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सीसीआई ने अब गूगल प्ले स्टोर पर लगाया 936 करोड़ रु. का जुर्माना |
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श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली October 25, 2022 |
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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज गूगल पर आज 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना प्ले स्टोर की नीतियों के संबंध में बाजार में अपने दबदबे का बेजा फायदा उठाने और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए लगाया गया है। इसके साथ ही सीसीआई ने गूगल प्लेस्टोर पर थर्ड पार्टी बिलिंग पेमेंट प्रोसेसिंग सिस्टम तक पहुंच प्रदान करने सहित आठ सुधारात्मक उपाय करने के भी सुझाव दिए हैं। सीसीआई ने इन उपायों को लागू करने और व्यवहार में बदलाव करने के लिए 30 दिन का समय दिया है।
एक हफ्ते के अंदर यह दूसरा मौका है जब प्रतिस्पर्धा नियामक ने गूगल पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया है। इससे पहले नियामक ने 20 अक्टूबर को ऐंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के संबंध में कई बाजारों में अपनी दबदबे की स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
नियामक के जानकार सूत्रों ने कहा कि आयोग गूगल के खिलाफ अन्य मामलों में भी कुछ आदेश जल्द जारी कर सकता है। गूगल के खिलाफ दो मामलों की जांच चल रही है, जिनमें से एक स्मार्ट टीवी सेगमेंट से और दूसरा समाचार रेफरल सेवाओं से संबंधित है।
सीसीआई का आज का आदेश गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम से जुड़ा है। गूगल की नीति के अनुसार ऐप डेवलपरों को सभी ग्राहकों के बिलिंग के लिए गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम के उपयोग की अनिवार्यता की गई थी और इसका उपयोग नहीं करने वाले डेवलपर को गूगल प्ले स्टोर पर अपने उत्पाद को सूचीबद्ध कराने की अनुमति नहीं थी।
सीसीआई ने अपने आदेश में कहा, ‘ऐप डेवलपरों के लिए प्ले स्टोर तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए गूगल प्ले स्टोर के बिलिंग सिस्टम पर निर्भरता की अनिवार्यता ऐप डेवलपरों पर अनुचित शर्त लगाने की तरह है। ऐसे में यह प्रतिस्पर्धा कानून के प्रावधान का उल्लंघन करता है।’ आदेश में कहा गया है कि गूगल ने ऐप डेवलपरों और उपयोगकर्ताओं के लिए विकल्प सीमित किया हुआ है और केवल अपने भुगतान पेशकश को ही ऐप स्टोर प्लेटफॉर्म पर अनुमति देता है। परिणामस्वरूप प्रतिस्पर्धी मोबाइल वॉलेट और यूपीआई के जरिये भुगतान सुविधा उपलब्ध कराने वाले ऐप की पहुंच बाधित कर रहा है।
सीसीआई ने उल्लेख किया कि गूगल ने डेवलपरों को इन-ऐप भुगतान प्रणाली का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया है।
सीसीआई ने कहा कि तकनीकी दिग्गज को अपने ऐप जैसे कि यूट्यूब आदि पर गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम का उपयोग नहीं करने वालों के खिलाफ भेदभाव करने का दोषी पाया गया है।
सीसीआई ने सुधार के आठ उपायों के अलावा गूगल को निर्देश दिया है कि वह ऐप डेवलपरों पर ऐसी कोई शर्त न थोपे, जो अनुचित, गैर-वाजिब और भेद-भाव करने वाला हो। इसके साथ ही गूगल को ऐप डेवलपरों, प्रदान की जाने वाली सेवाओं और उससे संबंधित शुल्क के बारे में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है। गूगल को अपनी भुगतान नीति को स्पष्ट तरीके से प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग द्वारा लगाए गए उपाय अत्यधिक और गैर-जरूरी हैं। सराफ ऐंड पार्टनर्स में पार्टनर (प्रतिस्पर्धा कानून और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा) अक्षय एस नंदा ने कहा, ‘सुझाए गए उपाय निश्चित रूप से गूगल के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौतियां पैदा करेंगे और गूगल की नवोन्मेष पहल को हतोत्साहित करेंगे। आयोग के निर्देशों का अनुपालन करने के लिए निश्चित रूप से बहुत अधिक स्पष्टता की जरूरत होगी।’ उन्होंने कहा कि जहां तक गूगल द्वारा वसूले जाने वाले कमीशन शुल्क की बात है, मेरा मानना है कि आयोग का रुख सही है कि आयोग मूल्य नियामक या मूल्य निर्धारक नहीं है।
डेवलपरों के लिए भुगतान प्रणाली के तौर पर अपने ऐप स्टोर का उपयोग करने की अनिवार्यता को लेकर गूगल को वैश्विक स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा है। हालांकि कई देशों में कंपनी अब वैकल्पिक भुगतान प्रणाली की अनुमति दे रही है।