काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से आया एक वीडियो इस समय वायरल हो रहा है। यहां पर एक अमेरिकी ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर शनिवार को क्रैश हो गया है। तालिबान के रक्षा मंत्रालय की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई और बताया गया कि हादसे में तीन अफगान सैनिक भी मारे गए हैं। बताया जा रहा है कि हादसे में पांच सैनिक घायल भी हुए हैं। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह हेलीकॉप्टर ट्रेनिंग फ्लाइट पर था जब हादसे का शिकार हो गया। पिछले वर्ष जब अमेरिकी सेनाएं यहां से गई थीं तो अरबों डॉलर के हथियार पीछे छोड़ गई थीं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद अब ये सारे हथियार और एयरक्राफ्ट उनके पूर्व आतंकियों के हाथों में आ गए हैं। कहां हुआ हादसा ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर काफी नीचे उड़ रहा था और अचानक एक दम नाक के बल आ गया। कुछ ही सेकेंड्स के बाद यह जमीन पर गिर गया। तालिबान के रक्षा मंत्रालय की तरफ से आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘एक अमेरिकी ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर जो कि ट्रेनिंग के लिए उड़ रहा था, टेक्निकल समस्या के कारण क्रैश हो गया। यह हेलीकॉप्टर नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के कैंपस के अंदर क्रैश हुआ है।’ अमेरिका ने करीब एक दर्जन ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर काबुल में छोड़ दिए थे।
अफगान स्पेशल इन्स्पेक्टर जनरल की तरफ से बताया गया था साल 2002 से 2017 तक अमेरिका ने 28 अरब डॉलर के रक्षा उपकरण अफगानिस्तान की सरकार को दिए थे। जब पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान की सरकार गिरी तो कुछ हेलीकॉप्टर पड़ोस के मध्य एशियाई देशों में चले गए। उस समय अफगान फोर्सेज के सैनिक इन में सवार होकर पड़ोसी मुल्क में चले गए थे। इसके अलावा अमेरिकी सेनाओं ने 70 से ज्यादा एयरक्राफ्ट और कई दर्जन बख्तरबंद गाड़ियां नष्ट कर दी थी। साथ ही देश छोड़ने से पहले एयर डिफेंस सिस्टम को भी खराब कर दिया था।
अफगान पायलट्स ने छोड़ा देश इस वर्ष की शुरुआत में तालिबान ने कहा था कि जो एयरक्राफ्ट खराब हुए थे उनमें से कुछ की मरम्मत कर दी गई थी। अफगानिस्तान एयरफोर्स के कई प्रशिक्षित पायलट्स ले अमेरिकी फौजों के साथ ट्रेनिंग ली थी। लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद ही वो देश छोड़कर चले गए। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 20 साल में अमेरिका ने अफगान सिक्योरिटी फोर्सेज पर 83 अरब डॉलर खर्च किए थे। साल 2002 में अमेरिका ने कई अरब डॉलर के साथ अफगान फोर्सेज की ट्रेनिंग शुरू की थी। इसके तीन साल बाद यानी 2005 में अमेरिका ने पुलिस और मिलिट्री दोनों को ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी ले ली थी।
एक बार फिर अमेरिका में गोलीबारी की खबर सामने आ रही है। मामला टेनेसी राज्य के एक स्कूल है जहां एक लड़की शूटर ने हमला किया है। इस दौरान 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं। वहीं पुलिस ने शूटर को भी मार गिराया गया है। संदिग्ध ने एक साइड दरवाजे से प्रवेश द्वार के माध्यम से इमारत में प्रवेश किया था।
अधिकारियों ने कहा कि नैशविले के एक निजी ईसाई स्कूल में सोमवार को हुई गोलीबारी में संदिग्ध की मौत हो गई है। वहीं नैशविले अग्निशमन विभाग ने ट्विटर पर कहा कि कई मरीज हैं लेकिन उनकी स्थिति तत्काल स्पष्ट नहीं है।
आर्कन्सास राज्य में भी हुई थी फायरिंग
इससे पहले अमेरिका के आर्कन्सास राज्य की पुलिस ने कहा कि रविवार रात को गोलीबारी की दो अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गयी तथा पांच लोग घयल हो गए। लिटल रॉक पुलिस विभाग ने ट्विटर पर एक बयान में कहा कि आपात सेवाओं को रात नौ बजकर 25 मिनट पर गोलीबारी की सूचना मिली।
जांच में जुटी पुलिस
घटना में दो लोगों को चोटें आयीं, लेकिन वो जानलेवा नहीं थीं। पुलिस ने बताया कि कुछ देर बाद नजदीकी इलाके में गोलीबारी की दूसरी घटना हुई, जिसमें पांच अन्य लोगों को गोली मारी गई। इनमें से दो लोगों की मौत हो गयी। गोलीबारी की दोनों घटनाएं एशर एवेन्यू के पास स्थित इलाकों में हुईं, लेकिन पुलिस ने अभी इनके आपस में जुड़े होने कोई जानकारी नहीं दी है। पुलिस ने बताया कि दोनों घटनाओं की जांच की जा रही है।
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कंगाल पाकिस्तान पर चौतरफा मार, अब जीवन रक्षक दवाओं की कमी से जूझ रहा जिन्ना का देश
कराचीः कंगाल पाकिस्तान में खाने से लेकर पेट्रोल, बिजली और हर जरूरत की वस्तुओं की किल्लत बनी हुई है। पाकिस्तान का सरकारी खजाना खाली हो चुका है। अब तो हालत यह हो गई है। जिन्ना के इस कंगाल देश में जीवन रक्षक दवाओं की भी कमी हो गई है।
पाकिस्तान की दवा नियमितता प्राधिकरण (डीआरएपी) की मूल्य निर्धारण नीति और रुपये में गिरावट के कारण पाकिस्तान में अधिकांश आयातित और महत्वपूर्ण दवाओं की अत्यधिक कमी हो गई है, मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई। द न्यूज ने बताया, फार्मासिस्ट और जैविक उत्पादों के आयातक अब्दुल मन्नान ने कहा- डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी मुद्रा के अत्यधिक मूल्यह्रास और पाकिस्तान की ड्रग रेगुलरिटी अथॉरिटी (डीआरएपी) की विवादास्पद दवा मूल्य निर्धारण नीति के कारण, उनकी कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं और आयातकों के लिए उन्हें डीआरएपी द्वारा दी गई मौजूदा कीमतों पर लाना आर्थिक रूप से अव्यवहारिक हो गया है।
दवाओं के आपूर्तिकर्ताओं और अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक और निजी दोनों स्वास्थ्य सुविधाओं को आयातित टीकों, कैंसर उपचारों, प्रजनन दवाओं और एनेस्थीसिया गैसों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि विक्रेताओं ने डॉलर-रुपये की असमानता के कारण अपनी आपूर्ति बंद कर दी है।
द न्यूज ने बताया कि फिलहाल, सबसे महत्वपूर्ण दवा जो स्वास्थ्य सुविधाओं को नहीं मिल रही है, वह हेपरिन है, जो कुछ हृदय संबंधी प्रक्रियाओं के बाद इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह, विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए आइसोफ्लुरेन, सेवोफ्लुरेन के साथ-साथ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी जैसी कुछ महत्वपूर्ण संवेदनाहारी गैसों के साथ-साथ मानव क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) और मानव रजोनिवृत्ति संबंधी गोनाडोट्रोपिन (एचएमजी) जैसे प्रजनन उत्पादों को भी डॉलर-रुपये की असमानता और डीआरएपी की मूल्य निर्धारण नीति के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है।
हालांकि अधिकांश ओरल दवाएं जिनमें सिरप, टैबलेट और इंजेक्शन शामिल हैं, स्थानीय रूप से उत्पादित की जाती हैं, लेकिन भारत, चीन, रूस, यूरोपीय देशों के साथ-साथ अमेरिका और तुर्की से पाकिस्तान सभी टीकों, कैंसर रोधी दवाओं और उपचारों, हार्माेन, प्रजनन दवाओं के साथ-साथ अन्य उत्पादों सहित अधिकांश जैविक उत्पादों का आयात करता है।
बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल के विवादित न्यायिक सुधार कानून को निलंबित कर दिया है। इसे अब इजरायली संसद में दोबारा चर्चा के लिए पेश किया जाएगा। इस कानून के विरोध में इजरायल में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। रिजर्व सैनिक और इजरायली दूतावासों ने भी विरोध में हड़ताल की है।