीब 30 मीटर या 100 फीट जमीन में दबा हुआ। अभी तक इस रिसर्च को पब्लिश नहीं किया गया है और इसे आने वाले दिनों में ईलाइफ में रिलीज किया जाएगा। वैज्ञानिकों ने लिखा है, ‘ये कब्रिस्‍तान बताने के लिए काफी है कि कम से कम एक लाख साल पहले भी मानवजाति का हस्‍तक्षेप था और रिकॉर्ड में दर्ज किए गए सबसे पुराने सबूत हैं। वैज्ञानिकों ने जो निष्कर्ष निकाला है वह मानव विकास की वर्तमान समझ को चुनौती देता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि जटिल गतिविधियों जैसे कि मृतकों को दफनाने के लिए बड़े दिमाग वाले मनुष्‍यों की जरूरत होती थी।
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मीडिल ईस्‍ट और अफ्रीका में भी मिला
इससे पहले मीडिल ईस्‍ट और अफ्रीका में मानवजाति का सबसे पुराना कब्रिस्‍तान मिला था और वह भी करीब एक लाख साल पुराना था। हालांकि वैज्ञानिक बर्जर के नेतृत्व वाली टीम की रिसर्च अक्‍सर विवादों में रही है। उन्‍होंने हाल ही में अपनी एक खोज को कम से कम 200,000 ईसा पूर्व का करार दिया था। अमेरिका के रहने वाले बर्जर ने बताया, ‘होमो नलेदी हमें बताता है कि हम उतने खास नहीं हैं।’ होमो नलेदी इंसानी सभ्‍यता का वह रूप था जिसे बंदरों और आधुनिक मानवों के बीच की कड़ी माना जाता है। कहा जाता है कि इनका दिमाग संतरे के आकार जितना ही होता था। इनकी लंबाई भी करीब 1.5 मीटर यानी 5 फीट ही होती थी।

कैसे होते थे होमो नलेदी
हाथ और पैर की मुड़ी हुई उंगलियों के अलावा इनके हाथ उपकरण चलाने में सक्षम थे और ये भी आज के इंसानों की तरह पैरों का प्रयोग चलने के लिए करते थे। साल 2013 में बर्जर ने ही होमो नलेदी की खोज की थी। इस खोज के साथ इस धारणा को खत्म करने में मदद मिली कि इंसानों का विकास एक सीधी रेखा पर हुआ था। प्रजाति का नाम ‘राइजिंग स्टार’ गुफा पर रखा गया है, जहां पहली बार इंसानों की हड्डियां साल 2013 में मिली थीं। स्मिथसोनियन ह्यूमन ओरिजिन्स प्रोग्राम के निदेशक रिक पोट्स ने कहा, ‘अभी भी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।’ हालांकि वह इस रिसर्च का हिस्‍सा नहीं थे।



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अंतरिक्ष के पांच अद्भुत और विशालकाय गड्ढे, जो आपको हमारे सौर मंडल की भव्यता से प्यार करने पर मजबूर कर देंगे

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Top 5 Craters of Solar System : विशालकाय गड्ढे या क्रेटर, किसी ठोस सतह से किसी बड़ी और कठोर वस्तु के टकराने से बनने वाली संरचना। धरती पर तो ये गड्ढे समय के साथ भर जाते हैं लेकिन अंतरिक्ष में ये हमेशा के लिए संरक्षित हो जाते हैं।



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चीन से लेकर सऊदी अरब तक… किसी ‘दोस्त’ को नहीं रहा पाकिस्तान पर भरोसा! दुनियाभर में हो रही किरकिरी

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इस्लामाबाद : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बेलआउट प्रोग्राम को पुनर्जीवित करने के लिए पाकिस्तान सरकार के संघर्ष ने अब देश की वैश्विक छवि पर नकारात्मक प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है और इससे मित्र देशों के रुख में बदलाव आया है। 6.5 अरब डॉलर की विस्तारित अनुदान सुविधा (EFF) को पुनर्जीवित करने के लिए आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए टैरिफ, ईंधन की कीमतों, ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए अलोकप्रिय और राजनीतिक हानिकारक फैसले लेने के बावजूद सरकार का संघर्ष जारी है। सरकार आईएमएफ को अपनी प्रगति के बारे में समझाने में विफल रही है और अभूतपूर्व परिस्थितियों से निपटने में पूरी तरह से असफल दिखी है।

वैश्विक ऋणदाता की कठोर स्थिति ने सरकार को अपने भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन, और नेताओं के बीच अविश्वास के पिछले इतिहास के कारण अपने प्रलोभन के आगे झुकने के लिए मजबूर कर दिया है। राजनीतिक बिंदु स्कोरिंग और लाभ, अब देश को एक ऐसे बिंदु पर ले आए हैं, जहां सौदा हासिल करना अब सरकार के नियंत्रण में नहीं है। पाकिस्तान को मित्र देशों से दृढ़ गारंटी और समर्थन की आवश्यकता है। इस मोर्चे पर भी, पाकिस्तान अब अविश्वास और संदेह की धारणा का सामना कर रहा है, यहां तक कि उसके मित्र देशों की ओर से भी, जो अब इस्लामाबाद से अपना समर्थन हटा रहे हैं।

कहीं खत्म न हो जाए पाकिस्तान के ‘दोस्तों’ का धैर्य! एक्सपर्ट ने कहा- अब हमारे हाथ में नहीं IMF डील

दुनियाभर में खराब हो रही पाकिस्तान की छवि

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस्लामाबाद की बिगड़ती छवि के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से 2.5 बिलियन डॉलर मूल्य की शेष किश्तों को हासिल करने में समर्थन मांगने के बाद इस्लामाबाद को बेलआउट प्रोग्राम को पुनर्जीवित करने के लिए मनाने की आखिरी बातचीत विफल हो गई। तुर्की, चीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे मित्र देश भी अब बदलाव करते दिख रहे हैं।

राजनीतिक अशांति बनी बर्बादी का कारण

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अदनान शौकत ने कहा, ‘पाकिस्तान के प्रति आईएमएफ की उपेक्षा का एक प्रमुख कारण देश में राजनीतिक अशांति है। पीडीएम सरकार न केवल आईएमएफ की मांगों को पूरा करने में विफल रही है, बल्कि राजनीतिक स्थिति को स्थिर करने में भी विफल रही है। आईएमएफ ने खुद इस चिंता का उल्लेख अपने हालिया बयान में किया है। पाकिस्तान जैसे राजनीतिक अस्थिर देश को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है। कम से कम आईएमएफ की नजर में तो नहीं।’ समय के साथ, आईएमएफ सौदे को सुरक्षित करने में इस्लामाबाद की विफलता ने अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि पर अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है।



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