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पराली जलाने से बचने के लिए क्या है समाधान

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देवांशु दत्ता /  October 25, 2022






 उत्तर भारत में दीवाली के साथ ही दूषित हवा काफी लंबे समय तक बनी रहती है। दीवाली फसल कटाई का त्योहार है और फिर खेतों में बोआई होती है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पिछली फसल की पराली में आग लगाकर खेत की सफाई करते हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस पर आंकड़े जारी नहीं किए हैं, लेकिन 2021 में नैशनल एरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने 1 से 14 नवंबर के बीच उत्तर भारत के क्षेत्रों में पराली जलाने के 57,000 से अधिक मामलों की जानकारी दी थी।

पराली जलाना निश्चित तौर पर जल्दबाजी में अपनाया जाने वाला एक खराब और सस्ता तरीका है। इससे हानिकारक गैस और छोटे कण हवा में फैलते हैं जो हवा के साथ ही लटके होते हैं (एसपीएम) जिससे धुंध जैसी स्थिति बनती है और नतीजतन वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बेहद खराब स्तर पर पहुंच जाता है। हवा की खराब गुणवत्ता यानी एक्यूआई में कई अन्य कण भी योगदान देते हैं लेकिन इस मौसम में वायुमंडल के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 35 से 45 प्रतिशत के बीच है। हालांकि कई सालों तक पराली जलाने पर पाबंदी थी। लेकिन किसानों के राजनीतिक रसूख के कारण प्रतिबंध कभी लागू नहीं किया जा सका।

तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर सरकार का किसानों से टकराव खत्म होने के बाद सरकार ने पराली जलाने पर लगी रोक भी हटा ली थी। अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पराली जलाने से रोकने के लिए रसायनों का छिड़काव किया जा रहा है। कृषि मंत्रालय ने पराली की कटाई के लिए उपकरण के भी इंतजाम किए हैं। लेकिन इसकी कीमत माचिस की तुलना में अधिक है इसलिए इसे अपनाने वालों की तादाद कम है। केरल और पूर्वोत्तर में बतख का इस्तेमाल जैविक पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) समाधान के रूप में किया जाता है। दरअसल  बतख पराली खाते हैं और फिर बतख को घी में भूनकर खाया जाता है। हालांकि उत्तर भारतीय व्यंजनों में बतख की उतनी मांग नहीं है।

विद्युत मंत्रालय (एमओपी) ने इसके समाधान का एक और तरीका सुझाया है कि पराली की कटाई करने के साथ ही इसे गोले के रूप में तैयार कर दिया जाए और कोयले के विकल्प के रूप में ताप विद्युत संयंत्र में इसे जलाया जा सके। विद्युत मंत्रालय ने यह अनिवार्य किया है कि ताप संयंत्र को अगले 25 वर्षों के लिए कोयले में जैव ईंधन के गोले या उसकी टिकिया बनाकर उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आदर्श रूप में इस जैव ईंधन घटक की मात्रा बढ़ाकर 10 प्रतिशत की जानी चाहिए।

इन गोले को घरेलू स्तर पर तैयार किया जा सकता है या लंबी अवधि की निविदा के माध्यम से इसके आपूर्तिकर्ताओं से मंगाया जा सकता है। इससे एक आपूर्ति श्रृंखला बनेगी जहां किसान पराली को गोला निर्माताओं को बेचेंगे जो इसे बिजली संयंत्रों को बेच देंगे। इसे बिजली उत्पादकों और वितरकों के अक्षय ऊर्जा से जुड़ी जिम्मेदारियों में भी गिना जाएगा।

जैविक ईंधन के गोले के जलने से कई गैस निकलती हैं। लेकिन इसे हानिकारक श्रेणी में वर्गीकृत नहीं किया जाता है क्योंकि पौधे कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2) को अवशोषित करते हैं। इसीलिए कोयला या प्राकृतिक गैस के विपरीत, प्रदूषकों को इनके जरिये हटा दिया जाता है जो जैविक ईंधन का उत्पादन करते हैं।  

यदि जैविक ईंधन के लिए पेड़ों को काट दिया जाता है और दोबारा से लगाया जाता है तब इसकी जगह कार्बन डाइ ऑक्साइड को अवशोषित करने वाले सार्थक गैसों के बनने में कुछ समय लगता है। यूरोपीय संघ ने पेड़ों को काटने से मिले जैविक ईंधन को इससे बाहर करने के लिए अपने अक्षय ऊर्जा निर्देशों को सीमित कर दिया है। अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन पर वैज्ञानिक समुदाय का दबाव है कि वह जैविक ईंधन को पेड़ों की कटाई से अलग करे।

वहीं दूसरी तरफ भारत में धारणा यह है कि अपशिष्ट या अतिरिक्त जैविक ईंधन (पराली, पुआल) का इस्तेमाल  किया जाएगा। इसका जल्दी से निपटान जरूरी होता है कि क्योंकि अगली फसल तुरंत लगाई जाती है और चावल/गेहूं में तेजी से वृद्धि होती है। कुछ अनुमानों के अनुसार भारतीय कृषि की अतिरिक्त जैविक ईंधन लगभग 25 करोड़ टन प्रति वर्ष है।

इससे जुड़ी तकनीक सरल है। चीनी मिलें एक सदी से गन्ने के कुचले जाने के बाद बचे उत्पाद यानी खोई का इस्तेमाल कर रही हैं। यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ऐसा ही किया गया था। जैविक ईंधन उत्पादों के गोले आसानी से बनाए जा सकते हैं, उसे संग्रह किया जा सकता है और उसे कहीं भी भेजा जा सकता है। बिजली संयंत्र भी इस जैविक ईंधन को ले जा सकते हैं और इसे साइट पर ही तैयार कर सकते हैं। वातावरण में तापमान की मात्रा बढ़ाकर जैविक ईंधन को सुखाया जा सकता है और यहां तक कि आसानी से भंडारण करने के लिए पानी का प्रतिरोधक बनाया जा सकता है।

लेकिन बिजली की प्रति इकाई के लिहाज से जैविक ईंधन की लागत, ताप कोयले की तुलना में अधिक हो सकती है। कोयले की तुलना में प्रत्येक किलोग्राम जैविक ईंधन गोले पर कम कैलोरी मिलती है। कुछ अध्ययनों में दावा किया गया है कि कोयला खदान को जलाने की तुलना में जैविक ईंधन के कार्बन प्रभाव, गोले तैयार करने और उसके जलाने का असर अधिक है। लेकिन उत्तर भारत में, लाखों खेतों में पराली जलाने की तुलना में  कुछ संयंत्रों के चिमनियों से धुआं निकलने से कम धुंध और कम हवा प्रदूषित होती है।

विद्युत मंत्रालय का कहना है कि अप्रैल-जुलाई 2022 के बीच 39 बिजली संयंत्रों ने 80,000 टन से अधिक जैविक ईंधन की खपत की और 55 गीगावॉट का उत्पादन किया। यह 5 प्रतिशत से बहुत कम है, लेकिन यह सालाना जैविक ईंधन इस्तेमाल में 500 प्रतिशत की वृद्धि भी है। बायोमास इस्तेमाल का एसिड परीक्षण सर्दी के मौसम में होगा। अगर यह योजना पराली जलाने को कम करती है और हवा की गुणवत्ता बेहतर करती है तब बिजली की बढ़ी हुई लागत का संतुलन कम स्वास्थ्य सेवा जरूरतों से किया जा सकता है।



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सेंसेक्स 400 अंक से अधिक गिर गया, निफ्टी 17,900 के नीचे बंद हुआ

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डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के पांचवे और आखिरी दिन (06 जनवरी 2023, शुक्रवार) गिरावट के साथ बंद हुआ। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही लाल निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सेंसेक्स 452.90 अंक यानी कि 0.75% की गिरावट के साथ 59,900.37 के स्तर पर बंद हुआ।

वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 132.70 अंक यानी कि 0.74% की गिरावट के साथ 17,859.45 के स्तर पर बंद हुआ।

आपको बता दें कि, सुबह बाजार सपाट स्तर पर खुला था। इस दौरान सेंसेक्स 77.23 अंक यानी कि 0.13% बढ़कर 60,430.50 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 24.60 अंक यानी कि 0.14% बढ़कर 18,016.80 के स्तर पर खुला था।

जबकि बीते कारोबारी दिन (05 जनवरी 2023, गुरुवार) बाजार सपाट स्तर पर खुला था और गिरावट के साथ बंद हुआ था। इस दौरान सेंसेक्स 304.18 अंक यानी कि 0.50% गिरावट के साथ 60,353.27 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी 50.80 अंक यानी कि 0.28% गिरावट के साथ 17,992.15 के स्तर पर बंद हुआ था।



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सेंसेक्स में 77 अंकों की मामूली बढ़त, निफ्टी 18 हजार के पार खुला

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डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के पांचवे और आखिरी दिन (06 जनवरी 2023, शुक्रवार) भी सपाट स्तर पर खुला। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही हरे निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सेंसेक्स 77.23 अंक यानी कि 0.13% बढ़कर 60,430.50 के स्तर पर खुला।

वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 24.60 अंक यानी कि 0.14% बढ़कर 18,016.80 के स्तर पर खुला।

शुरुआती कारोबार के दौरान करीब 1205 शेयरों में तेजी आई, 679 शेयरों में गिरावट आई और 115 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।

आपको बता दें कि, बीते कारोबारी दिन (05 जनवरी 2023, गुरुवार) बाजार सपाट स्तर पर खुला था इस दौरान सेंसेक्स 44.66 अंक यानी कि 0.07% बढ़कर 60702.11 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 17 अंक यानी कि 0.09% ऊपर 18060.00 के स्तर पर खुला था। 

जबकि, शाम को बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ था। इस दौरान सेंसेक्स 304.18 अंक यानी कि 0.50% गिरावट के साथ 60,353.27 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी 50.80 अंक यानी कि 0.28% गिरावट के साथ 17,992.15 के स्तर पर बंद हुआ था।



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पेट्रोल- डीजल की कीमतें हुईं अपडेट, जानें आज बढ़े दाम या मिली राहत

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पेट्रोल- डीजल (Petrol- Diesel) की कीमतों को लेकर लंबे समय से कोई बढ़ा अपडेट देखने को नहीं मिला है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कई बार जबरदस्त तरीके से गिर चुकी हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि, आने वाले दिनों में कच्चा तेल महंगा होने पर इसका असर देश में दिखाई दे सकता है। फिलहाल, भारतीय तेल विपणन कंपनियों (इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम) ने वाहन ईंधन के दाम में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है।

बता दें कि, आखिरी बार बीते साल में 22 मई 2022 को आमजनता को महंगाई से राहत देने केंद्र सरकार द्वारा एक्‍साइज ड्यूटी में कटौती की गई थी। जिसके बाद पेट्रोल 8 रुपए और डीजल 6 रुपए प्रति लीटर तक सस्‍ता हो गया था। इसके बाद लगातार स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। आइए जानते हैं वाहन ईंधन के ताजा रेट…

महानगरों में पेट्रोल-डीजल की कीमत
इंडियन ऑयल (Indian Oil) की वेबसाइट के अनुसार आज देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 96.72 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। वहीं बात करें डीजल की तो दिल्ली में कीमत 89.62 रुपए प्रति लीटर है। आर्थिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल 106.35 रुपए प्रति लीटर है, तो एक लीटर डीजल 94.27 रुपए में उपलब्ध होगा। 

इसी तरह कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल के लिए 106.03 रुपए चुकाना होंगे जबकि यहां डीजल 92.76 प्रति लीटर है। चैन्नई में भी आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए 102.63 रुपए चुकाना होंगे, वहीं यहां डीजल की कीमत 94.24 रुपए प्रति लीटर है।   

ऐसे जानें अपने शहर में ईंधन की कीमत
पेट्रोल-डीजल की रोज की कीमतों की जानकारी आप SMS के जरिए भी जान सकते हैं। इसके लिए इंडियन ऑयल के उपभोक्ता को RSP लिखकर 9224992249 नंबर पर भेजना होगा। वहीं बीपीसीएल उपभोक्ता को RSP लिखकर 9223112222 नंबर पर भेजना होगा, जबकि एचपीसीएल उपभोक्ता को HPPrice लिखकर 9222201122 नंबर पर भेजना होगा, जिसके बाद ईंधन की कीमत की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

 



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