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क्या पिछड़े तबके के छात्रों से शिक्षण संस्थानों में भेदभाव? खुदकुशी के आंकड़े दे रहे गवाही

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सुसाइड करने वाला छात्र धनवत कार्तिक नलगोंडा का रहने वाला था. वह पढ़ाई में पिछड़ रहा था. अपने परिवार से उसने इस बारे में बात भी की थी. धनवत आदिवासी भी था. धनवत की कहानी उन कई बच्चों से मिलती-जुलती है जो आदिवासी या अनुसूचित जाति से आते हैं. आरक्षण के सहारे आईआईटी-आईआईएम जैसे संस्थानों में पहुंचते हैं. आरक्षण को लेकर वो अपने साथियों का गलत बर्ताव भी झेलते हैं. जब वो सबकुछ सह नहीं पाते, तो या तो संस्थान छोड़ देते हैं या दुनिया ही छोड़ देते हैं.

2014 से 2021 के बीच 122 छात्रों ने की खुदकुशी 

दिसंबर 2021 में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में जानकारी दी थी कि 2014 से 2021 के बीच केंद्र से वित्तीय मदद वाले उच्च शिक्षण संस्थानों में कुल 122 छात्रों ने खुदकुशी की. इनमें से 24 छात्र अनुसूचित जाति से थे. 3 छात्र अनुसूचित जनजाति से थे. 41 छात्र ओबीसी से ताल्लुक रखते थे. कुल मिलाकर 122 में से 68 छात्र आरक्षित वर्ग से थे.

इसी साल आईआईटी के छात्र दर्शन सोलंकी की मौत के बाद भी ये सवाल उठा था कि आखिर इन बड़े शिक्षा संस्थानों में समाज के पिछड़े माने जाने वाले तबकों से आने वाले छात्रों को क्या कुछ झेलना पड़ता है. बहस इस बात पर भी हुई कि इन संस्थानों के भीतर आरक्षित वर्ग से आने वाले छात्रों को किसी मुश्किल से बचाने के लिए क्या इंतज़ाम होते हैं? 

बॉम्बे आईआईटी के छात्र दर्शन सोलंकी के मामले में ये आरोप भी लगा कि उसे हॉस्टल में तंग किया जाता था. वहां एससी-एसटी छात्रों की संस्था ने याद दिलाया कि 2014 में भी ऐसे ही एक अनुसूचित जाति के छात्र की मौत के बाद एक कमेटी बनाने की बात हुई थी. लेकिन इस पर अब तक अमल नहीं हुआ. 

क्या उच्च शिक्षण संस्थानों में नहीं मिलता माहौल?

ये शिकायत आम है कि इन छात्रों को उच्च शिक्षण संस्थानों में वो माहौल नहीं मिलता, जो मिलना चाहिए. इसका एक अहम पहलू ये भी है कि बहुत सारे बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं. शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष चंदर ने राज्यसभा में जानकारी दी कि पिछले पांच साल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और दूसरे अल्पसंख्यक समूहों के कुल मिलाकर 25 हजार 593 छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालयों और आईआईटी से अपनी पढ़ाई छोड़ कर चले गए हैं.

 
केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 17 हजार 545 छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी 

आंकड़ों के मुताबिक, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 17 हजार 545 छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी. आईआईटी से 8 हजार 139 आरक्षित छात्र बाहर निकल आए. केंद्रीय विश्वविद्यालयों से पढ़ाई छोड़ने वाले आरक्षित श्रेणी के छात्रों की संख्या 2019 में 4926, 2020 में 5410, 2021 में 4156, 2022 में 2962 थी. 2023 में कोई भी ड्रॉपआउट दर्ज नहीं किया गया.

आईआईटी में ड्रॉपआउट के आंकड़े

वहीं, आईआईटी में आरक्षित श्रेणी के छात्रों की ड्रॉपआउट संख्या 2019 में 1510 थी. 2020 में ये बढ़कर 2152 हो गई और 2021 में बढ़कर 2411 हो गई है. 2022 में ड्रॉपआउट संख्या घटकर 1746 हो गई और आखिरकार 2023 में अब तक यह 320 है. इसके पीछे की वजहों पर लगातार बहस होती है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलता. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

इस बारे में NDTV ने ‘सुपर 30’ के संस्थापक और प्रमुख आनंद कुमार, डीयू के प्रोफेसर और सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट के अध्यक्ष डॉ. राजकुमार फलवारिया से खास बातचीत की. आनंद कुमार जल्द ही NDTV पर ‘द आनंद कुमार शो’ शुरू करने वाले हैं. उन्होंने बताया, “”ये बहुत दुखद विषय है कि इस तरह की घटना घट रही है, जो दिल को दहला देनी वाली है. जिस परिवार में ये घटना घटती है, उसके लिए ये कितनी बड़ी बात है. वहीं, इससे समाज में भी एक नेगेटिव मैसेज फैलता है, जिसमें डिप्रेशन में रह रहे और बच्चे भी अपना रास्ता बदलकर अंधेरे में चले जाते हैं. शुरुआती तौर पर देखा जाय तो ये कहीं न कहीं एंट्रेस टेस्ट में कुछ खामी भी है. ऐसे एंट्रेस टेस्ट बनाए जाते हैं, जिससे जो बच्चे उस लेवल के नहीं हैं. उनकी योग्यता को मापा नहीं जाता है.”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए आनंद कुमार ने कहा, “मान लीजिए कोई बच्चा टेस्ट देकर आईआईटी जैसे किसी संस्थान में पहुंच गया, लेकिन आगे माहौल में एडजस्ट होने में उसे दिक्कत होती है. इंग्लिश का माहौल और पियर प्रेशर भी एक फैक्टर है. कमजोर तबकों से आने वाले बच्चे पहले तो इंग्लिश से डरते हैं. इंग्लिश की वजह से उन्हें आधे से ज्यादा सिलेबस समझ में ही नहीं आता. इसलिए वो पढ़ाई में पिछड़ने लगते हैं. वो ऐसे माहौल में ढल नहीं पाते और घबरा जाते हैं. ऐसे बच्चे जब अपने आसपास और अगल-बगल देखते हैं, तो पाते हैं कि वहां बहुत अच्छे खासे परिवार के इंग्लिश बोलने वाले बच्चे हैं. ऐसे बच्चों से वो कटा हुआ महसूस करते हैं. उनमें हीन भावना आने लगती है. यहीं से डिप्रेशन की शुरुआत होती है.”

क्या आईआईटी जैसे संस्थानों डिप्रेशन में आए बच्चों के लिए कोई मदद की व्यवस्था नहीं होती? इस सवाल के जवाब में डीयू के प्रोफेसर और सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट के अध्यक्ष डॉ. राजकुमार फलवारिया ने कहा, “हायर एजुकेशन में जाने वाले छात्रों का ड्रॉपआउट देखें, तो एससी/एसटी और ओबीसी के छात्र-छात्राओं की हिस्सा बहुत बड़ा है. ड्रॉपआउट के कई कारण हो सकते हैं. पहली वजह, छात्र को वैसा माहौल नहीं मिलता जैसा मिलना चाहिए. माहौल के साथ साथ मोटी फीस भी दूसरा कारण हो सकता है. वहीं, रिजर्वेशन कोटे को लेकर भी ऐसे बच्चों को अपने साथी छात्रों से गलत बर्ताव मिलता है. हॉस्टल, मेस, क्लासरूम, लाइब्रेरी जैसी जगहों पर वो बुली का शिकार होते हैं. ऐसा झेलते हुए बच्चे या तो डिप्रेशन में आकर जान खत्म करने जैसा कदम उठा लेते हैं या ड्रॉपआउट कर जाते हैं.”

फलवारिया ने बताया, “ऐसे बच्चों की मदद के लिए यूजीसी ने 2012 में Equal Opportunity Cell (समान अवसर सेल) का गठन किया. ये सेल हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में है. लेकिन क्या ये सक्रियता के साथ काम कर रहा है? क्या उसका मूल्यांकन किया जाता है? क्या ऐसे सेल में कोई छात्र वास्तव में खुलकर अपनी बात रख पाता है? हमें इन सवालों के जवाब भी देखने होंगे.”

हेल्पलाइन
वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्‍थ 9999666555 या [email protected]
TISS iCall 022-25521111 (सोमवार से शनिवार तक उपलब्‍ध – सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक)
(अगर आपको सहारे की ज़रूरत है या आप किसी ऐसे शख्‍स को जानते हैं, जिसे मदद की दरकार है, तो कृपया अपने नज़दीकी मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ के पास जाएं)



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यूपी पुलिस ने किया एक और एनकाउंटर, 25 हजार का इनामी बदमाश कालू बना निशाना

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सहारनपुर पुलिस ने मुठभेड़ के बाद आरोपी को पकड़ लिया।

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के देवबंद थाना पुलिस और 2 बदमाशों के बीच बुधवार-गुरूवार की आधी रात को एनकाउंटर हुआ, जिसमें एक बदमाश गोली लगने के बाद घायल हो गया। पुलिस ने घायल बदमाश को गिरफ्तार कर ल‍िया गया, जबकि दूसरा मौके से फरार हो गया। पकड़ा गया बदमाश लूट और डकैती के मामले में वॉन्टेड था। पुलिस के मुताबिक, बुधवार-गुरूवार की दरम्यानी रात देवबंद थाना अंतर्गत मकबरा पुलिया के पास चेकिंग के दौरान एक संदिग्ध मोटरसाइकिल को रुकने का इशारा किया, जिस पर मोटरसाइकिल सवार अभियुक्तों ने भागते हुए पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी।

सहारनपुर का कालू एनकाउंटर में हुआ जख्मी, साथी फरार

पुलिस ने बताया कि पीछा करते हुए जवाबी कार्रवाई की गई और मुठभेड़ में बदमाश अनूप उर्फ कालू निवासी नौनात जनपद सहारनपुर गोली लगने से घायल हो गया। उसने बताया कि मुठभेड़ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया जबकि उसका दूसरा साथी फरार हो गया। पुलिस को उसके कब्जे से एक बाइक, 1 तमंचा 315 बोर, 2 खोखा कारतूस व 3 जिंदा कारतूस और बिना नम्बर हीरो स्पलेंडर बाइक मिली। सहारनपुर जिले के थाना देवबंद से वॉन्टेड आरोपी पर डकैती, लूट के 25 से ज्यादा मामले अलग-अलग थाना क्षेत्रों में दर्ज हैं और वह 25 हजार रुपये का इनामी अपराधी है। बदमाश के अन्य आपराधिक इतिहास की जानकारी की जा रही है।

रामपुर में भी बदमाशों को लगी थी गोली, SI हुआ था घायल

बता दें कि हाल ही में यूपी के रामपुर जिले की कोतवाली टांडा पुलिस ने एक मुठभेड़ के बाद 3 कथित पशु तस्‍करों के गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने रविवार को बताया कि मुठभेड़ में तीनों पशु तस्कर और एक सब-इंस्पेक्टर घायल हुआ है। पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ लोग प्रतिबंधित पशुओं का वध करने की तैयारी में हैं जिसके बाद टांडा पुलिस ने ईद की बगिया में छापा मारा और वहां मौजूद लोगों को आत्‍मसमर्पण करने को कहा। गो तस्करों ने पुलिस पर गोलीबारी की और जवाबी कार्रवाई में 3 गोतस्कर घायल हो गए।

प्रयागराज में 10 हजार के इनामी बदमाशों का एनकाउंटर

वहीं, प्रयागराज में धूमनगंज थानाक्षेत्र के कसरिया गांव में बीते शनिवार को पुलिस मुठभेड़ में दो कथित गो तस्करों गिरफ्तार किया गया। पुलिस मुठभेड़ में इन अभियुक्तों के पैर में गोली लगी।  बदमाशों ने पहले पुलिस पर फायरिंग की थी और जवाबी कार्रवाई में दोनों बदमाशों के पैरों में गोली लगी जिससे वे घायल हो गए। पुलिस के मुताबिक, घायल बदमाशों के पास से 2 देसी तमंचा (315 बोर), 7 कारतूस, 2 खोखा कारतूस और एक बिना नंबर प्लेट की मोटरसाइकिल बरामद की गई। भूकर ने बताया कि इन अभियुक्तों के खिलाफ थाना धूमनगंज में गो तस्करी के कई मामले दर्ज हैं और इनकी गिरफ्तारी के लिए 10,000-10,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था।





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bobby deol is not mute nor ranbir kapoor step brother in animal movie director sandeep reddy vanga gives story hint – Animal रिलीज से पहले खुल गया बॉबी देओल के रोल का सस्पेंस, डायरेक्टर ने ही बता दिया सच, मनोरंजन न्यूज

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रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल की स्टोरी को लेकर सस्पेंस बरकरार है। बॉबी देओल के रोल को लेकर लोगों के मन में सबसे ज्यादा उत्सुकता है। रणबीर कपूर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि फिल्म कभी खुशी कभी गम का मॉडर्न वर्जन है। इसके बाद चर्चा शुरू हुई कि बॉबी शायद उनके सौतेले भाई बने होंगे। वहीं ये भी चर्चे थे कि बॉबी देओल गूंगे बने हैं। अब डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा ने गुत्थी और उलझा दी है। उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है। 

लोगों के मन में सस्पेंस

मूवी एनिमल 1 दिसंबर को रिलीज हो रही है। फिल्म की अडवांस बुकिंग काफी तगड़ी है। फिल्म को लेकर दर्शकों के मन में 50-50 टाइप फीलिंग है। यानी कई लोगों को लग रहा है कि मूवी की लंबाई ज्यादा है। अगर यह इंगेजिंग हुई तो बंपर चलेगी। अगर दर्शक कनेक्ट नहीं हुए तो डिजास्टर भी साबित हो सकती है। ट्रेलर और मूवी की झलकियां देखकर लोगों ने फिल्म की कहानी को लेकर तरह-तरह की थिअरीज मन में बनानी शुरू कर दी हैं। अब डायरेक्टर संदीप ने कुछ इंट्रेस्टिंग बातें बताई हैं। 

संदीप बोले ने खत्म किया सस्पेंस

Reddit पर संदीप का एक वीडियो वायरल है। इसमें उनसे बॉबी के कैरेक्टर के बारे में सवाल किया गया। संदीप से पूछा गया कि क्या बॉबी देओल रणबीर के सौतेले भाई और गूंगे बने हैं। इस पर संदीप का जवाब ना था। उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है। 

अडवांस बुकिंग स्टेटस

एनिमल को A सर्टिफिकेट मिला है। एक इंटरव्यू में संदीप बोल चुके हैं कि वह अपने बेटे या घर के किसी छोटे सदस्य को थिएटर में यह फिल्म नहीं दिखाना चाहेंगे। फिल्म 3 घंटे 21 मिनट लंबी बताई जा रही है। अडवांस बुकिंग की बात करें तो 30 नवंबर दोपहर तक इसकी पहले दिन की कमाई 20 करोड़ पार कर चुकी थी। ट्रेड एक्सपर्ट्स अंदाजा लगा रहे हैं कि फिल्म पहले दिन वर्ल्ड वाइड 100 करोड़ रुपये कमा सकती है। चेक करें एनिमल की अडवांस बुकिंग रिपोर्ट



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Crow Video: बोतल में कौए ने डाले कंकड़, जुगाड़ से पिया पानी, यूज़र्स बोले- याद आ गई पुरानी कहानी…

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बचपन से ही हम एक कहानी सुनते आए हैं. कहानी कुछ इस तरह से है. एक कौआ था, उसे प्यास लगी थी. एक घड़ा में पानी भरा हुआ था. कौए की चोंच छोटी थी तो उसने एक उपाय लगाया. कौए ने घड़े में कंकड़ भरना शुरु कर दिया. कंकड़ के कारण घड़े का पानी भर गया और कौए ने आसानी से अपनी प्यास बुझा ली. सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कौआ ठीक ऐसा ही कर रहा है. इस वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया यूज़र्स कह रहे हैं- इस वीडियो को देखने के बाद पुरानी कहानी याद आ गई.

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देखें वीडियो

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे एक कौआ एक बोतल से पानी भर रहा है. हालांकि, हमने जो कहानी पढ़ी थी उसमें घड़ा मौजूद था. इस वीडियो को देखने के बाद लोग पूरी तरह से दंग हो रहे हैं. लोगों को ऐसा लग रहा है कि ये तो वही कहानी है, जिसे हमने बचपन में पढ़ा था.

इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर किया गया है.gunsnrosesgirl3 नाम के ट्विटर यूज़र ने इस वीडियो को शेयर किया है. इस वीडियो को खबर लिखे जाने तक 75 लाख से ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. वहीं इस वीडियो पर कई लोगों के कमेंट्स भी देखने को मिल रहे हैं. एक यूज़र ने कमेंट करते हुए लिखा है- ये तो पुरानी वाली कहानी है. एक अन्य यूज़र ने लिखा है- कौआ बहुत ही ज़्यादा स्मार्ट है.





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