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चार दशक का परिदृश्य

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टी. एन. नाइनन /  10 14, 2022






अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वि​भिन्न देशों के आ​र्थिक प्रदर्शन से संबं​धित ताजा आंकड़े जारी कर दिए हैं। आंकड़ों की शुरुआत 1980 में हुई थी जब उसने वि​भिन्न देशों पर आधारित अपनी पहली विश्व आ​र्थिक पूर्वानुमान रिपोर्ट पेश की थी। जब अमेरिकी डॉलर के संदर्भ के साथ तुलनात्मक आ​र्थिक वृद्धि पर नजर डालते हैं तो 2011-21 के दशक में चार सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले देश नजर आते हैं बांग्लादेश, चीन, वियतनाम और भारत।  

इन्हें इसी क्रम में रखा जा सकता है। भारत के लिए 2021 का अर्थ है वित्त वर्ष 2021-22 यानी हमारा अंतिम पूर्ण वर्ष। इन चार देशों में से केवल दो ही देश पिछले दशक के शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल थे। चीन शीर्ष स्थान पर था जबकि वियतनाम को तुर्की के साथ संयुक्त रूप से पांचवां स्थान मिला था। याद रहे कि उक्त अव​धि यानी 2001 से 2011 के बीच की अव​धि में भारत ने एक दशक की वृद्धि का बेहतरीन प्रदर्शन किया था।

परंतु जैसा कि कम ही माना जाता है, उस अव​​धि में देश की वृद्धि दर अन्य उभरते बाजारों और विकासशील देशों के समूह (इस समूह में तकरीबन 40 विकसित देशों को छोड़कर लगभग तमाम देश शामिल थे) की वृद्धि के औसत से कुछ कम ही थी। भारत ने उस समय असाधारण रूप से बेहतर प्रदर्शन किया जबकि अन्य देश भी ऐसा ही प्रदर्शन कर रहे थे। इससे पहले के दो दशकों यानी 1991-2001 और 1981-1991 के बीच भारत ने या तो उभरते बाजारों के औसत से बेहतर प्रदर्शन किया या उसका प्रदर्शन उनसे कुछ ही कमजोर रहा।

वृद्धि की यह रैंकिंग सापे​क्षिक है, न कि ये वृद्धि के वि​शिष्ट आंकड़े हैं। यानी 2011-21 में भारत का उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करना लेकिन 2001-11 में ऐसा नहीं करना, पिछले दशक में भारत के प्रदर्शन में आए धीमेपन के साथ निरंतरता में ही है। भारत की रैंकिंग में सुधार दुनिया भर में वृद्धि में आए धीमेपन को ही परिल​क्षित करती है। वर्तमान डॉलर के हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था 2001-11 के दशक में अपने आकार का 3.7 गुना बढ़ी जबकि ताजा दशक में केवल 1.7 गुना।

यह अलग दिखने वाला तुलनात्मक प्रदर्शन आगे भी नजर आता है। 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.8 फीसदी की दर से विकसित होने की बात कही जा रही है जबकि अन्य सभी उभरते बाजारों की वृद्धि दर 3.7 फीसदी होने का अनुमान है। उभरते बाजारों के औसत से तीन फीसदी से अ​धिक का यह अंतर अगले वर्ष यानी 2023 में भी काफी अ​धिक यानी तकरीबन 2.4 फीसदी बना रहेगा।

यह बात लगभग निश्चित है क्योंकि चीन में आई मंदी ने सभी उभरते बाजारों के औसत को कम किया है। इस बीच विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि के भी इस वर्ष के 2.4 फीसदी से कम होकर अगले वर्ष 1.1 फीसदी रह जाने का अनुमान है। बिना ऐसा कहे आईएमएफ शायद डिकपलिंग का संकेत दे रहा है। डिकपलिंग वह परि​स्थिति होती है जहां दो संप​त्ति वर्ग एक साथ विपरीत दिशा में बढ़ने लगते हैं। अगर ऐसी डिपकलिंग आं​शिक भी साबित होती है और भारत की वृद्धि के आंकड़े 2022 और 2023 में कम प्रशंसा करने योग्य रहते हैं तो भी उसकी अंधेरे में एक उजले बिंदु की वर्तमान ​स्थिति आने वाले कुछ समय तक बरकरार रहेगी।

चूंकि भारत वियतनाम और बांग्लादेश के साथ है, यह कहा जा सकता है कि देर से आने वाले देश बस वही दोहरा रहे हैं जो पूर्वी एशियाई देशों की पिछली पीढ़ी पिछले दशक में कर चुकी है। उनमें से कुछ देश मसलन द​क्षिण कोरिया और ताइवान आदि ने तो यह 1981 के पहले हासिल किया था। यह स्पष्टीकरण तब भी ठोस है जबकि वियतनाम की प्रति व्य​क्ति आय भारत से 60 फीसदी अ​धिक है और वह फिलिपींस से भी ज्यादा है। फिलिपींस मूल पांच आसियान देशों में सबसे गरीब है। 2022 के लिए फिलिपींस शीर्ष तीन देशों के ऐन नीचे है। सभी चार देश उन अंतरराष्ट्रीय कारोबारों को हासिल करने के प्रत्याशी हैं जो अपने उत्पादन संयंत्रों को चीन से बाहर ले जाना चाहते हैं। 

सन 1981 से 2021 तक के चार दशकों को एक साथ गिना जाए तो आईएमएफ के आंकड़े दिखाते हैं कि केवल तीन देशों का प्रदर्शन भारत से उल्लेखनीय रूप से बेहतर रहा। चीन अपने आप में एक अलग श्रेणी में था और उसने वर्तमान डॉलर के संदर्भ में अपनी अर्थव्यवस्था का आकार 62 गुना कर लिया। अगला नंबर द​​क्षिण कोरिया का था जिसकी अर्थव्यवस्था 25 गुना बढ़ी और तीसरा नंबर वियतनाम का था।

भारत मिस्र, श्रीलंका, बांग्लादेश और ताइवान जैसे देशों के साथ इसके बाद वाले समूह में था और इसका आकार 16 गुना बढ़ा। थाईलैंड और मले​शिया भी ज्यादा पीछे नहीं थे। यानी इस प्रदर्शन को असाधारण नहीं लेकिन अच्छा कहा जा सकता है। बहरहाल, वै​श्विक जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी 1981-91 के दशक में 1.7 फीसदी से घटकर 1.1 होने के बाद 2011 तक यह 2.5 फीसदी तक बढ़ी और 2021 तक यह 3.3 फीसदी हो गई। अभी इसमें और इजाफा होना है। 



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सेंसेक्स 400 अंक से अधिक गिर गया, निफ्टी 17,900 के नीचे बंद हुआ

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डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के पांचवे और आखिरी दिन (06 जनवरी 2023, शुक्रवार) गिरावट के साथ बंद हुआ। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही लाल निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सेंसेक्स 452.90 अंक यानी कि 0.75% की गिरावट के साथ 59,900.37 के स्तर पर बंद हुआ।

वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 132.70 अंक यानी कि 0.74% की गिरावट के साथ 17,859.45 के स्तर पर बंद हुआ।

आपको बता दें कि, सुबह बाजार सपाट स्तर पर खुला था। इस दौरान सेंसेक्स 77.23 अंक यानी कि 0.13% बढ़कर 60,430.50 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 24.60 अंक यानी कि 0.14% बढ़कर 18,016.80 के स्तर पर खुला था।

जबकि बीते कारोबारी दिन (05 जनवरी 2023, गुरुवार) बाजार सपाट स्तर पर खुला था और गिरावट के साथ बंद हुआ था। इस दौरान सेंसेक्स 304.18 अंक यानी कि 0.50% गिरावट के साथ 60,353.27 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी 50.80 अंक यानी कि 0.28% गिरावट के साथ 17,992.15 के स्तर पर बंद हुआ था।



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सेंसेक्स में 77 अंकों की मामूली बढ़त, निफ्टी 18 हजार के पार खुला

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डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के पांचवे और आखिरी दिन (06 जनवरी 2023, शुक्रवार) भी सपाट स्तर पर खुला। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही हरे निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सेंसेक्स 77.23 अंक यानी कि 0.13% बढ़कर 60,430.50 के स्तर पर खुला।

वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 24.60 अंक यानी कि 0.14% बढ़कर 18,016.80 के स्तर पर खुला।

शुरुआती कारोबार के दौरान करीब 1205 शेयरों में तेजी आई, 679 शेयरों में गिरावट आई और 115 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।

आपको बता दें कि, बीते कारोबारी दिन (05 जनवरी 2023, गुरुवार) बाजार सपाट स्तर पर खुला था इस दौरान सेंसेक्स 44.66 अंक यानी कि 0.07% बढ़कर 60702.11 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 17 अंक यानी कि 0.09% ऊपर 18060.00 के स्तर पर खुला था। 

जबकि, शाम को बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ था। इस दौरान सेंसेक्स 304.18 अंक यानी कि 0.50% गिरावट के साथ 60,353.27 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं निफ्टी 50.80 अंक यानी कि 0.28% गिरावट के साथ 17,992.15 के स्तर पर बंद हुआ था।



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पेट्रोल- डीजल की कीमतें हुईं अपडेट, जानें आज बढ़े दाम या मिली राहत

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पेट्रोल- डीजल (Petrol- Diesel) की कीमतों को लेकर लंबे समय से कोई बढ़ा अपडेट देखने को नहीं मिला है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कई बार जबरदस्त तरीके से गिर चुकी हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि, आने वाले दिनों में कच्चा तेल महंगा होने पर इसका असर देश में दिखाई दे सकता है। फिलहाल, भारतीय तेल विपणन कंपनियों (इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम) ने वाहन ईंधन के दाम में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है।

बता दें कि, आखिरी बार बीते साल में 22 मई 2022 को आमजनता को महंगाई से राहत देने केंद्र सरकार द्वारा एक्‍साइज ड्यूटी में कटौती की गई थी। जिसके बाद पेट्रोल 8 रुपए और डीजल 6 रुपए प्रति लीटर तक सस्‍ता हो गया था। इसके बाद लगातार स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। आइए जानते हैं वाहन ईंधन के ताजा रेट…

महानगरों में पेट्रोल-डीजल की कीमत
इंडियन ऑयल (Indian Oil) की वेबसाइट के अनुसार आज देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 96.72 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। वहीं बात करें डीजल की तो दिल्ली में कीमत 89.62 रुपए प्रति लीटर है। आर्थिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल 106.35 रुपए प्रति लीटर है, तो एक लीटर डीजल 94.27 रुपए में उपलब्ध होगा। 

इसी तरह कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल के लिए 106.03 रुपए चुकाना होंगे जबकि यहां डीजल 92.76 प्रति लीटर है। चैन्नई में भी आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए 102.63 रुपए चुकाना होंगे, वहीं यहां डीजल की कीमत 94.24 रुपए प्रति लीटर है।   

ऐसे जानें अपने शहर में ईंधन की कीमत
पेट्रोल-डीजल की रोज की कीमतों की जानकारी आप SMS के जरिए भी जान सकते हैं। इसके लिए इंडियन ऑयल के उपभोक्ता को RSP लिखकर 9224992249 नंबर पर भेजना होगा। वहीं बीपीसीएल उपभोक्ता को RSP लिखकर 9223112222 नंबर पर भेजना होगा, जबकि एचपीसीएल उपभोक्ता को HPPrice लिखकर 9222201122 नंबर पर भेजना होगा, जिसके बाद ईंधन की कीमत की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

 



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