एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग ने सोमवार को वित्त वर्ष 23 के लिए भारत का वृद्धि अनुमान घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। एजेंसी ने सितंबर में 7.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। बहरहाल रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि घरेलू मांग में बहाली की वजह से भारत की वृद्धि को समर्थन जारी रहेगा।
इसने कहा है, ‘वैश्विक मंदी का भारत, इंडोनेशिया और फिलिपींस जैसे देशों की घरेलू मांग आधारित अर्थव्यवस्था पर कम असर पड़ेगा। हमारे अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान (मार्च 2023 में समाप्त होने वाले) भारत की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहेगी और अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6 प्रतिशत रहेगी। कुछ देशों में कोविड-19 से घरेलू मांग में रिकवरी अभी और बढ़ेगी। इससे भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड को वृद्धि में समर्थन मिल सकता है।’
एसऐंडपी ने कहा है कि एशिया के उभरते बाजारं में विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। मूल्यांकन में बदलाव के समायोजन के बावजूद ऐसा हुआ है। एशिया के फॉरेक्स की यह स्थिति 2023 में भी जारी रहेगी क्योंकि अमेरिकी फेडरल नीतिगत दरें लगातार बढ़ा रहा है। इसमें कहा गया है, ‘भारत में विदेशी भंडार में 73 अरब डॉलर की कमी आई है।
हालांकि अगस्त में मूल्यांकन में बदलाव के कारण यह कम (30 अरब डॉलर) रहा है। इससे पता चलता है कि केंद्रीय बैंक ने भारतीय रुपये को समर्थन देने के लिए बाजार में पर्याप्त हस्तक्षेप किया है।’रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि मौद्रिक नीति पर फैसला सामान्यतया प्रमुख महंगाई दर की स्थिति के मुताबिक हुआ है। साथ ही महंगाई दर बढ़ने की स्थित में केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति सख्त कर सकते हैं।
एसऐंडपी को उम्मीद है कि भारत की नीतिगत दर वित्त वर्ष 23 में 6.25 प्रतिशत तक पहुंचेगी और वित्त वर्ष 24 में घटकर 5.5 प्रतिशत तक आएगी। इसमें कहा गया है, ‘इस साल भारतीय रिजर्व बैंक ने अब तक नीतिगत दर में 1.9 प्रतिशत बढ़ोतरी की है, जो 2021 के अंत में पहले ही बढ़े स्तर पर थी।’
चीन में व्यापक विरोध प्रदर्शन को देखते हुए एसऐंडपी ने कहा है कि चीन की वृद्धि 2023 में 4.8 प्रतिशत रह सकती है। इसमें कहा गया है, ‘हमें उम्मीद है कि सरकार कोविड को लेकर 2023 में अपना रुख शिथिल करेगी, जैसा दूसरी तिमाही में हुआ। शिथिल करने की प्रक्रिया क्रमिक हो सकती है और संभवतः शुरुआत में इसका अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।
लेकिन नीतिगत रुख को लेकर बदलाव से भरोसा बढ़ेगा और नई गतिविधियां बढ़ेंगी। खपत एवं निजी निवेश 2023 की दूसरी छमाही में बढ़ सकता है।’ बहरहाल मध्यावधि के हिसाब से एसऐंडपी ने अनुमान लगाया है कि चीन की अर्थव्यवस्था 2022 से 2030 के बीच 4.4 प्रतिशत की सुस्त रफ्तार से बढ़ेगी और उसके बाद 2031 से 2040 के बीच वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रहेगी।
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