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शिवा राजौरा / नई दिल्ली October 14, 2022 |
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थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में 10.7 फीसदी पर आ गई, जो कि 18 महीने का न्यूनतम स्तर है। मूल्य निर्धारण दबाव में कमी और एक साल पहले के उच्च आधार से इसे मदद मिली। उद्योग विभाग से शुक्रवार को जारी आंकड़े दर्शाते हैं कि सितंबर के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति गिरकर 8.08 फीसदी हो गई क्योंकि गेहूं, फल, दालें और प्रोटीनयुक्त वस्तुओं की कीमत पिछले साल की तुलना में कम हो गई हैं, जबकि सब्जी और दूध के दाम बढ़े हैं। ईंधन (32.61 फीसदी) और विनिर्मित (6.34 फीसदी) वस्तुओं की मुद्रास्फीति में महीने के दौरान गिरावट आई है।
हालांकि, अप्रैल 2021 के बाद से यह लगातार 18वां महीना जब फैक्टरी गेट मुद्रास्फीति दो अंकों में बनी हुई है। यह बढ़ती ऊर्जा और खाद्य कीमतों से प्रेरित है। वैश्विक मंदी की चिंताओं के बीच जिसों की कीमतों में नरमी से प्रेरित, गैर खाद्य और गैर ईंधन वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करने वाली मुख्य मुद्रास्फीति सितंबर 19 माह के निचले स्तर पर 7 फीसदी पर आ गई है।
रसोई गैस की थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति गिरकर 8.45 फीसदी हो गई मगर रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पेट्रोल और हाई स्पीड डीजल की थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति क्रमशः 30.38 फीसदी और 65.96 फीसदी बढ़ गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आगे चलकर अक्टूबर में थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति गिरकर एकल संख्या में आ जाएगी और एकमात्र खतरा खाद्य कीमतों में फिर से बढ़ोतरी है। उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 तक मुद्रास्फीति 13 फीसदी से ऊपर थी जो बाद के महीनों में दर को नीचे की ओर धकेलेगी।’
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर कहती हैं कि थोक खाद्य मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण से उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में मॉनसून के बाद भारी बारिश से खराब होने वाले वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो सकती है और यह खरीफ की फसल को प्रभावित कर सकती है जिससे रबी से बोआई में देरी होने की आशंका है।
साथ ही उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा डॉलर-रुपया की जोड़़ी में हालिया अवमूल्यन का भी इस महीने आयात की पहुंच कीमत पर असर पड़ेगा। फिर भी हमें उम्मीद है कि अक्टूबर में थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगभग 9-10 फीसदी पर रहेगी। जिसे उच्च आधार (अक्टूबर 2021 में +13.8 फीसदी) से सहायता मिलेगी।
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