नई दिल्ली: सदियों से खेल हमारे समाज का एक हिस्सा रहा है। हालांकि मौजूदा समय में खेल का दायरा अब काफी बढ़ चुका है। शुरुआत में सिर्फ शौक के लिए खेले जाने वाले खेलों में आज के समय उसमें करियर बनाना काफी ग्लैमरस हो गया है। इससे खिलाड़ी अपनी प्रतिभा से ना सिर्फ अपने हुनर को दुनिया के सामने दिखाते हैं बल्कि ढेर सारा पैसा, इज्जत और शोहरत भी कमाते हैं लेकिन खिलाड़ियों के लिए अपने-अपने खेल में टिके रह पाना इतना भी आसान नहीं है। कभी-कभी कड़ी मेहनत और प्रैक्टिस के बावजूद यह इतना खौफनाक बन जाता है कि जान पर बन आती है।
ऐसा ही एक खेल है मिक्स मार्शल आर्ट। एमएमए को दुनिया का खूनी खेल भी कहा जाता है। ऑक्टागन रिंग में खेले जाने वाले इस खेल में वही फाइट जीतता है जो अपने सामने वाले विरोधी को लहुलुहान कर दें। ऐसे में कभी-कभी फाइटर हालत इतनी खराब हो जाती है कि फिर भगवान ही उसका मालिक होता है। ऐसा ही एक वीडियो ईएसपीएन ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर किया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि दो विशालकाय फाइटर एक दूसरे से मुकाबला कर रहे हैं। इस दौरान एक फाइटर सामने वाले को ऐसी जोरदार किक मारी कि पलक झपकते हुए रिंग के मैट पर गिर पड़ा। चोट इतनी घातक थी कि गिरते ही वह फाइटर कांपने लगा। यही कारण है कि एमएमए को एक खूनी और क्रूर खेल भी कहा जाता है लेकिन इसके बावजूद दुनिया भर में एमएमए के दीवाने हैं।
क्या होता है MMA?
वैसे को मिक्स मार्शल आर्ट प्राचीन समय से ही अलग-अलग रूप में खेला जाता रहा है। जैसा कि इसके साथ आर्ट शब्द जुड़ा है इस कारण से इसे एक कला के तौर पर भी देखा जाता है जो खुद की सुरक्षा करने के लिए सीखा जाता था लेकिन साल 1993 में अंल्टिमेट फाइटिंग चैंपियनशिप नाम की एक कंपनी ने MMA को एक नया आकार दे दिया। यूएफसी ने एमएमए के लिए कई सारे नए नियम बनाए और चैंपियनशिप की शुरुआत की।
यूएफसी चैंपियनशिप को 12 अलग-अलग वेट कैटेगरी में बांटा गया है जिसमें 8 पुरुष और 4 महिलाओं के लिए है। UFC लोहे के जाली से घिरे ऑक्टागन रिंग में फाइट करवाता है। रिंग 30 फुट में फैला होता है। वहीं जाली की लंबाई 6 फुट होती है जबकि यह जमीन से 4 फुट ऊपर बना होता है।
ऐसा नहीं है कि 1993 से पहले मिक्स मार्शल आर्ट का खेल नहीं होता था लेकिन उससे पहले इसमें खिलाड़ियों के लिए नियम कायदे की कमी थे, जिसके कारण फाइट के दौरान विरोधी के बाल खींचना और आंखों पर वार कर दते थे लेकिन यूएफसी ने नियम बनाए और इस तरह की चिजों पर रोक लगाई।
कैसे खेला जाता है एमएमए
यूएफसी में एमएमए के लिए नियमों को निर्धारित किया है। इसके तहत एक फाइट के लिए पांच-पांच मिनट के पांच राउंड तय किए गए हैं। इस दौरान एक मिनट के लिए आराम का समय भी है। इस में फाइटर को जीतने के लिए अपने विरोधी को फिजिकल टैप आउट, वर्बल टैप आउट और नॉकआउट करना होता है। या फिर राउंड जीतने पर फाइटर को विजेता घोषित किया जाता है
नई दिल्ली: आईपीएल 2022 की चैंपियन टीम गुजरात टाइटंस ने इंडियन प्रीमियर लीग के 16वें सीजन की शुरुआत भी शानदार अंदाज में की है। उन्होंने आईपीएल 2023 के ओपनिंग मैच में ही चार बार की आईपीएल चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स को 5 विकेट से मात दी है। गुजरात का पलड़ा एक बार फिर चेन्नई पर भारी रहा। हार्दिक पांड्या की टीम की यह लगातार सीएसके पर तीसरी जीत थी। बता दें कि टाइटंस लक्ष्य का पीछा करने के लिए बखूबी जानी जाती है। गुजरात ने सीजन के पहले मैच में भी आखिरी ओवर में जाकर टारगेट को चेज कर लिया।रन चेज की बादशाह है गुजरात टाइटंस आईपीएल 2022 में डेब्यू करने वाली गुजरात टाइटंस को रन चेज करने में काफी मजा आता है। कभी राशिद, कभी तेवतिया, कभी हार्दिक तो कभी मिलर टीम की नैया पार लगवाते हैं। ऐसे में आईपीएल 2023 में चेन्नई के खिलाफ भी गुजरात ने लक्ष्य का पीछा करते हुए आखिरी ओवर में मैच जिता। उनके इस रन चेज को सफल बनाने में राशिद खान और राहुल तेवतिया ने अहम भूमिका निभाई। बता दें कि गुजरात अब तक आईपीएल के इतिहास में 10 बार टारगेट को चेज करने मैदान में उतरी है जिसमें टीम को 9 बार जीत मिली है। यह आंकड़ें कमाल के हैं। इनको देखकर कहा जा सकता है कि गुजरात टाइटंस आईपीएल में रन चेज मास्टर हैं।
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चेन्नई सुपर किंग्स ने आईपीएल 2023 का आगाज हार के साथ किया। टूर्नामेंट के ओपनिंग मुकाबले में सीएसके को शुक्रवार रात गुजरात टाइटंस के हाथों 5 विकेट से शिकस्त झेलनी पड़ी। इस हार के बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि युवा गेंदबाजों को आगे आने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह बैटिंग और बॉलिंग दोनों डिपार्टमेंट में थोड़ा और बेटर कर सकते थे। चेन्नई ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में बोर्ड पर 178 रन लगाए थे, इस स्कोर को जीटी ने 4 गेंदें शेष रहते हासिल कर लिया।
धोनी ने मैच के बाद कहा ‘हम सभी जानते थे कि वहां ओस आनी थी। हम बल्लेबाजों के साथ कुछ और कर सकते थे। ऋतुराज (गायकवाड़) शानदार था, वह गेंद को अच्छी तरह से टाइम करता है और उसे देखना अच्छा लगता है। जिस तरह से वह अपने विकल्प चुनते हैं, यह देखना अच्छा लगता है। मुझे लगता है कि युवाओं के लिए आगे आना महत्वपूर्ण है। मुझे लगता है कि राज (हैंगरगेकर) के पास गति है और वह समय के साथ बेहतर होता जाएगा।’
दूसरी पारी में चेन्नई सुपर किंग्स के गेंदबाजों ने शुरुआत में काफी नो बॉल की जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा। धोनी ने गेंदबाजों को इस पर काम करने की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा ‘सोचें कि गेंदबाज बेहतर होंगे, नो-बॉल एक ऐसी चीज है जो आपके नियंत्रण में है, इसलिए आपको उस पर काम करने की जरूरत है। मुझे लगा कि दो बाएं हाथ के बल्लेबाज बेहतर विकल्प होंगे इसलिए मैं उनके साथ आगे बढ़ा। शिवम एक विकल्प था, लेकिन कुल मिलाकर मैं गेंदबाजों के साथ सहज महसूस कर रहा था।’
लक्ष्य का पीछा करते हुए गुजरात ने 15 ओवर में 138 रन बोर्ड पर लगा दिए थे। आखिरी 5 ओवर में टीम को 41 ही रनों की दरकार थी, मगर सीएसके की कसी हुई गेंदबाजी के चलते जीटी अगले तीन ओवर में 18 ही रन बना पाई। ऐसे में आखिरी दो ओवर में उन्हें 23 रनों की दरकार थी और मैच चेन्नई की तरफ झुकने लगा था। मगर 19वें ओवर में राशिद खान और राहुल तेवतिया ने 15 रन बटोरकर मैच ही पटल दिया। तेवतिया को लेग बाय के रूप में एक चौका मिला। वहीं राशिद खान ने चाहर की दो गेंदों पर एक चौके और छक्के की मदद से 10 रन बटोरे।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) और एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) के बीच लंबे समय से एशिया कप 2023 के वेन्यू पर चर्चा जारी है। इस टूर्नामेंट की मेजबानी पाकिस्तान के पास है और बीसीसीआई की तरफ से भारतीय क्रिकेट टीम के पाकिस्तान की यात्रा करने से मना कर दिया गया है। इसके बाद न्यूट्रल वेन्यू पर टूर्नामेंट को करवाने की मांग उठी है। उधर पाकिस्तान की तरफ से एक हाइब्रिड मॉडल पेश किया गया जिसमें भारत को अपने मैच न्यूट्रल वेन्यू पर खेलने होंगे और बाकी सभी मैच पाकिस्तान में ही होंगे। पर हाल ही में इसको लेकर एक नया विवाद आया था। खबरें यह आई थीं कि पाकिस्तान की ओर से यह हाइब्रिड मॉडल आईसीसी (ICC) में पेश किया गया जिसमें पाकिस्तानी टीम वनडे वर्ल्ड कप 2023 के अपने मैच भारत की बजाय पाकिस्तान में खेलेगी।
पर अब पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) की ओर से इस पर स्पष्ट जवाब जारी किया गया है। पीसीबी की तरफ से इस बात को बिल्कुल झुठला दिया गया है कि उसने यह हाइब्रिड मॉडल आईसीसी में पेश किया। पीसीबी ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि उसके अध्यक्ष नजम सेठी ने आईसीसी बोर्ड की बैठक में कभी यह विचार नहीं रखा कि उनकी पुरुष टीम भारत के बजाय बांग्लादेश में अपने विश्व कप मैच खेलने की इच्छुक है। हालांकि, ‘पीटीआई-भाषा’ की ओर से 29 मार्च को ही यह खबर दी गई थी कि आईसीसी ने इस बात से इनकार कर दिया था कि उसके मंच पर कभी इस तरह की कोई भी चर्चा हुई थी।
क्या बोले थे नजम सेठी?
आईसीसी ने कहा था कि, बांग्लादेश किसी भी विश्व कप मैच की मेजबानी के लिए भी दावेदार नहीं है क्योंकि बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) ने आश्वासन दिया था कि पाकिस्तान टीम के लिए वीजा की समस्या नहीं होगी। पीसीबी ने स्पष्ट किया कि टूर्नामेंट के ‘हाइब्रिड मॉडल’ की अवधारणा सिर्फ एशिया कप से संबंधित थी क्योंकि भारतीय टीम पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेगी। वहीं पीसीबी अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल रहे नजम सेठी ने गुरुवार को रावलपिंडी/इस्लामाबाद में मीडिया से की गई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि, उन्होंने एशिया कप के लिए पेश किए गए ‘हाईब्रिड मॉडल’ के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी ताकि टीम इंडिया के पाकिस्तान नहीं आने के फैसले के बाद हुए गतिरोध को खत्म किया जा सके।
अब PCB ने जारी किया स्पष्ट बयान
पीसीबी द्वारा जारी किए गए नए बयान के मुताबिक, भारत के मैच तटस्थ स्थान पर और बाकी पाकिस्तान में खेलने का प्रस्ताव एसीसी में चर्चा के अधीन है। वहीं रिलीज में नजम सेठी के हवाले से कहा गया कि, मीडिया के एक वर्ग ने उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया। गुरुवार की प्रेसवार्ता के दौरान किसी भी स्तर पर नजम सेठी द्वारा आईसीसी या पुरुष क्रिकेट विश्व कप 2023 पर कोई टिप्पणी नहीं की गई, जो अक्टूबर में भारत में होने वाला है। इस मामले पर अब तक किसी भी आईसीसी मंच पर चर्चा नहीं की गई है।
पीसीबी ने अपनी रिलीज में एक स्थानीय अंग्रेजी समाचार पर सवाल उठाया और लिखा कि, पीसीबी इस बात से निराश है कि अंग्रेजी भाषा के एक प्रमुख अखबार ने नजम सेठी की टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया, गलत व्याख्या की और यह धारणा दी कि पीसीबी के ‘हाइब्रिड मॉडल’ को आईसीसी में पेश किया गया और उस पर चर्चा की गई, जो कि तथ्यात्मक रूप से गलत है। इस मामले में किरकिरी होने के बाद पीसीबी ने सभी को सांत्वना देते हुए प्रेस रिलीज में उल्लेख किया कि ‘हाइब्रिड मॉडल’ की अवधारणा पर बाद में चर्चा की जा सकती है। आईसीसी में यह हालांकि सभी को पता है कि ऐसी किसी भी सिफारिश को खारिज कर दिया जाएगा। वहीं यह कहना भी गलत होगा कि ‘हाइब्रिड मॉडल’ की वकालत नहीं की जाएगी। उचित समय आने पर आईसीसी में इस मुद्दे को उठाया जाएगा।
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