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डूबते ब्रिटेन को ‘भारत के लाल’ ऋषि सुनक का सहारा, क्या सबसे शॉर्ट PM का रेकॉर्ड बनाएंगी लिज ट्रस?

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लंदन: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस जब से सत्ता में आई हैं, तब से उनके खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है। संभव है कि लिज़ ट्रस ब्रिटेन के इतिहास की सबसे छोटे कार्यकाल की प्रधानमंत्री हों। कंजर्वेटिव पार्टी अपने नियमों के तहत लिज़ ट्रस को तब तक नहीं हटा सकती जब तक उनका एक साल का कार्यकाल पूरा न हो जाए। यूके के एक समाचार पत्र में लिखा गया है कि कंजर्वेटिव पार्टी के कुछ सांसद उनसे बहुत असंतुष्ट हैं। ब्रिटेन में 6 सितंबर को लिज़ ट्रस बोरिस जॉनसन की जगह नई प्रधानमंत्री बनी हैं।



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क्‍या चीन को किनारे करने की सोच रहा है रूस, चेन्‍नई से व्लादिवोस्तोक को जोड़कर ड्रैगन को बड़ा झटका देने की प्‍लानिंग!

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मॉस्‍को: यूक्रेन जंग की जंग के बाद रूस पूरे विश्‍व समुदाय में अकेला पड़ गया था। चीन ने उसके इस अकेलेपन का फायदा भी उठाया और व्लादिवोस्तोक बंदरगाह को 163 साल के लिए लीज पर ले लिया। मगर रूस को अब लगता है कि इस बात की भनक मिल गई है कि चीन पर ज्‍यादा समय तक भरोसा नहीं किया जा सकता है। अब वह चाहता है कि भारत, व्लादिवोस्तोक बंदरगाह पर अपनी मौजूदगी को और मजबूती से बढ़ाए। व्लादिवोस्तोक बंदरगाह रणनीतिक तौर पर काफी अहम है और इस वजह से काफी समय से चीन की नजरें इस पर ही टिकी थीं।

चीन को मिला रूसी बंदरगाह
रूस ने यानी एक जून से व्लादिवोस्तोक बंदरगाह को आधिकारिक तौर पर चीन को सौंप दिया है। अब यह बंदरगाह आधिकारित तौर पर चीनी जहाजों का ट्रांजिट प्‍वाइंट बन गया है। रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन ने भी चीन को गैस पाइपलाइन मार्ग के जरिए प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने की आधिकारिक स्वीकृति दी। यह गैस पाइपलाइन व्लादिवोस्तोक में खत्‍म होती है। लेकिन सूत्रों की मानें तो रूस चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मैरीटाइम कॉरिडोर में भी तेजी लाने का इच्‍छुक है।

यह कॉरिडोर दोनों देशों के बीच समुद्री संबंधों को और मजबूत बना सकता है। हाल ही में भारत के शिपिंग मिनिस्‍टर मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने चेन्‍नई और कामराज बंदरगाहों की अहमियत और इसके अच्छे प्रदर्शन के बारे में बताया। उनका कहना था कि अगर चेन्‍नई को रूस के व्लादिवोस्तोक बंदरगाह से जोड़ दिया जाए तो फिर इससे भारत के समुद्री व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। उन्‍होंने यह बात उस समय कही जब वह कई करोड़ रुपयों वाले प्रोजेक्‍ट्स का उद्घाटन कर रहे थे।
धरती को 10 किलोमीटर अंदर तक क्यों भेद रहा चीन, ‘दुनिया की छत’ पर जिनपिंग के रहस्यमयी इरादे से सब हैरान
चेन्‍नई-व्‍लादिवोस्‍तोक की अहमियत
चेन्‍नई-व्लादिवोस्तोक मैरीटाइम कॉरिडोर का प्रयोग चेन्‍नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग पर रूस से भारत में धातु के कोयले, कच्चे तेल और तरल प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए किया जा सकता है। अगर परियोजना वाकई शुरू हो जाती है तो करीब 10,300 किमी या 5,600 समुद्री मील को 10 दिनों के अंदर कवर किया जा सकेगा। इससे दुनिया के इस हिस्से में बड़े कार्गो के आने-जाने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। व्लादिवोस्तोक-चेन्नई का समुद्री रास्‍ता सोवियत संघ के टूटने के साथ ही खत्‍म हो गया था। इसे सिर्फ रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के समर्थन से मोदी सरकार की तरफ से फिर से जिंदा किया जा सकता है।

क्‍या है भारत का प्‍लान

भारत ने व्लादिवोस्तोक के पास एक सैटेलाइट सिटी बनाने में रुचि दिखाई है। दोनों देश उत्तरी समुद्री मार्ग के साथ एक ट्रांस-आर्कटिक कंटेनर शिपिंग लाइन और प्रोसेसिंग फैसिलिटीज को शुरू करने की संभावना पर भी चर्चा कर रहे हैं। भारत के पास संसाधन से लैस व्लादिवोस्तोक बंदरगाह के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में व्लादिवोस्तोक से भारत की एक्‍ट फार ईस्‍ट नीति की घोषणा की थी। उस समय उन्‍होंने इस क्षेत्र में कई परियोजनाओं के लिए एक अरब डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट का ऐलान भी किया था। रूस के पास दुनिया का प्राकृतिक गैस का भंडार है। इसमें से अधिकांश भंडार इसके पूर्व में मौजूद हैं। रूस के पूर्व में स्थित सखाक्लिन-1 गैस तेल सेक्‍टर में भारत का भारी निवेश भी है।



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Odisha Train Tragedy: ओडिशा ट्रेन हादसे पर अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन पर दुखी, चीन और पाकिस्‍तान ने भी जताया अफसोस

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वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को कहा कि वह भारत में हुए भीषण रेल हादसे की खबर से बहुत दुखी हैं। ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को हुए रेल हादसे में 288 यात्रियों की मौत हो गई और 1,100 से अधिक यात्री घायल हो गए। बालासोर जिले में 12841 शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और 12864 बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ। बाइडन के अलावा चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग, फ्रांस के इमैनुएल मैंक्रो, ऋषि सुनक, फुमियो किशिदा ने भी शोक संदेश जारी किया है और संवेदनाएं जताई हैं।

अमेरिका, भारतीयों के साथ
बाइडन ने एक बयान में कहा, ‘‘मैं और (प्रथम महिला) जिल (बाइडन) भारत में हुए भीषण रेल हादसे के त्रासदीपूर्ण समाचार से दुखी हैं। हमारी संवेदनाएं इस भयानक घटना में घायल हुए और अपने प्रियजन को खो चुके लोगों के साथ हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका और भारत के बीच गहरे पारिवारिक एवं सांस्कृतिक संबंध हैं, जो दोनों देशों को एकजुट करते हैं। पूरे अमेरिका के लोग भारतीयों के साथ इस दुख में शामिल हैं।’ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और अन्य सहित कई विश्व नेताओं ने ट्रेन दुर्घटना के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।

क्‍या बोले चीन-पाकिस्‍तान
भारत में चीनी दूतावास की तरफ से एक बयान जारी किया गया है। इस बयान में कहा गया, ‘चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारतीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओडिशा में ट्रेन दुर्घटना के कारण हुई भारी हताहतों पर शोक संदेश भेजा। चीनी प्रीमियर ली क्यूआंग ने भी हादसे पर शोक जताया है।’ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी दुख जताया है। उन्‍होंने हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। पीएम ने शहबाज ने ट्विटर पर लिखा, ‘भारत में एक ट्रेन दुर्घटना में सैकड़ों लोगों की मौत से गहरा दुख हुआ। मैं इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खोने वाले शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।’

भारत ने जताया आभार

फ्रांस के राष्‍ट्रपति मैक्रों ने कहा कि फ्रांस भारत के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है। उन्‍होंने एक ट्वीट किया और लिखा, ‘ओडिशा में दुखद ट्रेन दुर्घटना के बाद राष्ट्रपति मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी और भारत के लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। फ्रांस आपके साथ एकजुटता से खड़ा है। मेरे विचार पीड़ितों के परिवारों के साथ हैं।’ भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि वह सहानुभूति के संदेशों के लिए अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के आभारी हैं। उन्‍होंने ट्विटर पर लिखा, ‘ओडिशा में रेल दुर्घटना पर सहानुभूति के अपने संदेशों के लिए वैश्विक भागीदारों के लिए बहुत आभारी हूं। दुख की इस घड़ी में उनकी एकजुटता शक्ति का स्रोत है।’



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भारत-नेपाल के रिश्‍ते भगवान राम भरोसे, रामायण कॉरिडोर के साथ चीन को पड़ोसी से दूर करने की पूरी तैयारी, जानें सारा प्‍लान

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India Nepal Relations: भारत और नेपाल के रिश्‍तों में पिछले कुछ समय से उतार-चढ़ाव जारी है। सीमा विवाद, गोरखा सैनिकों की भर्ती और चीन से करीबी की वजह से इन रिश्‍तों पर खासा असर पड़ा। लेकिन अब भारत ने फिर से नेपाल के साथ रिश्‍तों को मजबूत करने की ठान ली है।

 



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