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सचिन मामपट्टा / मुंबई September 29, 2022 |
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बाजार में उतारचढ़ाव में हुए इजाफे के बीच आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) औसत खुदरा निवेशकों को बहुत ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाया।
वित्त वर्ष 2022-23 के पहले छह महीने में आईपीओ में औसतन 7.57 लाख आवेदन मिले। यह जानकारी प्राइम डेटाबेस से मिली। यह वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही में मिले औसतन 16 लाख आवेदन के मुकाबले 51.3 फीसदी कम है।
खुदरा निवेशक किसी आईपीओ में दो लाख रुपये से ज्यादा का आवेदन नहीं कर सकते। किसी कंपनी का आईपीओ उसे माना जाता है जब कंपनी आम लोगों को स्टॉक एक्सचेंज पर शेयरों की बिक्री पहली बार करती है। शेयर बाजारों में अनिश्चितता के बीच ऐसे इश्यू की संख्या घट रही है।
वित्त वर्ष की पहली छमाही में कंपनियों ने आईपीओ के जरिए कुल 36,535 करोड़ रुपये जुटाए। यह रकम पिछले साल की समान अवधि में जुटाई गई रकम के मुकाबले 30.2 फीसदी कम है क्योंकि तब 52,325 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। अक्टूबर 2021 के अब तक के सर्वोच्च स्तर 62,245.4 अंकों के मुकाबले एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स करीब 9 फीसदी नीचे आया है। इंडेक्स की चाल व्यापक तौर पर बाजार के प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करती है।
छह महीने की अवधि में खुदरा निवेशकों ने 23,880 करोड़ रुपये के शेयरों के लिए आवेदन किए, जो पहले के मुकाबले 32 फीसदी कम है। सूचीबद्धता पर कम लाभ इसकी एक वजह हो सकती है।
इस साल अब तक आईपीओ की सूचीबद्धता पर औसत लाभ 12 फीसदी रहा है, जो वित्त वर्ष 22 में 32 फीसदी रहा था और वित्त वर्ष 21 में 42 फीसदी। 14 आईपीओ में से सिर्फ छह ने ही दो अंकों में रिटर्न दिया। सितंबर के आखिरी हफ्ते में तीन की ट्रेडिंग आईपीओ कीमत से कम पर हो रही थी।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, कुछ ही कंपनियां ऐसे अनिश्चित समय में शायद आईपीओ लाना पसंद किया होगा। कई कंपनियों ने नियामकीय मंजूरी खत्म होने की परवाह नहीं की और ये कंपनियां सही वक्त पर दोबारा आवेदन करेंगी।
अभी 71 कंपनियों के पास आईपीओ पेश करने के लिए नियामकीय मंजूरी है। बाजार नियामक सेबी पहले ही इन कंपनियों को कुल मिलाकर 1.05 लाख करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की इजाजत दे चुका है। करीब 43 कंपनियां सेबी की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रही हैं और ये कंपनियां संचयी तौर पर 70,000 करोड़ रुपये जुटाने पर विचार कर रही हैं।
आईपीओ पेश करने की तैयारी कर रही (जिन्हें मंजूरी मिल गई है और जो प्रतीक्षा में हैं) कंपनियों में से 10 नई पीढ़ी की तकनीकी कंपनियां यानी स्टार्टअप हैं। ये कंपनियां करीब 35,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती हैं। ऐसी एक ही कंपनी (लॉजिस्टिक्स कंपनी डेलिवरी) ही साल की पहली छमाही में रकम जुटाने में कामयाब रही है।
प्राइम डेटाबेस के मुताबिक, दो लाख रुपये ज्यादा पर 10 लाख रुपये से कम का आवेदन करने वाले एचएनआई में एक नई उपश्रेणी के तहत पांच आईपीओ में 10 गुने से ज्यादा आवेदन मिले हैं।
आईपीओ व अन्य जरिये से जुटाए गए कुल इक्विटी फंड 54.5 फीसदी घटकर 41,919 करोड़ रुपये रह गया। सार्वजनिक बॉन्ड इश्यू भी 62.8 फीसदी घटकर 3,233 करोड़ रुपये रह गया। इक्विटी व डेट के जरिए सार्वजनिक बाजारों से जुटाई गई रकम 52.5 फीसदी घटकर 45,152 करोड़ रुपये रह गई।
ऋणों का निजी नियोजन भी 26 सितंबर तक घटकर 2.86 लाख करोड़ रुपये रह गया। पिछले साल की समान अवधि में यह 3.13 लाख करोड़ रुपये रहा था।