दुबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के दौरे पर रवाना हो गए हैं। फ्रांस में 2 दिन तक रुकने के बाद पीएम मोदी 15 जुलाई को संयुक्त अरब अमीरात जाएंगे। यूएई की यात्रा पर पीएम मोदी का राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नहयान से मिलने का कार्यक्रम है। पीएम मोदी के पद संभालने के बाद दोनों नेता अब तक कई बार मिल चुके हैं। पीएम मोदी 34 साल बाद पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने साल 2015 में यूएई की यात्रा की थी। पीएम मोदी के कार्यकाल में यूएई और भारत के बीच दोस्ती एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। यूएई पश्चिम एशिया में भारत का महत्वपूर्ण कूटनीतिक पार्टनर बन गया है। यूएई में इस समय करीब 35 लाख भारतीय काम करते हैं जो अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा हर साल भारत भेजते हैं। पीएम मोदी ने साल 2015 में सबसे पहले यूएई की यात्रा की थी। पीएम मोदी की 3 यात्रा के बाद यूएई के राष्ट्रपति साल 2017 में गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बने थे। साल 2019 में यूएई ने पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ जायेद दिया था। भारत और यूएई के बीच बढ़ती दोस्ती का ही असर है कि अबूधाबी ने पाकिस्तान का साथ छोड़कर कश्मीर पर भारत का साथ दिया है। जम्मू- कश्मीर में यूएई बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। इससे पाकिस्तान बुरी तरह से चिढ़ा हुआ है। भारत को जब सबने कर दिया था अकेला तब फ्रांस ने दिया साथ, जानें क्यों खास हैं रिश्ते, पीएम मोदी करेंगे यात्रा
यूएई की 30 फीसदी आबादी भारतीय
यूएई में करीब 35 लाख भारतीय काम करते हैं जो वहां की कुल आबादी का 30 फीसदी है। यूएई में भारतीय प्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा है। ये भारतीय यूएई के विकास में बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में मुस्लिम देश यूएई ने 26 एकड़ जमीन दी थी ताकि हिंदू मंदिर बनाया जा सके। अबू धाबी में यह हिंदू मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। खुद यूएई की सरकार इस पर नजर रखे हुए है। साल 2019 में यूएई ने पाकिस्तान की आपत्ति को खारिज करते हुए भारत को इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी की बैठक में आमंत्रित किया था।
भारत को मिले न्योते से पाकिस्तान इतना बौखला गया था कि उसने इस बैठक का ही बहिष्कार कर दिया था। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है। साल 2022-23 में यूएई के साथ भारत का 76 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इसके बाद सऊदी अरब और सिंगापुर का नंबर था। यूएई और भारत ने इस बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत अब्राहम समझौते के बाद इजरायल के साथ मिलकर यूएई के संग अपने व्यापारिक रिश्ते को और मजबूत कर रहा है। I2U2 नाम से नया ग्रुप बना है जिसमें इंडिया, इजरायल यूएई और यूएस शामिल हैं। भारत ने फ्रांस के राफेल M पर लगाया दांव, जानें क्यों फेल साबित हुआ रूस का मिग 29 के जेट, पुतिन को झटका
भारत में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है यूएई
यह नया ग्रुप पश्चिमी एशिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यूएई से अरबों डॉलर का विदेशी निवेश भी भारत आया है। यूएई तेल पर से अपनी निर्भरता को खत्म करके ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना चाहता है और भारत के साथ दोस्ती इसमें मदद कर रही है। भारत यूएई के साथ विज्ञान के क्षेत्र में भी काफी सहयोग कर रहा है। यही नहीं वैश्विक मुद्दों पर भारत और यूएई एक समान सोच रखते हैं।
Image Source : FILE
भारतीयों को जारी किए 10 लाख से ज्यादा वीजा
America-India Visa: अमेरिका में भारतीयों को दूतावास ने 10 लाख से अधिक वीजा जारी किए हैं। साल 2023 में यह आंकड़ा 2019 के आंकड़े से 20 फीसदी अधिक है। इस तरह अमेरिकी मिशन ने 2023 में 10 लाख गैर-आप्रवासी वीजा आवेदनों को संसाधित करने के अपने लक्ष्य को पार कर लिया है। अमेरिकी दूतावास ने गुरुवार को घोषणा की कि मिशन ने 2022 में संसाधित मामलों की कुल संख्या को पहले ही पार कर लिया है। साथ ही महामारी 2019 से पहले की तुलना में लगभग 20% अधिक आवेदनों पर कार्रवाई कर रहा है।
भारत से रिश्ते हुए और मजबूत
भारत में राजदूत एरिक गार्सेटी ने दूतावास के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, ‘भारत के साथ हमारे द्विपक्षीय सहयोग और संबंध काफी गहरे हैं। साथ ही दोनों देशों के रिश्ते सबसे महत्वपूर्ण रिश्तों में से एक है। हमारे लोगों के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं। यही नजीं, हम आने वाले महीनों में अधिक से अधिक भारतीय आवेदकों को अमेरिका की यात्रा करने और अमेरिका-भारत मित्रता का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर देने के लिए वीजा कार्य की रिकॉर्ड-सेटिंग मात्रा जारी रखेंगे’।
कितना है रोजगार वीजा आवेदकों का आंकड़ा
पिछले वर्ष, 1.2 मिलियन से अधिक भारतीयों ने अमेरिका की विजिट की। यह विश्व में सबसे मजबूत यात्रा संबंधों में से एक बन गया। अमेरिकी दूतावास के मुताबिक भारतीय अब दुनियाभर में सभी वीजा आवेदकों में से 10 प्रतिशत से अधिक का रिप्रेजेंट करते हैं। इसमें सभी छात्र वीजा आवेदकों में से 20 फीसदी और सभी एच एंड एल-श्रेणी (रोजगार) वीजा आवेदकों में से 65 फीसदी शामिल हैं।
अमेरिकी वीजा की निरंतर मांग को ध्यान में रखते हुए, दूतावास ने कहा कि अमेरिका भारत में अपने परिचालन में भारी निवेश कर रहा है। पिछले वर्ष में, मिशन ने पहले से कहीं अधिक वीज़ा प्रसंस्करण की सुविधा के लिए अपने स्टाफ का विस्तार किया है। मिशन ने मौजूदा सुविधाओं, जैसे चेन्नई में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास, में महत्वपूर्ण पूंजीगत सुधार किए हैं और हैदराबाद में एक नए वाणिज्य दूतावास भवन का उद्घाटन किया है।
एरिक ने सौंपा 10 लाख वां वीजा
अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने व्यक्तिगत रूप से एक कपल को दस लाख वां वीजा सौंपा है, जो एमआईटी में अपने बेटे के स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए अमेरिका जा रहे हैं। लेडी हार्डिंग कॉलेज की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. रंजू सिंह अमेरिकी दूतावास से इस वर्ष अपना दस लाख का वीजा मिलने के बारे में एक ईमेल प्राप्त करके बहुत खुश थीं। उनके पति पुनीत दर्गन को अगला वीजा दिया गया।
करीब 30 वर्षों की लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार अजरबैजान ने फिर से नागोर्नो-काराबाख पर कब्जा पा लिया है। अभी तक यह शहर आर्मीनिया के अधीन था। यहां आर्मीनिया के सैनिकों का शासन था। मगर पिछले कई वर्षों से आर्मीनिया और अजरबैजान में नागोर्नो-काराबाख के लिए भीषण जंग हुई है। दोनों पक्षों की ओर से हजारों सैनिकों और लोगों की जानें गई। अब जाकर अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख को अपने कब्जे में ले लिया है। लिहाजा अब यहां की अलगाववादी सरकार भी शीघ्र ही भंग हो जाएगी।
नागोर्नो-काराबाख की अलगाववादी सरकार ने बृहस्पतिवार को ऐलान किया कि एक जनवरी 2024 तक खुद को भंग कर देगी। हाल ही में अजरबैजान ने अपने से अलग हुए क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए आक्रामक कार्रवाई की थी और नागोर्नो-काराबाख में आर्मीनियाई सैनिकों से अपने हथियार डालने तथा अलगाववादी सरकार से खुद को भंग करने के लिए कहा था। इसके बाद नागोर्नो-काराबाख की अलगाववादी सरकार की ओर से यह ऐलान किया गया है।
अलगाववादियों ने 30 वर्षों तक किया नागोर्नो-काराबाख पर शासन
नागोर्नो-काराबाख पर लगभग 30 वर्षों तक अलगाववादियों का शासन था। नागोर्नो-काराबाख पर दोबारा नियंत्रण हासिल करने के बाद अजरबैजान ने बुधवार को कहा कि क्षेत्र की अलगाववादी सरकार के पूर्व प्रमुख को आर्मेनिया में घुसने की कोशिश के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। अजरबैजान के सीमा सुरक्षा बल ने रुबेन वर्दनयान की गिरफ्तारी की घोषणा की। बल ने कहा कि वर्दनयान को देश की राजधानी बाकू ले जाकर ‘‘संबंधित प्राधिकारियों’’ को सौंप दिया गया, जो उनके बारे में फैसला करेंगे। (एपी)
ऑस्ट्रेलियाई सांसदों द्वारा ताइवान का दौरान करने पर चीन बुरी तरह बौखला गया है। ड्रैगन ने ऑस्ट्रेलिया के इस दौरे की आलोचना की है। ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन के राजदूत ने ताइवान जाने वाले आस्ट्रेलियाई नेताओं की बृहस्पतिवार को खूब आलोचना की और कहा कि स्वशासित द्वीप के अलगाववादी उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। राजदूत के इस बयान से चीन की बौखलाहट को समझा जा सकता है। राजदूत शिआओ किआन ने यह बात इस सप्ताह ताइवान गए ऑस्ट्रेलियाई संसदीय प्रतिनिधिमंडल के संदर्भ में सिडनी में कही।
इस यात्रा के अलावा एक पूर्व प्रधानमंत्री की अगले माह ताइपे में भाषण देने की भी योजना है। चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है। शिआओ ने कहा कि ताइवान जाने वाले ऑस्ट्रेलियाई सांसद तथा पूर्व प्रधानमंत्री‘‘ का राजनीतिक महत्व है।’’ चीनी राजदूत ने कहा, ‘‘ताइवान में राजनीतिक शक्तियां अपने अलगाववादी अंदोलन के लिए इसका आसानी से इस्तेमाल कर लेंगी और मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि वे एक चीन नीति को मानेंगे और ताइवान के साथ किसी भी तरीके से कामकाज करने से दूरी बनाएंगे ताकि वे राजनीतिक उद्देश्य रखने वाले द्वीप के लोगों द्वारा राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल नहीं हों।
राजदूत ने कहा-चीन का हिस्सा है ताइवान
चीनी राजदूत ने कहा कि’’ ‘एक चीन नीति’ के अनुसार कम्युनिस्ट पार्टी चीन की सरकार है और ताइवान देश का हिस्सा है। चीन की सरकार ने ताइवान की सत्तारुढ़ पार्टी पर बुधवार को स्वतंत्रता हासिल करने की कोशिश का आरोप लगाया था। इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने दौरे पर आए छह ऑस्ट्रेलियाई सांसदों के साथ बैठक में एक क्षेत्रीय व्यापार समझौते में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया के समर्थन की पैरवी की थी। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की 11 और 12 अक्टूबर को ताइपे में युशान फोरम को संबोधित करने की योजना है। (एपी)