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तीसरे विश्व युद्ध की आशंका और बढ़ी, यूक्रेन युद्ध में अब आस्ट्रेलिया भी कूदा

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यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में अपने बच्चे की जान बचाने को सुरक्षित स्थान की ओर जाती महिला (फाइल)

Russia-Ukraine War: यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर ला कर खड़ा कर दिया है। यूरोपियन देशों के अलावा गैर यूरोपियन देश भी अब यूक्रेन युद्ध में कूद रहे हैं। वहीं रूस अभी तक अकेले ही जंग लड़ रहा है। मगर जिस तरह से एक के बाद एक देश यूक्रेन की मदद को खुलकर सामने आ रहे हैं। उससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक यूक्रेन के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड और आस्ट्रेलिया जैसे ताकतवर देश मजबूती से खड़े हैं। यह सभी यूक्रेन को युद्धक सामग्री से लेकर हर जरूरी मदद कर रहे हैं। इससे बौखलाया रूस अब परमाणु हमले की तैयारी में जुट गया है।

हाल ही में फ्रांस ने यूक्रेन को फाइटर जेट देने का ऐलान किया था। अब फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया ने 155 मिलीमीटर तोप के हजारों गोले संयुक्त रूप से बनाने और आगामी हफ्तों से उन्हें यूक्रेन भेजने की तैयारी में जुट गए हैं। दोनों देश यूक्रेन को भेजे जाने वाले इन तोप गोलों पर कई लाख डॉलर खर्च करेंगे। आपको बता दें कि रूसी युद्ध का सामना कर रहे यूक्रेन की हालत इस वक्त खस्ता हो चुकी है। यूक्रेन के पास गोला, बारूद, हथियारों, टैकों और फाइटर जेट की भारी कमी है। ऐसे में राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से भारी हथियार और दीर्घकालिक आपूर्ति का अनुरोध किया है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस और फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने तोप गोलों की यूक्रेन को आपूर्ति करने की संयुक्त घोषणा करके रूस को बड़ा संदेश दिया है।

पोलैंड और बेल्जियम पहले ही कर चुके यूक्रेन को हथियार देने का ऐलान

अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के बाद पोलैंड और बेल्जियम ने यूक्रेन को बड़ी रक्षा और सैन्य सहायता देने का ऐलान किया है। पोलैंड ने यूक्रेन को 60 अत्याधुनिक टैक देने की घोषणा की है। वहीं बेल्जियम ने यूक्रेन को करीब 100 मिलियन डॉलर के सैन्य उपकरण देने का ऐलान किया है। यह यूक्रेन को दी जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी सैन्य सहायता है। इससे पहले जर्मनी ने 14 तेंदुआ-2 टैंक, अमेरिका ने 30 अब्राम टैंक, ब्रिटेन ने करीब 30 विशेष टैंक और फ्रांस फाइटर जेट देने का ऐलान कर चुका है। ऐसे में यूक्रेन के पास टैंकों और सैन्य उपकरणों की कमी का रोना अब लगभग खत्म हो चुका है। इसी हफ्ते जर्मनी और अमेरिका व ब्रिटेन ने अपने टैंक यूक्रेन को भेजने का वादा किया है। इसके बाद यूक्रेन युद्ध में और मजबूती से रूस को टक्कर दे सकेगा।

यूक्रेन की मदद करने वाले देशों पर फायर हुए पुतिन


यूरोपीय संघ और अमेरिका की ओर से यूक्रेन को घातक हथियारों की आपूर्ति को रूस ने सीधे युद्ध में एंट्री माना है। इसलिए पुतिन ने अमेरिका समेत फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड और बेल्जियम समेत अन्य यूरोपीय देशों व आस्ट्रेलिया जैसे गैर यूरोपीय देशों को घातक अंजाम भुगतने की धमकी दे डाली है। रूस ने कहा है कि वह इन सभी टैंकों और हथियारों को नष्ट कर देगा। साथ ही यूक्रेन को इन खतरनाक हथियारों को देने वाले देशों से भी हिसाब लेगा। रूस ने साफ कहा है कि वह अब यूक्रेन की मदद करने वाले किसी भी देश को नहीं छोड़ेगा। विदेश मामलों के जानकारों को भी अब आशंका है कि यूरोपीय संघ और अमेरिका के उक्त कदमों के बाद दुनिया तीसरे विश्व युद्ध में लगभग एंट्री कर गई है।

 

 

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Canada- खालिस्तानी समर्थकों ने फिर तोड़ी महात्मा गांधी की प्रतिमा | News & Features Network

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Canada के हैमिल्टन शहर में 23 मार्च को सिटी हॉल के पास महात्मा गांधी की एक प्रतिमा को भारत विरोधी तत्वों द्वारा विरूपित और स्प्रे-पेंट करने मामले को लेकर वैंकूवर स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास ने कड़ी निंदा की है, इसे लेकर महावाणिज्य दूतावास से एक ट्वीट भी किया गया है.

भारत के महावाणिज्य दूतावास की तरफ से किए गए ट्वीट में लिखा गया की “हम शांति के अग्रदूत महात्मा गांधीजी, साइमन फ्रेजर यूनिवर्सिटी बर्नाबी परिसर में तोड़फोड़ करने के जघन्य अपराध की कड़ी निंदा करते हैं तथा कनाडा के अधिकारियों से मामले की तत्काल जांच करने और अपराधियों को तेजी से न्याय दिलाने का आग्रह किया जाता है.”

वहीं हैमिल्टन पुलिस ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं, घटना 23 मार्च की है. आपको बताएं खालिस्तानी समर्थकों द्वारा भारतीय प्रतिष्ठानों और मंदिरों पर हमले उत्तर अमेरिकी राष्ट्र में बढ़े हैं. 2023 से, पूरे कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमले की घटनाएं शुरू हुई, जिसमें बर्बरता, आपत्तिजनक चित्र, सेंधमारी की करीब आधा दर्जन घटनाएं शामिल हैं. 





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गोदाम के ढांचे को गिराया जा रहा था, तभी China के हेबेई प्रांत में गोदाम में लगी आग | News & Features Network

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China के अधिकारी देश के औद्योगिक प्रांत हेबेई में एक परित्यक्त प्रशीतित गोदाम में सोमवार को लगी आग के कारणों की जांच कर रहे हैं, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गयी थी. स्थानीय सरकार ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

China हेबेई प्रांत की कांग काउंटी की सरकार ने कहा कि यह आग सोमवार अपराह्न उस वक्त लगी जब इस उत्तरी प्रांत के एक गांव स्थित गोदाम के ढांचे को गिराया जा रहा था. दमकल विभाग ने कड़ी मशक्कत के बाद रात करीब 11 बजे आग पर काबू पाया. बचावकर्मियों ने घटनास्थल से 11 लोगों को बाहर निकाला, लेकिन सभी की मौत हो गयी थी.

बीते वर्ष नवंबर महीने में China के हेनान प्रांत में एक कारखाने में आग लग गई थी. इस हादसे में करीब 38 लोगों की मौत हुई थी. घटना अन्यांग शहर के कारखाने में हुई. आन्यांग शहर का हाई-टेक जोन है. आग पर काबू पाने के लिए दमकलकर्मियों को कई घंटों तक भारी मशक्कत करनी पड़ी थी.

करीब 200 से ज्यादा राहतकर्मी और 60 के करीब दमकलकर्मी आग बुझाने की कोशिशों में जुटे रहे. रिपोर्ट की मानें तो दमकल टीमों ने 63 गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया था. इससे पहले मार्च 2019 में शंघाई से 260 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यानचेंग में एक रासायनिक कारखाने में विस्फोट हुआ था.



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Pakistan News: नेतन्याहू की राह पर शहबाज! क्या इजरायल की तरह पाकिस्तान में भी घटेंगी न्यायपालिका की शक्तियां

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इस्लामाबाद: पाकिस्तान इन दिनों इजरायल की तरह न्यायपालिका की शक्तियों में कटौती का मन बना रहा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को कहा कि यदि संसद ने प्रधान न्यायाधीश की शक्तियों को कम करने के लिए कानून नहीं बनाया, तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा। शहबाज शरीफ का यह बयान ऐसे समय आया है, जब पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीशों ने देश के शीर्ष न्यायाधीश की स्वत संज्ञान लेने की शक्तियों पर सवाल उठाया। इजरायल में भी ऐसे ही न्यायपालिका की शक्तियां कम करने को लेकर बने कानून पर बवाल मचा हुआ है। जिसके बाद विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए नेतन्याहू सरकार ने कानून को निलंबित करने का फैसला किया है।

संसद में सुप्रीम कोर्ट के असीमित अधिकार पर चर्चा

संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए, शरीफ ने उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखैल के असहमतिपूर्ण फैसले के बारे में विस्तार से बात की, जिन्होंने प्रधान न्यायाधीश के किसी भी मुद्दे पर कार्रवाई के लिए स्वत: संज्ञान लेने और विभिन्न मामलों की सुनवाई के लिए पसंद की पीठों का गठन करने के असीमित अधिकार की आलोचना की। उनका फैसला प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल द्वारा 22 फरवरी को पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में चुनावों के बारे में स्वत: संज्ञान लेने के मामले के बारे में था।

न्यायपालिका पर नियंत्रण चाहते हैं शहबाज

प्रधान न्यायाधीश की शक्ति को सीमित करने के लिए नए कानूनों की आवश्यकता के बारे में शरीफ ने कहा कि यदि कानून पारित नहीं किया गया, तो ”इतिहास हमें माफ नहीं करेगा। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने बताया कि इस बीच, पाकिस्तान के मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एक कानून के मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसमें पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश की विवेकाधीन शक्तियों को कम करने का प्रावधान है।

इजरायल में भी बना था न्यायिक सुधार कानून
इजरायल में भी न्यायपालिका की शक्तियों को कम करने के लिए न्यायिक सुधार कानून बनाया गया था। लेकिन, इसका व्यापक स्तर पर विरोध हुआ। इस कानून के लागू होने के बाद इजरायली संसद के पास कोर्ट के फैसले को पलटने की शक्ति आ गई थी। इसका फायदा पीएम नेतन्याहू को ज्यादा होना था। जिसके लेकर लोगों का कहना था कि इससे लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा। विरोध बढ़ने के बाद इजरायली सरकार बैकफुट पर आ गई और कानून को निलंबित करना पड़ा है।



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