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नंदिनी दूध पर कर्नाटक की राजनीति में फिर से ‘उबाल’, अब दिया गया धार्मिक रंग

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पार्टी नेता सीटी रवि ने यह भी दावा किया है कि राज्य सरकार ने नंदिनी दूध की कीमत बढ़ाकर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ), जो इस ब्रांड का मालिक है, उसको बोली की प्रक्रिया से दूर कर दिया है.

हालांकि, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि टीटीडी को नंदिनी घी की आपूर्ति पिछले डेढ़ साल से नहीं हुई है और कतील से पूछा कि क्या भाजपा, जो उस समय सत्ता में थी, ‘हिन्दू भक्ति विरोधी’ है.

मुख्यमंत्री के दावे की पुष्टि केएमएफ के अधिकारियों ने भी की. उन्होंने कहा कि आखिरी बार आंध्र प्रदेश में मंदिर को नंदिनी घी की आपूर्ति 2021 में की गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि आखिरी निविदा प्रक्रिया इस साल मार्च में हुई थी, जब बीजेपी सरकार सत्ता में थी.

एक ट्वीट में, कतील ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया था और कांग्रेस सरकार पर तिरुपति लड्डू के लिए केएमएफ से घी की आपूर्ति रोकने का आरोप लगाया था.

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ट्वीट में कहा गया, “मंदिर और हिंदू मान्यताओं और भक्ति के प्रति कर्नाटक कांग्रेस की उदासीनता की नीति के कारण तिरूपति के लड्डुओं के लिए नंदिनी घी की आपूर्ति बंद कर दी गई है. तिरूपति के साथ 50 साल की विरासत खत्म हो गई है और यह सिद्धारमैया की हिंदुओं के प्रति उदासीनता की नीति को साबित करता है.”

पिछले हफ्ते, कर्नाटक कैबिनेट ने केएमएफ को 1 अगस्त से नंदिनी दूध की कीमत ₹3 प्रति लीटर बढ़ाने की अनुमति दी थी. भाजपा नेता सीटी रवि ने कहा कि इससे नंदिनी के लिए टीटीडी को पहले की कीमत पर दूध की आपूर्ति करना असंभव हो गया.

रवि ने ट्वीट किया, “कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के दौरान नंदिनी मुद्दे का बेशर्मी से राजनीतिकरण किया और अमूल को बदनाम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया. अक्षम कांग्रेस सरकार को धन्यवाद, नंदिनी अब प्रसिद्ध तिरूपति लड्डू तैयार करने के लिए घी की आपूर्ति नहीं करेगी. यह बहुत स्पष्ट है कि कांग्रेस इसे नष्ट करने पर तुली हुई है.”

वहीं बीजेपी पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ”आंध्र प्रदेश के तिरूपति को नंदिनी घी की आपूर्ति आज या कल नहीं रोकी गई है. तिरूपति को घी की आपूर्ति डेढ़ साल पहले निलंबित कर दी गई थी. जब बीजेपी की सरका थी.”

सिद्धारमैया ने पूछा, “माननीय सांसद @nalinkateel, अब मुझे बताएं, क्या पिछली भाजपा सरकार हिंदू धार्मिक मान्यताओं और भक्ति के खिलाफ थी? या केवल तत्कालीन मुख्यमंत्री @BSBommai (बसवराज बोम्मई) हिंदू विरोधी थे.”

उन्होंने कहा, “लोगों की धार्मिक आस्था के साथ-साथ डेयरी किसानों का जीवन भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए, यदि राज्य के किसानों के हित में, अगर तिरूपति मंदिर हमारे द्वारा मांगी गई कीमत देने के लिए सहमत हो जाता है, तो हमें घी की आपूर्ति करने में कोई समस्या नहीं है.”

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केएमएफ के अध्यक्ष भीमा नायक ने कहा कि नंदिनी ब्रांड अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है और कीमत पर कोई समझौता नहीं कर सकता. इसीलिए संगठन ने निविदा प्रक्रिया से बाहर रहने का विकल्प चुना है.

केएमएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि निविदा प्रक्रिया हर छह महीने में होती है और आखिरी बार इस साल मार्च में आयोजित की गई थी. उन्होंने कहा कि अगस्त में मूल्य वृद्धि से मार्च में निविदा प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

अधिकारियों ने कहा कि केएमएफ ने 2005 में टीटीडी को नंदिनी घी की आपूर्ति शुरू की थी और आखिरी बार इसकी बोली आंशिक रूप से 2021 में सफल रही थी, जब बातचीत के बाद इसे आपूर्ति अनुबंध का 35% हिस्सा मिला था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “2022 में बोली लगाई गई थी, लेकिन यह सफल नहीं रही. हमने 2023 में बोली नहीं लगाई.”

टीटीडी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, धर्मा रेड्डी ने कहा कि केएमएफ ने मार्च 2023 में पिछली नीलामी में भाग नहीं लिया था. उन्होंने यह भी कहा कि लड्डू के लिए घी सहित सभी वस्तुएं ई-टेंडर के माध्यम से खरीदी जाती हैं और सबसे कम बोली लगाने वाले को अनुबंध दिया जाता है, बशर्ते वे जिन सामग्रियों की आपूर्ति करते हैं वे टीटीडी द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हैं.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव से एक महीने पहले अप्रैल में, कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने कहा था कि अगर अमूल राज्य के बाजार में प्रवेश करेगा तो नंदिनी ब्रांड खतरे में पड़ जाएगा. पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर कर्नाटक को ‘लूटने’ का आरोप लगाया था.

बीजेपी ने दावा किया था कि कांग्रेस गलत सूचना अभियान चला रही है और दावा किया है कि उसने केएमएफ को मजबूत करने के लिए विपक्षी दल से कहीं अधिक काम किया है.

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मराठा कोटा के लिए भूख हड़ताल करने वाले ने लगाई फांसी, 13 महीने का है बच्चा

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खुदकुशी करने वाले शख्स की पहचान सुदर्शन देवराय के रूप में की है। देवराय ने नांदेड़ जिले की हिमायतनगर तहसील में रविवार आधी रात के बाद कथित तौर पर खुदकुशी कर ली।



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भारत ने कनाडा के राजनयिक को निकाला, 5 दिन में देश छोड़ने का आदेश

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Image Source : PTI/AP
भारत-कनाडा।

कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक रिश्ते बुरे दौर में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अनर्गल आरोपों के बाद कनाडा ने भारतीय राजनयिक को बर्खास्त कर दिया था। अब इस कदम के जवाब में भारत सरकार ने भी कनाडा के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें 5 दिनों में देश छोड़ने का आदेश दिया है। 

उच्चायुक्त तलब


कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी कदमों के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विरोध जताने के लिए भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को तलब किया था। ऐसा माना जा रहा था कि कनाडा को जवाब देने के लिए भारत सरकार भी कड़ा कदम उठा सकती है। 

विदेश मंत्रालय का बयान

भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किए गए बयान में कहा है कि भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैकेई को आज तलब किया गया। उन्हें भारत में रह रहे एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के भारत सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया गया। संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिनों के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।

क्यों तल्ख हुए रिश्ते?

G-20 समिट में फटकार खाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत विरोधी कदमों में जुट गए हैं। ट्रू़डो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का कनेक्शन भारत से जोड़ते हुए भारत के एक राजनयिक को निकाल दिया था। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई पीएम के आरोपों को बेबुनियाद और आधारहीन करार दिया है। भारत ने साथ ही कनाडा से आतंकी तत्वों पर कार्रवाई करने की मांग की है। भारत ने कहा है कि इस तरह के बयान खालिस्तानियों से ध्यान हटाने के लिए दिए गए हैं।

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Parliament Session New Bill: महिला आरक्षण से ही होगा नई संसद का ‘श्रीगणेश’, आज ही पेश करने की तैयारी

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महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।

खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।



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