ओटावा: दुनिया भर की स्पेस एजेंसी दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज में लगी हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि एलियन से जुड़ा ब्लूप्रिंट पृथ्वी की सबसे ठंडी जगहों में से एक में मौजूद हो सकता है। कनाडा के हाई आर्कटिक क्षेत्र में ऑक्सीजन मुक्त वातावरण है, जिसके लक्षण मंगल ग्रह की कुछ जगहों के साथ मिलते हैं। बड़ी मात्रा में नमक और ठंडा वातावरण इनमें से एक है। समान वातावरण के चलते वैज्ञानिकों मान रहे हैं कि इससे उन्हें ये पता चलेगा कि मंगल पर किस-किस तरह का जीवन मिल सकता है।
मैकगिल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पर्माफ्रॉस्ट के नीचे ऐसे माइक्रोब्स की खोज की है जो आज तक कभी नहीं मिले थे। पर्माफ्रॉस्ट मिट्टी, बजरी या रेत के नीचे जमी बर्फ को कहते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि ये जीव अकार्बनिक यौगिक मीथेन, सल्फाइड, सल्फेट, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड को भोजन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। ये अकार्बनिक यौगिक मंगल पर भी मिलते हैं। ऐसे में संभव है कि वहां भी इस तरह के माइक्रोब हों। Capstone Spacecraft: चांद पर फिर से जाने की ओर NASA का पहला कदम, लॉन्च किया कैपस्टोन अंतरिक्ष यान, बनेगा नया रेकॉर्ड पहली बार खोजे गए ऐसे जीवाणु विश्लेषण के पहले लेखक इसमे जे (ISME J.) ने कहा, ‘एक्टिव माइक्रोब का पता लगाने से पहले तलछट पर काम करने में लंबा समय लग गया। पर्यावरण की सॉल्टीनेस इन्हें निकालने और इनकी सीक्वेंसिंग दोनों में हस्तक्षेप करती है। ऐसे में जब हमें माइक्रोब मिले तो ये हमारे लिए संतुष्टि से भरा था।’ शोधकर्ता आर्कटिक के लॉस्ट हैमर स्प्रिंग में मौजूद 110 माइक्रोब के DNA से जीनोम बनाने में कामयाब हुए। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें आज तक नहीं देखा गया। ‘हिंसा के दौरान कैपिटल हिल जाना चाहते थे ट्रंप, सीक्रेट एजेंट पर किया था हमला’, वाइट हाउस की पूर्व सहयोगी का बड़ा खुलासा ऑक्सीजन पर नहीं हैं निर्भर वैज्ञानिकों को इससे ये पता लगाने में मदद मिलेगी कि आखिर ये जीव इस सख्त वातावरण में कैसे रह सकते हैं। मैकगिल के ही एक अन्य शोधकर्ता ने कहा, ‘लॉस्ट हैमर स्प्रिंग से हमें जो रोगाणु मिलें हैं वे आश्चर्यजनक हैं, क्योंकि वे अन्य सूक्ष्म जीवों की तुलना में जीवित रहने के लिए जैविक सामग्री जैसे ऑक्सीजन पर निर्भर नहीं रहते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ये जीव जिंदा रहने के लिए अकार्बनिक यौगिक जैसे मीथेन, सल्फाइड, सल्फेट, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाईऑक्साइड को खाते हैं, जो मंगल पर मिलता है।’
एक बार फिर अमेरिका में गोलीबारी की खबर सामने आ रही है। मामला टेनेसी राज्य के एक स्कूल है जहां एक लड़की शूटर ने हमला किया है। इस दौरान 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं। वहीं पुलिस ने शूटर को भी मार गिराया गया है। संदिग्ध ने एक साइड दरवाजे से प्रवेश द्वार के माध्यम से इमारत में प्रवेश किया था।
अधिकारियों ने कहा कि नैशविले के एक निजी ईसाई स्कूल में सोमवार को हुई गोलीबारी में संदिग्ध की मौत हो गई है। वहीं नैशविले अग्निशमन विभाग ने ट्विटर पर कहा कि कई मरीज हैं लेकिन उनकी स्थिति तत्काल स्पष्ट नहीं है।
आर्कन्सास राज्य में भी हुई थी फायरिंग
इससे पहले अमेरिका के आर्कन्सास राज्य की पुलिस ने कहा कि रविवार रात को गोलीबारी की दो अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गयी तथा पांच लोग घयल हो गए। लिटल रॉक पुलिस विभाग ने ट्विटर पर एक बयान में कहा कि आपात सेवाओं को रात नौ बजकर 25 मिनट पर गोलीबारी की सूचना मिली।
जांच में जुटी पुलिस
घटना में दो लोगों को चोटें आयीं, लेकिन वो जानलेवा नहीं थीं। पुलिस ने बताया कि कुछ देर बाद नजदीकी इलाके में गोलीबारी की दूसरी घटना हुई, जिसमें पांच अन्य लोगों को गोली मारी गई। इनमें से दो लोगों की मौत हो गयी। गोलीबारी की दोनों घटनाएं एशर एवेन्यू के पास स्थित इलाकों में हुईं, लेकिन पुलिस ने अभी इनके आपस में जुड़े होने कोई जानकारी नहीं दी है। पुलिस ने बताया कि दोनों घटनाओं की जांच की जा रही है।
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कंगाल पाकिस्तान पर चौतरफा मार, अब जीवन रक्षक दवाओं की कमी से जूझ रहा जिन्ना का देश
कराचीः कंगाल पाकिस्तान में खाने से लेकर पेट्रोल, बिजली और हर जरूरत की वस्तुओं की किल्लत बनी हुई है। पाकिस्तान का सरकारी खजाना खाली हो चुका है। अब तो हालत यह हो गई है। जिन्ना के इस कंगाल देश में जीवन रक्षक दवाओं की भी कमी हो गई है।
पाकिस्तान की दवा नियमितता प्राधिकरण (डीआरएपी) की मूल्य निर्धारण नीति और रुपये में गिरावट के कारण पाकिस्तान में अधिकांश आयातित और महत्वपूर्ण दवाओं की अत्यधिक कमी हो गई है, मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई। द न्यूज ने बताया, फार्मासिस्ट और जैविक उत्पादों के आयातक अब्दुल मन्नान ने कहा- डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी मुद्रा के अत्यधिक मूल्यह्रास और पाकिस्तान की ड्रग रेगुलरिटी अथॉरिटी (डीआरएपी) की विवादास्पद दवा मूल्य निर्धारण नीति के कारण, उनकी कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं और आयातकों के लिए उन्हें डीआरएपी द्वारा दी गई मौजूदा कीमतों पर लाना आर्थिक रूप से अव्यवहारिक हो गया है।
दवाओं के आपूर्तिकर्ताओं और अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक और निजी दोनों स्वास्थ्य सुविधाओं को आयातित टीकों, कैंसर उपचारों, प्रजनन दवाओं और एनेस्थीसिया गैसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि विक्रेताओं ने डॉलर-रुपये की असमानता के कारण अपनी आपूर्ति बंद कर दी है।
द न्यूज ने बताया कि फिलहाल, सबसे महत्वपूर्ण दवा जो स्वास्थ्य सुविधाओं को नहीं मिल रही है, वह हेपरिन है, जो कुछ हृदय संबंधी प्रक्रियाओं के बाद इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह, विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए आइसोफ्लुरेन, सेवोफ्लुरेन के साथ-साथ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी जैसी कुछ महत्वपूर्ण संवेदनाहारी गैसों के साथ-साथ मानव क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) और मानव रजोनिवृत्ति संबंधी गोनाडोट्रोपिन (एचएमजी) जैसे प्रजनन उत्पादों को भी डॉलर-रुपये की असमानता और डीआरएपी की मूल्य निर्धारण नीति के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है।
हालांकि अधिकांश ओरल दवाएं जिनमें सिरप, टैबलेट और इंजेक्शन शामिल हैं, स्थानीय रूप से उत्पादित की जाती हैं, लेकिन भारत, चीन, रूस, यूरोपीय देशों के साथ-साथ अमेरिका और तुर्की से पाकिस्तान सभी टीकों, कैंसर रोधी दवाओं और उपचारों, हार्माेन, प्रजनन दवाओं के साथ-साथ अन्य उत्पादों सहित अधिकांश जैविक उत्पादों का आयात करता है।
बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल के विवादित न्यायिक सुधार कानून को निलंबित कर दिया है। इसे अब इजरायली संसद में दोबारा चर्चा के लिए पेश किया जाएगा। इस कानून के विरोध में इजरायल में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। रिजर्व सैनिक और इजरायली दूतावासों ने भी विरोध में हड़ताल की है।