इस्लामाबाद/अंकारा: किलर ड्रोन के सुपरपावर बन चुके तुर्की ने भारत के दुश्मन पाकिस्तान के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट ‘कान’ को विकसित करने का फैसला किया है। तुर्की ने इस गठबंधन में अजरबैजान को भी शामिल किया है जो अक्सर पाकिस्तान के समर्थन में कश्मीर पर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है। अजरबैजान तुर्की के ड्रोन और पाकिस्तानी हथियारों की मदद से आर्मीनिया पर भीषण हमले करता रहता है और नागर्नो-कराबाख के एक बड़े इलाके पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है। तुर्की का यह कान फाइटर जेट भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। भारत के पास अभी एक भी 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट नहीं है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक तुर्की ने कान के एक मॉडल को तैयार कर लिया है और अब यह पहली बार अपनी ऐतिहासिक उड़ान भर सकता है। तुर्की अगर ऐसा करने में सफल रहता है तो उसके लिए यह ऐतिहासिक घटना होगी। तुर्की का दावा है कि यह रेडॉर की पकड़ में नहीं आने वाली स्टील्थ तकनीक से लैस होगा। दावा किया जा रहा है कि इसके विकास में तुर्की के अलावा अजरबैजान और पाकिस्तान की भी भूमिका है। इसके जरिए तीनों ही देश अपनी रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करना चाहते हैं। Pakistan Turkey Drone: पाकिस्तान को मिला यूक्रेन में तबाही मचा रहा तुर्की का खतरनाक ड्रोन, जानें कितना ताकतवर
तुर्की का कान, भारत के लिए बड़ा खतरा
तुर्की का यह कान विमान 27 दिसंबर को उड़ान भरने वाला है। इस लड़ाकू विमान को तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्री कंपनी ने विकसित किया है जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस होगा। कान विमान से साफ हो गया है कि पाकिस्तान और अजरबैजान अब तुर्की के साथ एविएशन के सेक्टर में भी सहयोग करने लगे हैं। पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि कान विमान के कई सबसिस्टम पाकिस्तान के अंदर बनाए जाएंगे। इससे तुर्की पर वित्तीय भार कम आएगा और विमानों का उत्पादन भी तेजी से होगा।
तुर्की का दावा है कि स्टील्थ तकनीक से लैस होने की वजह से यह विमान दुश्मन के इलाके में बिना अपनी भनक दिए घुस सकेगा। इससे यह भविष्य में गेम चेंजर साबित हो सकता है। एआई तकनीक से लैस होने की वजह से यह आधुनिक हवाई युद्धकौशल में अपराजेय साबित होगा। तुर्की और पाकिस्तान के बीच इस भागीदारी से भारत की टेंशन बढ़ सकती है। भारत के पास एक भी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। भारत के अभी भविष्य में इसके खरीदने की संभावना भी नहीं दिख रही है। भारत अपने खुद के विमान पर काम कर रहा है लेकिन अभी यह विकास के चरण में है। तुर्की पाकिस्तान को पहले ही अपने कई घातक ड्रोन दे चुका है। ऐसे में दोनों देशों के बीच इस नई साझीदारी से भारत की टेंशन बढ़ सकती है।
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भारतीयों को जारी किए 10 लाख से ज्यादा वीजा
America-India Visa: अमेरिका में भारतीयों को दूतावास ने 10 लाख से अधिक वीजा जारी किए हैं। साल 2023 में यह आंकड़ा 2019 के आंकड़े से 20 फीसदी अधिक है। इस तरह अमेरिकी मिशन ने 2023 में 10 लाख गैर-आप्रवासी वीजा आवेदनों को संसाधित करने के अपने लक्ष्य को पार कर लिया है। अमेरिकी दूतावास ने गुरुवार को घोषणा की कि मिशन ने 2022 में संसाधित मामलों की कुल संख्या को पहले ही पार कर लिया है। साथ ही महामारी 2019 से पहले की तुलना में लगभग 20% अधिक आवेदनों पर कार्रवाई कर रहा है।
भारत से रिश्ते हुए और मजबूत
भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी ने दूतावास के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, ‘भारत के साथ हमारे द्विपक्षीय सहयोग और संबंध काफी गहरे हैं। साथ ही दोनों देशों के रिश्ते सबसे महत्वपूर्ण रिश्तों में से एक है। हमारे लोगों के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं। यही नजीं, हम आने वाले महीनों में अधिक से अधिक भारतीय आवेदकों को अमेरिका की यात्रा करने और अमेरिका-भारत मित्रता का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर देने के लिए वीजा कार्य की रिकॉर्ड-सेटिंग मात्रा जारी रखेंगे’।
कितना है रोजगार वीजा आवेदकों का आंकड़ा
पिछले वर्ष, 1.2 मिलियन से अधिक भारतीयों ने अमेरिका की विजिट की। यह विश्व में सबसे मजबूत यात्रा संबंधों में से एक बन गया। अमेरिकी दूतावास के मुताबिक भारतीय अब दुनियाभर में सभी वीजा आवेदकों में से 10 प्रतिशत से अधिक का रिप्रेजेंट करते हैं। इसमें सभी छात्र वीजा आवेदकों में से 20 फीसदी और सभी एच एंड एल-श्रेणी (रोजगार) वीजा आवेदकों में से 65 फीसदी शामिल हैं।
अमेरिकी वीजा की निरंतर मांग को ध्यान में रखते हुए, दूतावास ने कहा कि अमेरिका भारत में अपने परिचालन में भारी निवेश कर रहा है। पिछले वर्ष में, मिशन ने पहले से कहीं अधिक वीज़ा प्रसंस्करण की सुविधा के लिए अपने स्टाफ का विस्तार किया है। मिशन ने मौजूदा सुविधाओं, जैसे चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास, में महत्वपूर्ण पूंजीगत सुधार किए हैं और हैदराबाद में एक नए वाणिज्य दूतावास भवन का उद्घाटन किया है।
एरिक ने सौंपा 10 लाख वां वीजा
अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने व्यक्तिगत रूप से एक कपल को दस लाख वां वीजा सौंपा है, जो एमआईटी में अपने बेटे के स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए अमेरिका जा रहे हैं। लेडी हार्डिंग कॉलेज की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. रंजू सिंह अमेरिकी दूतावास से इस वर्ष अपना दस लाख का वीजा मिलने के बारे में एक ईमेल प्राप्त करके बहुत खुश थीं। उनके पति पुनीत दर्गन को अगला वीजा दिया गया।
करीब 30 वर्षों की लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार अजरबैजान ने फिर से नागोर्नो-काराबाख पर कब्जा पा लिया है। अभी तक यह शहर आर्मीनिया के अधीन था। यहां आर्मीनिया के सैनिकों का शासन था। मगर पिछले कई वर्षों से आर्मीनिया और अजरबैजान में नागोर्नो-काराबाख के लिए भीषण जंग हुई है। दोनों पक्षों की ओर से हजारों सैनिकों और लोगों की जानें गई। अब जाकर अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख को अपने कब्जे में ले लिया है। लिहाजा अब यहां की अलगाववादी सरकार भी शीघ्र ही भंग हो जाएगी।
नागोर्नो-काराबाख की अलगाववादी सरकार ने बृहस्पतिवार को ऐलान किया कि एक जनवरी 2024 तक खुद को भंग कर देगी। हाल ही में अजरबैजान ने अपने से अलग हुए क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए आक्रामक कार्रवाई की थी और नागोर्नो-काराबाख में आर्मीनियाई सैनिकों से अपने हथियार डालने तथा अलगाववादी सरकार से खुद को भंग करने के लिए कहा था। इसके बाद नागोर्नो-काराबाख की अलगाववादी सरकार की ओर से यह ऐलान किया गया है।
अलगाववादियों ने 30 वर्षों तक किया नागोर्नो-काराबाख पर शासन
नागोर्नो-काराबाख पर लगभग 30 वर्षों तक अलगाववादियों का शासन था। नागोर्नो-काराबाख पर दोबारा नियंत्रण हासिल करने के बाद अजरबैजान ने बुधवार को कहा कि क्षेत्र की अलगाववादी सरकार के पूर्व प्रमुख को आर्मेनिया में घुसने की कोशिश के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। अजरबैजान के सीमा सुरक्षा बल ने रुबेन वर्दनयान की गिरफ्तारी की घोषणा की। बल ने कहा कि वर्दनयान को देश की राजधानी बाकू ले जाकर ‘‘संबंधित प्राधिकारियों’’ को सौंप दिया गया, जो उनके बारे में फैसला करेंगे। (एपी)
ऑस्ट्रेलियाई सांसदों द्वारा ताइवान का दौरान करने पर चीन बुरी तरह बौखला गया है। ड्रैगन ने ऑस्ट्रेलिया के इस दौरे की आलोचना की है। ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन के राजदूत ने ताइवान जाने वाले आस्ट्रेलियाई नेताओं की बृहस्पतिवार को खूब आलोचना की और कहा कि स्वशासित द्वीप के अलगाववादी उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। राजदूत के इस बयान से चीन की बौखलाहट को समझा जा सकता है। राजदूत शिआओ किआन ने यह बात इस सप्ताह ताइवान गए ऑस्ट्रेलियाई संसदीय प्रतिनिधिमंडल के संदर्भ में सिडनी में कही।
इस यात्रा के अलावा एक पूर्व प्रधानमंत्री की अगले माह ताइपे में भाषण देने की भी योजना है। चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है। शिआओ ने कहा कि ताइवान जाने वाले ऑस्ट्रेलियाई सांसद तथा पूर्व प्रधानमंत्री‘‘ का राजनीतिक महत्व है।’’ चीनी राजदूत ने कहा, ‘‘ताइवान में राजनीतिक शक्तियां अपने अलगाववादी अंदोलन के लिए इसका आसानी से इस्तेमाल कर लेंगी और मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि वे एक चीन नीति को मानेंगे और ताइवान के साथ किसी भी तरीके से कामकाज करने से दूरी बनाएंगे ताकि वे राजनीतिक उद्देश्य रखने वाले द्वीप के लोगों द्वारा राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल नहीं हों।
राजदूत ने कहा-चीन का हिस्सा है ताइवान
चीनी राजदूत ने कहा कि’’ ‘एक चीन नीति’ के अनुसार कम्युनिस्ट पार्टी चीन की सरकार है और ताइवान देश का हिस्सा है। चीन की सरकार ने ताइवान की सत्तारुढ़ पार्टी पर बुधवार को स्वतंत्रता हासिल करने की कोशिश का आरोप लगाया था। इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने दौरे पर आए छह ऑस्ट्रेलियाई सांसदों के साथ बैठक में एक क्षेत्रीय व्यापार समझौते में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया के समर्थन की पैरवी की थी। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की 11 और 12 अक्टूबर को ताइपे में युशान फोरम को संबोधित करने की योजना है। (एपी)